Diwali Kyu Manaya Jata Hai: हमारे भारत में वैसे तो अनेकों पर्व मनाया जाते हैं, जिसमें से कुछ ऐसे भी पर्व है, जो कि भारतीय इतिहास में अपना विशेष महत्व रखते हैं। भारत में मनाए जाने वाले इन सभी धार्मिक त्योहारों की सूची में सबसे ऊपर दशहरा और दिवाली आता है। हिन्दू धर्म में दिवाली सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है।
दिवाली का यह त्यौहार दशहरे के ठीक 20 दिन बाद आता है। दिवाली भारत में मनाया जाने वाला एक ऐसा त्यौहार है, जिसमें लोग अपने घरों को पूरी तरह से जलते हुए दिए से सजाते हैं, पटाखों के साथ अपने दिवाली के त्यौहार को मनाते हैं। दिवाली मनाने के पीछे बहुत से पौराणिक मान्यताएं हैं, जिनके विषय में नीचे बताया गया है।

दीपावली क्यों मनाई जाती है? | Diwali Kyu Manaya Jata Hai
दीपावली के त्यौहार को मनाए जाने के पीछे बहुत सी पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई है। परंतु उनमें से कुछ विशेष कथाओं के विषय में हम आपको बताने जा रहे हैं। दीपावली का त्यौहार नीचे बताए गए इन्हीं विशेष पौराणिक मान्यताओं का ही पालन करके मनाया जाता है।
दिवाली के त्यौहार पर लोग माता लक्ष्मी और विघ्नहर्ता गणेश की पूजा करते हैं। तो आइए जानते हैं, दिवाली का त्यौहार मनाने के पीछे का विशेष कारण:
भगवान श्री राम रावण का वध कर लौटे थे अयोध्या
जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं, भगवान श्रीराम को 14 वर्षों का वनवास हुआ था। भगवान श्री राम को 14 वर्ष का वनवास अयोध्या की दासी मंथारा के द्वारा माता कैकई का कान भरने के कारण हुआ था। माता कैकई ने मंथारा की बातें सुनकर अपने पति दशरथ से अपने 3 वचनों को मांगा और उन्हें वचनबद्ध कर दिया। माता कैकई के द्वारा दशरथ से मांगे गए वचन निम्न है:
- राम को 14 वर्ष का वनवास
- 14 वर्ष के वनवास के साथ दिया जाए अज्ञातवास
- भरत को बनाया जाए राजा
माता कैकई द्वारा मांगी गई इन्हीं वचनों के कारण भगवान श्री राम अपने पिता की आज्ञा का मान रखते हुए वन में जाने लगे। तभी उनके साथ उनकी पत्नी सीता ने भी जाने का हठ किया और भगवान श्री राम अपनी पत्नी सीता को भी अपने साथ लेकर जा रहे थे। तभी उनके छोटे भाई लक्ष्मण ने भी उन लोगों के साथ जाने की अनुमति मांगी, परंतु भगवान श्रीराम नहीं माने। भगवान श्री राम के न मानने पर लक्ष्मण जिद पर अड़ गए और अपने भाई और भाभी के साथ वन चले गए।
वन में जाने के बाद भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण तीनों ही एक कुटिया बनाते हैं और उसी में निवास करने लगते हैं। एक बार लक्ष्मण जंगल में लकड़ियां इकट्ठा कर रहे थे, तब सूप नखा नाम की राक्षसी उनसे विवाह करने का प्रस्ताव लेकर आती है और ज्यादा हठ करने पर लक्ष्मण गुस्सा हो जाते हैं और उसका नाक ही काट देते हैं। वह राक्षसी लक्ष्मण के इस स्वभाव से काफी अपमान महसूस कर रही थी, इसलिए उसने अपने भाई को सारी बातें बताई।
रावण अपनी बहन की इस अपमान का बदला लेने के लिए भगवान श्री राम की पत्नी सीता का हरण करना चाहता है और इसलिए उसने मामा मारीच को स्वर्ण हिरण बनाकर वन में भेज देता है। इसे देखकर माता सीता का मन आकर्षित हो जाता है और वह उस हिरण को अपने पास से देखना चाहती थी, इसलिए उन्होंने राम से उस हिरण को पकड़ने को कहा। भगवान श्रीराम हिरण पकड़ने चले जाते हैं और काफी समय हो जाने के बाद माता सीता चिंतित हो जाती है और लक्ष्मण को भी भेज देती है, तभी वहां पर रावण आकर माता सीता का हरण कर लेता है।
इसके बाद माता सीता की खोज में भगवान श्री राम वानर राज सुग्रीव तक पहुंच जाते हैं और सुग्रीव से उनकी मदद करने का प्रस्ताव रखते हैं। सुग्रीव अपनी वानर की सेना के साथ माता सीता की खोज में लग जाते हैं। सभी नगरों में ढूंढने के बाद भी माता सीता का पता नहीं चलता है और इसके बाद पक्षीराज ने उन्हें बताया कि आपकी पत्नी को रावण ले गया है।
पता चलने के बाद भगवान श्री राम, हनुमान और सुग्रीव के साथ मिलकर रावण के महल पर चढ़ाई कर देते हैं। लंका पहुंचने के बाद कई दिनों के महान युद्ध के बाद रावण का वध हो जाता है। जिस दिन रावण का वध हुआ था, उस दिन को दशहरे के रूप में संपूर्ण भारत में मनाया जाता है। दशहरे के पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।
रावण के वध के ठीक 20 दिनों बाद भगवान श्री राम अपनी जन्म भूमि अयोध्या लौटे थे। इसीलिए अयोध्या वासियों ने श्री राम के लौटने पर उनका स्वागत घी के दिए जलाकर किया था और तभी से दिवाली का यह त्यौहार मनाया जाता है।
दीपावली के दिन हुआ था माता लक्ष्मी का जन्म
हिंदू धर्म और शास्त्रों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि माता लक्ष्मी धन की देवी है। ऐसा भी कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मंथन के समय माता लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई थी और तभी से माता लक्ष्मी के जन्म के उपलक्ष में दीपावली का यह त्यौहार मनाया जाता है और यही कारण है कि दीपावली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
भगवान श्री हरि विष्णु ने बचाया था माता लक्ष्मी को
समुद्र मंथन के दौरान उत्पन्न हुई माता लक्ष्मी को असुर राज बाली ने कैद कर लिया था और माता लक्ष्मी को राजा बाली के कैद से छुड़ाने के लिए भगवान श्री हरि विष्णु ने पांचवा अवतार लिया, जो कि भगवान विष्णु का वामन अवतार कहा जाता है। वामन ने ही माता लक्ष्मी को कार्तिक अमावस्या के दिन राजा बाली के कैद से रिहा किया था और इस कारण से भी दीपावली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

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दीपावली के त्यौहार के बनाने के पीछे की अन्य पौराणिक मान्यताएं
जैन धर्म के अनुसार विशेष है यह दिन
जैन धर्म के लोगों के अनुसार पूजनीय और आधुनिक जैन धर्म के संस्थापक ऋषभदेव के द्वारा दीपावली के दिन ही निर्वाण प्राप्त किया गया था और यही कारण है कि जैन धर्म के लोगों के द्वारा भी इस दिन को विशेष रूप से मनाया जाता है।
सिख धर्म के लिए भी खास है यह दिन
सिख धर्म के लिए भी दिवाली का दिन अहम है। इसके पीछे कहानी है कि मुग़ल बादशाह ने सिखों के 6वें गुरु हरगोविंद सिंह जी को कैद कर लिया था। कहते है कि बादशाह को स्वप्न में किसी फ़क़ीर ने कहा कि गुरूजी को आज़ाद कर दो, जिसकी पालना करते हुए मुग़ल बादशाह ने उनको आज़ाद कर दिया। सिख समुदाय उनकी आज़ादी की ख़ुशी में यह त्यौहार मनाते है।
भगवान श्री कृष्ण ने किया था नरकासुर का वध
भारतीय मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि देवकीनंदन श्री कृष्ण ने दीपावली के दिन से एक दिन पहले ही नरकासुर राक्षस का वध किया था, इसी कारण से दीपावली के 1 दिन पहले से ही त्यौहार को मनाया जाता है।
इसी दिन हुआ था राजा विक्रमादित्य का राज्याभिषेक
राजा विक्रमादित्य का नाम आज भी आदर्श राजाओं में लिया जाता है, वे प्राचीन भारत के महान सम्राट थे। जनता के बीच विक्रमादित्य अपनी उदारता, साहस और विद्वानों के सरंक्षण के लिए जाने जाते थे। कहते है कि विक्रमादित्य का राज्याभिषेक कार्तिक माह की अमावस्या को हुआ था।
पांडवो के अपने राज्य में लौटने की ख़ुशी में
महाभारत की कहानी है कि कौरवों ने पांडवों को शकुनी मामा की चाल की मदद से शतरंज के खेल में पांडवों को हराया था, जिसके परिणामस्वरूप पांडवों को 13 वर्ष तक वन में जाना पड़ा था। कहते है कि इसी कार्तिक माह की अमावस्या को पाँचों पांडव वनवास अवधि पूरी कर फिर से अपने राज्य लौटे थे। जिसके स्वागत में राज्य के लोगों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था।
दीपावली को कहा जाता है फसलों का त्यौहार
दीपावली का त्यौहार किसानों के लिए बहुत ही बड़ा त्यौहार होता है। क्योंकि दीपावली का त्यौहार उसी समय आता है, जिस समय खरीफ की फसल पूरी तरह से पक जाती है और इसे काटने का समय आता है। किसान इस त्यौहार को अपनी समृद्धि का संकेत मानते हैं और इसीलिए दीपावली का त्यौहार बड़ी ही उत्साह के साथ मनाते हैं।
दीपावली को कहा जाता है हिंदू नव वर्ष का दिन
हिंदू व्यवसाई लोग दीपावली के साथ ही अपने नए साल को शुरू कर देते हैं और अपने व्यवसाय को इस दिन से ही अपने नए खाते को शुरू करते हैं। सभी व्यवसाई लोग अपने नए साल को शुरू करने से पहले अपने सभी ऋणों का भुगतान करते हैं और लोगों को दिए गए सभी धन को वापस भी लेते हैं।
आर्य समाज के लिए खास है यह दिन
भारतीय आर्य समाज की मान्यताओं के अनुसार भारतीय इतिहास में दीपावली के दिन 19वीं सदी के विद्वान महर्षि दयानंद जी को निर्वाण की प्राप्ति हुई थी। स्वामी दयानंद जी ने ही आर्य समाज की स्थापना की थी और दयानंद जी ने भाईचारे और इंसानियत को बढ़ावा दिया। इन्हीं सभी बातों को ध्यान में रखते हुए आर्य समाज के लोगों के लिए दिवाली का यह दिन बहुत ही खास है।
देवी शक्ति ने धारण किया था महाकाली का रूप
माता शक्ति ने राक्षसों के बढ़ते आतंक को देखकर राक्षसों का वध करने के लिए महाकाली का रूप धारण किया और राक्षसों का विनाश करने लगे उनके इस रूप से पूरे संसार में खलबली मच गई थी और महाकाली का क्रोध शांत नहीं हो रहा था।
इसीलिए भगवान शिव उनके सामने नीचे जाकर लेट गए और भगवान शिव के शरीर के एक स्पर्श के कारण ही माता महाकाली का क्रोध शांत हो गया और इसी कारण से दिवाली के त्योहार को शांत रूप से माता लक्ष्मी की पूजा करके मनाया जाता है। दिवाली की इसी रात को माता शक्ति के रौद्र रूप काली की पूजा भी की जाती है।
दिवाली का महत्व
- दिवाली के दिन ही माता लक्ष्मी की पूजा किया जाता है और ऐसा माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति सच्चे मन से दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करता है तो उसके घर पर धन की कभी भी कमी नहीं होती।
- दिवाली का त्यौहार विशेष रुप से बुराई पर अच्छाई की जीत के उपलक्ष में मनाया जाता है।
- दिवाली का दिन लोगों को यह याद दिलाता है कि सच्चाई और अच्छाई की हमेशा जीत होती है।
- दिवाली के दिन लोग एक दूसरे को उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं और एक-दूसरे को मिठाइयां खिलाकर मुंह मीठा भी करवाते हैं।
- दीपावली के दिन लोगों के व्यवहार काफी अच्छे होते हैं और लोगों के बीच प्यार बना रहे, इसलिए लोग एक दूसरे के गले भी लगते हैं।
- मान्यताओं के अनुसार दिवाली के दिन पटाखे जलाना बहुत ही शुभ होता है और इन पटाखों की आवाज लोगों की खुशी को दर्शाता है।
अन्तिम शब्द
हमने यहाँ पर दीपावली क्यों मनाया जाता है और दीपावली मनाने का कारण (Diwali Kyu Manaya Jata Hai) के बारे में विस्तार से बताया है। उम्मीद करते हैं कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी, इसे आगे शेयर जरूर करें। यदि आपका इससे जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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