Saghosh Vyanjan: हिंदी व्याकरण में स्वर और व्यंजन मुख्य रूप से 2 अंग है। व्यंजन जिनको कई अलग-अलग भागों में बांटा गया है। व्यंजन को उच्चारण के आधार पर अलग-अलग भागों में विभाजित किया गया है।
आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे सघोष व्यंजन के बारे में, यह कितने प्रकार के होते हैं? एवं उनकी परिभाषा के बारे में भी चर्चा करेंगे। यदि आप सघोष व्यंजन के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा।
सघोष व्यंजन किसे कहते हैं?
सघोष व्यंजन कि परिभाषा: ऐसे व्यंजन जिनके उच्चारण करते समय स्वर यंत्री में कंपन होता है, ऐसे व्यंजन सघोष व्यंजन कहलाते हैं। वर्णमाला में इनकी कुल संख्या 31 होती है। सघोष व्यंजन प्रत्येक वर्ग का तीसरा, चौथा और पांचवां अक्षर होते हैं। अंतस्थ व्यंजन और ह सघोष व्यंजन है।
दूसरे शब्दों में जिन व्यंजनों के उच्चारण में स्वर यंत्री में अधिक कंपन हो घोष या सघोष वर्ण कहलाते हैं।
सघोष व्यंजन का प्रकार
इनकी संख्या 31 है। वर्णमाला में इनकी संख्या 31 होती है। इसमें समस्त स्वर अ से ओ तक और व्यंजन शामिल होते हैं:
- ग, घ, ङ
- ज, झ, ञ
- ड, ढ, ण
- द, ध, न
- ब, भ, म
- य, र, ल, व, ह
निष्कर्ष
उम्मीद है आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और सघोष व्यंजन से संबंधित सभी प्रश्नों के उत्तर आपको इस आर्टिकल में प्राप्त हुए होंगे। यदि आपका इस आर्टिकल से संबंधित कोई सवाल है तो आप कमेंट के माध्यम से बता सकते है। हम आपके कमेंट का जवाब देने का जल्द से जल्द प्रयास करेंगे।
व्यंजन के अन्य प्रकार
स्पर्श व्यंजन | संयुक्त व्यंजन | अन्तःस्थ व्यंजन | उष्म व्यंजन |
सघोष व्यंजन | अघोष व्यंजन | अल्पप्राण व्यंजन | महाप्राण व्यंजन |
हिंदी व्याकरण के अन्य महत्वपूर्ण भाग