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मां वैष्णो देवी की यात्रा कैसे करें? पूरी जानकारी

Mata Vaishno Devi Information in Hindi: मां वैष्णो देवी का मंदिर भारत के पवित्र तीर्थ स्थानों में से एक है, जिसका दर्शन करने के लिए हर साल करीबन करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। वैष्णो देवी मंदिर जम्मू कश्मीर कटरा से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

वैष्णो देवी मां की पवित्र गुफा समुद्र तल से 5200 फीट की ऊंचाई पर बनी हुई है और चौंकाने वाली बात यह है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं पर हमेशा मां वैष्णो देवी का आशीर्वाद बना रहता है, जिसके कारण बुड्ढे से बुड्ढे यात्री भी माता के मंदिर तक की कठिन चढ़ाई को आसानी से पार कर लेते हैं।

Mata Vaishno Devi Information in Hindi
मां वैष्णो देवी यात्रा की जानकारी

यदि आप भी मां वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए लालायित हैं तो आप बिल्कुल सही लेख पर आए हैं। क्योंकि इस लेख में हमने मां वैष्णो देवी की यात्रा से जुड़ी सारी जानकारी दी है, जिससे आपकी यात्रा सरल हो जाएगी।

विषय सूची

कटरा के दर्शनीय स्थल

जम्मू में वैष्णो देवी की यात्रा के दौरान आप अन्य दर्शन स्थलों को भी देखने का लुफ्त उठा सकते हैं। अन्य सभी दर्शनीय स्थल जम्मू से 50 किलोमीटर की दूरी पर कटरा में स्थित है। यहां पर हमने कटरा में स्थित वैष्णो देवी के अतिरिक्त अन्य दर्शनीय स्थलों के बारे में बताया है।

नौ देवी मंदिर

कटरा में नौ देवी मंदिर बहुत ही दर्शनीय स्थल हैं, जो शिवखोड़ी के रास्ते पर स्थित है। यह मंदिर कटरा से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जो एक प्राचीन स्थान है।

जहां पर एक छोटी सी गुफा बनी है, जिसमें नौ देवियों के पिंड भर्माचार्यिंनी देवी, चन्द्रघंता देवी, स्कंद देवी, कात्यायनी, शैलपुत्र देवी, कुष्मंद देवी, देवी, महाकाली देवी, महा गौरी देवी और सिद्धिदत्री देवी विराजमान है। इस मंदिर के अंदर प्रवेश करने के लिए भीतर लगभग लेट कर ही प्रवेश करना पड़ता है।

शिव खोरी (शिव खोड़ी)

शिव खोरी कटरा से 70 किलोमीटर की दूरी पर 150 मीटर लंबी गुफा है। इस गुफा के अंदर भगवान शिव की प्राकृतिक शिवलिंग बनी है, जिस पर बर्फ का पानी टपकते रहता है। शिवलिंग के ऊपर गाय के स्तन जैसी आकृति बनी हुई है।

शिवखोड़ी तक पहुंचने के लिए कटरा से बसे मिल जाती है और यह बस राणा 100 गांव तक चलती है क्योंकि बस वही तक पक्की सड़क बनी है। आगे का 4 किलोमीटर का रास्ता पैदल चलकर या आप चाहे तो घोड़े से भी तय कर सकते हैं। यह रास्ता ऊंची पहाड़ियों से घिरी टेढ़े मेढ़े रास्ते हैं और इन्हीं रास्तों से गुजर कर शिव खोड़ी की गुफा में प्रवेश किया जा सकता है।

हालांकि गुफा के अंदर प्रवेश करने का रास्ता भी बहुत संकीर्ण है। इस रास्ते से गुजरने के लिए यात्री को एक-एक करके सरक सरक के आगे बढ़ना पड़ता है। यहां तक कि कुछ जगहों पर तो घुटने के बल चलना पड़ता है लेकिन इस गुफा से बाहर निकलने के लिए दूसरा बड़ा रास्ता भी बनाया गया है, जिससे आसानी से गुफा से बाहर निकल सकते हैं।

बाबा धनसर

कटरा से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बाबा धनसर मंदिर एक बहुत ही खूबसूरत प्राकृतिक दृश्य उत्पन्न करता है। यहां पर एक छोटी सी गुफा है, जिसमें भगवान शिव जी की प्राकृतिक शिवलिंग निर्मित है। जिस पर पानी की बूंदे निरंतर गिरते रहती है और ऊपर से चट्टान में से झरने का पानी भी गिरता है, जो बहुत ही मनोरम दृश्य उत्पन्न करता है।

बाबा जित्तो मंदिर

बाबा जित्तो का मंदिर कटरा से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। माना जाता है बाबा जित्तो प्राचीन काल में मां वैष्णो देवी के परम भक्त हुआ करते थे। मां वैष्णो देवी के कन्या क्यों रूप में आया करती थी।

भूमिका मंदिर

भूमिका मंदिर वह स्थान है, जहां पर मां वैष्णो देवी का उनके परम भक्त पंडित श्रीधर से मुलाकात हुई थी और इसी स्थान से माता त्रिकूट पर्वत के लिए प्रस्थान हुई थी। इस स्थान पर एक मंदिर बना हुआ है और यह मंदिर कटरा रेलवे स्टेशन से 700 मीटर की दूरी पर स्थित है।

देवा माई मंदिर

कटरा से 4 किलोमीटर की दूरी पर जम्मू रोड़ पर स्थित देवी माई मंदिर वह स्थान है, जहां पर कन्या रूप में वैष्णो देवी निवास करती थी और इसी स्थान पर तपस्या किया करती थी।

मां वैष्णो देवी से जुड़ी पौराणिक कथा

कहा जाता है कि प्राचीन काल में भैरवनाथ नाम का एक तांत्रिक हुआ करता था, जो अपनी तांत्रिक शक्तियों से बहुत ही ज्यादा प्रभावकारी हो चुका था। जिसके बाद वह देवी देवताओं के भक्तों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया था। उसी समय सावली गांव में एक श्रीधर नाम का वैष्णो देवी का एक भक्त पंडित रहा करता था।

पंडित पर मां वैष्णो देवी की बहुत कृपा थी। जब भैरवनाथ को इसके बारे में पता चला तो वह अपने 360 शिष्यों के साथ श्रीधर पंडित के घर पर गया और उसने भंडारा आयोजित करने के लिए श्रीधर पंडित पर दबाव दिया। हालांकि श्रीधर पंडित गरीब था, जिस कारण वह चिंता में आ गया कि किस तरीके से वह गांव वालों के लिए आयोजित करेगा।

उसी समय वैष्णो देवी मां प्रकट होती है और वह श्रीधर पंडित को कहती है कि तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है, मैं सारी व्यवस्था कर दूंगी। जिसके बाद दूसरे दिन मां वैष्णो देवी कन्या का रूप धारण करती है और वह अपनी शक्तियों से सोने-चांदी के बर्तन सहित खाने-पीने की सारी सुविधा भंडारे के लिए करती है और फिर सभी गांव वालों को बुलाया जाता है।

भंडारे में भैरवनाथ भी आता है और फिर मां वैष्णो देवी कन्या रूप में उसे भोजन परोसने जाती है। तब भैरवनाथ कहता है कि मैं यह सात्विक भोजन ग्रहण नहीं करूंगा, मुझे मांस चाहिए। भैरवनाथ कन्या रूप में मां वैष्णो देवी को पहचान लिया था और मां वैष्णो देवी भी भैरवनाथ के चाल को समझ चुकी थी। जिसके बाद मां वैष्णो देवी त्रिकूट पर्वत की ओर चली गई लेकिन भैरवनाथ मां का पीछा करते-करते त्रिकूट पर्वत तक चला गया।

उसके बाद मां वैष्णो देवी एक गुफा में प्रवेश करती है और बाहर हनुमान जी को रक्षा के लिए खड़ा कर देती हैं और उस गुफा के अंदर में 9 महीने तक तपस्या करती है। आज वही गुफा अर्ध कुवारी के नाम से प्रसिद्ध है। माना जाता है कि उस समय हनुमान जी को प्यास लगती है तब मां वैष्णो देवी धनुष बाण चलाकर जल धारा का निर्माण करती है और आज वही जलधारा बानगंगा के नाम से जाना जाता है। जहां से मां वैष्णो देवी के दर्शन की यात्रा शुरू होती हैं।

उसके बाद भैरवनाथ भी माता को ढूंढते हुए अर्धकुवारी गुफा तक पहुंच जाता है, जिसके बाद माता वहां से त्रिकूट पर्वत वाली गुफा में चली जाती है। जब भैरवनाथ अर्धकुवारी गुफा तक बाहर जाता है तब माता उसके सिर पर इतनी जोर से प्रहार करती है कि उसका शिर 8 किलोमीटर की दूरी पर जाकर गिरता है और आज वही स्थान भैरवनाथ मंदिर के नाम से प्रख्यात है। माता ने भैरवनाथ का जिस स्थान पर वध किया था, उसे भवन कहा जाता है।

कहा जाता है कि जब भैरवनाथ अपने प्राण को त्याग रहा था तो उसने माता से क्षमा याचना मांगी। माता को उस पर दया आई। माता समझ गई थी कि भैरव नाथ की सारी योजना मोक्ष प्राप्ति करने के लिए थी, इसीलिए मां ने उसे आशीर्वाद देते हुए कहा कि मेरे दर्शन तब तक पूरे नहीं होंगे जब तक मेरे दर्शन के बाद कोई भी भक्त तुम्हारा दर्शन नहीं कर लेता।

इसीलिए जो भी मां वैष्णो देवी दर्शन करने के लिए जाता है, वहां मां वैष्णो देवी के दर्शन करने के बाद भैरोनाथ मंदिर का भी दर्शन करने के लिए जाता है तभी उनका दर्शन पूरा माना जाता है।

वैष्णो देवी जाने का सही समय क्या है?

वैष्णो देवी मंदिर भारत के उत्तरी राज्य जम्मू कश्मीर में त्रिकूट पहाड़ी पर स्थित है। ऐसे में वहां का मौसम अक्सर ठंड भरा रहता है। हालांकि वैष्णो देवी की यात्रा तो साल भर चलती है। भले ही वैष्णो देवी मंदिर तक पहुंचने की यात्रा कठिन भरी हो लेकिन लाखों श्रद्धालु प्रतिदिन कठिनाइयों का सामना करते हुए मां के दर्शन करने के लिए उनके मंदिर तक पहुंच ही जाते हैं।

लेकिन यहां पर बारिश और ठंडी के मौसम में जाने के लिए श्रद्धालुओं को कम ही सलाह दी जाती है। क्योंकि बारिश के दिनों में यहां तेज बारिश होने के कारण बहुत बार भूस्खलन की भी संभावना होती है। वहीं सर्दियों के मौसम में यहां का तापमान लगभग शून्य के नीचे चला जाता है।

ऐसे में सर्दियों के मौसम में जाने वाले श्रद्धालुओं को अपने साथ गर्म कपड़े ले जाने की सलाह दी जाती है। इस दौरान यहां पर इतना स्नोफॉल होता है कि श्रद्धालुओं को यात्रा करने में काफी ज्यादा कठिनाई होती है।

ऐसे में यदि आप वैष्णो देवी की यात्रा अच्छे से करना चाहते हैं तो सबसे अच्छा मौसम मई से लेकर सितंबर तक का है। क्योंकि यह गर्मियों का मौसम होता है और इस दौरान यहां का तापमान मध्यम होता है। ऐसे में आपको ज्यादा गर्म कपड़े भी पहनने की जरूरत नहीं पड़ती।

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वैष्णो देवी से कटरा कैसे पहुँचे?

मां वैष्णो देवी पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले जम्मू तक पहुंचना पड़ता है, जिसके लिए आप हवाई, सड़क या रेलवे तीनों में से किसी भी मार्ग का चयन कर सकते हैं।

रेल मार्ग

वैष्णो देवी मंदिर के दर्शन के लिए रेल मार्ग का चयन करना आपके लिए सस्ता माध्यम हो सकता है। वैष्णो देवी की सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन जम्मू और कटरा का रेलवे स्टेशन है। इन दोनों ही रेलवे स्टेशन तक भारत के विभिन्न बड़ी शहरों से ट्रेन आती-जाती है।

हवाई मार्ग

यदि आप वैष्णो देवी के दर्शन के लिए हवाई मार्ग चयन करना चाहते हैं तो वैष्णो देवी का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट जम्मू का रानीबाग एयरपोर्ट है। यहां से बस के माध्यम से वैष्णो देवी के बेस कैंप कटरा तक पहुंच सकते हैं, जिसकी दूरी करीबन 50 किलोमीटर है।

सड़क मार्ग

वैष्णो देवी की यात्रा के लिए सडक मार्ग भी अच्छा चयन हो सकता है। हर साल कई श्रद्धालुओं मां वैष्णो देवी के दर्शन के लिए अपनी निजी वाहन से कटरा पहुंचते हैं। जम्मू का भारत के विभिन्न शहरों से अच्छी तरीके से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। सड़क मार्ग के जरिए आप जम्मू तक पहुंच सकते हैं और जम्मू के बाद आप कटरा तक पहुंच सकते हैं।

कटरा से वैष्णो देवी भवन की यात्रा

आप किसी भी मार्ग का चयन करके जम्मू उसके बाद कटरा पहुंच सकते हैं। कटरा बस स्टैंड से 2 किलोमीटर की दूरी पर बाणगंगा स्थित है और यहीं से मां वैष्णो देवी भवन की यात्रा का आरंभ होता है। आप बस या ऑटो से बाणगंगा तक जा सकते हैं। वहां पर एक चेकपोस्ट बना हुआ है, जहां पर आपको यात्रा पर्ची दिखानी होती है। उसके बाद ही आप आगे जा सकते हैं।

बाणगंगा से वैष्णो देवी भवन 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और आगे का रास्ता पहाड़ी वाला है, यहां पर आपको पैदल चढ़कर जाना होता है। हालांकि यात्रा के दौरान खाने-पीने की भी व्यवस्था की गई है और यात्रा को सुलभ बनाने के लिए हेलीकॉप्टर, घोड़े, टट्टू, पालकी जैसी सुविधा वहां मिल जाती है।

कटरा से वैष्णो देवी भवन की यात्रा हेलीकॉप्टर के माध्यम से

यदि आप कटरा से वैष्णो देवी भवन तक जल्दी पहुंचने के लिए हेलीकॉप्टर की सवारी करना चाहते हैं तो इसके लिए आप श्राइन बोर्ड की वेबसाइट पर जाकर टिकट बुक करवा सकते हैं। हेलीकॉप्टर से कटरा से भवन तक पहुंचने के लिए आपको कटरा से हेलीपैड जाना पड़ेगा और इसकी दूरी कटरा बस स्टैंड से 2 किलोमीटर है।

यदि आप हेलीकॉप्टर बुक करवाए हैं तो भवन तक पहुंचने के दौरान आपके पास टिकट का प्रिंट आउट और पहचान पत्र अपने साथ जरूर रखें। वैसे भले ही हेलीकॉप्टर से वैष्णो देवी भवन पहुंचना बहुत ही आसान माध्यम है, लेकिन इसमें काफी समस्या भी होता है जैसे की कटरा पहाड़ी इलाका है और बहुत बार अचानक से मौसम में बदलाव आ जाने के कारण हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भरता है।

ऐसे हालात में आपको मौसम साफ होने का इंतजार करना होगा या फिर आपको टिकट कैंसिल करना होगा। दोनों में से एक ही विकल्प आपके पास रह जाता है। यदि आप टिकट कैंसिल करते हैं तो आपको फिर से वापस कटरा में आना पड़ता है। इस तरह हेलीकॉप्टर से सफर में आपको रिस्क भी लेने पड़ते हैं।

माता वैष्णो देवी की यात्रा के दौरान कहां पर ठहरे?

मां वैष्णो देवी की यात्रा के दौरान ठहरने के लिए वहां पर बहुत अच्छी सुविधा दी गई है। वहां पर श्राइन बोर्ड के तरफ से साफ-सुथरे धर्मशाला की सुविधा की गई है। वहां बड़े-बड़े होल भी हैं, जहां पर निशुल्क रूप से श्रद्धालु रह सकते हैं।

यहां पर डॉरमेट्री और किराए के रूम भी हैं, जिसके लिए आपको पहले से ही रिजर्वेशन करना पड़ता है। यहां पर आप किराए पर ब्लैंकेट भी ले सकते हैं। अपनी सारी कीमती सामान क्लॉक रूम में जमा करवा सकते हैं। दर्शन से पहले आपको चमड़े से बने सामग्री वहां जमा करनी होती है।

वैष्णो देवी के दर्शन के लिए पर्ची के लिए आवेदन प्रक्रिया

वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आपके पास पर्ची होना बहुत ही जरूरी है। वैष्णो देवी की यात्रा का प्रारंभ बानगंगा से होता है। जब हम बानगंगा पहुंचते हैं तो यहां पर एक जैकपोस्ट बना हुआ है। यहां से आगे उसी को आगे जाने दिया जाता है, जिसके पास पर्ची होता है।

यह पर्ची आप कटरा बस स्टैंड के पास बने काउंटर से मुफ्त में ले सकते हैं। यह काउंटर सुबह 7:00 बजे से लेकर रात के 10:00 बजे तक खुला रहता है और यह पर्ची 6 घंटे तक के लिए ही वैलिड रहता है। जैसे ही पर्ची आप निकाल लेते हैं 6 घंटे के अंदर चेकपोस्ट को पार कर लेना होता है।

वैष्णोदेवी यात्रा पर्ची और रूम की ऑनलाइन बुकिंग कैसे करें?

  • आप चाहे तो ऑनलाइन भी पर्ची बुक कर सकते हैं, इसके लिए आपको मां वैष्णो देवी के ऑफिशल वेबसाइट पर जाकर साइन अप करना पड़ेगा।
  • जैसी आप इस वेबसाइट पर जाएंगे, आपको वहां पर न्यू यूजर रजिस्ट्रेशन पर क्लिक करना होगा। जहां पर आप से बहुत सारी जानकारी मांगी जाएगी।
  • सभी डिटेल को भरने के बाद आपको यूजरनेम डालना है और उसके बाद पासवर्ड आपके ईमेल आईडी पर भेज दिया जाएगा।
  • इसी पासवर्ड की मदद से दोबारा इस वेबसाइट पर आकर आपको लॉगइन करना है।
  • उसके बाद यहां पर हम पेज पर आपको मैन्युबार में यात्रा पर्ची लिखा हुआ दिखाई देगा, उस पर क्लिक करना है।

यदि आप रूम बुकिंग करना चाहते हैं तो सबसे पहले तो आपको उपलब्धता के विकल्प पर जाना होगा, जहां पर आप तारीफ यात्रा की टाइप करनी होगी। उसके बाद आप देख पाएंगे कि आपके द्वारा जो तारीख दिया गया, उस तारीख पर कोई भी रूम खाली है कि नहीं।

उसके बाद आपको आपका नाम, माता पिता का नाम और भी बहुत सारी डिटेल भरने के बाद पूरा सेट टू बुक पर क्लिक करना होगा, इस तरह के सांप की पर्ची और रूम बुक हो जाएगा।

माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए चढ़ाई

माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए भले ही मार्ग चढ़ाई वाला हो लेकिन त्रिकूट पर्वत की चढ़ाई के द्वारा प्राकृतिक सुंदरता का भी आनंद ले सकते हैं। शुरुआत आप दर्शनी दरवाजा देखने से कर सकते हैं, जिसके बाद का अगला स्टॉप बाणगंगा नदी होगा।

माना जाता है इसी स्थान पर मां वैष्णो देवी ने अपने बाल को धोया था और अपनी प्यास बुझाई थी। उसके बाद आगे आप अर्ध कुमारी नामक स्थान पर पहुंचेंगे। माना जाता है इसी स्थान पर मां वैष्णो देवी ने 9 महीने तक भगवान शिव की तपस्या की थी और इसी स्थान पर भैरवनाथ ने उन्हें देखा था। जिसके बाद वे यहीं से गुफा के लिए निकलती हुई भवन तक पहुंचती है।

हालांकि मां के दर्शन करने के लिए बहुत लंबी कतार लगती है। रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद दर्शन का नंबर आने में करीबन 15 से 20 घंटे का समय लग जाता है। हालांकि श्राइन बोर्ड ने एक नया रास्ता भी बनाया है। इस रास्ते से आप ट्रैकिंग भी कर सकते हैं। यहां से भवन मात्र 6 किलोमीटर की दूरी पर है।

भवन पहुंचने के बाद लोग यहां आरती के लिए भी बुकिंग करते हैं। वैष्णो देवी की दर्शन करने आते हैं तो आरती का भी बहुत ही ज्यादा महत्व है। इसीलिए भवन पहुंचने के बाद आप आरती के लिए बुकिंग कर सकते हैं।

आरती करने के बाद आप भैरव घाटी जा सकते हैं। आपको वहां पर जाने में कठिनाई हो सकती है। यहां पर आप घोड़े या टट्टू के सहारे नहीं जा पाएंगे, इसके लिए आपको रोपवे की सवारी लेनी होगी।

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मां वैष्णो देवी की यात्रा से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

  • यात्रियों को वैष्णो देवी मंदिर तक पहुंचाने की पूरी जिम्मेदारी श्राइन बोर्ड की होती है। श्राइन बोर्ड की स्थापना 1986 में की गई थी। वैष्णो देवी की मंदिर और यात्रा से जुड़ी सभी प्रकार की व्यवस्था की जिम्मेदारी इसी बोर्ड की है। जब से इस बोर्ड की स्थापना हुई है तब से इस बोर्ड ने यात्रियों की सुविधा के लिए काफी सारा काम किया है, जगह जगह पर कैंप लगाए हुए हैं।
  • मां वैष्णो देवी यात्रा के दौरान आप ठहरने के लिए कटरा बस स्टैंड के पास या पार्वती भवन, माता के भवन के पास से आवास बुक करा सकते हैं।
  • यदि आप होटल में खाना चाहते हैं तो इसकी बुकिंग पहले ही करा लेना ज्यादा अच्छा रहेगा क्योंकि हर साल मां वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
  • मां वैष्णो देवी के दर्शन के लिए फौजियों के लिए एक स्पेशल एंट्रेंस भवन भी बनाया गया है, जहां पर दो-तीन घंटे में ही माता के दर्शन।
  • मां वैष्णो देवी की यात्रा के दौरान श्राइन बोर्ड के भोजनालय में सस्ते दाम पर खाने पीने की सुविधा दी जाती है।
  • मां वैष्णो देवी की यात्रा के दौरान वहां पर आपको अपना लगेज क्लॉक रूम में जमा करना पड़ता है।
  • यदि आपके साथ कोई वृद्ध व्यक्ति, विकलांग या कोई मरीज माता के दर्शन करने के लिए जा रहे हैं तो वहां पर आप बैटरी से चलने वाली ऑटो की सवारी भी ले सकते हैं, जिसकी कीमत प्रति व्यक्ति लगभग ₹300 होती है।
  • कटरा से माता वैष्णो देवी के मंदिर तक की यात्रा के दौरान हो सकता है, वहां पर आपको धोखेबाज लोग भी मिल सकते हैं। ऐसे लोगों से सावधान रहें क्योंकि बहुत से ऐसे लोग होते हैं, जो वहां पर मेरा वॉलेट खो गया है का बहाना बनाकर श्रद्धालुओं से पैसे मांगते हैं। यहां तक कि उनका पीछा तक करते हैं। यदि आपके साथ ऐसी कोई भी समस्या होती है तो आप वहां पर पुलिस स्टेशन में पुलिस की मदद ले सकते हैं।
  • जिनका आर्मी में कनेक्शन होता है, वह चाहे तो स्पेशल पास बनाकर जनरल लाइन से निकलकर माता का दर्शन बहुत ही जल्दी कर सकते हैं।
  • मां वैष्णो देवी के मंदिर तक पहुंचने वाले ट्रैक पर कई सारे डिस्पेंसरी और केमिस्ट की दुकानें भी हैं। यदि यात्रा के दौरान आपको किसी भी प्रकार की शारीरिक समस्या आती है तो वहां पर दवा खरीद सकते हैं या डॉक्टर से चेकअप करवा सकते हैं। यह सुविधा वहां 24 घंटे उपलब्ध रहती हैं।
  • मां वैष्णो देवी के मंदिर पहुंचने के बाद सबसे पहले चेकप्वाइंट पर निशुल्क भंडारा आयोजित होता है, वहां पर श्रद्धालुओं को गर्म और ताजा खाना दिया जाता है।
  • माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आए श्रद्धालु रेंट के अतिरिक्त निशुल्क आवास में भी रह सकते हैं।
  • मां वैष्णो देवी के मंदिर तक पहुंचने के लिए गुफा का मार्ग बहुत ही संकरा है। ऐसे में भीड़भाड़ और बहुत लंबी कतार होती है। बहुत धक्का-मुक्की भी लगता है लेकिन ऐसे में आपको आराम से चलने की जरूरत है। दर्शन में हो सकता है आपको 1 दिन का समय भी लग सकता है।

माँ वैष्णो देवी यात्रा से पहले की तैयारियां

जैसे हमने आपको पहले ही बताया है कि मां वैष्णो देवी का मंदिर बहुत ऊंचाई पर है और कटरा से लेकर मां वैष्णो देवी के मंदिर तक का रास्ता बहुत चढ़ाई वाला है। ऐसे में ऊंचाई के साथ आपकी शारीरिक स्थिति में भी परिवर्तन आ सकता है। आपको ऊपर तक की चढ़ाई करने में काफी ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी।

ऐसे में यदि आप पहली बार मां वैष्णो देवी की यात्रा करने जा रहे हैं तो आपको एक आध सप्ताह पहले से ही वॉकिंग और रनिंग का अभ्यास कर लेना चाहिए ताकि बाद में आपको दिक्कत ना हो। मां वैष्णो देवी की यात्रा से पहले आप अपना चेकअप जरूर करवा लें, जब आप शारीरिक रूप से फिट है तभी यात्रा के लिए जाएं।

मां वैष्णो देवी की यात्रा के लिए इन चीजों को साथ जरूर ले जाएं

मां वैष्णो देवी की यात्रा के दौरान मौसम का कोई भी अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। क्योंकि 5200 फीट की ऊंचाई पर स्थित वैष्णो देवी के मंदिर तक पहुंचते-पहुंचते तापमान में काफी ज्यादा बदलाव आने लगता है। ऐसे में यदि आप गर्मी के मौसम में भी जाते हैं तभी आपको ठंड महसूस हो सकती है।

इसीलिए आप चाहे सर्दी के मौसम में जा रहे हो या गर्मी के मौसम में अपने साथ गर्म कपड़े जरूर लेकर जाएं। सर्दी के मौसम में आपको बहुत ज्यादा गर्म कपड़े लेकर जाने की जरूरत है। यहां पर कभी भी बारिश हो सकती है। ऐसे में आपके पास रेनकोट होना जरूरी है।

कटरा से लेकर मां वैष्णो देवी के मंदिर तक के पहुंचने का रास्ता काफी चढ़ाई वाला है। ऐसे में आपके जूते की पकड़ अच्छी होनी चाहिए ताकि आपको चलने में आरामदेय महसूस हो। हालांकि वैष्णो देवी की यात्रा के दौरान यहां पर कंबल की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है, जिसे आप किराए पर ले सकते हैं।

मां वैष्णो देवी के यात्रा के लिए यदि आपने पहले से रजिस्ट्रेशन करवा लिया है तो अपने साथ यात्रा स्लिप जरूर ले जाए वरना इसके बिना बानगंगा के आगे नहीं जाने दिया जाएगा।

FAQ

मां वैष्णो देवी की यात्रा की दूरी कितनी है?

मां वैष्णो देवी तक पहुंचने के लिए कटरा से पैदल चलना पड़ता है, जो 14 किलोमीटर तक की दूरी है।

मां वैष्णो देवी के मंदिर पहुंचने के लिए कितनी सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है?

मां वैष्णो देवी का मंदिर बहुत ही ऊंचा ई पर पहाड़ों के ऊपर है और वहां तक पहुंचने के लिए लगभग 35000 से 45000 तक सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है।

वैष्णो देवी की यात्रा के दौरान कैसे कपड़े पहने चाहिए?

वैष्णो देवी की यात्रा के दौरान सलवार कमीज जैसे हल्के पोशाक पहन सकते हैं, जिससे ज्यादा आरामदायक महसूस होगा। हालांकि मौसम ठंडा होने के कारण उसके ऊपर स्वेटर, जैकेट जैसे गरम कपड़े भी पहन सकते हैं।

मां विष्णो देवी का विवाह किनसे हुआ है?

माना जाता है त्रेता युग में भगवान राम ने कलयुग में कल्की रूप में आकर माता वैष्णो देवी से विवाह करने का वरदान दिया था।

वैष्णो देवी के पुजारी कौन है?

माना जाता है प्राचीन काल में श्रीधर नाम के एक पुजारी मां वैष्णो देवी के परम भक्त थे और उनके वंशज अमीर चंद पुजारी जी है, जिनके परिवार के सदस्य वैष्णो देवी की पूजा करते हैं।

मां वैष्णो देवी की यात्रा पूरा करने में कितना समय लगता है?

मां वैष्णो देवी की यात्रा करना भले ही बहुत कठिन हो लेकिन हर साल एक करोड़ से भी ज्यादा श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में मां वैष्णो देवी की यात्रा को पूरा करने में लगने वाला समय मौसा, भिडभाड और यात्री के चलने की स्पीड पर निर्भर करता है। हालांकि अब मां वैष्णो देवी की यात्रा में कई सारी सुविधाएं भी जोड़ी गई है, जिससे यात्रा में थोड़ा सा आराम मिला है। जैसे पहाड़ के रास्ते को काटकर प्लेन रास्ता बना दिया गया है। इसके अतिरिक्त चढ़ाई के दौरान पूरे रास्ते में जगह-जगह पर खाने पीने की सुविधा की गई है और यह व्यवस्था 24 घंटे रहती है।

कटरा क्या है?

कटरा जम्मू का छोटा सा शहर है, जो जम्मू से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह जगह वैष्णो देवी के बेस कैंप के रूप में काम करता है।

कटरा से वैष्णो देवी की दूरी कितनी है?

17.5 किलोमीटर

निष्कर्ष

आज के लेख में आपने भारत का पवित्र तीर्थ स्थान मां वैष्णो देवी की यात्रा से जुड़ी तमाम जानकारी (Mata Vaishno Devi Information in Hindi) हासिल की। हमें उम्मीद है कि आज का यह लेख आपके लिए जानकारी पूर्ण रहा होगा।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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