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जोधा अकबर का जीवन परिचय

Jodha Akbar Biography in Hindi: जोधा बाई मध्यकालीन इतिहास के प्रतिष्ठित मुगल शासक अकबर की पत्नी थी। अकबर के शासनकाल में हिंदू और मुस्लिम संस्कृति का संगम देखने को मिलता है। अकबर के शासनकाल में हिंदू और मुस्लिम दोनों की संस्कृति को समान दर्जा दिया गया है।

हालांकि मन में यह प्रश्न जरूर आता है कि आखिर इतना बड़ा और शक्तिशाली मुस्लिम शासक हिंदू संस्कृति से इतना प्रेम क्यों करता था? इसका कारण है जोधा बाई, अकबर की तीसरी पत्नी जो धर्म से हिंदू थी और विवाह के बाद भी इन्होंने हिंदू संस्कृति को नहीं छोड़ा और ना ही अकबर ने इन्हें मुस्लिम धर्म को अपनाने के लिए जोर दिया।

Jodha Akbar Biography in Hindi
Image: Jodha Akbar Biography in Hindi

मुगल शासक अकबर और जोधा की प्रेम कहानी बड़े ही रोचक भरी है। उनके प्रेम कहानी पर अब तक कई फिल्म और टेलीविजन धारावाहिक बन चुके है। हालांकि इनका विवाह पूरी तरह से राजनीतिक था फिर भी इन दोनों के रिश्ते में काफी प्रेम था।

लेकिन कुछ इतिहासकार इसे सच नहीं बताते हैं। उनका मानना है कि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है। हालांकि सच क्या है हमें नहीं पता लेकिन आज के इस लेख में हम जोधा अकबर के जीवन से संबंधित महत्वपूर्ण बातें जानने वाले हैं, तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

जोधा अकबर का जीवन परिचय (Jodha Akbar Biography in Hindi)

अकबर की जीवनी

जोधाबाई के बारे में जानने से पहले हम थोड़ा सा उनके पति यानी कि महान मुगल सम्राट अकबर के बारे में जान लेते हैं, जिनका पूरा नाम मोहम्मद जलाल्लुद्दीन था। मुगल शासकों में अकबर सबसे महान और सफ़ल सम्राट था।

हिंदू और मुस्लिम दोनों ही संस्कृति से इसे प्यार होने के कारण अकबर को जिल–ए-लाही के नाम से नवाजा गया था। यह हुमायूं और हमीदा बानो बेगम का पुत्र था।

अकबर की सात रानियां थी लेकिन उनमें से उनकी तीसरी रानी जोधा बाई और अकबर की प्रेम कहानी काफी ज्यादा प्रचलित है। टीवी सीरियल में भी इन दोनों के रिश्ते पर ज्यादा प्रकाश डाला गया है।

जोधाबाई और अकबर का विवाह राजनीतिक तरीके से हुआ था लेकिन इन दोनों के रिश्ते में काफी प्यार था। जोधाबाई हिंदू धर्म से थी फिर भी उन्होंने अपनी संस्कृति को कभी छोड़ा नहीं और अकबर ने भी कभी जोधाबाई को मुस्लिम संस्कृति को अपनाने के लिए नहीं कहा।

जोधाबाई के कारण ही अकबर ने हिंदू संस्कृति को सम्मान देना शुरू किया, जो उनके शासनकाल के दौरान बनाए गए मंदिर और मस्जिदों के नक्काशी से पता चलता है।

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जोधा की जीवनी

जोधा बाई राजपूत हिंदू थी। इनका जन्म 1 अक्टूबर 1542 को जयपुर के शासक राजा भारमल के यहां पर हुआ था। इनका असली नाम हरकाबाई था। इन्हें हीरा कुम्वारी और मरियम उज जमानी के नाम से भी जाना जाता था।

जोधाबाई बचपन से ही काफी चतुर और हिम्मत वाली महिला थी। 1562 में इनका विवाह मुगल सम्राट अकबर से हुआ, जिसके बाद इन्हें जोधा बेगम के नाम से बुलाया जाने लगा।

जोधाबाई और अकबर का विवाह

अकबर एक शक्तिशाली मुगल बादशाह था। इसकी सेना काफी विशाल थी। इसने सेना के बलबूते मध्यकाल में कई राज्यों को पराजित करके उनके साम्राज्य को अपने अधीन किया था। उसके दौरान इसका सबसे बड़ा शत्रु राजपूताना था। यही कारण था कि अकबर और महाराणा प्रताप का हल्दीघाटी युद्ध हुआ था।

अकबर साम्राज्य को अपने अधीन करने के लिए सबसे ज्यादा समझौते की नीति को पसंद करता था। हालांकि एक विशाल सेना और एक शक्तिशाली शासक होने के कारण अकबर सैन्य बल से आसानी से किसी भी साम्राज्य पर अपना परचम फहरा सकता था।

लेकिन युद्ध करने के कारण बहुत सारा खून बहता था, जो अकबर को बिल्कुल भी पसंद नहीं था। इसीलिए वह शांति से साम्राज्य को अपने अधीन करना चाहता था। वह अपने समझौते की रणनीति के तहत अन्य राजाओं की कन्या से सम्मान पूर्वक विवाह कर लेता था और बिना किसी जनहानि के वह उनके रियासतों को अपने अधीन कर लेता था।

उसी दौरान एक बार अकबर का युद्ध राजा भारमल से हुआ था। अकबर ने राजा भारमल के तीनों बेटों को जब बंदी बना लिया तब राजा भारमल ने अकबर के समझौते के लिए हाथ बढ़ाया। राजा भारमल की एक पुत्री थी, जिनका नाम राजकुमारी जोधा था।

समझौते के अधीन राजा भारमल ने अपनी पुत्री जोधा का विवाह अकबर के साथ कर दिया। चूंकि अकबर एक मुस्लिम मुगल शासक था, इसीलिए अकबर से विवाह करने के बाद रानियों को मुगल धर्म अपनाना पड़ता था। लेकिन अकबर ने जोधा बाई को मुगल धर्म अपनाने के लिए कोई भी जोर नहीं दिया।

इस तरह अकबर और जोधा बाई का विवाहित राजनीतिक तौर पर 6 फरवरी 1562 में हुआ। फिर भी इन दोनों के रिश्ते में काफी प्रेम था, जो आज भी इतिहास के पन्नों में सुनने को मिलता है।

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जोधाबाई की संतान

1569 में जोधा बाई ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम जहांगीर था। हालांकि जोधाबाई के पहले भी दो पुत्र हसन और हुसैन हुए, जिनकी मृत्यु गर्भ में ही हो गई थी। लेकिन इस बार शेख सलीम चिश्ती ने अकबर को पूर्वधारणा करके बताया कि इस बार उनके पुत्र का जीवन बच जाएगा।

लेकिन, अकबर की इच्छा थी कि उसका पुत्र खूब नाम कमाएं और एक बड़ा सम्राट बने। इसीलिए उन्होंने जोधाबाई को अपना गर्भ का समय फतेहपुर सिकरी में बिताने के लिए कहा। जहांगीर के जन्म लेने के बाद अकबर ने जोधा को मरियम उज़-ज़मानी की उपाधि से सम्मानित किया। हालांकि जोधाबाई हिंदू थी लेकिन अकबर की कामना को पूरा करते हुए, उन्होंने जहांगीर को सलीम का नाम दिया।

जहांगीर भी अकबर की तरह एक सफल सम्राट बना, जिसने कई कानूनों में सुधार किया। उसने नाक और हाथ काटने की सजा को रद्द करवाया, नशा हमलावर वस्तुओं का हकमा बंद करवाया। जहांगीर के शासन काल को चित्र कला का स्वर्णिम काल कहा जाता है क्योंकि इस दौरान जहांगीर ने कई चित्र बनवाए थे।

इसे चित्रकला से काफी प्यार था। इसके अलावा इसे शिकार करना भी काफी पसंद था। हालांकि अफीम और शराब की लत की वजह से 28 अक्टूबर 1627 को बीमार पड़ने के कारण उसकी मृत्यु हो गई।

अकबर हिंदू धर्म को सम्मान क्यों देता था?

अकबर अपने शासन के दौरान एक शक्तिशाली शासक हुआ करता था। जिस कारण निश्चित ही मन में प्रश्न आता है कि इतना शक्तिशाली मुगल शासक हिंदू धर्म को सम्मान क्यों देता था?, इसके कई कारण है।

इनमें से एक कारण इनकी पत्नी जोधाबाई भी है, जो हिंदू थी। जब अकबर का विवाह जोधाबाई से हुआ तब रानियों को मुगल धर्म अपनाना पड़ता था लेकिन अकबर ने जोधा को मुगल धर्म अपनाने के लिए जोर नहीं दिया। जिस कारण जोधाबाई के मन में अकबर के प्रति प्रेम उत्पन्न हो गया और उन्होंने अकबर को हिंदू संस्कृति से परिचय करवाया।

अकबर की और कई रानियां थी लेकिन अकबर जोधा के निडर व्यवहार के कारण अत्यधिक प्रेम करता था और जोधा बाई अकबर को हमेशा ही सही गलत का रास्ता दिखाती थी। सही मार्गदर्शन करती थी। जिस कारण अकबर हमेशा ही जोधाबाई की सलाह को माना करता था।

जोधाबाई के प्रेरणा के कारण अकबर ने हिंदू धर्म को भी सम्मान दिया और उधार भावना के कारण वह हिंदू धर्म में भी एक प्रसिद्ध सम्राट बन गया। इसके अतिरिक्त अकबर ने अपने बचपन का काफी समय हिंदू परिवारों के साथ बिताया था।

दरअसल जंग के दौरान अकबर के पिता हुमायूं को कई दिनों तक अज्ञातवास में बिताना पड़ता था, जहां पर अकबर हिंदू परिवारों के साथ समय बिता कर हिंदू संस्कृति को जान पाता था। इस तरह अकबर का हिंदू संस्कृति के प्रति आदर भाव होने का कारण यह भी एक है।

जोधाबाई का अकबर के जीवन पर प्रभाव

अकबर का जोधा बाई से विवाह होने के बाद मुगल शासन के धार्मिक और राजनीतिक नीतियों में काफी गहरा प्रभाव पड़ा। जोधाबाई के हिंदू धर्म होने के कारण अकबर ने हिंदू धर्म के प्रति सम्मान दिखाना शुरू कर दिया। जोधा बाई ने अकबर को हिंदुओं के तीर्थ यात्रा पर लगने वाले कर को बंद कराने के लिए प्रेरित किया।

सभी संप्रदायों के प्रति समान व्यवहार होने के कारण अकबर का सम्मान और भी ज्यादा बढ़ गया। सभी संप्रदायों को समान महत्व देने के लिए अकबर खुद माथे पर तिलक लगाया करता था। यहां तक कि यह दरबार में हिंदुओं के त्योहारों को भी सम्मान देता था और उनके त्योहारों में भाग लिया करता था।

अकबर को एक महान सम्राट बनाने और हिंदुओं के प्रति उदारवादी भावना उत्पन्न करने में जोधाबाई का बहुत बड़ा योगदान रहा है। यही कारण है कि अकबर को मुगल शासकों में सबसे सफल और महान सम्राट बताया जाता है।

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जोधा अकबर के रिश्ते पर उठा विवाद

विवाह के बाद जोधा बाई हिंदू रीति रिवाज को नहीं छोड़ा और ना ही कभी अकबर ने उन्हें हिंदू रीति-रिवाजों को छोड़ने के लिए जोर दिया। हिंदू संस्कृति से प्रेम करने के बावजूद अकबर जोधा बाई से बहुत प्रेम करता था और यही कारण है कि अकबर के शासन काल में हिंदू और मुगल नक्काशी का समावेश देखने को मिलता है।

यहां तक कि हिंदुओं धर्म को सम्मान देने के लिए अकबर ने जोधा बाई को किले में मंदिर बनाने की भी अनुमति दे दी थी। इस तरह जोधाबाई और अकबर की प्रेम कहानी काफी रोचक है लेकिन इतिहासकार द्वारा इनकी कहानी पर विवाद छेड़े गए हैं। क्योंकि कुछ इतिहासकार का मानना है कि इतिहास में जोधाबाई नाम की कोई भी महिला नहीं थी, जिनका विवाह अकबर से हुआ था।

वहीं कुछ अन्य इतिहासकार और राजस्थान निवासियों का भी कहना है कि इतिहास में किसी भी राजपूत स्त्री का विवाह अकबर से नहीं हुआ था। इसके अतिरिक्त कुछ इतिहासकार जोधाबाई को किसी लेखक के कलम का काल्पनिक पात्र बताते हैं।

इस तरह जोधा बाई और अकबर के रिश्ते को लेकर अन्य कई सारी कहानियां देखने को मिलती है लेकिन अभी तक इसका कोई भी पुख्ता प्रमाण नहीं मिला है। यहां तक कि आशुतोष गोवारिकर द्वारा बनाई गई फिल्म ‘जोधा अकबर’ की कहानी को लेकर भी कई विवाद छेड़े गए और इस फिल्म का विरोध किया गया।

हालांकि आशुतोष गोवारिकर ने इस विरोध का सामना करते हुए लोगों के सवालो का जवाब दिया और बताया कि उन्होंने कई ऐतिहासिक किताबें और रिसर्च करने के बाद इस फिल्म को बनाया है।

जोधा बाई की मृत्यु कैसे हुई?

जोधा बाई की मृत्यु सन 1662 ईस्वी में हुई थी। अकबर की मृत्यु के 20 साल के बाद जोधा बाई की मृत्यु हुई थी। 80 की उम्र में जोधा का स्वास्थ्य खराब होने लगा, जिसके बाद उनकी मृत्यु हो गई।

हालांकि जोधा बाई हिंदू धर्म की थी और विवाह के बाद भी वह हिंदू रीति-रिवाजों को मानती थी। लेकिन मृत्यु के बाद हिंदू परंपरा के अनुसार उनका अंतिम संस्कार नहीं हुआ। बल्कि मुस्लिम संस्कृति के अनुसार उन्हें दफनाया गया। उसके बाद उनके पुत्र जहांगीर ने जोधा बाई की इच्छा और मां के सम्मान में उनकी कब्र बनवाई।

FAQ

क्या जोधा अकबर की कहानी सच है?

हालांकि अब तक बनी फिल्में और धारावाहिक में तो जोधा अकबर की कहानी को सच बताया गया है लेकिन कुछ इतिहासकारों के अनुसार जोधा बाई को अकबर के पुत्र जहांगीर की पत्नी बताया गया है। कुछ इतिहासकार का मानना है कि अकबर को एक अच्छा सम्राट दिखाने के लिए जोधा अकबर की प्रेम कहानी को काल्पनिक रूप से बनाया गया है।

जोधा के कितने बेटे थे?

जोधा बाई ने 3 पुत्रों को जन्म दिया था, जिसमें से प्रथम हसन और हुसैन की मृत्यु गर्भ में ही हो गई थी बल्कि सलीम जो आगे चलकर जहांगीर कहलाया। यह जोधाबाई के अंतिम पुत्र था। हालांकि अकबर के अन्य रानियों के द्वारा दो और भी पुत्र थे, जिनका नाम मुराद और दानियाल था।

जोधा अकबर का महल कहां पर है?

जोधाबाई का महल आगरा के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल फ़तेहपुर सीकरी के ‘मरियम महल’ के दक्षिण-पश्चिमी तरफ़ स्थित है।

जोधाबाई महल का निर्माण किसने करवाया था?

जोधा बाई महल का निर्माण अकबर ने करवाया था, जो दो मंजिले का इमारत है और इसका मुख्य द्वार दक्षिण की तरफ खुलता है।

जोधाबाई को अन्य किस नाम से बुलाया जाता था?

जोधाबाई का असली नाम हरकाबाई था। इन्हें हीरा कुम्वारी और मरियम उज जमानी के नाम से भी जाना जाता था।

अकबर की कुल कितनी रानियां थी?

अकबर की कुल सात रानियां थी, जो निम्नलिखित है रुकय्या, सुल्तान, जोधा, बीबी दौलत शा, क़सीमा बानु, भक्करी बेगम और गौहर उन निस्सा। इन सातों रानियों में से अकबर को जोधाबाई से सबसे अत्यधिक प्रेम था।

जोधा बाई का जन्म कहां हुआ था?

जोधा बाई का जन्म 1 अक्टूबर 1542 को जयपुर के शासक राजा भारमल के यहां पर हुआ था।

जोधा के पुत्र का नाम क्या था?

जोधा के पुत्र का नाम जहांगीर था।

जोधा के पिता का नाम क्या था?

जोधा के पिता का नाम राजा भारमल था।

निष्कर्ष

जोधा अकबर की प्रेम कहानी इतिहास के बहुत रोचक कहानी है और इसके ऊपर कई फ़िल्में और टीवी शो बन चुके हैं, जिसके कारण जोधा अकबर के प्रति लोगों का रुझान काफी बड़ा है।

लेकिन इनके फिल्म और धारावाहिक पर कई इतिहासकार और मूल राजस्थानी निवासियों ने विरोध भी किया है, जिस कारण लोगों में हमेशा से इनके प्रेम कहानी के सच को जानने की उत्साह रहा है। आज तक जोधा अकबर के रिश्ते के सच्चाई को साबित कर सके ऐसा कोई पुख्ता प्रमाण तो नहीं मिला है।

हमें उम्मीद है कि आज के इस लेख जोधा अकबर का जीवन परिचय (Jodha Akbar Biography in Hindi) के जरिए आपको जोधा अकबर के इतिहास के बारे में जानने को मिला होगा। यदि लेख अच्छा लगा हो तो इसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए अन्य लोगों में जरुर शेयर करें। लेख से संबंधित कोई भी प्रश्न या सुझाव हो तो आप कमेंट में लिख कर बता सकते हैं।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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