नमस्कार दोस्तों, यहां पर फूलों पर कविताएँ (Poem on Flowers in Hindi) शेयर की है। इन हिंदी कविताओं में आपको फूलों की सुन्दरता और शौन्दर्य का सुंदर विवरण देखने और सुनने को मिलेगा।
हम उम्मीद करते हैं आपको यह Phoolon Par Kavita in Hindi पसंद आयेंगी। इन कविताओं को आप कहीं पर भी आयोजित पर्यावरण संरक्षण जैसे कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुति देकर लोगों को इसके प्रति जागरूक कर सकते हैं।
फूलों पर सुन्दर कविताएँ – Poem on Flowers in Hindi
पुष्प की अभिलाषा
चाह नहीं, मैं सुरबाला के
गहनों में गूंथा जाऊं,
चाह नहीं, प्रेमी-माला में
बिंध प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं, सम्राटों के शव
पर हे हरि, डाला जाऊं
चाह नहीं, देवों के सिर पर
चढूं भाग्य पर इठलाऊं
मुझे तोड़ लेना वनमाली
उस पथ पर देना तुम फेक
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पर जावें वीर अनेक।
-माखनलाल चतुर्वेदी
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फूल
फैलाकर अपनी सुगंध,
महकाता तन मन को,
रंग-बिरंगी दुनिया से अपनी,
सजाता उपवन को।
टूट जाये डाली से फिर भी,
न शोक मनाता जीवन में,
बन श्रंगार हर्ष से वह,
नही इठलाता एकपल को।
कभी हृदय की शोभा बनता,
कभी चरणों में शीश नवाता वो,
हर्ष सहित स्वीकार कर दायित्व,
निभाता अपने कर्तव्यों को।
क्षणिक जीवन है फिर भी उसका
व्यर्थ नही गवाता वो।
देकर अपना सर्वस्य वह,
करता सफल लघु जीवन को।
फैलाकर अपनी सुगंध,
महकाता तन मन को,
रंग-बिरंगी दुनिया से अपनी,
सजाता उपवन को।
-निधि अग्रवाल
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धावे
Short Poem on Flowers in Hindi
पहाड़ी की ढाल पर
लाल फूला है
बुरूस ललकारता,
हर पगडंडी के किनारे
कली खिली है
अनार की और यहाँ
अपने ही आँगन में
अनजान
मुस्करा रही है यह
कचनार
दिल तो दिया-दिलाया एक ही विधाता ने
धावे मगर
उस पर बोले हजार।
-अज्ञेय
मसलन
यह मुरझाया हुआ फूल है
इसका हृदय दुखाना मत
स्वयं बिखरने वाली
इसकी पंखुड़ियाँ बिखराना मत।
-सुभद्राकुमारी चौहान
हे फूल
मिट्टी से जनमा हे फूल तू कहाँ जा रहा है
हे मित्र, मै पृभु के चरणो मे सजने जा रहा हूँ
कभी मै किसी सुन्दरी के गजरे मे सजने जा रहा हूँ
तो कभी मै किसी नेता आ सत्कार करने जा रहा हूँ
तो कभी मृत्युशैया मे षृद़ान्जली बनने जा रहा हूँ
मेरा जीवन तो यही है मित्र
मिट्टी से जनमा हूँ और मिट्टी मे ही मिलने जा रहा हूँ।
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प्यारे प्यारे फूल
प्यारे प्यारे फूल
रंग बिरंगे प्यारे फूल
कितने कोमल कितने नाजूक
खींचे सबको अपनी और
खुशबू दूर दूर तक फैलाते
सबको अपने पास बुलाते
तुम भी बन कर फूल जैसे
सजा दो धरती को बग़ीचे जैसे।
फूलों पर कविता
Hindi Poem on Flowers
रंग बिरंगे फूल चमन में खिल रहे है
अम्बर से धरती तक खुशबू फैला रहे है
काटों में भी रहकर जीना सीखा रहे है
सुख दुःख में सम रहने का पाठ पढ़ा रहे है
सबसे हिल मिल कर रहना बता रहे है
अहंकार से अहम् को हटाना समझा रहे है
अपनी मुस्कान सबको देने का पाठ पढ़ा रहे है
धरती की स्वर्ग बनाओ सीखा रहे है
मेरी कलियों से कोमलता का सीख लो
काटों से मेरी संघर्ष करना सीख लो
अमन में ही चैन है अमानता का सीख लो
अपनी सौम्यता से दूसरों को खींच लो
फूल और काँटा
हैं जनम लेते जगत में एक ही
एक ही पौधा उन्हें है पालता
रात में उन पर चमकता चाँद भी
एक ही सी चाँदनी है डालता
मेह उन पर है बरसता एक-सा
एक-सी उन पर हवाएँ हैं बहीं
पर, सदा ही यह दिखाता है हमें
ढंग उनके एक-से होते नहीं।
-अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
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