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20 भारत के रहस्यमय मंदिर, जहां की अविश्वसनीय घटनाएं हैरान कर देंगी

भारत आस्था और साधना का केंद्र है। यह 64 करोड़ देवी देवताओं का भूमि है। भारत के लोग देवी-देवताओं के प्रति गहरी आस्था रखते हैं। यही कारण है कि भारत में सबसे ज्यादा मंदिर हैं।

भारत में ज्यादातर मंदिरों का निर्माण प्राचीन समय में किया गया है, जिनके बहुत महत्व है। प्राचीन समय में जो भी मंदिर बनाए जाते थे, उन्हें वास्तु और खगोल विज्ञान को ध्यान में रखकर बनाया जाता था।

लेकिन, भारत में कुछ ऐसे भी मंदिर है, जो खगोल और वास्तु से भी परे हैं। इन मंदिरों में ऐसी-ऐसी चमत्कारी और रहस्यमय घटनाएं देखने को मिलती हैं, जिसे देख विज्ञान भी दंग रह जाता है।

ऐसे चमत्कारी मंदिरों का रहस्य आज तक विज्ञान भी नहीं सुलझा पाया। लेकिन, भगवान में आस्था रखने वाले लोग इसे भगवान की कृपा मानते हैं।

तो चलिए आपको भी भारत के रहस्यमयमंदिरों (Mysterious Hindu Temples in Hindi) से अवगत कराते हैं, जिन मंदिरों से जुड़े रहस्यमयघटनाओं के बारे में जानकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे।

विषय सूची

भारत के रहस्यमय मंदिर (Mysterious Hindu Temples in Hindi)

करणी माता का मंदिर, देशनोक, बीकानेर (राजस्थान)

भारत के विभिन्न रहस्यमय मंदिरों में से एक करणी माता का मंदिर है। यह मंदिर राजस्थान के बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित देशनोक में है।

इस मंदिर की सबसे रोचक बात यही है कि इस मंदिर में आपको इंसानों से ज्यादा चूहे नजर आएंगे। इस मंदिर में लगभग 20,000 से भी ज्यादा काले चूहे हैं।

Karni Mata Temple Deshnok Bikaner Rajasthan
करणी माता का मंदिर

करणी माता को मां दुर्गा का ही अवतार माना जाता है, जिन्होंने लोक कल्याण के लिए जन्म लिया था। इसीलिए इनका नाम करनी रखा गया था।

कहा जाता है कि इनके सौतेले बेटे की मृत्यु हो जाने पर इन्होंने यमराज को अपने बेटे को जीवित करने का आदेश दिया था। उनका बेटा तो जीवित हो गया लेकिन वह चूहा बन गया था।

कहा जाता है कि जहां मां करनी ने अपने देह त्याग किए थे, वहीं पर इस मंदिर का निर्माण किया गया है और यह सभी चूहे माता की संतान एवं वंशज है।

इस मंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी करने आते हैं। कहा जाता है अगर एक भी चूहा किसी भी श्रद्धालु के पैरों के ऊपर से गुजर जाए तो उस पर मां की कृपा बरसती है।

वहीं अगर भूल से भी कोई चूहा पैरों से दब गया तो वह पाप का भागीदारी होता है। इसीलिए सभी श्रद्धालु मंदिर में अपने पांव घिसकर चलते हैं।

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शनि शिंगणापुर, शिंगणापुर गांव, अहमदनगर (अहमदनगर)

देशभर में कई रहस्यमय मंदिर है, जिनके चमत्कार की बात देश दुनिया में प्रसिद्ध है। ऐसे ही मंदिरों में से एक मंदिर शनि शिंगणापुर का मंदिर है।

यह मंदिर महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के शिंगणापुर गांव में स्थित है। यह न केवल भारत बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्ध है।

shani shingnapur
शनि शिंगणापुर

यह मंदिर सूर्य देव के पुत्र शनि देव को समर्पित है। मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि इस मंदिर में शनि देव की पाषाण की प्रतिमा बगैर किसी छत्र या गुंबद के खुले आसमान के नीचे एक संगमरमर के चबूतरे पर स्थापित है।

इस मंदिर को लेकर लोगों की श्रद्धा काफी गहरी है। इसीलिए कहते हैं कि सिंगनापुर गांव में ज्यादातर घरों में खिड़की दरवाजे नहीं है।

दरवाजे के बजाय लोगों के घर में केवल पर्दे लगे हुए हैं। क्योंकि उनका मानना है कि इस गांव की रक्षा स्वयं शनिदेव करते हैं।

इसके कारण यहां कभी भी चोरी नहीं होती है। अगर कोई चोरी करने की हिम्मत करता भी है तो शनि देव स्वयं उसे सजा देते हैं।

इस तरह शनिदेव के प्रकोप से मुक्ति पाने के लिए देश भर में प्रसिद्ध इस रहस्यमय मंदिर का दर्शन करने लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

कामाख्या मंदिर, नीलांचल पहाड़ी, गुवाहाटी (असम)

देश भर में प्रसिद्ध एवं विभिन्न रहस्यमय मंदिरों में से एक कामाख्या मंदिर है। यह मंदिर असम के गुवाहाटी में नीलांचल पहाड़ी पर स्थित है।

यह मंदिर देशभर में मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर में मुख्य रूप से त्रिपुरासुंदरी, मातांगी और कमला देवी की प्रतिमा स्थापित है।

kamakhya temple
कामाख्या मंदिर

वहीं मुख्य मंदिरों को घेरते हुए सात अन्य अलग-अलग मंदिर भी हैं, जहां पर मां के सात अन्य रूपों की प्रतिमा भी स्थापित है।

यह मंदिर देशभर के विभिन्न रहस्यमय मंदिरों के सूची में शामिल है। क्योंकि इस मंदिर के गर्भगृह से एक झरना बहता है और हर साल बारिश के मौसम के दौरान इस मंदिर को 3 दिन के लिए बंद कर दिया जाता है।

कहा जाता है कि इस 3 दिन के दौरान गर्भ ग्रह से बहने वाले झरने का पानी लाल हो जाता है, जिसके रहस्य के पीछे आज तक लोगों को कारण नहीं मिला है।

यह मंदिर काले जादू के अनुष्ठानों के लिए जाना जाता है। इस मंदिर में भक्तों को प्रसाद के रूप में पत्थर की मूर्ति को ढकने वाला लाल कपड़ा हल्का सा काट कर दिया जाता है।

ज्वालादेवी का मंदिर, कांगड़ा घाटी (हिमाचल प्रदेश)

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा घाटी के दक्षिण दिशा में 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ज्वाला देवी मंदिर भारत के रहस्यमय मंदिरों में से एक है।

यह मंदिर मां सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है। माना जाता है कि यहीं पर मां सती की जीभ गिरी थी। कहा जाता है कि इस मंदिर की खोज महाभारत काल में पांडवों ने की थी।

Jwalamukhi Temple Kangra Himachal Pradesh
ज्वालादेवी का मंदिर

कहा जाता है कि सतयुग में भूमिचंद नाम का एक राजा हुआ करता था, जो महाकाली का परम भक्त था।

एक बार सपने में मां काली आती है, जिसके बाद वह यहीं पर महाकाली का एक भव्य मंदिर का निर्माण करता है।

इस मंदिर की सबसे रहस्यमय बात यह है कि इस मंदिर में हजारों वर्षों से मां के मुख से अग्नि निकल रही है, जिसके पीछे का कारण अब तक पता नहीं चल पाया है।

इस मंदिर में अलग-अलग जगह से अग्नि के 9 लपटे निकलते हैं, जो अलग-अलग 9 देवियों का स्वरुप माना जाता है।

यह देवियां महाकाली, सरस्वती, अन्नपूर्णा, महालक्ष्मी, चंडी, हिंगलाज भवानी, अम्बिका, विन्ध्यवासिनी, अंजना देवी हैं।

अग्नि की इन लपटों के पीछे का कारण वैज्ञानिकों का मानना है कि यह मृय ज्वालामुखी की अग्नि हो सकती है।

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वीरभद्र मंदिर, लेपाक्षी, अनंतपुर (आंध्र प्रदेश)

भारत के रहस्यमय मंदिरों के सूची में वीरभद्र मंदिर का नाम भी शामिल है। यह मंदिर आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के एक छोटे से एतिहासिक गांव लेपाक्षी में स्थित है। इसीलिए इस मंदिर को लेपाक्षी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

इस मंदिर में कुल 72 पिलर हैं, जिनमें से एक पिलर छत को तो छूता है लेकिन जमीन से उठा हुआ है, जिसके कारण इस पिलर को हैंगिंग पिलर कहते हैं।

Veerabhadra Temple Lepakshi Andhra Pradesh
वीरभद्र मंदिर

अब तक देश-विदेश के कई इंजीनियर इसके बारे में जांच पड़ताल कर चुके हैं लेकिन कोई भी इंजीनियर इस रहस्य को सुलझा नहीं पाया।

इस मंदिर में आने वाले पर्यटक रूमाल या किसी भी कपड़े को पिल्लर के एक तरफ से दूसरी और निकालकर पिल्लर का जमीन से उठे हुए होने की सत्यता को जांचने का प्रयत्न करते हैं।

इस मंदिर का निर्माण विजयनगर शैली में किया गया है। मंदिर में विभिन्न देवी-देवताओं, नर्तकी एवं संगीतकारों के चित्रों को चित्रित किया गया है।

मंदिर की दीवारों पर खंभों एवं छत पर महाभारत और रामायण काल की कई कहानियों को चित्रित किया गया है।

मंदिर के अंदर 14 फुट ऊंचा वीरभद्र की एक वॉल पेंटिंग भी है, जिसे मंदिर के छत पर बनाई गई भारत की सबसे बड़ी वॉल पेंटिंग मानी जाती है।

महाकाल मंदिर, उज्जैन

उज्जेन का महाकालेश्वर मंदिर के बारे में आखिर कौन नहीं जानता है। इस मंदिर का रहस्य देश विदेश तक लोकप्रसिद्ध है।

उज्जैन को आकाश और धरती का केंद्र माना जाता है। यहां पर स्थित महाकाल मंदिर की कई रहस्यमयघटनाएं लोगों को आश्चर्यचकित कर देती हैं।

Ujjain Mahakal temple
महाकाल मंदिर

इस मंदिर को लेकर सबसे ताज्जुब की बात यह है कि जहां भारत के अन्य मंदिरों के आसपास एक भी शराब की दुकान मौजूद नहीं होती है बल्कि अगर होती भी है तो उन्हें हटवा दी जाती है।

यहां तक कि दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां पर भगवान शिव को खुद श्रद्धालु शराब पिलाते हैं। आज तक लोगों को पता ही नहीं चला कि वह शराब आखिर जाता कहां है।

इस मंदिर के परिसर से लेकर इसके रास्ते में ना जाने कितनी ही शराब की दुकानें मौजूद है। यहां तक कि प्रसाद बेचने वाले लोग भी अपने पास शराब रखते हैं।

इसके अतिरिक्त इस मंदिर को लेकर यह भी रोचक तथ्य है कि इस मंदिर के सीमा में कोई भी राजा या राज परिवार से जुड़े लोग रात में नहीं ठहर सकते हैं।

क्योंकि उज्जैन का राजा एकमात्र भगवान शिव को ही माना जाता है, जिस कारण अगर कोई भी उच्च पद का व्यक्ति यहां पर रात में ठहरता है तो उसके साथ अशुभ घटनाएं होती हैं।

स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर, गुजरात

भारत के तमाम रहस्यमय मंदिरों में से एक स्तंभेश्वर महादेव का मंदिर है। यह मंदिर गुजरात राज्य की राजधानी गांधीनगर से लगभग 175 किलोमीटर की दूरी पर जंबूसर के कवि कंबोई गांव में स्थित है।

यह मंदिर 150 साल पुराना है और अरब सागर और खंभात की खाड़ी से घिरा हुआ है। इस मंदिर को पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने बनवाया था।

stambheshwar mahadev temple
स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर

इस मंदिर का सबसे बड़ा रहस्य यही है कि यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए दिन में केवल दो ही बार खुलते हैं।

हाई टाइड के दौरान यह मंदिर हर दिन पानी में डूब जाता है, जिस दौरान मंदिर का एक भी हिस्सा दिखाई नहीं देता है। पानी हटने के बाद फिर से इस मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है।

इसी कारण यह मंदिर सबसे अनोखा मंदिर है। हर दिन दिन में और शाम के समय पानी का स्तर बढ़ने से यह मंदिर पूरी तरीके से पानी में समा जाता है। लोग इसे भगवान शिव का अभिषेक मानते हैं।

असीरगढ़ शिव मंदिर, असीरगढ (मध्य प्रदेश)

इस असीरगढ किले के वर्तमान स्वरूप का निर्माण मुगल शासकों के द्वारा किया गया है। हालांकि इस किले के अंदर मौजूद मंदिर एवं शिवलिंग का निर्माण महाभारत काल में किया गया है ऐसा माना जाता है।

यह मंदिर मध्यप्रदेश के बुरहानपुर शहर से 20 किलोमीटर की दूरी पर असीरगढ़ किले में स्थित है। कहा जाता है कि इस मंदिर की सबसे पहले पूजा अश्वत्थामा करते हैं।

Asirgarh shiv temple
असीरगढ़ शिव मंदिर

अश्वत्थामा पांडवों एवं कौरवों के गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे, जिन्हें भगवान श्री कृष्ण युगों-युगों तक भटकने का श्राप दिये थे।

कहा जाता है कि इस मंदिर के शिवलिंग पर मंदिर का दरवाजा खोलते ही पहले से ही रोली और ताजे फूल चढ़े हुए मिलते हैं, जो खुद अश्वत्थामा आकर अर्पित करते हैं।

यहां के स्थानीय लोगों में से कुछ का यह भी कहना है कि अश्वत्थामा ने उनसे अपने घाव पर लगाने के लिए हल्दी और तेल भी मांगा है।

यहां तक कि कुछ लोग यह भी दावा करते हैं कि नदी में मछली पकड़ने के दौरान उन्हें किसी ने धक्का भी दे दिया लेकिन पीछे मुड़कर देखा तो वहां कोई नहीं था।

इस तरह लोगों का कहना है कि वह भटकती आत्मा अश्वत्थामा की है और जो भी अश्वत्थामा को देख लेता है, उसका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है।

साल 2016 में इस किले की खुदाई के दौरान एक सुरंग भी मिली थी, जिसे प्राचीन काल का सुरंग होने का दावा किया गया था।

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मां महामाया मंदिर, हापामुनी गांव, गुमला (झारखंड)

झारखंड के गुमला जिले में 26 किलोमीटर दूर घागरा प्रखंड के हापामुनी गांव में स्थित महामाया मंदिर ना केवल झारखंड बल्कि भारत का भी एक विचित्र और रहस्यमयमंदिर है।

इस मंदिर की सबसे विचित्र बात यही है कि यह मंदिर मां महामाया को समर्पित है, लेकिन उनकी प्रतिमा को कोई भी खुली आंखों से नहीं देख सकता है।

maa mahamaya temple
मां महामाया मंदिर

जिसके कारण उनके प्रतिमा को एक बक्से में बंद करके रखा जाता है और प्रतीक के तौर पर दूसरी मूर्ति स्थापित की जाती है।

उसके बाद हर साल चैत्र कृष्ण पक्ष अमावस्या को यहां पर डोलजात्रा महोत्सव का आयोजन किया जाता है।

इस दौरान बक्से को मंदिर के बाहर चबूतरे पर रखा जाता है और फिर मंदिर के मुख्य पुजारी आते हैं और वह अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर बक्से को खोलते हैं और मां की प्रतिमा की पूजा करते हैं।

इस मंदिर को लेकर यह भी एक रोचक तथ्य है कि इस मंदिर को गांव के आसपास के अपराधियों को कसम खाने के लिए लाया जाता है और मंदिर में आने से पहले ही अपराधी अपने गुनाह को स्वीकार कर लेते हैं।

इस तरह इस मंदिर के प्रति लोगों की श्रद्धा काफी गहरी है। इस मंदिर का निर्माण आज से 1100 साल पहले विक्रम संवत 965 में किया गया था।

हसनम्बा मंदिर, हसन, बेंगलुरु (कर्नाटक)

भारत के तमाम रहस्यमय मंदिरों की सूची में एक नाम हसनअंबा मंदिर का भी आता है। यह मंदिर मां अंबा को समर्पित है, जो हसन की पीठासीन देवता के रूप में मानी जाती है।

यह मंदिर कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से 180 किलोमीटर की दूरी पर हसन नामक जगह पर स्थित है। इस जगह को पहले सिहमासनपुरी के नाम से जाना जाता था।

Hasanamba Temple
हसनम्बा मंदिर

मंदिर का निर्माण 12 वीं शताब्दी ईस्वी में किया गया था। यह मंदिर काफी रहस्य से भरा हुआ है। इस मंदिर की सबसे बड़ी रोचक तथ्य यही है कि यह मंदिर साल में केवल एक बार ही खुलता है और वह भी केवल दिवाली के दिन।

दिवाली के दौरान इस मंदिर को 1 सप्ताह के लिए खोला जाता है और फिर पूजा पाठ होने के बाद मंदिर के कपाट को फिर से बंद कर दिया जाता है और फिर 1 साल के बाद ही मंदिर के कपाट को खोला जाता है।

सबसे रोचक बात यही है कि इस मंदिर के कपाट को बंद करने से पहले मंदिर का दर्शन करने के लिए आते हैं और वे घी का दीपक जलाते हैं।

गर्भ ग्रह में फूल एवं पके हुए चावल के प्रसाद रखते हैं और फिर फाटक बंद होने के बाद जब 1 साल के बाद दोबारा फाटक को खोला जाता है तब तक दीपक जलता ही रहता है। यहां तक की फूल और अन्य प्रसाद भी ताजे रहते हैं।

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गवी गंगाधरेश्वर मंदिर, बेंगलुरु (कर्नाटक)

भारत में ऐसे कई रहस्यमयमंदिर है, जिनके रहस्य अब तक नहीं सुलझे हैं। ऐसे ही रहस्यमयमंदिरों में से एक गवी गंगाधरेश्वर मंदिर है, जो कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में स्थित है।

इस मंदिर की खास बात यही है कि यहां पर मौजूद शिवलिंग स्वयंभू है यानी कि इस शिवलिंग को किसी ने बनाया नहीं है बल्कि खुद ही प्रकट हुआ है।

Gavi Gangadhareshwara Temple Bangalore
गवी गंगाधरेश्वर मंदिर

इस मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में केंपेगौड़ा के द्वारा किया गया था और सॉल्वी शताब्दी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया था।

इस मंदिर की सबसे अद्भुत बात यही है कि इस मंदिर में साल भर शिवलिंग पर कभी भी सूर्य की किरने नहीं पहुंचती है जबकि केवल मकर सक्रांति के दिन ही सूर्य देव अपनी किरणों से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।

मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण में होते हैं तब 5 से 8 मिनट तक सूर्य की किरने गर्भगृह तक और शिवलिंग तक पहुंचती है।

यह नजारा काफी अद्भुत और खूबसूरत होता है, जिसे देखने के लिए श्रद्धालुओं की काफी भीड़ उमड़ती है।

दूसरी अद्भुत बात यह है कि इस मंदिर की शिवलिंग पर जब घी चढ़ाया जाता है तो वह मक्खन बन जाता है।

हालांकि मक्खन से घी बनते हुए लोगों ने देखा होगा, लेकिन घी से मक्खन बन जाए ऐसा अद्भुत नजारा केवल इसी मंदिर में देखने को मिलता है।

केदारनाथ का मंदिर (उत्तराखंड)

भारत के 4 तीर्थ स्थानों में से एक केदारनाथ मंदिर है, जो उत्तराखंड राज्य में स्थित है। भारत के रहस्यमयमंदिरों में से एक केदारनाथ मंदिर भी हैं। इस मंदिर से भी जुड़े तमाम रहस्य है, जो श्रद्धालुओं को आश्चर्यचकित कर देते हैं।

इस मंदिर का सबसे बड़ा चमत्कार तब देखने को मिला जब साल 2013 में जुलाई के महीने में केदारनाथ में भारी बैजार आई थी, जिसमें 10000 लोगों की मौत हो गई थी, लेकिन इस मंदिर को कोई भी नुकसान नहीं हुआ था।

Kedarnath temple
केदारनाथ का मंदिर

दूसरा रहस्य यह है कि दीपावली के महापर्व के दूसरे दिन ही शीत ऋतु शुरू हो जाने के कारण मंदिर के फाटक को 6 महीने के लिए बंद कर दिया जाता है।

लेकिन उससे पहले यहां के पूरोहित सम्मान पूर्वक भगवान के विग्रह एवं दंडी को 6 माह तक पहाड़ के नीचे ऊखीमठ में ले जाते हैं।

मंदिर बंद करने से पहले मंदिर में दीपक जलाए जाते हैं। 6 माह के बाद जब फाटक खोला जाता है तब दीपक जलता ही रहता है और वैसी की वैसी ही साफ सफाई रहती है, जो काफी रहस्यमय है।

केदारनाथ मंदिर का इतिहास और केदारनाथ कैसे जाएँ? आदि के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें।

तिरुपति मंदिर (तमिलनाडु)

भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित तिरुपति मंदिर भगवान वेंकटेश्वर स्वामी को समर्पित हैं। यह मंदिर पूरी तरह रहस्यों से भरा हुआ है।

इस मंदिर के गर्भ गृह में जब भी श्रद्धालु प्रवेश करते हैं तो ऐसा प्रतीत होता है कि प्रतिमा गर्भ ग्रह के मध्य में है।

Tirupati Temple
तिरुपति मंदिर

लेकिन जैसे ही गर्भ ग्रह से बाहर निकलते हैं तब ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान की प्रतिमा दाहिने तरफ स्थित है। अब यह भ्रम है या भगवान का चमत्कार इसके बारे में अब तक कोई नहीं जान पाया है।

इस मंदिर को लेकर दूसरा रहस्य यह है कि इस मंदिर में विराजमान वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति पर बाल भी लगे हुए हैं, जो हमेशा मुलायम रहते हैं।

लोगों की मान्यता है कि यहां पर भगवान वेंकटेश्वर स्वामी खुद विराजमान करते हैं। वैसे भी यहां पर स्थापित प्रतिमा इतनी जीवंत है कि लगता है भगवान वेंकटेश्वर स्वामी यहां पर स्वयं विराजमान है।

सबसे रहस्यमय बात तो यह है कि इस प्रतिमा से पानी की बूंदे भी दिखाई देती है। लोगों का मानना है कि यह भगवान के शरीर के पसीने की बूंदे हैं।

इस मंदिर के अंदर एक दिया हमेशा प्रज्वलित रहता है और चौकाने वाली बात यह है कि इस दिपक में कभी भी तेल या घी नहीं डाला जाता, उसके बावजूद यह जलता ही रहता है। अब तक पता ही नहीं चला कि दीपक को सबसे पहले किसने प्रज्वलित किया था।

इस मंदिर का दूसरा रहस्य यह भी है कि हर गुरुवार को इस मंदिर में विराजमान भगवान वेंकटेश्वर के प्रतिमा को चंदन का लेप लगाया जाता है।

जब इनके प्रतिमा से चंदन का लेप हटाया जाता है तो इनके हृदय में माता लक्ष्मी जी की आकृति दिखाई देती हैं।

इसके अलावा जब भगवान के मूर्ति पर कान लगाकर ध्यान पूर्वक सुने तो प्रतिमा के अंदर से समुद्र की लहरों की ध्वनि सुनाई देती है।

तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास और इससे जुड़ी रहस्यमयी जानकारी जानने के लिए यहां क्लिक करें।

पद्मनाभस्वामी मंदिर, तिरुवंतपुरम (तमिलनाडु)

भगवान विष्णु को समर्पित पद्मनाभस्वामी मंदिर जो तमिलनाडु राज्य के तिरुवंतपुरम में स्थित है। यह मंदिर कई रहस्यों से भरा हुआ है।

इस मंदिर में कुल 7 दरवाजे हैं और अब तक 6 दरवाजे को खोला जा चुका है, जिनमें से लाखों करोड़ों के खजाने प्राप्त हुए हैं।

Padmanabha Swamy temple
पद्मनाभस्वामी मंदिर

कहा जाता है कि त्रावणकोर के एक राजा भगवान विष्णु के परम भक्त हुआ करते थे और उन्होंने ही अपनी सभी संपत्ति भगवान विष्णु को समर्पित कर दी थी और उन्हीं की संपत्ति इस मंदिर के विभिन्न दरवाजों में मौजूद है।

हालांकि अब तक इस मंदिर के सातवें दरवाजे को खोला नहीं गया है। कहा जाता है कि इस दरवाजे में बाकी छह दरवाजों की तुलना में सबसे ज्यादा खजाने मौजूद है‌।

लेकिन इस मंदिर का सातवा दरवाजा जिसे बोल्ट बी के नाम से जाना जाता है, उस पर एक सांप के आकार का चित्र बना हुआ है।

कहा जाता है अगर कोई भी इस दरवाजे को खोलने की कोशिश करता है तो जहरीला सांप उसे काट लेता है और ऐसा एक बार एक व्यक्ति के साथ हो भी चुका है, जिसके कारण आज तक इस दरवाजे को खोलने की हिम्मत किसी ने नहीं दिखाई है।

हालांकि ऐसा भी कहा जाता है कि इस दरवाजे को गरुड़ मंत्र के उच्चारण के साथ खोला जा सकता है। लेकिन, अगर कोई भी पुजारी जरा सा भी गलत मंत्र का उच्चारण करता है तो वहीं पर उसकी मृत्यु हो जाएगी।

हालांकि साल 2011 में इस दरवाजे को खोलने पर कई विवाद हुए थे, जिसके कारण सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मंदिर के सातवें दरवाजे को खोलने पर रोक लगा दी है। हालांकि अब तक यह दरवाजा इस मंदिर के लिए रहस्य बना हुआ है।

ऐरावतेश्‍वर मंदिर (तमिलनाडु)

विभिन्न रहस्यमय घटनाओं से घिरे हुए मंदिरों में से एक तमिलनाडु में मौजूद एरावतेश्वरा मंदिर भी आता है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।

इस मंदिर का नाम एरावतेश्वरा होने का कारण बताया जाता है कि इस मंदिर में मौजूद भगवान शिव की पूजा देवताओं के राजा इंद्र के सफेद हाथी एरावत ने की थी। इसीलिए इस मंदिर का नाम एरावतेश्वर पड़ा।

Airavateshwar temple
ऐरावतेश्‍वर मंदिर

मंदिर के निर्माण को लेकर कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण चोल राजाओं ने करवाया था। इस प्रकार यह मंदिर महान जीवंत चोल मंदिरों में से एक है, जिसे यूनेस्को के वैश्विक धरोहर स्थल के रूप में भी घोषित किया गया है।

इस मंदिर का सबसे बड़ा रहस्य और अद्भुत बात यही है कि इस मंदिर में 3 सिढिया बनी हुई है और अगर जरा सा तेज पैर रखो तो इनसे संगीत के अलग-अलग ध्वनि सुनाई देती हैं।

आखिर ध्वनि किस कारण उत्पन्न होती है इसके पीछे का कारण आज तक पता नहीं चल पाया है।

मां त्रिपुर सुदंरी मंदिर, बक्सर (बिहार)

भारत में एक से बढ़कर एक रहस्यों से भरे हुए मंदिर मौजूद है और ऐसा ही एक रहस्यमय मंदिर बिहार राज्य के बक्सर जिले में भी है।

इस मंदिर का नाम मां त्रिपुर सुंदरी मंदिर है, जो 400 साल से भी ज्यादा पुराना है। इस मंदिर के स्थापना के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भवानी मिश्रा नाम की एक तांत्रिक ने किया था।

Tripur Sundari Temple Buxar Bihar
मां त्रिपुर सुदंरी मंदिर

यह मंदिर पूरी तरीके से अद्भुत शक्तियों से भरा हुआ है। क्योंकि मंदिर में प्रवेश करते ही श्रद्धालुओं को एक अलग शक्ति का आभास होता है‌। यहां तक कि इस मंदिर में मध्यरात्रि के दौरान परिसर में अजीबोगरीब आवाज सुनाई देती है।

कहा जाता है कि आवाज मंदिर में विराजमान देवी मां के प्रतिमा के आपस में बात करने के कारण आती है। इस आवाज को इस मंदिर के आसपास के स्थानीय लोग बहुत ही आसानी से सुन सकते हैं।

इस मंदिर से आने वाले इस आवाज के बारे में कई पुरातत्व वैज्ञानिकों ने अध्ययन भी किया है, लेकिन अब तक इसके पीछे का कारण प्राप्त नहीं हो सका।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास और कहानी जानने के लिए यहां क्लिक करें।

कुम्‍हड़ा पहाड़ का मंदिर (उड़ीसा)

भारत के विभिन्न जगहों पर मौजूद रहस्यमय मंदिरों में से एक रहस्यमय मंदिर उड़ीसा राज्य में भी है। उड़ीसा में टिटलागढ़ क्षेत्र को उड़ीसा का सबसे गर्म क्षेत्र माना जाता है।

यहां पर एक कुम्हड़ा नाम का पहाड़ है, जिस पर भगवान शिव का एक अद्भुत मंदिर है। यह मंदिर पूरी तरीके से रहस्यों से भरा हुआ है।

titlagarh kumda pahad
कुम्‍हड़ा पहाड़ का मंदिर

ऐसा इसलिए क्योंकि पथरीली चट्टानों के चलते यहां पर प्रचंड गर्मी होती है। लेकिन बहुत ताज्जुब की बात है कि इतनी गर्मी होने के बावजूद मंदिर के अंदर बिल्कुल ऐसी जैसा ठंडक रहता है।

मंदिर के बाहर परिसर में किसी भी श्रद्धालुओं के लिए 5 मिनट से भी ज्यादा देर तक खड़ा होना मुश्किल होता है।

लेकिन मंदिर के अंदर कदम रखते ही ऐसी से भी ज्यादा ठंडक हवा का अहसास होने लगता है, जिसके पीछे का रहस्य आज तक पता नहीं चल पाया है।

हालांकि मंदिर से बाहर जैसे ही श्रद्धालु निकलते हैं वैसे फिर से प्रचंड गर्मी का अहसास होने लगता है।

जगन्नाथ मंदिर, बेहटा गांव, घाटमपुर, कानपुर (उत्तर प्रदेश)

भारत के उत्तरी राज्य उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में घाटमपुर तहसील के बेहटा गांव में एक रहस्यमय मंदिर है, जिसका नाम भगवान जगन्नाथ मंदिर है।

इस मंदिर की सबसे बड़ी रहस्यमय बात यही है कि इस मंदिर के छत से पानी टपकता है, जिससे लोगों को बारिश के होने का अंदाजा लग जाता है।

Jagannath temple behta
जगन्नाथ मंदिर

यह मंदिर 5000 साल पुराना है। मंदिर के अंदर भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ और उनकी बहन सुभद्रा की प्रतिमा विराजमान है। इसके साथ ही मंदिर में पद्मनाभम की भी मूर्ति स्थापित है।

इस मंदिर में वर्षा होने से 15 दिन पहले ही मंदिर के छत से बूंदे टपकने लगती है और उसी के अनुसार यहां के स्थानीय लोगों को पता चल जाता है कि 10 से 15 दिन के बाद बारिश होगी।

इस मंदिर के छत से अगर कम कम बूंदे गिरती है तो इसका अर्थ होता है कि बहुत कम बारिश होगी। वहीं अगर ज्यादा तेज और देर तक बूंदे गिरती है तो बारिश काफी तेजी से होती है।

हालांकि मंदिर के छत से गिरने वाली इस बूंदों के पीछे का रहस्य जानने के लिए कई वैज्ञानिक और पुरातत्व विशेषज्ञों ने जांच पड़ताल की। लेकिन, अब तक इस रहस्य को कोई सुलझा नहीं पाया।

मां रतनगरवाली मंदिर, रतनगढ़ (मध्य प्रदेश)

मां रतननगर वाली मंदिर मध्य प्रदेश के रतनगढ़ के घने जंगलों में स्थित है। यह मंदिर भी रहस्यमय है क्योंकि इस मंदिर में जो चमत्कार देखने को मिलते हैं, उसके रहस्य को विज्ञान भी सुलझा नहीं सकता।

इस मंदिर में सबसे बड़ा चमत्कार यह देखने को मिलता है कि अगर किसी को भी सांप, छिपकली जैसे कोई भी जहरीले जीव जंतु अगर काट लेता है तो वह यहां पर आकर अपना इलाज कर सकता है।

Ratangarh Mata Temple
मां रतनगरवाली मंदिर

इस मंदिर के जमीन से थोड़ी सी मिट्टी मां के नाम पर लेकर मरीज के घाव पर बांध दिया जाता है, जिससे मरीज कुछ ही देर में पूरी तरह ठीक हो जाता है, उसके शरीर से जहरीले जीव जंतुओं का जहर निकल जाता है।

मंदिर की यह घटना हर किसी को ताजूब में डाल देती हैं। लेकिन इसे मां जगदंबा का कृपा ही माना जाता है।

भारत के सबसे अमीर मंदिर

निष्कर्ष

आज के इस लेख में आपने भारत के रहस्यमयमंदिरों (Mysterious Hindu Temples in Hindi) के बारे में जाना है। हालांकि भारत के हर एक कोने में हर 1 राज्यों में आपको कई चमत्कारी मंदिर देखने को मिल जाएंगे।

लेकिन हमने उनमें से कुछ प्रमुख मंदिरों के बारे में बताया और उन मंदिरों से जुड़े रहस्यमय घटनाओं के बारे में भी बताया।

हमें उम्मीद है कि इस लेख के जरिए आपको बहुत कुछ जानने को मिला होगा। यदि यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे अन्य लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें ताकि जो रहस्यमय घटना में दिलचस्प लेते हैं, वह भी भारत के ऐसे रहस्यमयमंदिरों से अवगत हो सके।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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