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20 भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिर और उनसे जुड़ी जानकारी

भारत को विश्वासों की भूमि, आस्था की भूमि कहा जाता है। भारत एक सांस्कृतिक देश है। यहां हर एक राज्य में आपको सैकड़ों मंदिर देखने को मिल जाएंगे।

लेकिन कुछ मंदिरों का इतिहास काफी पुराना है और कुछ मंदिर ऐसे हैं, जिनकी वास्तुकला देश-विदेश के पर्यटकों को बेहद ही आकर्षित करती हैं।

जिसके कारण यह मंदिर एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल होने के साथ ही देश-विदेश के पर्यटकों के लिए एक लोक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी हैं।

वैसे भारत में सैकड़ों मंदिरों में से कुछ प्रमुख मंदिरों का चयन करना काफी मुश्किल है। फिर भी हमने आज के इस लेख में भारत के कुछ ऐसे प्रमुख धार्मिक मंदिरों के बारे में बताया है, जो वास्तुकला की दृष्टि से बेजोड़ नमूना है।

तो चलिए इस लेख के माध्यम से भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों (Bharat ke Sabse Prasidh Mandir) के बारे में जानते हैं।

विषय सूची

भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिर (Bharat ke Sabse Prasidh Mandir)

ओंकारेश्वर महादेव मंदिर, मध्य प्रदेश

देश के बारह शिव ज्योतिर्लिंगों में से एक ओंकारेश्वर मंदिर भारत के प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह मंदिर मध्य प्रदेश राज्य के खंडवा जिले में स्थित है।

मंदिर नर्मदा नदी के बीच मांधाता के शिवपुरी नामक द्विप पर स्थित है। इस मंदिर के दो भाग हैं ओमकारेश्वर और ममलेश्वर। दोनों ही प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है।

Omkareshwar Temple
ओंकारेश्वर महादेव मंदिर

यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और ओंमकारा का अर्थ भगवान शिव होता है इसलिए इस मंदिर का नाम ओमकारेश्वर हैं। मंदिर की वास्तुकला के अतिरिक्त प्राकृतिक सौंदर्य भी मंदिर को आकर्षक बनाता है।

सबसे रोचक बात यह है कि यह मंदिर जिस द्वीप पर स्थित है, वह ओम के प्रतीक के आकार का है। मंदिर के आधार का कुछ भाग जल में डूबा हुआ है।

बैद्यनाथ धाम मंदिर, झारखंड

झारखंड के देवघर जिले में स्थित बैध्यनाथ मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसके साथ ही यह मां सती के 52 शक्तिपीठों में से एक है।

जहां पर मां सती का ह्रदय विराजमान है, जिसे हाद्रपीठ के रूप में जाना जाता हैं। इस मंदिर को रावणेश्वर, बैजनाथ, वैद्येश्वर, बैजुनाथ आदि कई नाम से जाना जाता है।

baidyanath dham mandir
बैद्यनाथ धाम मंदिर

इस मंदिर के निर्माण को लेकर पुराणिक विवरण है इस मंदिर को स्वयं भगवानो के इंजीनियर कहे जाने वाले विश्वकर्मा जी ने निर्मित किया था।

वहीं कुछ लोगों का मानना है कि वर्तमान संरचना का निर्माण 1496 में गिद्धौर के राजा पूरणमल करवाया था।

इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि मंदिर के गर्भ ग्रह में जो शिवलिंग है, वह शिवलिंग रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करके प्राप्त किया था।

लेकिन वह उसे लंका ले नहीं जा पाया और बीच रास्ते में एक बैजू नाम के ग्वाले के हाथ में थमा गया था, जो उसे धरती पर रख दिया और यह शिवलिंग यहीं पर विराजमान हो गया। जिसके कारण इस मंदिर का नाम उसी बैजू ग्वाले के नाम पर वैद्यनाथ पड़ा है।

बैद्यनाथ धाम के मंदिर में प्राचीन और आधुनिक दोनों प्रकार के वास्तुकला देखने को मिलता है। यह मंदिर 72 फीट लंबा है।

वैद्यनाथ मंदिर कई मंदिरों का समूह है, जिसमें भगवान शिव जी का मंदिर सबसे ऊंचा है और उसी के सामने मां पार्वती का मंदिर है। इन दोनों मंदिरों को मिलाने के लिए लाल रंग की रस्सी बंधी हुई है।

इन दोनों मंदिरों के आसपास भी छोटे-बड़े बहुत सारे मंदिर बने हुए हैं। इस मंदिर के गर्भ गृह में स्थित शिवलिंग को कामना लिंग कहा जाता है। हर साल सावन के महीने में यहां पर बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है।

इसके साथ ही बोल बम की यात्रा शुरू होती है, जिसमें अलग-अलग जगहों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु लगभग 100 किलोमीटर की यात्रा तय करके सुल्तानगंज से पवित्र गंगाजल लेकर यहां पर शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए आते हैं।

वैष्णो देवी मंदिर, जम्मू कश्मीर

भारत का केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के जम्मू संभाग में त्रिकूट पर्वत पर समुद्र तल से 5200 फीट की ऊंचाई पर स्थित मां वैष्णो देवी मंदिर भारत का लोक प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थ स्थल है।

यह मंदिर आराध्य देवी माता रानी वैष्णो देवी के शक्तीस्वरूपों को समर्पित है। मां वैष्णो देवी मंदिर में एक गुफा के अंदर मां लक्ष्मी, पार्वती एवं सरस्वती की एक पाषाण मूर्ति स्थापित है।

माना जाता है इसी गुफा में मां वैष्णो देवी ने भैरव नाथ बाबा का वध किया था और उनका सर मंदिर से 3 किलोमीटर की दूरी पर एक स्थान पर जाकर गिरा था, जो वर्तमान में भैरवनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है।

Mata Vaishno Devi Mandir
वैष्णो देवी मंदिर

यहां आने वाले श्रद्धालु मां वैष्णो देवी के मंदिर का दर्शन करने के बाद भैरवनाथ बाबा का दर्शन करते हैं और यह अनिवार्य भी होता है। क्योंकि बिना इनके दर्शन किए वैष्णो देवी की यात्रा का फल नहीं मिलता।

मां वैष्णो देवी की गुफा ऊंचे पहाड़ पर स्थित होने के कारण श्रद्धालुओं को 13 से 14 किलोमीटर की चढ़ाई करनी पड़ती है, जिसके लिए यहां पर घोड़ा खच्चर और पालकी जैसे विभिन्न विकल्प मौजूद होते हैं।

मां वैष्णो देवी मंदिर का पूरा देखभाल और रखरखाव श्राइन बोर्ड एवं श्री माता वैष्णो देवी तीर्थ मंडल न्यास करती है।

मार्च से लेकर जून महीने और अक्टूबर से लेकर नवंबर महीने के बीच इस मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है।

मां वैष्णो देवी की यात्रा कैसे करें? पूरी जानकारी जानने के लिए यहां क्लिक करें।

स्वर्ण मंदिर, पंजाब

पंजाब राज्य के अमृतसर शहर में स्थित स्वर्ण मंदिर सिखों का एक प्रमुख गुरुद्वार है। इसके साथ ही देश का एक प्रमुख धार्मिक स्थल भी है, जहां पर लाखों सिख दर्शन करने के लिए आते हैं।

स्वर्ण मंदिर दरबार साहिब या हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर चारों तरफ से पवित्र सरोवर से घिरा हुआ है, जहां पर तीर्थयात्री दर्शन करने से पहले स्नान करते हैं।

इस मंदिर का निर्माण सिखों के पांचवे गुरु अर्जुन देव ने करवाया था। मंदिर का निर्माण कार्य 1585 में शुरू हुआ था और 19 वर्ष के बाद 1604 में समाप्त हुआ था।

History of Golden Temple in Hindi
Golden Temple

इस मंदिर के बाहरी हिस्से सोने से बने हुए हैं, जिसके कारण इस मंदिर का नाम स्वर्ण मंदिर पड़ा है।

कहा जाता है कि हैदराबाद के सातवें निजाम मीर उस्मान अली खान हर वर्ष मंदिर को दान दिया करते थे।

हर वर्ष गुरु नानक के जन्मदिन के अवसर पर यहां प्रकाशोत्सव मनाया जाता है, जो रात के 2:30 बजे आरंभ होता है।

इस उत्सव में गुरु ग्रंथ साहिब को गुरुद्वार के कक्ष में लाया जाता है और फिर संगीतको की टोली भजन कीर्तन के साथ गुरु ग्रंथ साहब को पालकी में सजाकर गुरुद्वारे लाती हैं, जहां पर भक्तजन दर्शन करने के लिए खडे हुए रहते हैं और फिर गुरु ग्रंथ साहिब को दोबारा उनके स्थान पर स्थापित कर दिया जाता है।

इस मंदिर में गुरु नानक के द्वारा शुरू की गई लंगर प्रतिदिन चलती है, जिसके कारण कोई भी भूखा इस मंदिर से खाली पेट नहीं जा सकता।

स्वर्ण मंदिर का इतिहास और कब व किसने बनवाया? आदि के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें।

सूर्य मंदिर, ओडिशा

ओडिशा राज्य के कोर्णाक शहर में स्थित कोर्णाक मंदिर भगवान सूर्यदेव को समर्पित है। भारत का एक लोक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल होने के साथ ही यह मंदिर अपनी विशिष्ट वास्तुकला के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध है।

इस मंदिर को 1984 में यूनेस्को के द्वारा विश्व धरोहर स्थल की सूची में भी शामिल किया गया है। मंदिर के निर्माण में कलिंग वास्तुकला का प्रयोग किया गया है, जिसमें बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट का उपयोग हुआ है।

Konark Surya Mandir History in Hindi

यह मंदिर एक रथ के आकार में है, जिसमें सूर्य देव को सात घोड़े खींचते हुए नजर आते हैं। मंदिर के दीवारों पर कुल 24 पहिए बने हुए हैं, जो 1 दिन के 24 घंटों को दर्शाते हैं।

वहीं रथ को खींचता हुआ सात घोड़ा सप्ताह के 7 दिन को दर्शाता है। प्रत्येक पहिए का व्यास 3 मीटर है। इसके साथ ही पहिये पर सुंदर नक्काशी की गई है।

पहियों के बीच एवं मंदिरों के विभिन्न हिस्सों पर नृत्य करती हुई नृत्यांगना, संगीतकार एवं कई जानवरों के चित्र को भी अंकित किया गया है।

19वीं शताब्दी में कुछ आक्रमणकारियों ने मंदिर के ऊपरी हिस्से को तोड़ दिया था।

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अमरनाथ मंदिर, कश्मीर

भगवान शिव को समर्पित अमरनाथ मंदिर भारत का एक पवित्र तीर्थ स्थल है। इसे तीर्थ का तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थान को अमरेश्वर के नाम से भी जाना जाता है।

अमरनाथ कश्मीर के श्रीनगर शहर से 135 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर पूर्व की दिशा में समुद्र तल से 13600 फीट ऊंची चोटी पर स्थित है।

Amarnath
अमरनाथ मंदिर

अमरनाथ मंदिर में एक गुफा के अंदर बर्फ से बना हुआ शिवलिंग मौजूद है और ताज्जुब की बात यह है कि यह शिवलिंग स्वयं अपने आप निर्माण हुआ है।

यह शिवलिंग चंद्रमा के घटते बढ़ते कलओ के साथ घटती बढ़ती है। पूर्णिमा के दिन यह शिवलिंग पूर्ण स्वरूप में दिखाई देती है। वहीं अमावस्या के दिन यह छोटी दिखाई देती है।

शिवलिंग के ऊपर से बर्फ की बूंदे लगातार टपकती रहती है और इसी बूंद से शिवलिंग का निर्माण होता है।

यह शिवलिंग करीबन 10 से 12 फीट ऊंचा है। यह गुफा 11 मीटर ऊंची है और 150 फीट क्षेत्र में फैली हुई है। इस मंदिर को मां सती के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।

कहा जाता है कि मां सती का कंठ इसी स्थान पर गिरा था। कहा जाता है कि अमरनाथ के इसी गुफा में भगवान शिव ने मां पार्वती को अमरत्व की कथा सुनाई थी।

मोक्ष प्राप्त करने के लिए काशी के बाद इसी स्थान का महत्व है, जिसके कारण लाखों की संख्या में श्रद्धालु इस मंदिर का दर्शन करने के लिए आते हैं।

अमरनाथ यात्रा का इतिहास और सम्पूर्ण जानकारी आदि के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहां क्लिक करें।

केदारनाथ, उत्तराखंड

उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ मंदिर भारत का सबसे पवित्र तीर्थ स्थल है। इस मंदिर के बारे में पुराणों में भी लिखा गया है।

कहा जाता है यह मंदिर हजारों वर्ष पुराना प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

मंदिर 6 फुट ऊंचे चौकोर चबूतरे पर निर्मित किया गया है। मंदिर गर्भ ग्रह, मध्य भाग और सभा मंडप तीन भागों में बटा हुआ है।

History of Kedarnath Temple in Hindi
Kedarnath Temple

मंदिर के चारों ओर विशालकाय चार खंबे मौजूद है, जिसे चार वेदों का प्रतीक माना जाता है। मंदिर की छत कमल के आकार में विशालकाय है।

मंदिर के बाहर प्रांगण में भगवान शिव की सवारी नंदी की प्रतिमा भी विराजमान है। मंदिर के अंदर एक अखंड दीपक जलता रहता है और यह दीपक हजारों साल से निरंतर जल रहा है।

मंदिर के गर्भ गृह के अटारी पर सोने की परत भी चढ़े हुए हैं और गर्भ ग्रह के दीवारों पर फूल पत्ती जैसी कई कलाकृतियां बनी हुई है।

इस मंदिर का जीर्णोद्धार आदि महापुरुष गुरु शंकराचार्य ने करवाया था। हर साल शीत ऋतु के दौरान 6 महीने के लिए मंदिर के फाटक को बंद कर दिया जाता है।

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द्वारका, गुजरात

गुजरात राज्य में स्थित द्वारिका भारत के चार धामों में से एक है और 2000 से भी अधिक वर्ष पुराना। यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है।

यह मंदिर गोमती नदी एवं अरब सागर के संगम तट पर स्थित है। ऋषि दुर्वासा के श्राप के कारण माता रुक्मणी को भगवान श्री कृष्ण से एकांत रहना पड़ा था, जिसके कारण इस मंदिर से 2 किलोमीटर की दूरी पर एकांत स्थान पर मा रुक्मणी का मंदिर है।

Dwarka Temple
द्वारका

वर्तमान स्वरूप में मौजूद द्वारिका मंदिर सॉल्वी शताब्दी में निर्मित हुआ था। इसका मूल मंदिर जिसे जगत मंदिर के नाम से जाना जाता है समुद्र में डूब चुका है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार उस मंदिर का निर्माण भगवान श्री कृष्ण के पोते ब्रजनाभ ने करवाया था।

यह मंदिर 5 मंजिले का है। मंदिर के अंदर 52 खंभे स्थापित है। मंदिर के शिखर पर 84 फुट लंबा एक ध्वज लहराता है, जिस पर सूर्य और चंद्रमा का प्रतीक बना हुआ है।

यह ध्वज इतना ऊंचा है कि इसे 10 किलोमीटर की दूरी से भी देखा जा सकता है। द्वारका मंदिर का शिखर 78.3 मीटर ऊंचा है। मंदिर के पूर्व दिशा में आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित शारदा पीठ भी है।

मंदिर के गर्भ गृह में चांदी के सिंहासन पर भगवान श्री कृष्ण की श्याम वर्णी चतुर्भुज प्रतिमा स्थापित और उनके चारों हाथों में शंख, चक्र, गदा और कमल धारण किया हुआ है।

शिर्डी मंदिर, महाराष्ट्र

भारत का लोक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल में से एक शिर्डी का साईं बाबा मंदिर है। यह मंदिर महाराष्ट्र राज्य के अहमदनगर जिले में स्थित है।

इस मंदिर में बाबा साईं नाथ का समाधि स्थल बना हुआ है, जो सभी हिंदू धर्म के लिए एक पवित्र धाम है।

Sai Baba Shirdi
शिर्डी मंदिर

इस मंदिर में आरती करने के लिए ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा भी है, जिसके कारण श्रद्धालु ऑनलाइन इसके ऑफिशियल वेबसाइट पर आरती के लिए रजिस्टर करवाते हैं।

इस मंदिर में प्रतिदिन लाखों के आभूषण साईं नाथ के समाधि पर चढ़ाए जाते हैं, जिसके कारण इस मंदिर को पदमनाभास्वामी मंदिर के बाद दूसरा दुनिया का सबसे अमीर मंदिर माना जाता है।

शिरडी मंदिर का निर्माण नागपुर के करोड़पति गोपाल राव बूटी के द्वारा किया गया था। हिंदू और इस्लाम दोनों ही धर्म के लोग साईं बाबा में आस्था रखते हैं। इसके कारण हिंदू एवं मुस्लिम दोनों श्रद्धालुओं की ओर से बाबा को चढ़ावा चढ़ाया जाता है।

शिर्डी के साईं बाबा ट्रस्ट को पिछले 3 वर्षों में 94 देशों ने डोनेशन दिया है, जिसमें ब्रिटिश, कनाडाई डॉलर, ऑस्ट्रेलियाई डॉलर, मलेशियाई डॉलर, यूरो, सिंगापुर डॉलर आदि शामिल है।

साईं बाबा का इतिहास और जीवन परिचय जानने के लिए यहां क्लिक करें।

बद्रीनाथ मंदिर, उत्तराखंड

उत्तराखंड में स्थित बद्रीनाथ मंदिर भारत का लोक प्रसिद्ध पवित्र धार्मिक मंदिर है। हिंदू धर्म में वर्णित चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम है।

बद्रीनाथ मंदिर के अंदर स्थापित मूर्ति शालग्रामशिला शीला से बनी हुई है, जो चतुर्भुज ध्यान मुद्रा में है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है।

कहा जाता है कि शुरुआत में इस पाषाण की मूर्ति को बौद्ध धर्म के मानने वाले लोगों ने बुद्ध की प्रतिमा समझ कर पूजा करना शुरू कर दिया था।

Badrinath Temple
बद्रीनाथ मंदिर

लेकिन शंकराचार्य के प्रचार यात्रा के समय बौद्ध धर्म के कुछ अनुयायियों ने तिब्बत भागते हुए मूर्ति को अलकनंदा में फेंक दिया था, जिसके बाद शंकराचार्य ने अलकनंदा से पुन: बाहर निकाल कर उसकी स्थापना की थी।

बद्रीनाथ मंदिर का शीत ऋतु में कपाट बंद कर दिए जाते हैं। जब दोबारा इसके कपाट खोले जाते हैं तब रावल (मुख्य पुजारी) साड़ी पहनकर पार्वती मां का श्रृंगार करके ही गर्भ ग्रह में प्रवेश करते हैं और उसके बाद पूजा-अर्चना होती हैं और कपाट खोले जाते हैं।

इस स्थान का नाम बद्रीनाथ होने का कारण बताया जाता है कि इस क्षेत्र में पहले बद्री यानी कि बेर के काफी जंगल हुआ करते थे।

बद्रीनाथ धाम के पुजारी केरल के ब्राह्मण होते हैं और यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, जिसकी शुरुआत आदि शंकराचार्य ने की थी।

यहां पर केवल केरल के ब्राह्मणों को ही पूजा करने का अधिकार है। बद्री धाम में एक गर्म पानी का कुंड भी है, जिसका पानी बिल्कुल खोलता हुआ दिखाई देता है। लेकिन छूने पर वह पानी ज्यादा गर्म नहीं होता।

महाकालेश्वर मंदिर, मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के प्राचीन उज्जैन शहर में स्थित महाकालेश्वर मंदिर भारत का पवित्र और उत्कृष्ट तीर्थ स्थानों में से एक है। यह भारत के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है, जो रुद्र सागर झील के किनारे स्थित है।

यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जहां पर प्रतिदिन सुबह के समय भस्म आरती होती हैं। उज्जैन को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। यहां के राजा भगवान शिव ही है।

Mahakaleshwar temple
महाकालेश्वर मंदिर

इस मंदिर की वास्तुकला में मराठा, भूमिज और चालुक्य शैलियों का सुंदर व कलात्मक मेल देखने को मिलता है। यह भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें भगवान शिव का मुख दक्षिण की ओर है।

महाकालेश्वर मंदिर 5 मंजिल का है, जिसमें से पहला मंजिल जमीन के अंदर स्थित है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव की विशाल प्रतिमा विराजमान है।

मंदिर के ऊपरी हिस्से में ओंकारेश्वर और नागचंद्रेश्वर के लिंग स्थापित है, जिसमें नागेश्वर की मूर्ति को दर्शन केवल नागपंचमी के दिन ही दर्शन के लिए खोले जाते हैं।

मंदिर के बरामदे के उत्तरी भाग में एक कक्ष है, जहां पर भगवान श्री राम और देवी अवंतिका के चित्र को पूजा जाता है। मंदिर के परिसर में एक बड़ा सा कुंड भी हैं।

रामेश्वरम मंदिर, तमिलनाडु

भारत का दक्षिणतम राज्य तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित रामेश्वरम मंदिर भारत का एक पवित्र मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।

मंदिर के अंदर स्थित शिवलिंग भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस मंदिर को रामनाथ स्वामी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, जो हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से घिरा हुआ है।

Rameswaram Temple Tamil Nadu
रामेश्वरम मंदिर

रामेश्वरम मंदिर में कई सारे खंबे हैं और प्रत्येक खंभों पर कई सारी कलाकृतियां की गई है। इस मंदिर को द्रविड़ स्थापत्य शैली में बनाया गया है। मंदिर का प्रवेश द्वार 40 फुट ऊंचा है।

मंदिर के गर्भ ग्रह में दो शिवलिंग है, जिनमें से एक शिवलिंग का नाम रामलिंगा है और दूसरे का नाम विश्वलिंगम है।

रामलिंगम शिवलिंग की स्थापना माता सीता ने की थी। वहीं विश्व लिंगम शिवलिंग खुद हनुमान जी ने कैलाश पर्वत से लाए थे।

रामेश्वरम मंदिर के अंदर 12 तीर्थ है, जिनमें पहला और मुख्य तीर्थ को अग्नि तीर्थ के नाम से जाना जाता है।

रामेश्वरम का गलियारा विश्व का सबसे लंबा गलियारा है, जो उत्तर दक्षिण में 197 मीटर और पूर्व पश्चिम 133 मीटर चौड़ा है।

रामेश्वरम मंदिर के परिसर में कई सारे कुंए है। कहा जाता है इन कुओं का निर्माण भगवान राम ने अपने अमोघ बाणो से किया था। इन कुंओं में कई तीर्थ स्थानों का जल संग्रहित है।

विरुपाक्ष मंदिर, कर्नाटक

भगवान शिव को समर्पित विरुपाक्ष मंदिर भारत के लोक प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर कर्नाटक के हंपी में तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित है।

यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में से एक है, जिसका निर्माण सातवी शताब्दी के दौरान किया गया है। मंदिर के दीवारों पर विभिन्न देवी-देवताओं के चित्र अंकित है।

Virupaksha Temple Hampi
विरुपाक्ष मंदिर

इस मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में दक्षिण भारतीय शैली में किया गया है। मंदिर के अंदर तीन गोपुरम है, जिसमें सबसे बड़ा गोपुरम पूर्वी गोपुरम है और अन्य दो छोटे गोपुरम है, जिसमें से एक पूर्व में और मंदिर परिसर के आंतरिक हिस्से में स्थित है।

मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्थित गोपुरम 9 मंजिली का है और 50 मीटर लंबा है। इस मंदिर में भी भुनेश्वरी मंदिर की तरह अलंकृत खंबे और जटिल पत्थरों का काम किया गया है, जो चालुक्य वास्तुकला से मिलती-जुलती हैं।

मंदिर के परिसर में मुख्य देवता के अतिरिक्त अन्य देवी-देवताओं की भी प्रतिमा विराजमान है।

काशी विश्वनाथ मंदिर, उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी शहर में बीचो-बीच पवित्र नदी गंगा के किनारे स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर हिंदुओं का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है।

इस मंदिर को 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। इस मंदिर को मोक्ष प्राप्ति करने का स्थान बताया जाता है।

इस मंदिर का निर्माण सन 1780 ईस्वी में महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने हिंदू स्थापत्य कला में करवाया था‌।

Kashi Vishwanath Temple History in Hindi
Kashi Vishwanath Temple

हर साल महाशिवरात्रि के मध्य रात्रि को यहां पर ढोल नगाड़ों के साथ नगर भर में भगवान शिव की भव्य शोभायात्रा निकाली जाती हैं।

8 मार्च 2019 को भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर के नए स्वरूप काशी कॉरिडोर का शिलान्यास किया था।

काशी कॉरिडोर का निर्माण 32 महीनों में किया गया और 13 दिसंबर 2021 को इसका लोकार्पण हुआ। कहा जाता है इस मंदिर का जीर्णोद्धार 11वीं शताब्दी में राजा हरिश्चंद्र के द्वारा करवाया गया था।

कहा जाता है कि जब माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पिता के घर चलने का आग्रह किया तब भगवान इसी स्थान पर विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए थे।

रामकृष्ण परमहंस, आदि शंकराचार्य, स्वामी विवेकानंद, महर्षि दयानंद, गोस्वामी तुलसीदास, संत एकनाथ जैसे कई महापुरुष काशी विश्वनाथ मंदिर का दर्शन करने के लिए आए थे।

काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास और विध्वंस व निर्माण की कहानी आदि के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहां क्लिक करें।

खजुराहो मंदिर, मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश राज्य का खजुराहो भारत का एक लोक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जहां पर प्राचीन और मध्यकालीन मंदिर स्थित है।

मध्यप्रदेश के खजुराहो को कामसूत्र की रहस्यमई भूमि मानी जाती हैं, जो अनादिकाल से दुनियाभर के लोगों को आकर्षित कर रही हैं।

इस स्थान को यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल के रूप में भी शामिल किया गया है। खजुराहो में हिंदू मंदिर के अतिरिक्त जैन मंदिरों का भी संग्रह है और यह सभी मंदिर बहुत ही पुराने और प्राचीन है।

Khajuraho Temple History in Hindi

खजुराहो मंदिर करीबन 1000 साल से भी पुराना है। खजुराहो मंदिर दो हिस्से में बंटे हुए हैं। पहला वेस्टर्न ग्रुप और दूसरा ईस्टर्न ग्रुप।

वेस्टर्न ग्रुप में ज्यादा विशाल मंदिर है और इस ग्रुप में भगवान विष्णु और भगवान शिव की बहुत सारी मंदिर हैं। इस ग्रुप में सूर्य मंदिर, लक्ष्मण मंदिर और वाराह मंदिर भी है।

खजुराहो मंदिर का इतिहास और खजुराहो कैसे जाएँ? आदि के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहां क्लिक करें।

तिरुपति बालाजी मंदिर, आंध्र प्रदेश

आंध्र प्रदेश राज्य के चित्तूर जिले में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर भारत का एक लोक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। इस मंदिर को वेंकटेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

इस मंदिर को भारत का सबसे अमीर मंदिर माना जाता है। क्योंकि हर साल इस मंदिर में लाखों के दान होते हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर के निर्माण में द्रविड़ शैली का इस्तेमाल किया गया है।

इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया है। मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर के अतिरिक्त मां लक्ष्मी, नरसिम्हा, हनुमान जी सहित अन्य कई देवी-देवताओं की मूर्तियां विराजमान है।

Tirupati Balaji History in Hindi

मंदिर के चारों तरफ परिक्रमा करने के लिए परिक्रमा पथ भी बना हुआ है। तिरुपति बालाजी मंदिर धार्मिक स्थल होने के साथ ही यह रहस्यमयी मंदिर है।

क्योंकि इस मंदिर में विराजमान भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा श्रद्धालुओं को बहुत ही प्रभावित करती हैं, उनके देह पर बाल लगे हुए हैं, जो बिल्कुल असल बाल जैसे लगते हैं।

इसके साथ ही इनके पाषाण प्रतिमा पर कभी-कभी पानी की बूंदे भी दिखाई देती है, जिसे श्रद्धालु भगवान का पसीना मानते हैं।

तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रतिदिन भगवान को धोती और साड़ी पहना कर सजाया जाता है। हर दिन इनके प्रतिमा पर चंदन के लेप लगाए जाते हैं और जब चंदन हटाया जाता है तो उनके प्रतिमा महालक्ष्मी जी की छवि नजर आती हैं।

तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास और इससे जुड़ी रहस्यमयी जानकारी आदि के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहां क्लिक करें।

अक्षरधाम मंदिर, गुजरात

भारत का एक लोक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल एवं पर्यटन स्थल अक्षरधाम मंदिर स्वामीनारायण को समर्पित है। यह मंदिर गुजरात राज्य के गांधीनगर में स्थित है।

मंदिर के निर्माण में 6000 से भी ज्यादा बलुए पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। मंदिर की लंबाई 73 मीटर एवं चौड़ाई 39 मीटर है।

Akshardham Temple Gandhinagar
अक्षरधाम मंदिर

32 मीटर ऊंचे इस मंदिर के आसपास सुंदर बाग बगीचे हैं। मंदिर के बाहर एक खूबसूरत फाउंटेन बना हुआ है, जो मंदिर को और भी खूबसूरत बनाता है।

मंदिर के दीवारों पर खूबसूरत नक्काशी किए गए हैं। अक्षरधाम मंदिर के निर्माण में कहीं भी सीमेंट या लोहे का प्रयोग नहीं हुआ है।

जग्गनाथ मंन्दिर, उड़ीसा

भारत के उड़ीसा राज्य के पूरी शहर में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर भारत का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है।

मंदिर के अंदर तीन प्रमुख देवताओं की मूर्तियां स्थापित है, जिसमें पहली मूर्ति भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम की है, दूसरी मूर्ति भगवान श्री कृष्ण एवं तीसरी मूर्ति उनकी बहन सुभद्रा का है।

Jagannath Temple
जग्गनाथ मंन्दिर

हर साल जून या जुलाई माह में आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यहां से भव्य रथयात्रा निकलती हैं, जो 5 किलोमीटर लंबी होती है।

भगवान जगन्नाथ का मंदिर ओडिशा के अन्य मंदिरों की तरह ही एक शास्त्री संरचना का अनुसरण करती हैं। मंदिर में चार कक्ष बने हुए हैं जिनके नाम भोग मंदिर, नट मंदिर, जगमोहन और गर्भ ग्रह है।

एक ऊंचे स्थान पर बने यह मंदिर 2 आयताकार दीवारों से घिरा हुआ है। मंदिर के अंदर चार द्वार है पूर्वी सिंह द्वार, दक्षिणी अश्व द्वार, पश्चिमी व्याघ्र द्वार और उत्तरी हस्तीद्वार। प्रत्येक दीवारों पर जानवरों को उकेरा गया है।

मंदिर के शीर्ष पर एक चक्र स्थापित है। मंदिर में भोग मंडप के बाई ओर गद्दी पर बैठा हुआ एक राजा और उसके सामने नृत्य करती हुई एक महिला को दर्शाया गया है।

इसके साथ ही मंदिर के दीवारों पर भगवान श्री कृष्ण के विभिन्न कृत्य जैसे कालिया सर्प पर, बांसुरी बजाते हुए, ढोल झांझ बजाते हुए, गोपियों के साथ नृत्य करते हुए खूबसूरत दृश्यों के साथ उकेरा गया है।

मंदिर के अंदर ग्रेनाइट पर नक्काशी करके भगवान शिव के तांडव रूप को प्रस्तुत किया गया है।

वृंदावन, उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के मूरत जिले में स्थित वृंदावन भारत का एक धार्मिक स्थल है। माना जाता है भगवान श्री कृष्ण ने अपने दोस्तों एवं गोपियों के साथ यही पर अपना बचपन बिताया था।

वृंदावन को विधवाओं का शहर भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर विधवा एवं वृद्धों की काफी ज्यादा संख्या है, जो यंहा आकर अपना बाकी का जीवन भगवान श्री कृष्ण को समर्पित कर देते हैं। यह क्षेत्र 3 और से यमुना नदी से गिरी हुई है।

vrindavan
वृंदावन

वृंदावन भगवान श्री कृष्ण के लिए समर्पित है। यहां पर भगवान श्री कृष्ण एवं राधा को समर्पित कई सारे मंदिर बने हुए हैं।

जिनमें बांके बिहारी मंदिर, प्रेम मंदिर, इस्कॉन मंदिर, श्री राधा रमण मंदिर, गोपेश्वर महादेव मंदिर, शाहजी मंदिर, श्री रघुनाथ मंदिर प्रमुख है।

दिलवाड़ा का जैन मंदिर, राजस्थान

राजस्थान के सिरोही जिले में माउंट आबू बस्ती के पास स्थित दिलवाड़ा मंदिर जैन समुदायों के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। दिलवाड़ा जैन मंदिर 5 मंदिरों का समूह है।

दिलवाड़ा के जैन मंदिर का निर्माण राजा भीम शाह के द्वारा करवाया गया था। बाद में 11वीं से 15वीं शताब्दी के बीच इन मंदिरों का फिर से पुनर्निर्माण करवाया गया।

Dilwara Jain Temple
दिलवाड़ा का जैन मंदिर, राजस्थान

यह मंदिर प्राचीन पांडुलिपियों का संग्रह है। दिलवाड़ा जैन मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया गया है। इन मंदिरों में कुल 48 स्तंभ है और प्रत्येक स्तंभ पर विभिन्न नृत्य करती हुई महिलाओं की सुंदर आकृति चित्रित की गई है।

दिलवाड़ा के सभी मंदिर एक ही आकार के पांच मंजिलें का मंदिर है, जिनमें सबसे मुख्य आकर्षण रंग मंडप है।

यह गुंबद के आकार के छत का है और बीच में एक झूमर जैसी संरचना बनी हुई है। मंदिर के सभी छतो, स्तंभों, दरवाजे एवं पैनलों पर बहुत ही बारीकी से सुंदर नक्काशी करके उन्हें सजाया गया है।

निष्कर्ष

उपरोक्त लेख में आपने भारत के प्रमुख धार्मिक मंदिर एवं धार्मिक स्थल के बारे में जाना।

वैसे भारत एक सांस्कृतिक देश होने के कारण यहां पर सैकड़ों मंदिर है लेकिन हमने कुछ प्रमुख और लोक प्रसिद्ध मंदिर के बारे में बताया। इसके साथ ही मंदिरों के वास्तुकला के बारे में भी आपने जाना।

हमें उम्मीद है कि इस लेख के माध्यम से भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिर (Bharat ke Sabse Prasidh Mandir) के बारे में जानने को मिला होगा।

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Rahul Singh Tanwar
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राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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