Mehandipur Balaji History in Hindi: भारत अपनी संस्कृति के लिए देश-विदेश में प्रख्यात है। यहां के लोग धर्म से जुड़े हुए हैं, जिस कारण यहां पर कई धार्मिक मंदिर देखने को मिलते हैं। कुछ धार्मिक मंदिरों से भारत के इतिहास बयां होते हैं, वहीं कुछ मंदिर काफी रहस्यमय है। ऐसे ही एक रहस्यमई मंदिर हनुमान जी का है।
वैसे तो भारत में हनुमान जी के लाखों मंदिर स्थित है लेकिन कुछ मंदिर अपनी विशेषता के लिए बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है, जहां पर लोगों का सैलाब उमड़ जाता है। ऐसा ही एक मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में मेहंदीपुर में स्थित है, जिसका नाम मेहंदीपुर बालाजी मंदिर है। बालाजी मंदिर को लेकर लोगों की आस्था बहुत ही ज्यादा गहन है।
यहां के लोग इस मंदिर को बहुत ही चमत्कारी बताते हैं। कहा जाता है इस मंदिर में स्थित बजरंग बली की बाल स्वरूप मूर्ति किसी कलाकार के द्वारा निर्मित नहीं की गई है बल्कि यह स्वयं उत्पन्न हुआ है। यह मंदिर 2 अति सुरम्य पहाड़ों के बीच की घाटी में स्थित होने के कारण इसे घाटा मेहंदीपुर भी कहा जाता है।

यदि आप भी इस अलौकिक मंदिर का दर्शन करने जाना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले इस मंदिर के बारे में कुछ जानकारी होना बहुत ही जरूरी है। तो चलिए इस लेख में आगे बढ़ते हैं और इस मेहंदीपुर बाला जी मंदिर के इतिहास और मेहंदीपुर बालाजी की कहानी (mehandipur balaji story) के बारे में जानते हैं।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास (Mehandipur Balaji History in Hindi)
मेहंदीपुर में स्थित बालाजी मंदिर में विराजमान मूर्तियां 1000 साल पहले ही प्रकट हुई थी। अब तक इस मंदिर में 12 महंत अपनी सेवा दे चुके हैं और सभी महंत एक ही परिवार की पीढ़ियां हैं। कहा जाता है इस मंदिर की सबसे पहले महंत श्री गणेश पुरी महाराज थे और उन्हीं के समय में इस मंदिर की स्थापना हुई थी।
बताया जाता है कि जहां पर अभी बालाजी की यह मंदिर स्थित है, उस समय कई सदियों पहले घने जंगल हुआ करते थे, जहां पर बहुत खतरनाक जंगली जानवर रहा करते थे। यहां तक कि चोर और डाकूओं का भी यहां पर डेरा था।
कहा जाता है कि एक रात महंत श्री गणेशपुरी को एक सपना आता है, जिसमें वे सपने में ही उठकर कहीं जाने लगते हैं और चलते-चलते किसी विचित्र से स्थान पर पहुंच जाते हैं। वहां पर उन्हें हजारों दिए जलते हुए दिखाई देते हैं और दूर से हाथी घोड़ों के साथ एक सेना चली आ रही होती हैं। वे उस स्थान की तीन प्रदक्षिणा करते हैं तब उस फौज के प्रमुख उनके सामने सिर नवाते हैं। महाराज जी आश्चर्यचकित होकर बस यह सब कुछ लीला देख रहे थे।
उसके बाद वे वापस घर आकर इस घटना पर सोच विचार करने लगते हैं। सोचते-सोचते उन्हें नींद आ जाती है, जिसके बाद दोबारा उन्हें स्वप्न आया है। इस बार स्वप्न में तीन मूर्तियां और विशाल मंदिर की झलक दिखाई देती है। साथ ही बहुत ही रहस्यमय आवाज सुनाई देती है, जिसमें कोई कहता है कि तुम्हें सेवा का भार दिया जा रहा है। मुझे लीला का विस्तार करना है।
महाराज जी को कुछ समझ में नहीं आता कि वे उठ कर बैठ जाते हैं। तब स्वयं हनुमान जी उन्हें दर्शन देते हैं और उन्हें सेवा का भार ग्रहण करने का आदेश देते हैं। अगले दिन महंत जी सबसे पहले गांव वालों को जुटाते हैं और उन्हें अपने सपने के बारे में बताते हैं।
जिसके बाद वे उन सभी लोगों की सहायता से संबंधित स्थान की खुदाई करवाते हैं। खुदाई के पश्चात वहां पर हनुमान जी की मूर्ति निकल आती है, जिसके बाद वहां छोटी सी मंदिर की स्थापना की जाती है और प्रसाद की व्यवस्था होती है।
कहा जाता है कि गणेश पुरी महाराज उस राज्य के राजा को भी इस घटना के बारे में बताते हैं। लेकिन राजा को इस घटना पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं होता, उन्हें किसी की कोई कला लगती है। जिसके बाद जमीन से निकली मूर्ति वापस अदृश्य होकर जमीन में चली जाती है। फिर राजा उस जगह की खुदाई करवाते हैं तभी वह मूर्तियां नहीं मिलती है।
जिसके बाद उन्हें एहसास होता है कि यह किसी की कोई कला नहीं बल्कि चमत्कार है और फिर बाद में राजा बाबा से क्षमा याचना मांगते हैं और खुद को अज्ञानी मूर्ख बताते हैं। जिसके बाद दुबारा दर्शन देते हैं और फिर राजा स्वयं बालाजी महाराज का एक विशाल मंदिर बनवाते हैं।
महंत गणेश पुरी महाराज को मंदिर के महंत नियुक्त करता है, जिसके पश्चात महंत गणेश पुरी महाराज अपने वृद्धावस्था तक बालाजी की सेवा करते हैं और फिर बालाजी की आज्ञा से समाधि ले लेते हैं। कहा जाता है कि अंतिम समय में गणेश पुरी महाराज बालाजी को विनती करते हैं कि मेरी आने वाली वंश ही आपकी सेवा करें, जिसके पश्चात अब तक इन्हीं की वंश मंदिर में मंहत के रूप में सेवा दे रहें हैं।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर को नष्ट करने का प्रयास
कहा जाता है कि सदियों पहले मुस्लिम शासन काल के कुछ बादशाहों ने भी मेहंदीपुर बालाजी मंदिर को नष्ट करने का प्रयास किया था लेकिन वह असफल रहे थे। क्योंकि जितना ज्यादा वे इस मंदिर को खोद रहे थे, मूर्ति की जड़ उतनी ही गहरी चली जा रही थी। अंत में वे थक हार कर इस कुप्रयास को छोड़कर चले गए।
ऐसा ही एक चमत्कार बालाजी मंदिर का तब दिखा था जब ब्रिटिश शासन के दौरान 1910 ईस्वी सन् में बालाजी ने अपना सैकड़ों वर्ष पुराना चोला स्वत ही त्याग दिया था। जिसके बाद बालाजी के भक्तजन इस चोले को लेकर नजदीकी मंडावर रेलवे स्टेशन पहुंचे ताकि वे गंगा में इस चोले को प्रवाहित कर सके।
लेकिन, जैसे ही वे स्टेशन पर पहुंचे, ब्रिटिश स्टेशन मास्टर ने चोले को निशुल्क ले जाने से मना कर दिया। वह ब्रिटिश मास्टर चोले को लगेज करने लगा, जिसके बाद बालाजी का एक बार फिर चमत्कार दिखा।
चोले का जितने बार वे वजन करते तो उसका वजन कम हो जाता तो कभी उसका वजन ज्यादा हो जाता। इस तरह बस स्टेशन मास्टर भी असमंजस में पड़ गया और अंततः उसने चोली को बिना लगेज के जाने दिया। इस तरीके से बालाजी ने अपने चमत्कार से बड़े-बड़े शत्रुओं को आश्चर्यचकित किया है।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर से जुड़े चमत्कार
बालाजी की प्रतिमा को लेकर एक और चमत्कारी दृश्य इस मंदिर में देखने को मिलता है। इस मंदिर में मौजूद हनुमान जी की प्रतिमा के बाएं छाती के नीचे से एक पतली जलधारा निकलती है और पूरा चोला पहनने के बाद भी यह जलधारा बंद नहीं होती है।
भक्तजन इस बालाजी महाराज का चमत्कार समझते हुए इस जलधारा का प्रसाद स्वरूप उपयोग करते हैं। आरती होने के बाद जलधारा को भक्तजनों पर छिड़का जाता है, जिससे उनकी दुख और बीमारियां नष्ट हो जाती है। इसके अतिरिक्त जलधारा को नीचे एक टेंक में भी जमा किया जाता है, जिसे प्रसाद रूप में भक्तजन इस जल को अपने घर पर भी लेकर जाते हैं।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का महत्व
मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर का धार्मिक महत्व तो है ही लेकिन यह भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां जाने पर लगता है मानो बुरी आत्मा को थर्ड डिग्री दी जा रही है। हालांकि आपने यह तो सुना होगा कि शातिर मुजरिमों से जुर्म कबूल करवाने के लिए पुलिस अफसर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल करती हैं।
लेकिन, भूत प्रेत या बुरी आत्मा को थर्ड डिग्री दिए जाने के बारे में शायद आपने कभी नहीं सुना होगा। लेकिन मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में उत्पन्न दृश्य ऐसा लगता है मानो बुरी आत्माओं को third-degree दी जा रही हैं। यहां पर ज्यादातर भूत प्रेत आत्माओं से ग्रसित लोग आते हैं।
जब वे दूसरे लोगों के उपायों से भी हार मान जाते हैं तब वे बालाजी मंदिर का सहारा लेते हैं। यहां पर लोगों द्वारा हनुमान जी के नाम का जयकारा किया जाता है, चारों तरफ बालाजी की जय जयकार होती है।
यहाँ एक ऐसा माहौल उत्पन्न हो जाता है, जो काफी भयानक लगता है। इस माहौल में बहुत से आत्माओं से पीड़ित लोग उन्हें छोड़ देने की भीख मांगते हैं। कई लोग तो बेहोश भी हो जाते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में जो भी अर्जी लगा कर आता है, वह कभी भी खाली हाथ नहीं लौटता, उसकी मनोकामना पूरी हो ही जाती है।
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मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की बनावट
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की बनावट और इसकी संरचना राजस्थान की संस्कृति और सादगीपन को दर्शाता है। मंदिर की बनावट के लिए परंपरागत राजपूत वास्तुकला का प्रयोग किया गया है। मंदिर में चार प्रांगण है। पहले प्रांगण में भैरव बाबा और दूसरे प्रांगण में बालाजी की प्रतिमा स्थापित है।
व/हीं तीसरे और चौथे प्रांगण में दुष्ट आत्माओं के सरदार प्रेतराज का प्रांगण है। इस मंदिर की कलाकृति और वास्तुकला के अतिरिक्त मंदिर के आसपास बहुत ही अद्भुत और मनोरम दृश्य उत्पन्न होता है। यही कारण है कि इस मंदिर के दर्शन के लिए हर दिन सैकड़ों की संख्या में लोग आते हैं।
श्री प्रेतराज सरकार का मंदिर
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में हनुमान जी के अतिरिक्त श्री प्रेतराज सरकार की प्रतिमा एवं अलग से मंदिर है। यहां पर यें दंडाधिकारी पद पर आसीन है। कहा जाता है श्री प्रेतराज सरकार जी दुष्ट आत्मा को दंड देने का काम करते हैं। यहां पर इनके ऊपर भी चोला चढ़ाया जाता है।
जो भी श्रद्धालु बुरी आत्मा से पीड़ित रहते हैं यहां पर आते हैं और श्री प्रेतराज सरकार की भजन कीर्तन करते हैं, इनकी आरती करते हैं। चालीसा कीर्तन दिन भर यहां पर होते ही रहता है। कहा जाता है कि भारत में एक भी मंदिर ऐसा नहीं है, जहां पर श्री प्रेतराज सरकार की पूजा आराधना की जाती है।
यहां तक कि कोई भी वेद पुराण या ऐसा कोई भी ग्रंथ नहीं है, जिसमें श्री प्रेतराज सरकार के बारे में जिक्र किया गया है। यहां तक कि पृथक रूप से इनकी पूजा आराधना नहीं की जाती है। लेकिन बालाजी एकमात्र मंदिर है, जहां पर प्रेतराज सरकार की पूजा आराधना होती है।
कोतवाल कप्तान श्री भैरव देव की मंदिर
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में एक प्रांगण में भैरव देव की प्रतिमा स्थापित है। कहा जाता है भैरवजी बालाजी महाराज की सेना के कोतवाल हैं। हल्की शास्त्र और लोक कथाओं में तो भैरव देव के अनेक रूपों का वर्णन किया है, जिसमें एक दर्जन रूप प्रमाणित है श्री बाल भैरव, श्री बटुक भैरव, भैरव देव के बालस्वरूप आदि।
भगवान भैरव नाथ जी को भगवान शिव का अवतार माना जाता है और बालाजी मंदिर में इनकी चतुर्भुज रचना विराजमान है, जिनके एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे हाथ में डमरू, तीसरे हाथ में खप्पर और चौथे में प्रजापति ब्रह्मा का पांचवा कटा शिश है।
बालाजी के मंदिर में प्रतिदिन भैरव नाथ जी पर चमेली के सुगंध युक्त तिल के तेल में सिंदूर घोलकर चोला चढ़ाया जाता है। उसके बाद भजन, कीर्तन, आरती और चालीसा गाए जाते हैं। भैरव देव को उड़द की दाल के बने बड़े और खीर भोग लगाया जाता है, उसके बाद प्रसाद स्वरूप भक्तजनों में भी वितरित किया जाता है।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के आस पास के दर्शनीय स्थल
मेहंदीपुर के बालाजी मंदिर के आसपास भी कई सारे अन्य मंदिर है। इस मंदिर के नजदीक में हीं अंजनी माता का मंदिर एवं काली माता जी का मंदिर है, जो तीन पहाड़ पर स्थित है और गणेश जी की मंदिर पर स्थित है। यहीं नजदीक में गणेशपुरी महाराज जी जो इस मंदिर के प्रथम महंत थे, उनकी समाधि भी है। जिसे देखने के लिए श्रद्धालु आते हैं।
मेहंदीपुर बालाजी मन्दिर से जुड़े रस्म रिवाज
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर से लोगों की धारणा बहुत ही ज्यादा गहरी है। माना जाता है कि इस मंदिर में भगवान को लगाए गए भोग को प्रसाद स्वरूप जो भी खाते हैं, उनके कष्ट दूर हो जाते हैं। इस मंदिर में आने वाले भक्तजन अपनी खुशी से खाना और पैसा इत्यादि भी दान करते हैं, जो गरीब और बेसहारा लोगों की देखभाल और सेवा में काम आता है।
बालाजी मंदिर को लेकर लोगों की मान्यता है कि यहां पर मिलने वाले पत्थर कई सारे बीमारियों का इलाज कर देता है जैसे सिने की तकलीफ, जोड़ों का दर्द या शरीर की कई तरह की तकलीफ इस पत्थर के स्पर्श से ही मात्र दूर हो जाती हैं। हालांकि इस बात पर मेडिकल साइंस विश्वास नहीं करता, वह इसे भक्तजनों का अंधविश्वास मानता है। लेकिन भक्तजन तो इसे बालाजी का अलौकिक शक्ति ही मानते हैं।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के आस पास का दृश्य
मेहंदीपुर बालाजी के मंदिर का दृश्य शुरुआत में आपको काफी ज्यादा भयानक लग सकता है। क्योंकि यह मंदिर खास करके भूत प्रेत से पीड़ित लोगों के उपचार के लिए जाना जाता है। यहां पर ज्यादातर ऐसे लोग आते हैं, जो बुरी आत्माओं से पिडित हैं। यहां पर बुरी आत्मा को दंड दिया जाता है, जिससे पीड़ित व्यक्ति बहुत जल्दी ठीक हो जाता है।
यदि आप इस मंदिर में प्रवेश करते हैं तो आपको चारों तरफ शोर-शराबा सुनाई देगा, हर तरफ बहुत सी महिलाएं और पुरुष के चीखने की आवाज आएगी। हर तरफ हनुमान चालीसा का पाठ करते लोग दिखाई देते हैं, कोई जय श्री राम का उच्चारण करता हुआ सुनाई देता है, बुरी आत्माओं से ग्रसित लोग अपने गर्दन को हिलाते हुए दिखाई देंगे, बडबड़ाते हुए दिखाई देंगे, कोई भागता हुआ तो कोई सर पटकता हुआ दिखाई देगा। ऐसी तमाम अजीबोगरीब हरकतें वहां पर दिखाई देती है।
ऐसे में आपको इन सभी चीजों से डरना नहीं है। क्योंकि इस मंदिर में आने वाले भक्तजन सबसे पहले बालाजी को प्रसाद चढाते हैं, जिसके बाद भूत प्रेत बाधा से ग्रस्त व्यक्तियों के व्यवहार में बदलाव आने लगता है।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में इन चीजों को करने से बचें
यदि आप मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का दर्शन करने जाना चाहते हैं तो आपको यह जानना बहुत ही जरूरी है कि उस मंदिर में कुछ कामों को वर्जित किया गया है, जिस कारण उन कामों को करने से बचना चाहिए।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में यदि आप पहली बार जा रहे हैं तो हो सकता है कि कुछ पंडित या पुजारी आपसे पैसे मांगे, वे आपसे कह सकते हैं कि वह पैसे के बदले में आपको भभूति या पवित्र जल देंगे। ऐसे में आपको उन्हें पैसे नहीं देने हैं। यदि आप पैसे दान करना चाहते हैं तो मंदिर में लगे दान पेटी में आप पैसे दे सकते हैं। क्योंकि यहां पर भभूति और पवित्र जल फ्री है।
मेहंदीपुर बालाजी के मंदिर में बहुत अजीबोगरीब दृश्य देखने को मिलता है। वहां पर कई ऐसे लोग होते हैं, जो भूत प्रेत से पीड़ित रहते हैं, जो अपना उपचार करने के लिए उस मंदिर में आए रहते हैं। ऐसे में मंदिर के परिसर में वीडियो रिकॉर्ड करना, किसी का फोटो क्लिक करना सख्त मना है। यदि आप इतनी भीड़ में किसी की तस्वीर खींचेंगे भी तो हो सकता है कि कोई आपके फोन को छीन ले या फिर फोन गुम हो जाए, इसलिए फोन या कैमरा ले जाने से बचे।
बालाजी मंदिर में आने वाले भक्त जनों को हमेशा यह सलाह दी जाती है कि वे मंदिर में आने से पहले कुछ सप्ताह पहले ही प्याज, लहसुन या नॉनवेज खाने से बचें। क्योंकि हिंदू धर्म में प्याज लहसुन को तामसिक भोजन की श्रेणी में माना जाता है। कहा जाता है इस तरह का भोजन राक्षसों के द्वारा खाए जाते हैं और भगवान हनुमान (बालाजी) इन चीजों को कभी नहीं ग्रहण किए थे। ऐसे में वे नहीं चाहते कि भक्तजन मंदिर में तामसिक भोजन ग्रहण कर के आए। यहां तक कि मंदिर में बालाजी का दर्शन करने के पश्चात भी कम से कम 11 दिन इन भोजन से परहेज रखने के लिए कहा जाता है।
बालाजी मंदिर में आने वाले भक्तजनों को मंदिर में आरती करने के दौरान पीछे मुड़कर देखने से मना किया जाता है। यहां तक कि मंदिर के दर्शन हो जाने के बाद घर जाते समय भी पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। कहा जाता है कि ऐसा करने से बुरी आत्माओं का साया उन पर चढ़ जाता है। यहां के पंडित भी यही सलाह देते हैं।
बालाजी के मंदिर में प्रवेश करने के दौरान घर से कोई भी खाने पीने की चीज लाने से मना किया जाता है।
बालाजी के मंदिर में आने और जाने की दरख्वास्त लगाकर ही जाना चाहिए। क्योंकि कहा जाता है इस मंदिर में बालाजी महाराज के आज्ञा से ही भक्त जनों का आना जाना संभव होता है। यहां तक कि जाने की अर्जी देने के बाद प्रसाद का लड्डू नहीं खाना चाहिए और ना ही इसके बाद कोई कार्य करना चाहिए।
बालाजी के मंदिर में आने वाले भक्तों जन ना ही किसी को कुछ दें और ना ही किसी भी व्यक्ति से कुछ लें। इस मंदिर के मुख्य मंदिर से मिलने वाले प्रसाद को ही ग्रहण करें और ध्यान रहे कि आपको जो प्रसाद दिया जाता है, उसे मंदिर के परिसर में ही खाना है। बचे हुए प्रसाद को घर लेकर नहीं जाना है। अगर प्रसाद बच भी जाता है तो आप मंदिर में छोड़ सकते हैं। इसके अतिरिक्त इस मंदिर के बाहर से किसी भी तरह की मीठी या सुगंधित वस्तु को घर ले जाने बचें।
इस मंदिर में आने वाले भक्त जनों को किसी अन्य लोगों को स्पर्श होने से मना किया जाता है। क्योंकि यहां पर ज्यादातर लोग भूत-प्रेत की बाधाओं से पीड़ित होते हैं और ऐसे में यदि आप किसी से स्पर्श हो जाते हैं तो हो सकता है कि उन पर बुरी आत्माओं के पड़े प्रभाव आप पर भी पड सकते हैं।
बालाजी के मंदिर में आरती के पश्चात बालाजी के प्रतिमा से निकलने वाले जल की छींटे भी लेनी चाहिए। इससे लोग मुक्त होते हैं और ऊपरी हवा से रक्षा मिलती है।
बालाजी धाम पहुंचने पर सबसे पहले प्रेतराज सरकार के दर्शन करने चाहिए और उनके चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए। इसके बाद बालाजी महाराज के दर्शन करने चाहिए और हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए और फिर कोतवाल भैरव नाथ के दर्शन करके भैरव चालीसा का पाठ करना चाहिए।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर कब जाएं?
यदि आप मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का दर्शन करना चाहते हैं तो सबसे अच्छा समय त्योहारों का होता है। इस मंदिर में होली, दशेहरा और हनुमान जयंती के दिन बहुत धूमधाम से पूजा पाठ होता है और बहुत ही अद्भुत दृश्य उत्पन्न होता है। आप गर्मी या सर्दी किसी भी मौसम में इस मंदिर का दर्शन करने के लिए आ सकते हैं।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर जाने के रास्ते
यदि आप मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का दर्शन करने जाना चाहते हैं तो आप हवाई, सड़क और रेलवे तीनों में से किसी भी मार्ग का चयन कर सकते हैं। यदि आप रेलवे मार्ग से जाते हैं तो यहां का सबसे नजदीकी रेलवे मार्ग बांदीकुई है।
यदि आप सड़क मार्ग से आना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले दौसा जिला आना पड़ेगा। यह शहर आगरा, वृंदावन, मथुरा, अलीगढ़ से कई प्रमुख शहरों से सीधे सड़क मार्ग से जुड़े हुए हैं। यहां से सीधे बस इस जिले के लिए आती है, जो बालाजी मोड़ पर रूकती है।
इसके अतिरिक्त आप चाहे तो जयपुर हवाई अड्डे के लिए फ्लाइट बुक कर सकते हैं और फिर एयरपोर्ट से आप सांगानेर आ सकते हैं, जो कि 113 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से आप किसी भी वाहन से मेहंदीपुर बालाजी मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
FAQ
बालाजी के मंदिर में दो बार प्रसाद खरीदा जाता है और अर्जी में तीन थालियों में प्रसाद भक्तजनों को दिया जाता है। मंदिर में दरख्वास्त एक बार लगाने के बाद वहां से भक्तजन तुरंत निकल जाते हैं और और अर्जी के प्रसाद को बिना पीछे मुड़े फेंक देते हैं। क्योंकि इस मंदिर को लेकर भक्तजनों की मान्यता है कि यहां से अर्जी के प्रसाद को कोई भी भक्तजन घर लेकर नहीं जा सकता।
बालाजी के मंदिर में मिलने वाले प्रसाद को कोई भी भक्तजन घर लेकर नहीं जाता है और इसके पीछे की यह मान्यता है कि इस मंदिर में ज्यादातर भूत प्रेत आत्मा से पीड़ित लोग अपना इलाज करवाने आते हैं। ऐसे में यदि कोई भी भक्तजन इस मंदिर के प्रसाद को घर लेकर जाता है तो बुरी शक्तियों का प्रभाव उनके घर पर चला जाता है।
मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर बहुत ही चमत्कारी है। कहा जाता है यहां पर आने से जिन लोगों पर बुरी शक्तियों का वास रहता है, उसे मुक्ति मिल जाती है।
हनुमान जी माता अंजनी के गर्भ से प्रकट हुए थे, जिन पर पांच देवताओं का तेज समाहित है। हनुमान जी भगवान राम के बहुत ही प्रिय थे। यहां तक कि अशोक वाटिका में माता सीता ने भी इन्हें अजरअमर रहने का आशीर्वाद दिया था। अति बलवान होने के कारण ही हनुमान जी को बालाजी कहा जाता है।
मेहंदीपुर बालाजी के मंदिर में हनुमानजी सहित प्रेतराज सरकार और भैरव बाबा की प्रतिमा विराजमान है।
बालाजी मंदिर की स्थापना आज से 1000 वर्ष पहले हुई थी।
मेहंदीपुर बालाजी राजस्थान के सिकराय तहसील में स्थित है।
निष्कर्ष
आज के इस लेख में आपने भारत के राजस्थान राज्य में स्थित एक रहस्यमय और धार्मिक मंदिर मेहंदीपुर बालाजी का इतिहास (Mehandipur Balaji History in Hindi), इस मंदिर के चमत्कार और इससे जुड़ी अन्य बातों के बारे में जाना।
हमें उम्मीद है कि आज का यह लेख आपके लिए जानकारी पूर्ण रहा होगा। यदि यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक इत्यादि के जरिए अन्य लोगों के साथ जरूर शेयर करें। इस लेख से संबंधित कोई भी प्रश्न या सुझाव आपके मन में हो आप हमें कमेंट में लिख कर बता सकते हैं।
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