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अहिल्याबाई होल्कर का जीवन परिचय और इतिहास

Biography of Ahilyabai Holkar in Hindi: अहिल्याबाई होल्कर साधारण से किसान के घर पैदा हुई एक महिला थी, जिन्होंने सदैव अपने राज्य और वहां के लोगों के हित में ही कार्य किया। उनके कार्य की प्रणाली बहुत ही सुगम एवं सरल है अर्थात इन्होंने अपने राज्य के लोगों के साथ बड़े ही प्रेम पूर्वक एवं दया के साथ व्यवहार किया।

Biography of Ahilyabai Holkar in Hindi
Image: Biography of Ahilyabai Holkar in Hindi

आज के इस लेख में हम अहिल्याबाई के जीवन परिचय (Ahilyabai Holkar in Hindi) के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्राप्त करेंगे और इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि अहिल्याबाई ने किन परिस्थितियों का सामना करके अपने राज्य की रक्षा की।

अहिल्याबाई होल्कर का जीवन परिचय | Biography of Ahilyabai Holkar in Hindi

अहिल्याबाई होल्कर जीवनी एक नज़र में

अहिल्याबाई के विषय में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु (Ahilyabai Holkar ka Jeevan Parichay):

नामअहिल्याबाई होल्कर
अन्य नाममहारानी अहिल्याबाई होल्कर
पिता का नाममनकोजी
माता का नाम
जन्म तारीख31 मई 1725
जन्म स्थानमहाराष्ट्र राज्य के चौंढी नामक गांव
पति का नामखंडेराव होल्कर
उम्र –
पताइंदौर
स्कूलघर पर
कॉलेज
शिक्षाराजकीय शिक्षा
कुल सम्पति
भाषामराठी
नागरिकताभारतीय
धर्महिन्दू
जातिमराठी
Ahilyabai Holkar Biography in Hindi

अहिल्या बाई कौन थी?

अहिल्याबाई होल्कर इंदौर घराने की महारानी थी। अहिल्याबाई होल्कर अपने देश की सेवा, सादगी एवं मातृभूमि के लिए बहुत ही अच्छी साबित हुई। अहिल्याबाई एक स्त्री होने के कारण भी उन्होंने न केवल नारी जाति के विकास के लिए कार्य किए बल्कि समस्त पीड़ित मानवों के लिए कार्य किया।

अहिल्याबाई होल्कर की इसी कार्यप्रणाली को देख कर के वहां के लोग अहिल्याबाई होल्कर को अपना भगवान मानते थे। अहिल्याबाई होल्कर ने पीड़ित लोगों के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। अहिल्याबाई होल्कर एक उज्जवल चरित्र वाली पतिव्रता स्त्री, उदय विचारों वाली महिला और ममतामई मां के रूप में साबित हुई।

अहिल्याबाई होल्कर का जन्म

अहिल्याबाई होल्कर का जन्म वर्ष 31 मई 1725 को महाराष्ट्र राज्य के चौंढी नामक गांव (जामखेड, अहमदनगर) में हुआ था। वह एक सामान्य से किसान की पुत्री थी। उनके पिता मान्कोजी शिन्दे के एक सामान्य किसान थे। सादगी और घनिष्ठता के साथ जीवन व्यतीत करने वाले मनकोजी की अहिल्याबाई एकमात्र अर्थात इकलौती पुत्री थी।

अहिल्याबाई बचपन के समय में सीधी साधी और सरल ग्रामीण कन्या थी। अहिल्याबाई होल्कर भगवान में विश्वास रखने वाली औरत थी और वह प्रतिदिन शिवजी के मंदिर पूजन आदि करने आती थी।

अहिल्याबाई का सामान्य औरत से महारानी बनने तक का सफर

इंदौर के महाराजा मल्हार राव होल्कर का वहां आना जाना लगा रहता था। एक बार मल्हार राव होल्कर पुणे जा रहे थे, वह विश्राम करने के लिए पादरी गांव के एक शिव मंदिर पर विश्राम करने के लिए रुके। उसी मंदिर पर अहिल्याबाई होल्कर प्रतिदिन पूजा अर्चना करने आती थी।

अहिल्याबाई बहुत ही सुंदर उनके मुख मंडल पर देवी जैसा तेज और सादगी एवं सुलक्ष्णता थी। अहिल्याबाई होल्कर को देखकर मल्हार राव ने उन्हें अपनी पुत्रवधू बनाने का निश्चय किया। इस कारण उन्होंने अहिल्याबाई होल्कर के पिता से निवेदन किया। अहिल्याबाई होल्कर के लिए मल्हार राव होल्कर के पुत्र के विवाह प्रस्ताव को सुनकर के अहिल्या की पिता ने हां कर दिया।

कुछ ही दिनों बाद अहिल्याबाई होल्कर का विवाह मल्हार राव होल्कर के पुत्र खंडेराव होल्कर के साथ हो गया। इस विवाह के संपन्न होने के बाद अहिल्याबाई अब एक ग्रामीण कन्या से इंदौर राज्य की महारानी बन गई। अहिल्याबाई होल्कर राजमहल पहुंचने के बाद भी उन्होंने अपनी पुराने जीवन की सादगी एवं सरलता को नहीं त्यागा।

वह बहुत ही अच्छे विचारों वाली महिला थी। वह अपने पति, सास-ससुर और अपने बड़ों की सेवा पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी के साथ करती थी। उनकी इस निष्ठा को देख कर के मल्हार राव होल्कर ने उन्हें शिक्षित बनाने के लिए उनके शिक्षा का प्रबंध उन्होंने घर पर ही कर दिया।

अब अहिल्याबाई अशिक्षित अहिल्याबाई होल्कर से शिक्षित अहिल्याबाई हो गई। जब अहिल्याबाई ने अपने शैक्षणिक योग्यता को प्राप्त कर लिया, तब मल्हार राव होल्कर के द्वारा उन्हें राजकीय शिक्षा भी प्रदान कराया गया। मल्हार राव होल्कर अपने पुत्र की अपेक्षा अपनी पुत्रवधू पर अत्यधिक भरोसा करते थे।

विवाह के कुछ वर्षों बाद अहिल्याबाई ने एक पुत्र और एक पुत्री को जन्म दिया। अहिल्याबाई होल्कर के पुत्र का नामकरण मल्हार राव होल्कर के द्वारा किया गया। उन्होंने अहिल्याबाई होल्कर के पुत्र का नाम मालेराव तथा उनकी पुत्री का नाम मुक्ताबाई रखा। जब अहिल्याबाई ने अपने पुत्रों को जन्म दिया था, उस समय मराठी हिंदू राज्य की विस्तार में लगे हुए थे।

मराठा साम्राज्य के शासक अन्य राजाओं से चौथ वसूला करते थे किंतु भरतपुर के लोगों ने चौथ देने से मना कर दिया। इस बात से गुस्सा हो करके मल्हार राव ने अपने पुत्र खंडेराव होल्कर के साथ भरतपुर राज्य पर आक्रमण कर दिया। मल्हार राव होल्कर ने इस युद्ध में विजय तो प्राप्त कर ली परंतु उनके पुत्र खंडेराव होल्कर की मृत्यु हो गई। खंडेराव होल्कर की मृत्यु के बाद अहिल्याबाई होल्कर लगभग 29 वर्ष की उम्र में ही विधवा हो गई।

वह पति की मृत्यु के बाद स्वयं को समाप्त करना चाहती थी परंतु उनके ससुर ने उन्हें ऐसा करने से रोका। अहिल्याबाई होल्कर को व्यस्त रखने के लिए मल्हार राव होल्कर ने सारा राजपाट अहिल्याबाई होल्कर को सौंप दिया। परंतु अहिल्याबाई होल्कर ने अपने 17 वर्ष के पुत्र मल्हार राव को सिंहासन पर बैठा दिया और स्वयं उनकी संरक्षिका बन कर उनका ध्यान रखती थी।

इसी बीच उत्तर भारत में हो रहे एक अभियान में मल्हार राव ने सहभागिता की और इसी अभियान में कानवी पीड़ा के कारण महाराज मल्हार राव होल्कर की मृत्यु हो गई।

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अहिल्याबाई होलकर के कार्य

अहिल्याबाई होल्कर ने अपने पति और ससुर की मृत्यु हो जाने पर उनकी स्मृति में इंदौर राज्य तथा अन्य राज्यों में विधवाओं, अनाथो, अपंग लोगों के लिए आश्रम बनवाएं।

अहिल्याबाई होल्कर ने ही कन्याकुमारी से लेकर हिमालय तक अनेक मंदिर, घाट, तालाब, दान संस्थाएं, भोजनालय, धर्मशालाएं, बावरियां इत्यादि का निर्माण करवाया। अहिल्याबाई होल्कर ने ही काशी के प्रसिद्ध मंदिर काशी विश्वनाथ और महेश्वर मंदिर तथा वहां पर स्थित घाटों को बनवाया।

इसके अतिरिक्त उन्होंने साहित्यकार कलाकार और गायकों को भी बढ़ावा दिया। अहिल्याबाई होल्कर ने अपने राज्य की रक्षा करने के लिए महिला सैन्य टुकड़ीया बनवायी तथा अनुशासित सैनिकों को भी रखा। इनके इन टुकड़ियों में ऐसे प्रशिक्षित सैनिक थे जिन्हें यूरोप और फ्रांसीसी शैली में प्रशिक्षण प्राप्त करवाया गया था।

अहिल्याबाई के समय देश के अनेक हिस्सों में शासन कर रहे राजाओं द्वारा प्रजा ऊपर काफी अत्याचार होता था लेकिन अहिल्याबाई उन लोगों के लिए मसीहा बनकर आई। इन्होंने हमेशा ही झूठे मोह का त्याग करके लोगों के भलाई के लिए काम किया और सही न्याय किया।

इन्होंने मरते दम तक लोगों के न्याय के लिए काम किया, इसीलिए लोगों ने इन्हें देवी समझ लिया था। उस वक्त जब चारों तरफ गरीब और निस्सहाय लोगों के साथ अत्याचार हो रहे थे, उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा था, किसान मजदूरों पर जमींदार द्वारा शोषण हो रहा था, औरतों की स्थिति दिन प्रतिदिन बदतर होती जा रही थी, ऐसी स्थिति में अहिल्याबाई ने उन लोगों के भलाई के बारे में सोचा और उनके भलाई के लिए अनेकों कार्य किया।

वह हर दिन अपने प्रजा से बात करती थी, उनकी समस्याओं को सुनती थी और उन्हें हल करती थी। वह बिना भेदभाव के न्याय पूर्वक निर्णय देती थी। उनके राज्य में जाति के नाम पर भेदभाव की मान्यता नहीं थी। वह सभी प्रजा को एक समान समझती थी। उनके शासनकाल में साम्राज्य का काफी विकास हुआ।

अहिल्याबाई के समय विधवा के लिए कई कायदे कानून और कड़े नियम थे। अहिल्याबाई ने उन सभी नियमों का विरोध करते हुए विधवाओं को उनका हक दिलाया। उन्होंने उस समय भी महिलाओं की शिक्षा पर काफी जोड़ दिया क्योंकि वह जानती थी कि शिक्षित महिलाएं समाज का विकास कर सकती है और वह हर प्रकार के समस्याओं को हल करने में खुद के ऊपर निर्भर रह सकती है।

अहिल्याबाई बुद्धिमान तिक्ष्ण सोच वाली शासक थी, जो मानती थी कि प्रजा ईश्वर के द्वारा दी हुई धरोहर स्वरूप निधि है। वह कभी भी अपने आप को प्रजा से ऊपर नहीं समझती थी। यहां तक कि प्रजा ही उनके लिए सबसे ऊपर थे। वह प्रजा का पालन संतान की तरह करने कोई राजधर्म मानती थी। उनका मानना था कि यदि प्रजा संतुष्ट है तो राज्य का कार्य सही से हो रहा है। एक राजा अपने राज्य को चलाने में तभी सार्थक है जब उसके राज्य में सभी प्रजा सुखी हैं।

अहिल्याबाई होल्कर से जुड़े मतभेद

कई इतिहासकार अहिल्याबाई होलकर के कार्य को लेकर आलोचना करते हैं। उनका मानना है कि अहिल्याबाई ने अपने धर्म के विकास में अपना अहम योगदान दिया। उनके लिए हिंदू धर्म सर्वोपरि था और अपने समय में इन्होंने सनातन धर्म के लिए अनेकों बड़े कार्य किए, कई मंदिर बनवाए और वह मंदिलों पर अंधाधुंध पैसा खर्च किया और दान दिया।

इस तरह कुछ आलोचक उन्हें रूढ़ीवादी मानती थे, उनका मानना था कि अहिल्याबाई अंधविश्वास को बढ़ावा देती थी ना कि वह अपनी सेना को मजबूत बनाने का कार्य करती थी।

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अहिल्याबाई होल्कर की मृत्यु

अहिल्याबाई होल्कर की मृत्यु 13 अगस्त सन 1795 ईसवी को इंदौर राज्य में ही हुई थी। अहिल्याबाई होल्कर की मृत्यु कब हुई थी, उस दिन की तिथि भाद्रपद कृष्णा चतुर्दशी था।

देश में अहिल्याबाई का स्थान और उन्हें दिए गए सम्मान

अहिल्याबाई का नाम बहुत सम्मान के साथ लिया जाता है। इन्होंने देश के अन्य हिस्सों में लोगों की भलाई के लिए जो काम किया ऐसी महान और निडर अहिल्याबाई के व्यक्तित्व से परिचित कराने के लिए अलग-अलग राज्यों की पाठ पुस्तकों में उनका अध्याय मौजूद है ताकि आज के पीढ़ी भी इतिहास की ऐसी निडर और महान नारी के बारे में जान सके।

अहिल्याबाई होल्कर के महान कार्यों के कारण ही भारत सरकार द्वारा उनके नाम पर अवार्ड भी जारी किया गया। उनके नाम पर डाक टिकट भी जारी किए गए। 25 अगस्त 1996 को भारत सरकार ने अहिल्याबाई होलकर को सम्मानित भी किया था।

यहां तक कि उत्तराखंड सरकार द्वारा अहिल्याबाई होलकर भेड़ बकरी विकास योजना शुरू किया ताकि उत्तराखंड में रह रहे आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को मजबूत बनाया जा सके। इस योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर लोग अपनी स्थिति को मजबूत बनाने के लिए भेड़ बकरी पालने की यूनिट का निर्माण कर सकते हैं और इसके निवेश की रकम सरकार देगी। हर साल 31 मई को अहिल्याबाई जयंती मनाई जाती है।

अहिल्याबाई के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

अहिल्याबाई भगवान शिव के प्रति समर्पण भाव रखती थी। वह भगवान शिव की अपार भक्त थी यही कारण है कि वह अपने राज्य में जारी रुपयों पर शिवलिंग और बेलपत्र का चित्र अंकित करवाती थी और पैसों पर नंदी का चित्र अंकित होता था। यहां तक कि जब वह राजाज्ञा पर हस्ताक्षर करती थी तो अपना नाम लिखने के बजाय पत्र के नीचे केवल श्री संकर लिखती थी।

इसका इतना प्रभाव पड़ा कि उनके बाद इंदौर के सिंहासन पर जितने भी नरेश आए उनकी राजाज्ञा तब तक जारी नहीं होती थी जब तक श्री शंकर का नाम उस पर न लिखा जाए।

अहिल्याबाई के शासन से पहले जो भी राज्य शासन पर आया, वह प्रजा पर काफी अत्याचार किया करते थे। यहां तक कि गरीबों को अन्न के लिए तरसाते थे, उन्हें भूखे रखकर काम करवाते थे और इन सब अत्याचारों को खत्म करने के लिए अहिल्याबाई ने गरीबों को अन्न देने की योजना बनाई लेकिन कुछ क्रूर राजाओं ने इसका विरोध किया लेकिन निडर अहिल्याबाई उनसे नहीं डरी और अपने निर्णय पर डटी रही। यही कारण है कि अहिल्याबाई को लोग देवी के रूप में पूजने लगे थे।

मात्र 12 वर्ष की उम्र में ही अहिल्या बाई का विवाह सूबेदार मल्हार राव होलकर के पुत्र खंडेराव से हो गया था। लेकिन 19 वर्ष की उम्र में अहिल्याबाई विधवा हो गई।

अहिल्या बाई ने एक पुत्र को जन्म दिया था, जिसका नाम मालीराम था और उसके 3 वर्ष के बाद उन्होंने एक बेटी को भी जन्म जन्म दिया जिसका नाम मुक्ताबाई रखा गया।

अहिल्याबाई के मराठा प्रांत पर शासन करने के पहले ऐसा नियम था कि जो औरत विधवा है और उसका कोई संतान नहीं है तो उसकी सारी संपत्ति राज्यकोष या सरकारी खजाने में जमा हो जाएगा। लेकिन अहिल्याबाई ने इस नियम का विरोध किया और पति की मृत्यु के बाद विधवाओं को अपने पति की संपत्ति लेने का हकदार बनाया।

अहिल्याबाई ने अपने जीवन में कई सारी परेशानियों को झेला। लेकिन उन्होंने जिस तरीके से अदम्य नारी शक्ति का परिचय दिया वह प्रशंसनीय है और आज की महिलाओं के लिए वह प्रेरणा स्त्रोत है और आगे भी बनी रहेंगी।

अहिल्याबाई का कोई उत्तराधिकारी ना होने की स्थिति में प्रजा को दत्तक लेने का अधिकार दिया था।

अहिल्याबाई होलकर अपने पति से अत्यधिक प्रेम करती थी और जब उनके पति की मौत हो गई तब इन्होंने सती होने का फैसला किया था। परंतु इनके ससुर मल्हार राव होलकर ने इन्हें सती होने से रोक लिया और इन्हें प्रजा की भलाई के लिए राज्य के सिंहासन पर इनको बैठा दिया।

अहिल्याबाई होल्कर पर आधारित धारावाहिक

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि अहिल्याबाई होल्कर की जीवनी पर आधारित एक धारावाहिक भी बना है। इस धारावाहिक को सोनी टीवी चैनल पर टेलीकास्ट किया गया है। इस चैनल पर टेलीकास्ट किए जाने वाले इस धारावाहिक का नाम पुण्यश्लोक अहिल्याबाई है। इस शो की शुरुआत 4 जनवरी 2021 से हो गई है, यह शो प्रति सप्ताह सोमवार से शुक्रवार तक प्रसारित होता है।

अहिल्याबाई धारावाहिक में चाइल्ड बॉलीवुड एक्टर कृष चौहान अहिल्याबाई होल्कर के पति खंडेरा होल्कर का किरदार निभाया है। उन्होंने यह भी कहा है:

“मैं बहुत उत्साहित हूं क्योंकि मुझे लीजेंडरी अहिल्याबाई होल्कर के पति का रोल निभाने का मौका मिल रहा है। मैं हमेशा ही किसी पीरियड ड्रामा का हिस्सा बनना चाहता था और मुझे खुशी है कि मुझे यह अवसर मिला। यह रोल बड़ा चैलेंजिंग है और मैं अपना 100% देने के लिए पूरी कोशिश करूंगा। यह मेरे लिए भी कुछ नया है इसलिए मुझे अपने इस रोल पर दर्शकों की प्रतिक्रिया देखने का इंतजार रहेगा। यह वाकई एक शानदार शो है जो दर्शकों पर गहरा असर करेगा।”

FAQ

अहिल्याबाई के पति का नाम क्या था?

अहिल्याबाई के पति का नाम खंडेराव होल्कर था।

अहिल्याबाई किस राज्य की महारानी थी?

अहिल्याबाई होलकर मराठा साम्राज्य की प्रसिद्ध महारानी थी, इन्होंने माहेश्वर को राजधानी बनाकर शासन किया।

अहिल्याबाई के पिता का नाम क्या था?

अहिल्याबाई के पिता का नाम मनकोजी था।

महारानी अहिल्याबाई के किन-किन कार्यों से महेश्वर प्रसिद्ध हुआ?

अहिल्याबाई होल्कर ने अपने पति और ससुर की मृत्यु हो जाने पर उनकी स्मृति में इंदौर राज्य तथा अन्य राज्यों में विधवाओं, अनाथो, अपंग लोगों के लिए आश्रम बनवाएं। अहिल्याबाई होल्कर ने ही कन्याकुमारी से लेकर हिमालय तक अनेक मंदिर, घाट, तालाब, दान संस्थाएं, भोजनालय, धर्मशालाएं, बावरिया इत्यादि का निर्माण करवाया।

अहिल्याबाई होल्कर जन्म तारीख क्या है?

31 मई 1725

अहिल्याबाई को लोग देवी का स्वरूप क्यों मानते थे?

अहिल्याबाई के समय में राज्य के प्रजा के ऊपर काफी अत्याचार होते थे, गरीबों की स्थिति काफी खराब थी, महिलाओं पर भी काफी अत्याचार होता था। अहिल्याबाई ने जब राज्य का शासन अपने हाथों लिया तो उन्होंने अपने प्रजा की भलाई के लिए सोचा और उनके विकास में कई अनेकों अच्छे कार्य किए। यही कारण है कि अहिल्याबाई को लोग देवी का स्वरूप मानते थे और आज भी उन्हें सम्मान के साथ याद किया जाता है।

अहिल्याबाई होलकर का जन्म कहाँ हुआ?

महाराष्ट्र राज्य के चौंढी नामक गांव (जामखेड, अहमदनगर)

अहिल्याबाई होलकर की मृत्यु कैसे हुई?

अहिल्याबाई होल्कर की मृत्यु 13 अगस्त सन 1795 ईसवी को इंदौर राज्य में ही हुई था। अहिल्याबाई होल्कर की मृत्यु कब हुई थी, उस दिन की तिथि भाद्रपद कृष्णा चतुर्दशी था।

अहिल्याबाई के कितने पुत्र थे?

2, मालेराव (पुत्र) और मुक्ताबाई (पुत्री)

अहिल्याबाई होल्कर कौन सी जाति की थी?

अहिल्याबाई होल्कर धनगर की थी।

निष्कर्ष

इस लेक के माध्यम से हमने आपको अहिल्याबाई होल्कर किस प्रकार से साधारण स्त्री से महारानी बनी और अहिल्याबाई होलकर का इतिहास (Ahilyabai Holkar History in Hindi) विस्तार से बताया है।

हमें उम्मीद है कि आप यह लेख अहिल्या बाई का जीवन परिचय (Biography of Ahilyabai Holkar in Hindi) पढ़ने के बाद अहिल्याबाई से अवश्य ही प्रेरित होंगे। यदि आपको पसंद आया हो तो कृपया इसे शेयर करें। यदि आपका इस लेख से जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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