Pratyay Kise Kahate Hain: आज हम फिर से आप लोगों को इस लेख में हिंदी व्याकरण के बहुत ही महत्वपूर्ण विषय प्रत्यय के संबंध में जानकारी प्रदान करने वाले हैं और साथ ही हम आपके समक्ष इस विषय से संबंधित कुछ ऐसे आसान उदाहरण प्रस्तुत करेंगे, जिससे आपको बड़ी ही आसानी से यह विषय स्पष्ट हो जाए।

हिंदी व्याकरण का यह विषय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। वर्तमान समय में किसी भी क्षेत्र में कंपटीशन के दौरान यदि हिंदी व्याकरण से कुछ प्रश्न पूछे जाते हैं, तो ऐसी परीक्षा में प्रत्यय आपको काफी सहायता मिल जाती है।
इसीलिए आपको प्रत्येक विषय में पूरी जानकारी होनी आवश्यक है। आज के इस महत्वपूर्ण लेख में और इस विषय को स्पष्ट रूप से समझाने का प्रयत्न करते हैं।
प्रत्यय किसे कहते हैं?
प्रत्यय की परिभाषा (Pratyay ki Paribhasha): प्रत्यय हिंदी व्याकरण का एहसास शब्दांश है, जो किसी अन्य मूल शब्द के अंत में जुड़कर उसके अर्थ में पूर्ण रूप से परिवर्तन ला देता है। प्रत्यय मूल शब्दों के अंत में जुड़ने के बाद अपनी प्रकृति के अनुसार ही परिवर्तन करता है।
प्रत्यय दो शब्दों के मेल से बना हुआ होता है जोकि “प्रति” और “अय” है। प्रति शब्द का हिंदी अर्थ बाद में होता है और अय शब्द का अर्थ चलने वाला होता है।
प्रत्यय शब्द की परिभाषा क्या है?
जब हिंदी व्याकरण का कोई भी शब्दांश किसी भी सार्थक शब्द के पीछे जुड़ता है और उसके अर्थ में पूर्ण रूप से परिवर्तन ला देता है तो ऐसे शब्दांश को प्रत्यय कहते हैं।
इन दोनों शब्दों के मेल से बने नए शब्द का अर्थ दोनों शब्दों के अर्थ से भिन्न होता है। आइए एक उदाहरण के जरिए प्रत्यय के विषय में स्पष्ट रूप से जानकारी प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं।
उदाहरण: लेख एक सार्थक शब्द है, इसका हिंदी अर्थ लिखना से है। यदि सार्थक शब्द लेख के अंत में अक् प्रत्यय जोड़ दें, तो हमें एक नया शब्द लेखक प्राप्त होता है। लेखक का शाब्दिक अर्थ होता है, लिखने वाला।
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प्रत्यय के प्रकार
हिंदी व्याकरण में प्रत्यय मुख्यता दो प्रकार के होते हैं, जो नीचे निम्नलिखित रूप से दर्शाए गए हैं।
- कृत प्रत्यय
- तद्धित प्रत्यय
कृत प्रत्यय किसे कहते हैं?
ऐसे प्रत्यय जो किसी क्रिया के सार्थक रूप अर्थात धातुओं के अंत में जोड़ते हैं और क्रिया के अंत में जुड़ने के बाद उनके अर्थ को पूर्णता परिवर्तित कर देते हैं, ऐसे प्रत्यय को कृत प्रत्यय कहा जाता है। कृत प्रत्यय के मिलाप से बने नए शब्द को कृदंत शब्द कहते हैं। कृत प्रत्यय के कुल पांच भेद हैं, जो निम्नलिखित हैं।
कर्तृवाच्य कृदंत:- कर्तृवाच्य कृदंत ऐसे प्रत्यय होते हैं, जो धातुओं के अंत में जुड़कर कर्ता का बोध कराते हैं। उदाहरण: आलू – कृपालु
करण वाचक कृदंत:- करण वाचक प्रत्यय के उपयोग से कार्य करने वाले साधनों का बोध होता है। उदाहरण: ई – फाँसी, धुलाई, रेती, भारी।
कर्म वाचक कृदंत: ऐसे प्रत्यय जिनके उपयोग से कर्म वाचक शब्दों का निर्माण होता है, कर्म वाचक कृदंत कहलाते हैं। उदाहरण: ना – सूँघना, पढ़ना, खाना।
विशेषण वाचक कृदंत: विशेषण वाचक प्रत्यय का प्रयोग हो जाने से विशेषता का भाव उत्पन्न हो जाता है। उदाहरण: अनीय – पठनीय, गृहणीय।
भाववाचक कृदंत: ऐसे प्रत्यय जो धातुओं के अंत में जुड़ कर भाव वाचक संज्ञा का निर्माण करते हैं, भाववाचक कृदंत कहलाते हैं। उदाहरण: आन – उड़ान, उठान, पहचान।
तद्धित प्रत्यय किसे कहते हैं?
ऐसे प्रत्यय जो किसी संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण जैसे शब्दों के अंत में जुड़ते हैं और इन शब्दों के अंत में जुड़ने के बाद उनके अर्थ में पूर्ण रूप से परिवर्तन ला देते हैं, ऐसे प्रत्यय को तद्धित प्रत्यय कहा जाता है।
अर्थात तद्धित प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण के साथ जुड़कर नए शब्द की उत्पत्ति करता है। तद्धित प्रत्यय के कुल आठ भेद होते हैं, जो निम्नलिखित रुप से दर्शाए गए हैं।
कर्तृवाच्य तद्धित: कर्तृवाच्य तद्धित संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण के साथ जुड़कर एक नए शब्द की उत्पत्ति करते हैं। उदाहरण: इया – रसिया, सुविधा।
भाववाचक तद्धित: भाववाचक तद्धित संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण के साथ जुड़कर भाव का बोध स्पष्ट करते हैं। उदाहरण: ता – सुन्दरता, मूर्खता।
गणना वाचक तद्धित: ऐसे प्रत्यय शब्द जिनसे संख्या का बोध होता है, गणना वाचक तद्धित कहलाते हैं। उदाहरण: रा – दूसरा, तीसरा।
उनवाचक तद्धित: “ऊन” संज्ञा वाले सभी प्रत्यय गुणवाचक तद्धित कहलाते हैं। उदाहरण: ड़ी – पगड़ी, टुकड़ी।
संबंध वाचक तद्धित: ऐसे प्रत्यय जो किसी सार्थक शब्द के अंत में जुड़कर संबंध स्पष्ट करते हैं, संबंध वाचक तद्धित कहलाते हैं। उदाहरण: इक – शारीरिक, धार्मिक।
स्थान वाचक तद्धित: ऐसे प्रत्यय जो किसी शब्द के अंत में जोड़कर स्थान इत्यादि को स्पष्ट करते हैं, स्थान वाचक तद्धित कहलाते हैं। उदाहरण:इया – मुंबइया, जयपुरिया।
सादृश्यवाचक तद्धित: ऐसे प्रत्यय जो समानता का भाव प्रकट करते हैं, कहलाते हैं। उदाहरण: सा – पीला-सा, नीला-सा।
गुणवाचक तद्धित: ऐसे प्रत्यय जिनके उपयोग से गुण इत्यादि का भाव प्रकट होता है, गुणवाचक तद्धित कहलाते हैं। उदाहरण: ई – लोभी, क्रोधी।
स्त्रीबोधक: कुछ ऐसे प्रत्यय हैं, जिनका उपयोग किसी संज्ञा को स्त्रीलिंग बनाने के लिए किया जाता है। आइन, आ, इका, आनी, इन, ई, इया इत्यादि स्त्री बोधक प्रत्यय है।
स्त्री बोधक प्रत्यय के उदाहरण
- सुता = सुत + आ
- अनुजा = अनुज + आ
- देवरानी = देवर + आनी
- नौकरानी = नोकर+ आनी
- बंदरिया = बंदर + इया
- चुहिया = चुह + इया
- वाहिनी = वाहन + ईनी
- सरोजिनी = सरोज + ईनी
परीक्षा के दृष्टिकोण से कुछ महत्वपूर्ण प्रत्यय
प्रत्यय | प्रत्यय के उदाहरण |
त्व | कवित्व, प्रभुत्व, साधुत्व, ममत्व, देवत्व |
ता | एकता, मधुरता, महानता, सुंदरता |
पन | भोलापन, बचपन, पागलपन, ढीलापन |
हट | घबराहट, जगमगाहट, आहट |
अना | घटना, तुलना, वंदना |
अनीय | माननीय, पूजनीय, दर्शनीय, रमणीय |
उक | इच्छुक, भिक्षुक |
इत | पठित, व्यस्थित, फ़लित, पुष्पित |
हार | होनहार, रखनहार |
या | विद्या, दिव्या, मृगया |
कुछ उर्दू के कुछ प्रत्यय
कुछ ऐसे प्रत्यय होते हैं, जिन्हें किसी शब्दों के अंत में लगाकर उर्दू शब्द बनाया जा सकता है।
उदाहारण
- जादूगर = जादू + गर
- सौदागर = सौदा + गर
- हिस्सेदार = हिस्सा + दार
- दुकानदार = दुकान +दार
- ईदगाह = ईद + गाह
- आरामगाह = आराम + गाह
- रिश्वतखोर = रिश्वत + खोर
- तुर्किस्तान = तुर्क + इस्तान
FAQ
प्रत्यय और उपसर्ग दोनों को ही किसी शब्द में जोड़ने से उसका अर्थ बदल जाता है लेकिन प्रत्यय को शब्दों के अंत में जोड़ा जाता है वही उपसर्ग को शब्दों के शुरुआत में जोड़ा जाता है। जैसे मिठास = मिठा + आस, लोहार = लोहा+ आर, प्रयत्न = प्र + यत्न। यहां पर मीठा में आस लगाकर मिठास बनाया गया है वहीं लोहार में लोहा के साथ प्रत्यय लगाकर लोहार बना दिया गया है। ठीक इसी प्रकार यत्न के आगे प्र उपसर्ग लगाकर प्रयत्न शब्द बनाया गया है। इसप्रकार प्रत्यय और उपसर्ग लगाने से शब्दों के अर्थ बदल जाते हैं।
प्रत्यय के मुख्यतः दो भेद होते हैं: (1) कृत् प्रत्यय, (2) तद्धित प्रत्यय
स्त्री बोधक प्रत्यय के 8 प्रकार होते हैं: टाप् प्रत्यय, डाप् प्रत्यय, चाप् प्रत्यय, डीष् प्रत्यय, बीन्स प्रत्यय, आनी् प्रत्यय, ति प्रत्यय
शिक्षा में अक प्रत्यय को लगाकर शिक्षिका शब्द बनाया गया है जैसे शिक्षा+ अक
विद्या में आलय प्रत्यय लगाकर विद्यालय बनाया गया है। विद्या + आलय
निष्कर्ष
हमे उम्मीद है कि आप लोगों को हिंदी व्याकरण के बहुत ही महत्वपूर्ण विषय प्रत्यय के संबंध में प्रस्तुत किए गए, इस लेख से काफी ज्यादा जानकारी हासिल हुई होगी और आज का यह विषय आप लोगों को इस लेख के माध्यम से काफी स्पष्ट हो चुका होगा।
इस जानकारी “प्रत्यय किसे कहते हैं? भेद और उदाहरण (Pratyay Kise Kahate Hain)” को आगे शेयर जरूर करें। आपको यह जानकारी कैसी लगी, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
अन्य महत्वपूर्ण हिंदी व्याकरण
संज्ञा | स्वर | व्यंजन | उपसर्ग |
विराम चिन्ह | संधि | लिंग | वाक्य |
क्रिया | अलंकार | रस | छंद |
समास | अव्यय | कारक | विशेषण |
शब्द शक्ति | सयुंक्त क्रिया | हिंदी वर्णमाला | हिंदी बारहखड़ी |