Ushma Vyanjan: आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे ऊष्म व्यंजन के बारे में। ऊष्म व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं एवं उनकी परिभाषा के बारे में भी चर्चा करेंगे। यदि आप उष्म व्यंजन के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा।
उष्म व्यंजन किसे कहते है?
उष्म व्यंजनों से आशय उन व्यंजनों से है, जिनका उच्चारण रगड़ या घर्षण से उत्पन्न ऊष्म वायु से होता है। अर्थात जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय अथवा बोलते समय श्वास वायु, मुख के विभिन्न भागों में रगड़ खाती हुई ऊष्मा के साथ बाहर ध्वनि निकलती है, उन्हें ऊष्म व्यंजन कहते हैं।
ऊष्मा का अर्थ है – गर्मी अथवा गर्माहट।
दूसरे शब्दों में जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय ऊष्मा उत्पन्न हो या गर्मी उत्पन्न हो एवं मुख से हवा के रगड़ खाने के कारण उष्मा पैदा हो उष्म व्यंजन कहलाते हैं। जब इन शब्दों का उच्चारण किया जाता है तो दातों के बीच से गर्म हवा बाहर निकलती हैं।
उष्म व्यंजन के प्रकार
हिंदी भाषा में ऊष्म व्यंजन की कुल संख्या 4 है, जो निम्न हैं: श, ष, स, ह।
ऊष्म व्यंजन | उच्चारण स्थान | उदाहरण |
श – तालव्य | तालु | शंकालु, शंकर |
ष – मूर्धन्य | मूर्धाभाग | षड्मुख, षष्ठी |
स – वर्त्स्य | दंतमूल | साथ, सबक |
ह – स्वरयंत्रीय | स्वरयंत्र | हारना, हिम्मत |
निष्कर्ष
उष्म व्यंजन (Ushm Vyanjan) से संबंधित सभी प्रश्नों के उत्तर आपको यहाँ पर प्राप्त हो गये होंगे। उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी। यदि आपका इससे जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
व्यंजन के अन्य प्रकार
स्पर्श व्यंजन | संयुक्त व्यंजन | अन्तःस्थ व्यंजन | उष्म व्यंजन |
सघोष व्यंजन | अघोष व्यंजन | अल्पप्राण व्यंजन | महाप्राण व्यंजन |
हिंदी व्याकरण के अन्य महत्वपूर्ण भाग