Home > Hindi Vyakaran > यण संधि की परिभाषा, नियम और उदाहरण

यण संधि की परिभाषा, नियम और उदाहरण

यहां पर हिंदी व्याकरण में स्वर संधि के एक भेद यण संधि (Yan Sandhi in Hindi) तथा इसके विभिन्न उदाहरणों के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे।

yan sandhi
yan sandhi

यण संधि की परिभाषा (yan sandhi ki paribhasha) जानने के साथ ही यण संधि की पहचान करने का आसान तरीका बताया है।

यण संधि किसे कहते हैं? (Yan Sandhi Kise Kahate Hain)

सुत्र:- ‘इको यणचि’

इक् (इ, उ, ऋ, लृ) वर्ण के परे असमान स्वर होने पर इक् (इ, उ, ऋ, लृ) के स्थान पर क्रमशः यण् (य्, व्, र्, ल्) का आदेश होता है।

यण संधि की पहचान

संभवतः किसी शब्द में य, व, र, ल से पहले आधा वर्ण हो तो वहां यण संधि होती हैं।

यण संधि के उदाहरण (Yan Sandhi ke Udaharan)

  • अत्यधिक = अति + अधिक
  • प्रत्यक्ष  = प्रति + अक्ष
  • प्रत्याघात = प्रति + आघात
  • अत्यंत = अति + अंत
  • यद्यपि = यदि + अपि
  • अत्यावश्यक = अति + आवश्यक
  • अत्युत्तम = अति + उत्तम
  • अत्यूष्म = अति + उष्म
  • अन्वय = अनु + आय
  • मध्वालय = मधु + आलय
  • गुर्वोदन = गुरु + ओदन
  • गुरवौदार्य = गुरु + औदार्य
  • अन्वित = अनु + इत
  • अन्वेषण = अनु + एषण
  • पित्रादेश = पितृ + आदेश
  • पर्यटन =  परि + अटन
  • व्यंजन = वि + अंजन
  • अध्याय = अधि + आय
  • इत्यादि = इति + आदि
  • व्यवहार = वि + अवहार

यण संधि के 20 उदाहरण

  • व्यभिचार =वि + अभिचार
  • सख्यागमन =सखी + आगमन
  • अभ्यास =अभि + आस
  • स्वागत= सु + आगत
  • पित्रुपदेश = पितृ + उपदेश
  • मात्राज्ञा = मातृ + आज्ञा
  • मात्रिच्छा = मातृ + इच्छा
  • साध्वाचार = साधु + आचार
  • स्वभास = सु + आभास
  • देव्यागमन = देवी + आगमन
  • देव्यालय = देवी + आलय
  • सख्याग्म = सखी + आगम
  • उपर्युक्त = उपरि + उक्त
  • प्रत्युपकार= प्रति + उपकार
  • प्रत्युत्तर = प्रति + उत्तर
  • अभ्युदय = अभि + उदय
  • न्यून = नि + ऊन
  • अभ्यागत = अभि + आगत
  • देव्यर्पण = देवी + अर्पण 
  • सख्यपराध = सखी + अपराध

संधि की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण आदि के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यण संधि की ट्रिक

  • इ/ई + असमान स्वर = य्
  • उ/ऊ + असमान स्वर = व्
  • ऋ + असमान स्वर  = र्

यण संधि के नियम

नियम – 1

जब लघु (ह्रस्व) इ और दीर्घ ई के बाद कोई असमान स्वर आये तो इ, ई की जगह ‘य्’ हो जाता हैं।

जैसे:

  • अति + अधिक = अत्यधिक
  • अधि + अक्ष = अध्यक्ष
  • अभि + अर्थी = अभ्यर्थी
  • परि + अटन = पर्यटन
  • प्रति + अय = प्रत्यय
  • वि + आकुल = व्याकुल
  • परि + आवरण = पर्यावरण

जिस प्रकार से ऊपर के उदाहरण में देख सकते हैं कि “इ, ई के स्थान पर अ या आ आता है तो “य” बन जाता है।

मुख्य रूप से देखा जाए तो इ, ई और अ व आ दोनों ही स्वर है और इन दोनों के बीच संधि होती है, तो य बन जाता है।

नियम – 2

जब उ/ऊ के बाद कोई अन्य स्वर आये तो उ/ऊ के स्थान पर ‘व’ हो जाता है।

जैसे:

  • अनु + अय = अन्वय
  • सु + अस्ति = स्वस्ति
  • सु + आगत = स्वागत
  • धातु + इक = धात्विक
  • अनु + ईक्षा = अन्वीक्षा
  • वधू + आगमन = वध्वागमन

जिस प्रकार से ऊपर के उदाहरण में देख सकते हैं कि उ, ऊ के स्थान पर अ, आ या अन्य स्वर आता है तो “व” बन जाता है।

मुख्य रूप से देखा जाए तो उ, ऊ और अ तथा आ एवं अन्य स्वर जिनके बीच संधि होती है तो व बन जाता है।

नियम -3

जब ऋ के बाद में कोई भी असमान स्वर हो तो ‘ऋ’ के स्थान पर ‘र’ हो जाता हैं।

  • मातृ + आज्ञा = मात्राज्ञा
  • मातृ + आदेश = मात्रादेश
  • पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
  • पितृ + आनंद = पित्रानंद

जिस प्रकार से ऊपर के उदाहरण में देख सकते हैं कि “ऋ” के स्थान पर “कोई स्वर” आता है तो “र” बन जाता है। मुख्य रूप से देखा जाए तो ऋ और अन्य स्व के बीच संधि होती है तो र बन जाता है।

यण संधि के 100 उदाहरण

  1. अति + अंत = अत्यंत
  2. रीती + अनुसार = रीत्यनुसार
  3. यदि + अपि = यद्यपि
  4. अति + अधिक = अत्यधिक
  5. इति + आदि = इत्यादि
  6. अभि + अर्थना = अभ्यर्थना
  7. बुद्धि + अनुसार = बुद्ध्यनुसार
  8. गति + अवरोध = गत्यवरोध
  9. इति + अर्थ = इत्यर्थ
  10. भ्रातृ + आगमन = भ्रात्रागमन
  11. अति + अल्प = अत्यल्प
  12. परि + अवसान = पर्यवसान
  13. वि + अर्थ = व्यर्थ
  14. जाति + अभिमान = जात्यभिमान
  15. प्रति + अर्पण = प्रत्यर्पण
  16. प्रति + अभिज्ञ = प्रत्यभिज्ञ
  17. राशि + अंतरण = राश्यंतरण
  18. अभि + अंतर = अभ्यन्तर
  19. अधि + अयन = अध्ययन
  20. प्रति + अंतर = प्रत्यंतर
  21. गति + अनुसार = गत्यनुसार
  22. अधि + अक्ष = अध्यक्ष
  23. विधि + अर्थ = विध्यर्थ
  24. त्रि + अम्बकम् = त्र्यम्बकम्
  25. वि + अवधान = व्यवधान
  26. त्रि + अक्षर = त्र्यक्षर
  27. वि + असन = व्यसन
  28. अग्नि + अस्त्र = आग्न्यस्त्र
  29. द्वि + अर्थी = द्व्यर्थी
  30. मातृ + उपदेश = मात्रुपदेश
  31. भ्रातृ + उत्कण्ठा = भ्रात्रुत्कण्ठा
  32. स्वस्ति + अयन = स्वस्त्ययन
  33. परि + आवरण = पर्यावरण
  34. वि + आस = व्यास
  35. अधि + आदेश = अध्यादेश
  36. वृद्धि + आदेश = वृध्यादेश
  37. वि + अक्त = व्यक्त्त
  38. आदि + अंत = आघंत
  39. ध्वनि + अर्थ = ध्वन्यर्थ
  40. इति + अलम् = इत्यलम्
  41. यदि + अपि = यघपि
  42. वि + अष्टि = व्यष्टि
  43. पितृ + एषण = पित्रेषण
  44. वि + अवहार = व्यवहार
  45. नि + अस्त = न्यस्त
  46. वि + अग्र = व्यग्र
  47. परि + अवेक्षक = पर्यवेक्षक
  48. प्रति + आभूति = प्रत्याभूति
  49. वि + आवृत्त = व्यावृत्त
  50. प्रति + आशी = प्रत्याशी
  51. वि + आकुल = व्याकुल
  52. प्रति + आवर्तन = प्रत्यावर्तन
  53. वि + आहत = व्याहत
  54. प्रति + आशित = प्रत्याशित
  55. प्रति + आरोपण = प्रत्यारोपण
  56. प्रति + आहार = प्रत्याहार
  57. परि + आप्त = पर्याप्त
  58. पितृ + उपदेश = पित्रुपदेश
  59. वि + आवर्तन = व्यावर्तन
  60. प्रति + आघात = प्रत्याघात
  61. अति + आवश्यक = अत्यावश्यक
  62. अति + आधुनिक = अत्याधुनिक
  63. प्रति + आरोप = प्रत्यारोप
  64. वि + आकरण = व्याकरण
  65. प्राप्ति + आशा = प्राप्त्याशा
  66. वि + आघात = व्याघात
  67. नि + आस = न्यास
  68. वि + आपक = व्यापक
  69. शक्ति + आराधना = शक्त्याराधना
  70. अभि + आस = अभ्यास
  71. नि + आय = न्याय
  72. ध्वनि + आत्मक = ध्वन्यात्मक
  73. वि + अस्त = व्यस्त
  74. वि + अवस्था = व्यवस्था
  75. ध्वनि + आलोक = ध्वन्यालोक
  76. प्रति + आशा = प्रत्याशा
  77. प्रति + आख्यान = प्रत्याख्यान
  78. प्रति + अय = प्रत्यय
  79. इति + अर्थ = इत्यर्थ
  80. पितृ + ऐश्वर्य = पित्रैश्वर्य
  81. मति + अनुसार = मत्यनुसार
  82. परि + अंत = पर्यंत
  83. प्रति + अक्षि = प्रत्यक्ष
  84. प्रति + अंचा = प्रत्यंचा
  85. वि + आप्त = व्याप्त
  86. वि + आख्यान = व्याख्यान
  87. अधि + आपक = अध्यापक
  88. अधि + आत्म = अध्यात्म
  89. परि + आय = पर्याय
  90. अति + आचार = अत्याचार
  91. इति + आदि = इत्यादि
  92. अभि + आगत = अभ्यागत
  93. वि + आयाम = व्यायाम
  94. वि + आधि = व्याधि
  95. दातृ + उदारता = दात्रुदारता
  96. अग्नि + आशय = अग्न्याशय
  97. वि + आगत = व्यागत
  98. अति + आनंद = अत्यानंद
  99. अधि + आय = अध्याय
  100. अभी + लाषा = अभिलाषा

निष्कर्ष

यहां पर यण संधि की परीभाषा (Yan Sandhi ki Paribhasha), यण संधि के उदाहरण (yan sandhi examples in hindi), भेद के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त की है।

उम्मीद करते हैं आपको यह जानकारी पसंद आई होगी, इसे आगे शेयर जरुर करें। यदि इससे जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं।

अन्य महत्वपूर्ण हिंदी व्याकरण

संज्ञासर्वनामहिंदी की मात्राएँउपसर्ग
विराम चिन्हसंधिप्रत्ययवाक्य
क्रियाअलंकाररसछंद
समासअव्ययकारकविशेषण
शब्द शक्तिसयुंक्त क्रियालिपिहिंदी बारहखड़ी
Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

Related Posts