Hindi Varnamala: कोई भी भाषा हो, उस भाषा में शब्दों का निर्माण करने के लिए अक्षरों का ज्ञान होना बहुत ही जरूरी है। अक्षर को वर्ण भी कहा जाता है और वर्णों के समूह को वर्णमाला कहा जाता है।
हिंदी भाषा में भी शब्दों का निर्माण करने के लिए हिंदी के वर्ण की सही जानकारी होना जरूरी है। हिंदी के वर्णों के मदद से ही शब्द और फिर शब्द के जरिए वाक्य बनाए जाते हैं।
हिंदी वर्णमाला में समाहित सभी वर्णों का उच्चारण अलग-अलग तरीके से होता है। अगर आप भी हिंदी भाषा में शुद्धता प्राप्त करना चाहते हैं तो हिंदी वर्णमाला (varnamala in hindi) के बारे में सही जानकारी होना जरूरी है।
हिंदी भाषा सीखने की सबसे प्रथम कदम वर्णमाला सिखाना ही होता है। इसीलिए आज के इस लेख में हम हिंदी वर्णमाला से संबंधित जानकारी लेकर आए हैं।
आज के इस लेख में Hindi Varnamala क्या होता है?, हिंदी वर्णमाला स्वर और व्यंजन की संख्या, हिंदी वर्णमाला में कितने अक्षर और कितने वर्ण होते हैं आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे।
हिंदी वर्णमाला
अक्षरों एवं वर्णों के क्रमबद्ध समूह को वर्णमाला कहा जाता है। हिंदी वर्णमाला में भी इसी तरह कई वर्णों की व्यवस्थित समूह है, जिन्हें हिंदी वर्णमाला कहते हैं।
हिंदी वर्णमाला में समाहित सभी वर्णों को उच्चारण और उनकी उत्पत्ति के आधार पर विभिन्न भागों में विभाजित किया गया है।
वर्णमाला में अक्षरों/वर्ण की संख्या
हिंदी वर्णमाला में कुल 44 अक्षर है। उन अक्षरों में से 11 अक्षर स्वर कहलाते हैं और 33 अक्षर व्यंजन कहलाते हैं।
स्वर | ||||
अ (-) | आ (ा) | इ (ि) | ई (ी) | उ (ु) |
ऊ (ू) | ऋ (ृ) | ए (े) | ऐ (ै) | ओ (ो) |
औ (ौ) | अं (ं) | अः (ः) | ||
व्यंजन | ||||
क (k) | ख (kh) | ग (g) | घ (gha) | ङ (nga) |
च (ca) | छ (chha) | ज (ja) | झ (jha) | ञ (nya) |
ट (ta) | ठ (thh) | ड (da) | ढ (dh) | ण (n) |
त (t) | थ (tha) | द(d) | ध (dha) | न (na) |
प (p) | फ (fa) | ब (b) | भ (bha) | म (ma) |
य (y) | र (r) | ल (la) | व (v) | |
श (sha) | ष (shha) | स (sa) | ह (ha) | |
क्ष (ksh) | त्र (tra) | ज्ञ (jna) |
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हिंदी वर्णमाला के वर्णों का विभाजन
हिंदी वर्णमाला में सभी वर्णों को मूल रूप से पांच भागों में विभाजित किया गया है:
- स्वर वर्ण – 11
- मूल व्यंजन – 33
- अयोगवाह वर्ण – 02
- उत्क्षिप्त व्यंजन – 02
- संयुक्त व्यंजन – 04
हिंदी वर्णमाला में स्वर
Hindi Varnamala में सबसे पहले स्वर लिखे होते हैं। हिंदी वर्णमाला में कुल 11 स्वर है। स्वर उन्हें कहते हैं, जिनके उच्चारण में किसी अन्य वर्ण की सहायता नहीं लेनी पड़ती है।
स्वर के उच्चारण करते समय हवा बिना किसी रूकावट के नाक या मुंह से निकल जाती है। इसके उच्चारण में ओठ या जीभ कहीं भी परस्पर स्पर्श नहीं करते हैं।
हिंदी स्वर के प्रकार
हिंदी वर्णमाला में स्वर के उच्चारण करते समय लिए गए समय के आधार पर इसे तीन भागों में विभाजित किया गया है।
- हृस्व स्वर
- गुरु या दीर्घ स्वर
- प्लुत स्वर
हृस्व स्वर
हिंदी वर्णमाला के ऐसे स्वर वर्ण जिनका उच्चारण करते समय केवल एक मात्रा का समय लगता है, उन्हें हस्व स्वर कहते हैं। इसे मूल, एकमात्रिक या लघु स्वर भी कहा जाता है।
इसमें केवल एक मात्र का ही प्रयोग होता है। hindi varnmala में ऐसे कुल चार हस्व स्वर है अ, इ, उ, ऋ।
गुरु या दीर्घ स्वर
हिंदी वर्णमाला के ऐसे स्वर वर्ण जिनका उच्चारण करते समय दो मात्रा का समय लगता है, उसे दीर्घ या गुरु स्वर कहा जाता है। इसमें हस्व स्वर की तुलना में दोगुना समय लगता है।
इस तरह के स्वर को द्विमात्रिक या संधि स्वर भी कहा जाता है। हिन्दी वर्णमाला में ऐसे स्वरों की संख्या 7 है। आ, ई, ऊ, ए, ए, ओ, औ आदि।
प्लुत स्वर
हिंदी वर्णमाला में प्लुत स्वर उस जगह पर इस्तेमाल होता है, जहां पर स्वर वर्ण का उच्चारण थोड़ा खींच कर करना पड़ता है।
प्लुत स्वर ऐसे स्वर वर्ण होते हैं, जिन्हें उच्चारण करने में दीर्घ स्वर के तुलना में दोगुना और हस्व स्वर के तुलना में तीन गुना समय लगता है। जैसे कि राऽम।
यहां “रा” और “म” के बीच में लगा हुआ निशान प्लुत स्वर है। यहां पर यह निशान लगने का अर्थ है कि यहां पर राम शब्द के रा वर्ण को थोड़ा खींच कर उच्चारित करना होता है।
स्वर का उच्चारण स्थान
उच्चारण स्थान | स्वर |
---|---|
कंठ | अ, आ |
तालु | इ, ई |
ओष्ठ | उ, ऊ |
मूर्धा | ऋ |
कंठ – तालु | ए, ऐ |
कंठ – ओष्ठ | ओ, औ |
हिंदी वर्णमाला में व्यंजन
हिंदी की वर्णमाला में व्यंजन ऐसे वर्ण होते हैं, जिनका उच्चारण करने के लिए हमें स्वर वर्णों की सहायता लेनी पड़ती है। सभी व्यंजन वर्णों की उत्पत्ति स्वर वर्णों के मेल से होता है।
जब ऐसे वर्णों का उच्चारण किया जाता है तब हवा मुंह में कहीं ना कहीं रुक कर बाहर निकलती है। क्योंकि व्यंजन वर्ण का उच्चारण करते समय वर्ण विशेष के हिसाब से हवा को रुकावट का सामना करना पड़ता है और रुकावट हटने के बाद यह वर्ण उच्चारित होते हैं।
इसीलिए यह स्वर वर्ण की तरह स्वतंत्र रूप से उच्चारित नहीं होते हैं। हिंदी वर्णमाला में व्यंजन की संख्या कुल 33 है। हालांकि इसके अलावा चार संयुक्त व्यंजन भी है। इस तरह कुल मिलाकर 39 व्यंजन है।
क, ख, ग, घ, ड़, च, छ, ज, झ, ञ, ट, ठ, ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श, ष, स, ह
संयुक्त व्यंजन: क्ष, त्र, ज्ञ, श्र
व्यंजनों का वर्गीकरण
व्यंजन वर्णों को तीन आधार पर वर्गीकृत किया गया है:
- प्रयत्न स्थान के आधार पर व्यंजनों का वर्गीकरण
- प्रयत्न विधि के आधार पर वर्गीकरण
- स्वर तंत्रियों में कंपन के आधार पर वर्गीकरण
प्रयत्न स्थान के आधार पर
प्रयत्न स्थान को उच्चारण स्थान भी कहा जाता है। हमारे मुख में अलग-अलग व्यंजन वर्णों का उच्चारण अलग-अलग हिस्से से होता है।
मुख के जिस हिस्से की सहायता हमें वर्ण का उच्चारण करने के लिए लेना पड़ता है, वह उसका उच्चारण स्थान बन जाता है।
इस तरह व्यंजन वर्ण का उच्चारण करते समय जहां हमारी प्राणवायु रूकती है, वह उसका उच्चारण स्थान कहलाता है और इस आधार पर व्यंजन वर्णों को पांच वर्गों में बांटा गया है।
- कंठ
- तालु
- मूर्ध्दा
- दन्त
- होंठ
कण्ठ्य व्यंजन
हिंदी वर्णमाला में ऐसे व्यंजन वर्ण जिनका उच्चारण करते समय हमें कंठ की सहायता लेनी पड़ती है अर्थात जब ऐसे वर्णों को उच्चारित किया जाता है तब हवा कंठ में रूक कर बाहर निकलती है तो उसे कंठव्य व्यंजन कहते है। इसके उदाहरण है क, ख, ग, घ, ङ, क़, ख़, ग़।
तालव्य व्यंजन
हिंदी वर्णमाला में ऐसे वर्ण जिनका उच्चारण स्थान तालू है, उसे तालव्य व्यंजन कहते है जैसे कि च, छ, ज, झ, ञ, श, य।
इन सभी वर्णों का उच्चारण करते समय मुख की जीभ तालू को स्पर्श करती है और दोनों के परस्पर स्पर्श से प्राण वायु रूकती है और फिर दोनों के अलग होते ही यह वर्ण मुख से बाहर निकलते हैं।
मूर्धन्य व्यंजन
हिंदी वर्णमाला के ऐसे व्यंजन जिनका उच्चारण करते समय मुख का जीभ मुख के ऊपरी हिस्से यानी की तालु के बीच वाले कठोर भाग को स्पर्श करता है तो उसे मूर्धन्य व्यंजन कहते है। जैसे ट, ठ, ड, ढ, ण, ड़, ढ़, र, ष।
दन्त्य व्यंजन
दंत्य व्यंजन हिंदी वर्णमाला के ऐसे वर्ण होते हैं, जिनका उच्चारण स्थान दांत होता है अर्थात कि ऐसे वर्णों का उच्चारण करते समय जीभ दांत को स्पर्श करती हैं।
जिसके कारण वहां पर प्राण वायु को बाहर निकलने में अवरोध उत्पन्न होता है और जैसे ही यह एक दूसरे से अलग होती है वैसे ही प्राणवायु के बाहर निकलते ही इन वर्णों का उच्चारण होता है। इनके उदाहरण है: त, थ, द, ध, न, ल, स।
ओष्ठ्य व्यंजन
हिंदी वर्णमाला के ऐसे वर्ण जिनका उच्चारण करते समय दोनों ओठ प्रस्पर स्पर्श करते हैं और उनके स्पर्श करने से ऐसे वर्णो का उच्चारण होता है तो उसे ओष्ठय व्यंजन कहते है। प, फ, ब, भ, म।
काकल्य व्यंजन
उपरोक्त उच्चारण स्थान के अतिरिक्त एक उच्चारण स्थान काकल्य भी होता है और यह कंठ का थोड़ा नीचे वाला भाग होता है।
हिंदी वर्णमाला में केवल वर्ण “ह” ही एकमात्र ऐसा वर्ण है, जिसका उच्चारण कंठ से थोड़ा नीचे वाले भाग की सहायता से होता है।
प्रयत्न विधि के आधार पर
- स्पर्शी या स्पृष्ट
- स्पर्श-संघर्षी व्यंजन
- नासिक्य व्यंजन
- उत्क्षिप्त व्यंजन
- लुंठित व्यंजन
- अंत:स्थ व्यंजन
- उष्म व्यंजन
स्पर्शी या स्पृष्ट
हिंदी वर्णमाला की यह ऐसे व्यंजन होते हैं, जिनका उच्चारण करते समय प्राणवायु ओठ या फिर जीभ से स्पर्श करते हुए बाहर निकलती है।
हिंदी वर्णमाला में कुल 25 स्पर्श व्यंजन है और इन्हें वर्ग व्यंजन भी कहते हैं। जैसे क-वर्ग, च-वर्ग, ट-वर्ग, त-वर्ग, प-वर्ग।
स्पर्श-संघर्षी व्यंजन
हिंदी वर्णमाला में ऐसे वर्ण जिनका उच्चारण करते समय प्राण वायु हमारे जीभ या ओठो से स्पर्श करने के साथ ही संघर्ष करते हुए बाहर निकलती है तो उसे स्पर्श संघर्षी व्यंजन कहते हैं।
हिंदी वर्णमाला का च-वर्ग स्पर्श संघर्षी व्यंजन कहलाता हैं। जब इनका उच्चारण किया जाता है तब सांस घर्षण करते हुए बाहर निकलती है।
नासिक्य व्यंजन
हिंदी वर्णमाला के ऐसे व्यंजन जिनका उच्चारण करते समय प्राण वायु हमारे नाक से होकर गुजरती है, उसे नासिक्य व्यंजन कहते है। इसके उदाहरण हैं ङ, ञ, ण, न, म।
उत्क्षिप्त व्यंजन
इसे द्विस्पृष्ठ या ताड़नजात व्यंजन भी कहते है। यह हिंदी वर्णमाला के ऐसे व्यंजन होते हैं, जिनका उच्चारण करते समय जीभ हमारे तालू को छूते हुए एक झटके के साथ नीचे की तरफ आती है।
फिर इससे प्राण वायु मुख के बाहर निकलती है और इन वर्णों का उच्चारण होता है। उनके उदाहरण है ड़ एवं ढ़।
लुंठित व्यंजन
इस व्यंजन को प्रकंपित व्यंजन भी कहा जाता है। हिंदी वर्णमाला में लुठित व्यंजन केवल एक ही है और वह है “र”। र- का उच्चारण करते समय हमारे जीभ में कंपन होता है। उस समय प्राण वायु जीभ से टकराकर लुढ़कती हुई बाहर निकलती है।
अंत:स्थ व्यंजन
हिंदी वर्णमाला के ऐसे व्यंजन जिनका उच्चारण स्वर और व्यंजन के बीच होता है, उसे अन्तःस्थ व्यंजन कहते हैं और हिंदी वर्णमाला में इस तरह के केवल चार वर्ण है य, र, ल, व।
उष्मिय या संघर्षी व्यंजन
हिंदी वर्णमाला के ऐसे व्यंजन जिनका उच्चारण करते समय मुख के विशेष भाग में घर्षण होते हुए उष्मा उत्पन्न होती है तो उसे उष्म व्यंजन कहते हैं। जिनके उदाहरण है: श, ष, स, ह।
प्राण वायु के आधार पर वर्गीकरण
हिंदी वर्णमाला में वर्णों का उच्चारण करते समय प्राण वायु मुख से बाहर निकलती है और उसी के साथ वर्ण का उच्चारण होता है।
प्राण वायु की मात्रा के आधार पर भी हिंदी वर्णमाला के व्यंजन वर्णों को वर्गीकृत किया गया है और इस आधार पर इन्हें दो भागों में बांटा गया है अल्प्राण व्यंजन और महाप्राण व्यंजन।
अल्पप्राण व्यंजन
हिंदी वर्णमाला में जिन वर्णों का उच्चारण करते समय बहुत कम मात्रा में प्राण वायु मुख से बाहर निकलती है, उसे अल्पप्राण व्यंजन कहते हैं।
क, ग, ङ, च, ज, ञ, ट, ड, ण, त, द, न, प, ब, म, ड़, ढ़ अल्पप्राण व्यंजन के उदाहरण है। सभी स्वर भी अल्पप्राण होते हैं।
महाप्राण व्यंजन
हिंदी वर्णमाला में जिन वर्णों का उच्चारण करते समय अत्यधिक मात्रा में प्राण वायु मुख से बाहर निकलते है, उसे महाप्राण व्यंजन कहते है।
हिंदी वर्णमाला के प्रत्येक वर्ग का दूसरा और चौथा वर्ण महाप्राण व्यंजन है। ख, घ, छ, झ, ठ, ढ, थ, ध, फ, भ, श, ष, स, ह ये सब महाप्राण व्यंजन के उदाहरण है।
संयुक्त व्यंजन
संयुक्त व्यंजन हिंदी वर्णमाला के ऐसे व्यंजन है, जिनकी उत्पत्ति दो या दो से अधिक व्यंजन वर्णों से ही हुई है।
इसीलिए इन्हें मूल व्यंजन वर्ण में समाहित नहीं किया गया है। इस तरह के व्यंजन की संख्या चार है। क्ष, त्र, ज्ञ, श्र संयुक्त व्यंजन है।
- क्ष = क् + ष
- त्र = त् + र
- ज्ञ = ग् + य
- श्र = श् + र
टेबल के माध्यम से हिंदी वर्णमाला के स्वर और व्यंजन
स्वर वर्ण
अ | आ | इ | ई |
उ | ऊ | ऋ | ए |
ऐ | ओ | औ |
व्यंजन वर्ण
क | ख | ग | घ | ङ |
च | छ | ज | झ | ञ |
ट | ठ | ड | ढ | ण |
त | थ | द | ध | न |
प | फ | ब | भ | म |
य | र | ल | व | |
श | ष | स | ह |
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FAQ
हर एक भाषा की सबसे छोटी इकाई वर्ण होती है और वर्णों को टुकड़ों में विभाजित नहीं किया जा सकता है। हमारे मुख से निकला हर एक अर्थपूर्ण ध्वनि को दी गई आकृति या आकार वर्ण कहलाता है।
किसी भी भाषा के वर्णों का व्यवस्थित समूह वर्णमाला कहलाता है।
हिंदी वर्णमाला में कुल 33 व्यंजन और 11 स्वर है।
हिंदी वर्णमाला में कुछ वर्ण ऐसे हैं, जिनकी उत्पत्ति दो या दो से अधिक वर्णों से होती है तो उसे संयुक्त व्यंजन कहते हैं। उनके उच्चारण में अन्य वर्णों की सहायता लेनी पड़ती है।
निष्कर्ष
उपरोक्त लेख में आपने हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnamala) के बारे में जाना। हिंदी भाषा सीखने के लिए सबसे पहले हिंदी वर्णमाला सीखना पड़ता है।
हमें उम्मीद है कि आज के इस लेख के माध्यम से Hindi Varnamala आपको अच्छे से समझ में आ गई होगी। यदि यह लेख आपको पसंद आई हो तो इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से अन्य लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें।
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