Hindi Poems on Birds: नमस्कार दोस्तों, जब हम सुबह उठते हैं और उठते ही पक्षियों की मधुर आवाज सुनाई देती है तो हमारा मन बहुत ही प्रफुलित हो जाता है और हमारे मन एक नई ऊर्जा का प्रवाह होता है। पक्षियों की मनमोहक आवाज से हमारे चारों और का वातावरण शुद्ध और प्रेरणादायक बन जाता है।

आज हम इस पोस्ट में पक्षियों का हिन्दी कविताएँ लेकर आये हैं। ये हिंदी कविताएं प्रसिद्ध कवियों की लोकप्रिय रचनाएँ है। इनमें पक्षियों के सुन्दरता, पक्षियों की स्वतंत्रता, पक्षियों का महत्व आदि का वर्णन मिलेगा। तो आइये पढ़ते है पक्षियों पर सुन्दर कविताएँ (Panchiyon Par Kavita):
पंछी पर कविता – Hindi Poems on Birds
विषय सूची
यह मन पंछी सा
दिशाहीन यह मन पंछी सा
आस की टहनी पर जब बैठा।
जग मकड़ी के जैसे आकर
पंखों पर इक जाल बुन गया।
सूरज की सतरंगी किरणें
ख़्वाव दिखा कर चली गईं।
सांझ ढली, सूरज डूबा
मैं जग के हाथों हार गया।
पक्षी भी रोते हैं
उसके दोस्त ने उसे समझाया
मत रो, फफक-फफककर मत रो
पक्षी क्या कभी रोते हैं?
उसने जवाब दिया, तो क्या मैं पक्षी हूँ?
फिर उसने कुछ रूककर कहा-
लेकिन तुझे क्या पता…
पक्षी भी रोते हैं, रोते हैं, बहुत रोते हैं
और वह फिर से रोने लगा।
Birds Poems in Hindi
कलरव करती सारी चिड़िया,
लगती कितनी प्यारी चिड़िया।
दाना चुगती, नीड बनाती,
श्रम से कभी न हारी चिड़िया।
भूरी, लाल, हरी, मटमैली,
श्रंग-रंग की न्यारी चिड़िया।
छोटे-छोटे पर है लेकिन,
मीलो उड़े हमारी चिड़िया।।
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पक्षी और बादल (Hindi Poems on Birds Freedom)
पक्षियों की स्वतंत्रता पर कविता
ये भगवान के डाकिये हैं,
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं।
हम तो समझ नहीं पाते हैं,
मगर उनकी लायी चिठि्ठयाँ
पेड़, पौधे, पानी और पहाड़
बाँचते हैं।
हम तो केवल यह आँकते हैं
कि एक देश की धरती
दूसरे देश को सुगन्ध भेजती है।
और वह सौरभ हवा में तैरती हुए
पक्षियों की पाँखों पर तिरता है।
और एक देश का भाप
दूसरे देश का पानी
बनकर गिरता है।
पंछी और पानी
कौन देस से आए ये पंछी
कौन देस को जाएंगे
क्या-क्या सुख लाए ये पंछी
क्या-क्या दुख दे जाएंगे
पंछी की उड़ान औ’ पानी
की धारा को कोई सहज समझ नहीं पाता
पंछी कैसे आते हैं
पानी कैसे बहता है
अगर कोई समझता है भी
मुझको नहीं बतलाता है।
मैं पंछी आज़ाद
Poems on Birds in Hindi
जब-जब मुझे लगता है
कि घट रही है आकाश की ऊँचाई
और अब कुछ ही पलों में मुझे पीसते हुए
चक्की के दो पाटों में तबदील हो जाएंगे धरती-आसमान
तब-तब बेहद सुकून देते हैं पंछी
आकाश में दूर-दूर तक उड़ते ढेर सारे पंछी
बादलों को चोंच मारते
अपनी कोमल लेकिन धारदार पाँखों से
हवा में दरारें पैदा करते ढेर सारे पंछी
ढेर सारे पंछी
धरती और आकाश के बीच
चक्कर मारते हुए
हमें एहसास दिला जाते हैं
आसमान के अनंत विस्तार
और अकूत ऊँचाई का!
Birds Rhymes in Hindi
प्रात: होते ही चिड़िया रानी,
बगिया में आ जाती,
चूं चूं करके शोर मचाकर
बिस्तर में मुझे जगाती।
तिलगोजे जैसी चोंच है उसकी,
मोती जैसी आंखें।
छोटे छोटे पंजे उसके
रेशम जैसी आंखें।
मीठे मीठे गीत सुनाकर,
तू सबका मन बहलाती।
छोटे छोटे दाने चुग कर
बड़े चाव से खाती।
चारो तरफ फुदक फुदक कर,
तू अपना नाच दिखाती।
नन्हे नन्हे तिनके चुनकर,
तू अपना घोंसला बनाती।
रात होते ही झट से
तू घोंसले में घुस जाती।
पेड़ो की शाखाओ में तू,
अपना बास बनाती।
Poem On Birds In Hindi
कौन सिखाता है चिड़ियों को,
ची ची ची ची करना?
कौन सिखाता फुदक फुदक कर,
उनको चलना फिरना?
कौन सिखाता फुर्र से उड़ना,
दाने चुग-चुग खाना?
कौन सिखाता तिनके ला ला,
कर घोंसले बनाना?
कुदरत का यह खेल वही,
हम सबको, सब कुछ देती,
किन्तु नहीं बदले में हमसे,
वह कुछ भी है लेती।।
मैं भी अगर पंछी होता
Hindi Poem on Panchi
मैं भी अगर एक छोटा पंछी होता
तो बस्ती-बस्ती में फिरता रहता
सुन्दर नग-नद-नालों का यार होता
मस्ती में अपनी झूमता रहता। मैं भी अगर …
आदमी का गुण मुझ में न होता
ईर्ष्या की आग में न जलाता होता
स्वार्थ के युद्ध में न मरता-मारता
बम्ब-मिसाइल की वर्षा न करता। मैं भी अगर…
आंखों में दौलत का काजल न पुतता
शान के लिए पराया माल न हड़पता
हर मानव मेरा हित-बंधु होता
रंग-रूप पर अपना गर्व करता। मैं भी अगर…
तब सारा जग मेरा अपना होता
पासपोर्ट-वीज़ा कोई न खोजता
स्वच्छन्द वन-वन में घूमता होता
विश्व-भर मेरा अपना राज्य होता। मैं भी अगर …
प्यार के गीत जन-जन को सुनाता
आवाज़ से अपनी सब को लुभाता
मानवता की वेदी पर सिर झुकाता
सागर की उर्मिल का झूला झूलता।
मैं भी अगर एक छोटा पंछी होता।।
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