Tirupati Balaji History in Hindi: भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है, इसी वजह से भारत में हर साल लाखों पर्यटक सिर्फ मंदिर देखने और भगवान के दर्शन करने के लिए आते हैं। भारत में सबसे पोपुलर मंदिर या फिर सबसे ज्यादा पर्यटकों वाला मंदिर अगर कोई है तो वह है तिरुपति बालाजी मंदिर।
इस मंदिर में हर दिन लाखों की संख्या में पर्यटक दर्शन के लिए आते हैं। चूँकि यह मंदिर अपने आप में ही बहुत ख़ास है। माना जाता है कि जो भी इस मंदिर आया है, उसकी हर मनोकामना पूरी हुई है। दुनिया के बड़े-बड़े लोग भी इस मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए आते है। इस मंदिर की बनावट और इस मंदिर का हर एक अंश काफी दर्शनीय और लोगों को अपनी और आकर्षित करने वाला है।

इस आर्टिकल में हम आपको तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास एवं इस मंदिर से जुड़ी अनेक ऐसी जानकारियां बताने वाले है, जो बहुत कम लोगों को पता है। वैसे तो मंदिर हिन्दू धर्म के लोगों का धार्मिक स्थल है लेकिन यहाँ पर मंदिर के दर्शन करने के लिए हर धर्म के लोग आते हैं। आइये जानते है मंदिर और मंदिर के इतिहास के बारें में विस्तार से।
तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास और रोचक तथ्य (Tirupati Balaji History in Hindi)
विषय सूची
तिरुपति बालाजी मंदिर इतिहास
तिरुपति बालाजी मंदिर के इतिहास की बात करें तो यह 9वीं शताब्दी से अस्तित्व में है। लेकिन अनेक एतिहासिक ग्रंथो में इसका जिक्र उससे पहले का भी हुआ है। कहते है कि कांचीपुरम के राजा वंश पल्लवों ने इस मंदिर की जगह पर कब्जा किया था और उसके बाद 15वीं सदी में विजयनगर वंश के शासकों ने इस मंदिर को एक प्रसिद्ध मंदिर बनाने की पहल करी और सम्पूर्ण विश्व में इस मंदिर का नाम पहुँचाया।
हालाँकि पूर्ण सत्य इस मंदिर के इतिहास से जुड़ा हमें कहीं पर नहीं मिलता है। एक कहानी इस मंदिर के इतिहास से यह भी जुड़ी हुई है। कहते हैं कि विष्णु जी ने कुछ समय स्वामी पुष्पकरणी सरोवर के किनारे निवास किया था, यह स्थान तिरुमाला के पास था। तिरुमाला तिरुपति के चारों और बनी पहाड़ियों को कहते हैं। इन पहाड़ियों की संख्या सात है और सातवी पहाड़ी पर भगवान वेंकटेश्वर का मंदिर है। वेंकटेश्वर भगवान को विष्णु जी का अवतार माना जाता है और इन्हीं को बालाजी के नाम से भी पहचान मिली है।
वेंकटेश्वर मंदिर (तिरुपति बालाजी मंदिर) की बनावट
अगर हम बात करें कि तिरुपति बालाजी मंदिर की बनावट कैसी है तो वह बहुत ही दार्शनिक है। लाखों करोड़ों लोग हर साल इस मंदिर की बनावट को देखने के लिए विदेश से आते हैं। कहते हैं कि यहाँ की वास्तुकला को विदेश में भी लोकप्रियता हासिल है। इस मंदिर की बनावट कुछ इस तरह है:
- तिरुपति बालाजी मंदिर समुन्द्र तट से 3200 फीट उंचा पहाड़ी पर बना हुआ है।
- मंदिर का मुख्य द्वार पर अनेक तरह की कलाकृति बनाई गई है।
- इसी मंदिर में अनेक देवी-देवताओं के मन्दिर भी है।
- भक्तों के दर्शन के लिए अलग से यहाँ पर रेलिंग बनाई गई है।
- यह मंदिर इतना बड़ा है कि यहाँ पर एक साथ 10 से 15 हजार लोग मंदिर परिसर में इकट्टा हो सकते हैं।
वेंकटेश्वर मंदिर को तिरुपति बालाजी क्यों कहा जाता है?
वेंकटेश्वर भगवान विष्णु जी के ही अवतार है लेकिन इन्हें अनेक नामो से जाना जाता है। इनके अनेक नामों से एक नाम बालाजी भी है। पुरे विश्व में यह मंदिर तिरुपति बालाजी के नाम से प्रसिद्ध है। वेंकटेश्वर भगवान का श्रींगार भी काफी अलग होता है। यहाँ पर मूर्ति को आधे पुरुष के कपड़े और आधे स्त्री के कपड़े पहनाये जाते हैं। धोती और साड़ी के साथ मुख पर चंदन का लेप लगाया जाता है।
तिरुपति बालाजी के दर्शन की प्रक्रिया
यह मंदिर टीटीडी के संरक्षण में है, यह सरकार द्वारा नियुक्त की गई एक संस्था है जो मंदिर की देख-रेख करती है। 1933 में मद्रास सरकार ने इस संस्था का निर्माण किया था, लेकिन आजादी के बाद यह मंदिर आंध्रप्रदेश सरकार के अधीन हो गया। अब इस मंदिर की देख रेख टीटीडी ही करती है लेकिन अब इसमें सरकार का हस्तक्षेप रहता है। वेंकटेश्वर भगवान के दर्शन के लिए यहाँ पर टिकेट लेना अनिवार्य है, अगर किसी के पास टिकेट या टोकन नहीं है तो उसे मंदिर में प्रवेश नहीं मिलता है।
टिकेट के लिए आप ऑनलाइन भी आवेदन कर सकते हैं या फिर तिरुपति जाकर अपना रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। हिन्दू धर्म के लोगों के लिए किसी भी तरह के फॉर्म को भरने की जरूरत नहीं है। लेकिन अगर आप गैर हिन्दू है तो आपको एक फॉर्म भरना होगा, उसके बाद आपको टिकेट या टोकन दिया जाएगा। टोकन मिलने के बाद आपको अपनी बारी का इंतजार करना है और वहां पर बनी रेलिंग की मदद से आपको मंदिर में प्रवेश दिलाया जाता है।
तिरुपति बालाजी के दर्शन के लिए लगी रहती है श्रधालुओं की भीड़
आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि तिरुपति बालाजी के दर्शन आप एक दिन में नहीं कर सकते है। इसके लिए आपको अग्रिम टिकेट लेना पड़ता है और जिस दिन आपकी बारी आएगी, उस दिन आपको सूचित किया जाता है। क्योंकि तिरुपति बालाजी के दर्शन प्रत्येक दिन एक लाख से भी ज्यादा लोग करते है।
ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वहां पर कितनी भीड़ होगी और आपका नंबर कब आएगा। लेकिन भक्ति और भगवान के दर्शन के लिए हमें इंतजार करना होगा।
तिरुपति बालाजी का प्रसाद भी है लोकप्रिय
आपको जानकार हैरानी होगी कि इस मंदिर का प्रसाद भी बहुत लोकप्रिय है। प्रसाद के लिए आपको लम्बी कतार में खड़ा रहना पड़ता है और जैसे ही आप भगवान का दर्शन करके मंदिर परिसर में आते है आपको प्रसाद की कतार में लगना होता है। यहाँ के लड्डू काफी फेमस है और विदेश तक यहाँ के लड्डू भेजे जाते है। तिरुपति बालाजी के प्रसाद को आप ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं।
तिरुपति बालाजी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
यहाँ की कुछ रोचक बातें इस तरह है:
- भगवान वेंकटेश्वर को गर्भगृह में जब भी देखा जाता है, वह दरवाजे के मध्य में नजर आते है। जबकि असल में वह दरवाजे के दायें तरफ है।
- मुख्यद्वार के दायें बालाजी का बालरूप है। उनकी ठोड़ी से रक्त आया और वह निशान अभी तक है। उसी समय से बालाजी की ठोड़ी पर चंदन लगाने की प्रथा शुरू हुई थी।
- कहते है कि बालाजी के सर पर रेशमी बाल असली है एवं वह कभी उलझते नहीं है।
- माना जाता है कि जब भी प्रतिमा के पास जाकर कान लगाया जाता है तो प्रतिमा से नदियों की आवाज आती है।
- मंदिर के गर्भगृह में चढाई गई चीज को कभी वापस नहीं लाया जाता है, उन्हें वहीँ पर जलकुंड में विसर्जित किया जाता है।
- मंदिर से करीब 23 किलोमीटर दूर बालाजी का एक ऐसा गाँव है, जहाँ उस गाँव के लोगों के आलावा किसी को प्रवेश नहीं मिलता है। यहाँ के लोग ही मंदिर के लिए फुल, घी, मखन इत्यादि लाते है। माना जाता है कि यहाँ की औरते कभी ब्लाउज नहीं पहनती।
- बालाजी की पीठ पर हमेशा पसीना रहता है चाहे आप कितनी भी बार उसे साफ़ कर दो।
- गर्भगृह में जलने वाले दीपक भी पिछले हजारों सालों से जल ही रहे है।
- वेंकटेश्वर भगवान को सप्तपहाड़ियों के स्वामी भी कहा जाता है।
तिरुपति बालाजी के स्थान की जानकारी
यदि आप तिरुपति बालाजी जाना चाहते है और उसका सही स्थान मालूम नहीं है तो यह इस तरह है। यह आंध्रप्रदेश के चितूर जिले में स्तिथ है। यहाँ पर तिरुमाला पहाड़ी के नाम से जाना जाता है। आप यहाँ आकर तिरुमाला पहाड़ी या वेंकटेश्वर भगवान का मंदिर देख सकते हैं।
1843 से 1933 तक मंदिर का प्रबंधन हातीरामजी मठ के महंत ने संभाला था।
इस मंदिर की आमदनी हर महीने 200 से 220 करोड़ रूपए की होती है।
यह अभी तक साफ़ नहीं है लेकिन यह मंदिर आंध्रप्रदेश सरकार के अधीन है।
प्रति व्यक्ति प्रति दिन यहाँ 5 हजार रूपए खर्च हो सकता है।
आप रेल मार्ग, हवाई मार्ग और सड़क मार्ग से यहाँ आ सकते है।
नजदीकी रेलवे स्टेशन तिरुपति ही है।
यहाँ नजदीकी हवाई अड्डा रेनीगुटा है।
निष्कर्ष
हमने इस आर्टिकल में भगवाना वेंकटेश्वर मंदिर तिरुपति (तिरुमाला) यानि तिरुपति बालाजी मंदिर (Tirupati Balaji History in Hindi) के बारें में बताया है। आपको हमारा यह आर्टिकल कैसा लगा, हमें कमेंट में जरुर बताएं। अगर आप भी तिरुपति बालाजी के दर्शन करना चाहते है तो एक बार कमेंट में यह जरुर बताएं कि आप कब और किस वर्ष में तिरुपति बालाजी जाने वाले हैं।
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