Vakya Kise Kahate Hain: भाषा चाहे कोई भी हो बिना वाक्य के हम अपने बातों को प्रस्तुत नहीं कर सकते हैं। जैसा कि आप जानते हैं अक्षरों के समूह को शब्द कहते हैं, वहीं शब्दों के समूह को वाक्य कहा जाता है।
लेकिन जब ऐसे शब्दों के समूह के द्वारा जब तक सही उद्देश्य या अर्थ प्रकट नहीं होता है तब तक वह वाक्य नहीं कहलाता। हिंदी व्याकरण में वाक्य का विशेष महत्व है।
हिंदी भाषा में वाक्य का सही निर्माण करने के लिए वाक्य के अंग, वाक्य के महत्वपूर्ण तत्व और वाक्य के भेद के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है। बिना इन जानकारी के हम सही उद्देश्य या अर्थ प्रकट करते हुए वाक्य का निर्माण नहीं कर सकते हैं।
यहां पर हम वाक्य किसे कहते हैं? (Vakya Kise Kahate Hain), वाक्य के भेद, वाक्य के उदाहरण, वाक्य के भेद के उदाहरण आदि के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे।
वाक्य किसे कहते हैं?
वाक्य को अंग्रेजी में Sentence कहा जाता है। सार्थक शब्दों के समूह से जब एक विचार का स्पष्ट और पूर्ण अभिव्यक्ति होता है तो उसे ही समूह कहा जाता है।
इस तरह सरल भाषा में कहे तो सार्थक शब्दों के समूह को ही वाक्य कहा जाता है और वाक्य में प्रयोग होने वाले शब्द समूह को पद कहा जाता है।
हिंदी व्याकरण में भाव और भावार्थ के आधार पर भाषा की सबसे बड़ी इकाई वाक्य है।
वाक्य के अंग
वाक्य के दो अंग है:
- उद्देश्य
- विधेय
उद्देश्य
जब वाक्य में जिस व्यक्ति या वस्तु के संबंध में कहा जाता है, उसे ही उद्देश्य कहा जाता है। इस तरह वाक्य में कर्ता ही उद्देश्य होता है।
लेकिन अगर कर्ता के साथ कोई विशेषण शब्द जुड़ा हुआ है तो यहां पर उसे कर्ता का विस्तारक मानकर उसे भी उद्देश्य के अंतर्गत ही शामिल किया जाता है।
उदाहरण
- कैलाश विद्यालय जाता है।
- यह लंबा लड़का पूरे विद्यालय में हमेशा प्रथम आता है।
उपरोक्त पहले उदाहरण में केवल कैलाश ही उद्देश्य है। लेकिन वंही दूसरे उदाहरण में कर्ता लड़के के साथ विशेषण शब्द “लंबा” जुड़ा हुआ है। इसीलिए यहां पर यह कर्ता का विस्तारक होगा और यहां पर लंबा लड़का दोनों ही उद्देश्य के अंतर्गत आएगा।
उद्देश्य के अन्य उदाहरण
- राधिका बहुत अच्छी है।
- मोहन हमेशा सबकी मदद करता है।
- हर गोरी लड़की दिल से अच्छी हो यह जरूरी नहीं।
- अच्छे बालक कभी भी शरारत नहीं करते हैं।
- उसकी बहन प्रिया आज शहर से वापस आने वाली है।
विधेय
किसी वाक्य में उद्देश्य के विषय में जो भी कहा जाता है, उसी को दर्शाने वाले शब्दों को विधेय कहा जाता है।
इस तरह वाक्य में क्रिया के संबंध में कुछ भी कहा जाए तो वह विधेय कहलाता है और विधेय के अंतर्गत वाक्य में प्रयोग क्रिया, क्रिया का विस्तारक, पूरक और पूरक का विस्तारक भी शामिल होता है।
उदाहरण
- कैलाश कब से ही दौड़ रहा है।
- भगवान श्री कृष्ण ने कंस को मारा।
- मोर बहुत देर से नाच रहा था।
उपरोक्त तीनों उदाहरण में “दौड़ रहा है”, “कृष्ण ने कंस को मारा”, “नाच रहा था” यह सभी विधेय के अंतर्गत आते हैं।
विधेय के अन्य उदाहरण
- तुम्हारा भाई रात दिन मेहनत करता है।
- सभी बच्चे बहुत अच्छे से कम कर रहे हैं।
- आज मेरे साथ सब कुछ अच्छा हो रहा है।
- तुम बहुत अच्छा चित्रकार करती हो।
- मोहन अभी तुरंत आ रहा है।
वाक्य के महत्वपूर्ण तत्व
हिंदी व्याकरण में वाक्य को शुद्ध तरीके से लिखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण तत्व होते हैं, जिनका ध्यान रखना जरूरी है। उन तत्वों को ध्यान रखकर ही शब्दों के समूह से हम शुद्ध वाक्य का निर्माण कर सकते हैं।
यहां पर वाक्य के कुछ महत्वपूर्ण तत्वों के बारे में बताया गया है, जिससे शुद्ध वाक्य का निर्माण किया जा सकता है।
सार्थकता
सार्थकता वाक्य का महत्वपूर्ण तत्व होता है। क्योंकि वाक्य में सही अर्थ और भाव प्रकट करने के लिए सार्थक शब्दों का प्रयोग करना बहुत ही जरूरी होता है। जब तक सार्थक शब्दों का उपयोग ना किया जाए तब तक शब्दों का सही अर्थ प्रकट नहीं कर सकता है।
उदाहरण के लिए वह रोटी पिता है। यह वाक्य सार्थक अर्थ प्रकट नहीं करता है। वहीं वह रोटी खाता है। यह सही अर्थ प्रकट कर रहा है।
इस तरह वाक्य में इस तत्व के अभाव में अर्थ का अनर्थ हो सकता है। इसीलिए वाक्य में इस तत्व का होना अनिवार्य होता है।
आकांक्षा
आकांक्षा वाक्य के महत्वपूर्ण तत्वों में से एक है। जब वाक्य में वक्ता के इच्छा यानी की आकांक्षा का बोध होता है तो वाक्य में आकांक्षा तत्व मौजूद होता है। इस तरह आकांक्षा वाक्य के अर्थ की अपूर्णता को इंगित करता है।
किसी भी वाक्य को सुनकर श्रोता के मन की जिज्ञासा शांत होनी चाहिए। जब तक ऐसा ना हो तब तक वाक्य भावों की पूर्ण अभिव्यक्ति करने में सक्षम नहीं होता है।
उदाहरण के लिए अगर केवल आम कहा जाए तो इससे श्रोता की जिज्ञासा शांत नहीं होगी। लेकिन अगर कहा जाए कि आम मीठा है तो यह वाक्य सुनने में पूर्ण लगता है और इससे श्रोता की जिज्ञासा भी शांत होगी।
आसक्ति
वाक्य का सही भाव प्रकट करने के लिए वाक्य के पदों के बीच आसक्ति होना जरूरी है। आसक्ति का अर्थ होता है निकटता, समीपता। उदाहरण के लिए एक वाक्य है आज, कल और परसों।
लेकिन अगर इस वाक्य के हर एक पद का उच्चारण हम रुक रुक कर करें जैसे कि एक शब्द आज, एक कल और एक परसों इस तरह कहे तो यह वाक्य नहीं बन सकता।
वहीं अगर हम इन तीनों पदों का उच्चारण एक साथ एक समय में करें तो यह वाक्य बन जाता है। इस तरह वाक्य में पदों के उच्चारण में निकटता होना बहुत ही जरूरी है।
पदक्रम
सही अर्थ प्रकट करता हुआ वाक्य बनाने के लिए उसमें सार्थक शब्दों को सही क्रम में भी लिखना जरूरी होता है। केवल सार्थक शब्दों के प्रयोग से ही सही वाक्य नहीं बन सकता है।
उदाहरण के लिए “तैरती है नाव में नदी” यहां पर हर एक पद सार्थक है लेकिन सही क्रम में ना होने के कारण वाक्य का सही अर्थ नहीं उत्पन्न हो पा रहा है।
वहीं “नदी में नाव तैरती है” यहां पर सार्थक शब्दों को सही क्रम में व्यवस्थित करने के कारण यह सही अर्थ प्रकट कर रहा है।
अन्वय
अन्वय का अर्थ होता है एकरूपता या समरूपता। वाक्य में पदों के बीच समरूपता के अभाव से बहुत बार वाक्य अशुद्ध हो जाता है। इसीलिए सही वाक्य के निर्माण में अन्वय भी एक महत्वपूर्ण तत्व होता है।
विधायक जी का भाई का हाथ में बंदूक था। इस वाक्य से भाव तो समझ में आते हैं परंतु व्याकरण की दृष्टि से यह वाक्य शुद्ध नहीं है। क्योंकि यहां पर बहुत से पदों के बीच समरूपता उत्पन्न नहीं हो रहा है।
इस वाक्य को शुद्ध बनाने के लिए पदों के बीच सामंजस्य बिठाना जरूरी है जैसे कि विधायक जी के भाई के हाथ में बंदूक था।
वाक्य के भेद
वाक्य के तीन भेद हैं:
- अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद
- क्रिया के आधार पर वाक्य के भेद
- संरचना के आधार पर वाक्य के भेद
अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद
वाक्य को अर्थ के आधार पर 8 भागों में बांटा गया है, जो इस प्रकार है:
- विधानार्थक वाक्य
- आज्ञार्थक वाक्य
- इच्छार्थक वाक्य
- विस्मय बोधक वाक्य
- प्रश्नार्थक वाक्य
- संकेतार्थक वाक्य
- संदेहार्थक वाक्य
- निषेधात्मक वाक्य
विधानार्थक वाक्य
जिस वाक्य में किसी कार्य के होने का बोध होता है, उसे विधानार्थक वाक्य कहते हैं।
उदाहरण
- मोहन बच्चों को पढ़ा रहा है।
- गीता खाना बना रही है।
- बच्चे बगीचे में खेल रहे हैं।
- मीनाक्षी हर दिन विद्यालय जाती है।
- सभी गांव वाले एक साथ मिलकर टेलीविजन देख रहे हैं।
- श्वेता बहुत मधुर गाती है।
आज्ञार्थक वाक्य
जब किसी वाक्य में आदेश या आज्ञा का भाव उत्पन्न होता है तो उसे आज्ञार्थक वाक्य कहा जाता है।
उदाहरण
- तुम जाओ और मेरे लिए गिलास पानी लेकर आओ।
- बहुत ठंड है पंखा बंद कर दो।
- रूम में बहुत अंधेरा है खिड़की खोलो।
- कल सुबह जल्दी उठना है इसलिए सो जाओ।
- समय पर खाना खा लेना।
- कल से तुम मेरे साथ सुबह टहलने के लिए आओगे।
- तुम्हें अपने मां का काम में हाथ बटाना है ताकि तुम घर का काम सीखो।
प्रश्नार्थक वाक्य
जिस वाक्य में किसी भी तरह का प्रश्न पूछा जाए तो उसे प्रश्नार्थक वाक्य कहा जाता है।
उदाहरण
- तुम कल शाम बाजार में क्या कर रहे थे?
- तुम्हारे पिताजी क्या काम करते हैं?
- तुम विद्यालय कब जाते हो?
- तुम मसूरी में कौन से होटल में ठहरोगे?
- तुम किस से बात कर रही हो?
- तुम्हारे यहां कल कौन आया था?
- तुम छुट्टियों में कहां घूमने जाओगे?
- रोहन के पिताजी कल किससे बात कर रहे थे?
- मीनाक्षी के भाई को कल किसने पीटा था?
- घर पर मेहमान कितने बजे तक पहुंच जाएंगे?
- तुम्हारे परिवार कब तक घर पहुंच जाएंगे?
इच्छार्थक वाक्य
जब वाक्य में इच्छा, आशीर्वाद, दुआ, बद्दुआ, शाप जैसे भाव का बोध होता है तो उसे इच्छार्थक वाक्य कहते है।
उदाहरण
- ईश्वर तुम्हें हर प्रयास में सफलता दें।
- नया साल तुम्हारे जीवन में ढेर सारी खुशियां लेकर आए।
- भगवान करे तुम्हारी सारी इच्छा पूरी हो जाए।
- काश तुम यहां जल्दी से आ जाते।
संदेहार्थक वाक्य
जिस वाक्य में संदेह का भाव उत्पन्न होता है, उसे संदेहार्थक वाक्य कहा जाता है।
उदाहरण
- शायद कोई कल मेरे घर पर आएगा।
- हम शायद कल घूमने जा सकते हैं।
- आज बारिश हो सकती है।
- हम लगभग पहुंचने पर हैं।
- संभवतः तुम सही राह पर चलो।
- मेरा भाई छुट्टियों में शायद घर आ सकता है।
निषेधात्मक वाक्य
जब किसी वाक्य में कोई भी चीज करने या होने की मनाई की जाए या वाक्य में निषेध का भाव उत्पन्न हो तो उसे निषेधात्मक वाक्य कहते हैं।
उदाहरण
- बिना टिकट के सिनेमा हॉल में प्रवेश नहीं हो सकता।
- मुझे यह खाना स्वादिष्ट नहीं लग रहा है।
- मीना से चाय मत बनवाओ उसे चाय बनाना सही से नहीं आता।
- तुम वहां मत जाओ वहां खतरा है।
- पिताजी ने मुझे तुम्हारे साथ जाने से मना किया है।
- तुम यहां पर नहीं आ सकते।
- कल से तुम से मिलना बंद अब हम केवल फोन पर बात करेंगे।
संकेतार्थक वाक्य
ऐसे वाक्य जिसमें एक वाक्य का क्रिया दूसरे वाक्य की क्रिया पर निर्भर करता है तो उसे संकेतार्थक वाक्य कहा जाता है। ऐसे वाक्य को हेतु वाचक वाक्य भी कहा जाता है। ऐसे वाक्य में शर्त का भाव उत्पन्न होता है।
उदाहरण
- यदि इस छुट्टी में भैया घर आएंगे तो हम सब घूमने के लिए जाएंगे।
- तुम पास में रहते हो तो मेरी सारी समस्या दूर हो जाती है।
- अगर इस बार बारिश अच्छी होगी तो अच्छे से खेती हो जाएगी।
- यदि तुम सही ढंग से पढ़े होते तो जरूर परीक्षा में पास हो गए होते।
- यदि आज पिताजी घर जल्दी आएंगे तो पूरे परिवार साथ में बैठकर रात्रि भोजन करेंगे।
विस्मय बोधक वाक्य
जिस वाक्य में आश्चर्य का भाव उत्पन्न होता है, उसे विस्मय बोधक वाक्य कहते हैं।
उदाहरण
- वाह! तुम्हारा ड्रेस तो बहुत खूबसूरत लग रहा है।
- ओह! हम इस खेल में हार गए।
- अरे नहीं! यह नहीं होना चाहिए था।
क्रिया के आधार पर वाक्य के भेद
क्रिया के आधार पर वाक्य को तीन भागों में बांटा गया है और इन भेदों को वाच्य कहा जाता है।
क्रिया के जिस रूप से किसी भी वाच्य में पता चले कि कर्ता, कर्म या भाव में से किसकी प्रधानता है, उसी को वाच्य कहते हैं।
यहां पर इसके तीन भेद इस प्रकार हैं:
- कर्तृ वाच्य
- कर्म वाच्य
- भाव वाच्य
कर्तृ वाच्य
जब किसी वाक्य में प्रयुक्त क्रिया के वचन या उसके लिंग का निर्धारण उसे वाक्य के कर्ता के लिंग या वचन पर आधारित हो तो उसे कृत वाच्य कहते हैं।
इस तरह के वाक्य में कर्ता के लिंग एवं वचन में परिवर्तन करते ही वाक्य में क्रिया के लिंग और वचन में भी परिवर्तन हो जाता है। इस तरह के वाक्य में क्रिया सकर्मक और अकर्मक हो सकती है।
उदाहरण
- मोहन प्रतिदिन स्कूल जाता है। (पुल्लिंग, एकवचन)
- गीता प्रतिदिन स्कूल जाती है। (स्त्रीलिंग, एकवचन)
- तुम प्रतिदिन स्कूल जाते हो। (पुल्लिंग, एकवचन)
- हम प्रतिदिन स्कूल जाते हैं। (पुल्लिंग, बहुवचन)
कर्म वाच्य
जब किसी वाक्य में प्रयोग किए गए क्रिया के लिंग या वचन का निर्धारण कर्ता के लिंग या वचन से न होकर कर्म के लिंग या वचन पर आधारित हो तो उसे कर्मवाच्य कहा जाता है।
इस तरह ऐसे वाक्य में अगर कर्म के लिंग या वचन में परिवर्तन होता है तो क्रिया के लिंग या वचन में भी परिवर्तन होता है। कर्मवाच्य में सदैव क्रिया सकर्मक रहता है।
उदाहरण
- रूही के द्वारा विज्ञान पढ़ाया जाता है। (पुल्लिंग, एकवचन)
- रूही के द्वारा हिंदी पढ़ाई जाती है। (स्त्रीलिंग, एकवचन)
- रोहन के द्वारा पुस्तक पढ़ी जाती है। (स्त्रीलिंग, एकवचन)
भाव वाच्य
जब किसी भी वाक्य में प्रयुक्त क्रिया के लिंग और वचन का परिवर्तन वाक्य में प्रयुक्त कर्ता या कर्म पर निर्भर ना करता हो तो उसे भाव वाच्य कहा जाता है।
इस तरह ऐसे वाक्य में अगर कर्ता या कर्म के लिंग और वचन में परिवर्तन करने पर भी वाक्य के क्रिया पर प्रभाव ना पड़े तो उसे भाव वाच्य कहते हैं। ऐसे वाक्य में में क्रिया सदैव अकर्मक होती है।
उदाहरण
- राधिका से नहीं चला जाता है।
- रमेश से नहीं पढ़ा जाता है।
- गीता से गया नहीं जाता है।
- रोहन से खाना नहीं खाया गया।
- पंछियों से उड़ा नहीं जा पाया।
संरचना के आधार पर वाक्य के भेद
संरचना के आधार पर वाक्य को तीन भागों में विभाजित किया गया है:
सरल वाक्य
जब किसी वाक्य में एक ही विधेय और एक ही उद्देश्य होता है तो उसे सरल वाक्य कहते हैं।
हालांकि अगर किसी वाक्य में एक से अधिक कर्ता है लेकिन उन सभी के द्वारा एक समान कार्य किया जाते हैं तभी वह सरल वाक्य ही कहलाता है।
या फिर वाक्य में एक से अधिक कार्य हो रहे हैं लेकिन एक ही कर्ता है तभी समस्त कार्य को एक ही विधेय माना जाएगा।
उदाहरण
- मोहन अच्छा गाता है।
- मीना खाना बना रही है।
- रोहन टेलीविजन देख रहा है।
- रुपेश बाजार से सामान लाने गया है।
- तुम अपना काम सही समय पर कर लेना।
- घूमना फिरना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
- मां ने आज बहुत स्वादिष्ट भोजन बनाया है।
- सभी बच्चे खेल रहे हैं।
- मीणा खाना बनाते हुए गाना सुन रही हैं।
- श्वेता और मीनाक्षी घूमने जा रहे हैं।
- रोहन और कैलाश एक साथ विद्यालय के पिकनिक पर जाएंगे।
- मेरा भाई पढ़ एवं लिख रहा है।
- महेश, श्रद्धा और उसका भाई पढ़ रहे हैं।
सरल वाक्य की परिभाषा एवं उदाहरण के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहां क्लिक करें।
संयुक्त वाक्य
जब दो या दो से अधिक स्वतंत्र वाक्य को जोड़कर एक वाक्य बनाया जाता है तो उसे संयुक्त वाक्य कहा जाता है। इसमें हर एक उपवाक्य स्वतंत्र होते हैं।
अगर किसी भी उपवाक्य को हटा दिया जाता है तो दूसरे वाक्य पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
इन तमाम उपवाक्य को संयोजक शब्दों से जोड़ा जाता है जैसे कि लेकिन, तथा, किंतु, परंतु, और, या, एवं, अथवा, बल्कि, अतः आदि।
उदाहरण
- मैं तुम्हारे साथ जाना चाहती थी लेकिन अचानक से मुझे कुछ काम याद आ गई।
- तुमने जो भी कुछ कहा और तुम्हारे भाई ने जो भी कुछ कहा दोनों कथन में काफी अंतर है।
- तुम्हें किसी से पूछने की जरूरत नहीं थी क्योंकि मैं खुद तुम्हें बताने आ रहा था।
- मुझे एक कर नहीं खरीदना है बल्कि अब मुझे दो-दो कार खरीदना है, एक कार मेरे भाई के लिए होगा।
- छुट्टियां समाप्त होने वाली है, इसलिए हम घर आने की तैयारी कर रहे हैं।
- मैं सही समय पर स्टेशन पहुंच गया था फिर भी मैं ट्रेन नहीं पकड़ पाया।
- तुम्हें इतनी बार सही से काम करने के लिए समझाया जाता है फिर भी तुम गलत काम करती हो।
- तुम्हें विद्यालय जाना होगा अथवा घर पर आकर पढ़ाई करना होगा।
- तुम्हें आने का मन है परंतु, तुम हमारे साथ आकर क्या करोगी?
सयुंक्त वाक्य की परिभाषा एवं उदाहरण आदि के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहां क्लिक करें।
मिश्रित वाक्य
ऐसे वाक्य जिसमें सरल वाक्य के अतिरिक्त अन्य उपवाक्य भी जुड़े हो तो उसे मिश्रित वाक्य कहते हैं। मिश्रित वाक्य में एक प्रधान वाक्य होता है और शेष आश्रित वाक्य होते हैं।
मिश्रित वाक्य में प्रधान उपवाक्य को अन्य आश्रित उपवाक्य से जोड़ने के लिए कई सारे योजक शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
जिन मिश्र वाक्य में योजक शब्द वाक्य के प्रारंभ में लगे होते हैं, उस वाक्य का अंतिम उपवाक्य ही प्रधान उपवाक्य कहलाता है और उससे पहले के सभी वाक्य आश्रित उपवाक्य कहलाते हैं।
मुहावरे एवं लोकोक्तियां मिश्र वाक्य के उदाहरण होते हैं। मिश्र वाक्य में जितना-उतना, जब-तब, जैसा-वैसा, कि, यदि-तो, यद्यपि-तथापि, ‘जिधर’; ‘उधर’, जिसकी-उसकी, जो-सो/वह जैसे योजक शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है।
उदाहरण
- रोहन ने पूरे कक्षा में अफवाह फैलाई कि उसने कल रात भूत देखा था।
- जिसकी लाठी उसकी भैंस यह कहावत आज के समय में बहुत प्रयोग होता है।
- जो मेहनत करेगा वह अवश्य ही सफल होगा।
- तुम जितना गुस्सा होगे उतना ही खुद का नुक़सान करोगे।
- जिधर तुम जाओगे उधर मैं भी आऊंगा।
- जब मेरा भाई शहर से गांव आता है तब वह मेरे लिए बहुत सारे कपड़े लेकर आता है।
- जो तुम करोगे सो तुम्हारा छोटा भाई भी करेगा।
- जैसा तुमने मुझे करने के लिए कहा वैसा ही मैंने किया।
- यदि तुम अच्छे से पढ़ाई किए होते तो तुम परीक्षा में जरुर सफल हुए होते।
- जहां चाह होता है वंही राह होता है।
- तुम जितना ज्यादा परेशानी से भागोगे, परेशानी उतना ही तुम्हारा पीछा करेगा।
- अगर किसी को खुश करना है तो तुम उसके लिए उपहार लेकर जाओ।
- जब तुम पार्टी में अचानक से खूबसूरत कपड़े में आई तब सभी लोग तुम्हें देखकर दंग रह गए।
मिश्र वाक्य की परिभाषा एवं उदाहरण आदि के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहां क्लिक करें।
FAQ
किसी भी वाक्य में प्रयुक्त शब्दों के कुछ समूह जो अर्थ पूर्ण हो, लेकिन उससे पूरा अर्थ प्रकट ना हो तो उसे वाक्यांश कहा जाता है। जैसे कि टेबल के नीचे, छत के ऊपर।
वाक्य को अंग्रेजी में Sentence कहा जाता है। सार्थक शब्दों के समूह से जब एक विचार का स्पष्ट और पूर्ण अभिव्यक्ति होता है तो उसे ही समूह कहा जाता है। इस तरह सरल भाषा में कहे तो सार्थक शब्दों के समूह को ही वाक्य कहा जाता है और वाक्य में प्रयोग होने वाले शब्द समूह को पद कहा जाता है। जैसे कैलाश विद्यालय जाता है, राधिका बहुत अच्छी है।
मैं जहां-जहां जाता हूं तुम वहां पीछे करते हुए क्यों आ जाते हो?
मैं परीक्षा के लिए बहुत मेहनत की थी फिर भी मैं असफल हो गया।
किसी वाक्य में जब एक से अधिक वाक्य संयोजक के जरिए जुड़े होते हैं तो उसमें कोई एक वाक्य प्रधान वाक्य होता है और शेष वाक्य उपवाक्य कहलाते हैं।
वाक्य में जब दो या दो से अधिक वाक्य होते हैं तो शेष उपवाक्य प्रधान उपवाक्य पर आश्रित रहते हैं, उन्हें आश्रित उपवाक्य कहा जाता है।
जब वाक्य में प्रयुक्त क्रिया के लिंग और वचन वाक्य के कर्म पर आधारित हो तो उसे कर्म वाच्य कहते हैं। ऐसे वाक्य में कर्म के लिंग और वचन परिवर्तन करने से वाक्य के क्रिया के लिंग और वचन में भी परिवर्तन हो जाता है।
निष्कर्ष
यहां पर हमने वाक्य की परिभाषा (vakya ki paribhasha), vakya ke bhed, वाक्य के उदाहरण, वाक्य के भेद के उदाहरण आदि के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की है।
इस लेख में आपने हिंदी व्याकरण के महत्वपूर्ण भाग वाक्य (types of sentences with examples) के बारे में जाना।
हमें उम्मीद है कि आज के इस लेख के माध्यम से वाक्य के बारे में आपको सारी जानकारी मिल गई होगी। यदि यह लेख आपको पसंद आया हो तो इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए अन्य लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें।
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