पंचतंत्र साहित्य Panchatantra Stories in Hindi भारत ही नहीं बल्कि विश्व के साहित्य में भी अपना विशेष स्थान रखता हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि इसके इतने प्रसिद्ध होने का कारण मनोरंजन, सफलता, रोचकता, मनोविज्ञान और राजीनीति शास्त्र का संगम हैं। पंचतंत्र को प्रत्येक वर्ग के लोग पसंद करते हैं फिर चाहे वो बच्चे hindi stories for kids, बूढ़े, जवान, दार्शनिक व नेता चाहे कोई भी हो।
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पंचतंत्र क्या हैं? – Panchatantra Kya Hai

अक्सर पंचतंत्र नाम के उच्चारण से हमें ऐसा प्रतीत होता हैं की हम किसी बड़े नीतिशास्त्र के बारे में चर्चा कर रहे हैं। वैसे देखा जाये तो पंचतंत्र का असली नाम ‘नीति शास्त्र’ ही हैं। पंचतंत्र कि मूल रचना संस्कृत भाषा में पंडित विष्णु शर्मा ने कि थी।
संस्कृत कि नीति कथाओं में पंचतंत्र का प्रथम स्थान हैं। पंचतंत्र कि लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता हैं की यह विश्व कि 50 से भी अधिक अलग-अलग भाषाओं में इसका अनुवाद हो चूका हैं। वर्तमान में उपलब्ध अनुवादों के आधार पर कहा जा सकता हैं की पंचतंत्र कि रचना तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के आस-पास कि गयी थी।
पंचतंत्र को मुख्य रूप से 5 भागों में बांटा गया हैं, जिसमें मित्रभेद (मित्रों में मनमुटाव व अलगाव), मित्रलाभ अथवा मित्रसंप्राप्ति (मित्र प्राप्ति और उसके लाभ), काकोलुकीयम् (कौवे एवं उल्लुओं की कथा), लब्धप्रणाश (हाथ लगी चीज (लब्ध) का हाथ से निकल जाना), अपरीक्षित कारक (जिसको परखा नहीं गया हो उसे करने से पहले सावधान रहें ; हड़बड़ी में कदम न उठायें)।
पंचतंत्र कि कहानियों story of panchatantra में पात्रों में मनुष्य के अलावा पशु-पक्षी भी हैं, उनके माध्यम से कई शिक्षाप्रद बातें बतलाई गयी हैं।
पंचतंत्र का इतिहास – History of Panchtantra
पंचतंत्र का इतिहास बहुत ही रोचक हैं। लगभग 2000 साल पहले पूर्व दक्षिण के किसी जनपद में एक नगर था महिलारोप्य। वहाँ का राजा अमरशक्ति बड़ा ही पराक्रमी तथा उदार था। संपूर्ण कलाओं में पारंगत राजा अमरशक्ति के तीन पुत्र थे बहुशक्ति, उग्रशक्ति तथा अनंतशक्ति। राजा स्वयं जितना ही नीतिज्ञ, विद्वान्, गुणी और कलाओं में पारंगत था, दुर्भाग्य से उसके तीनों पुत्र उतने ही उद्दंड, अज्ञानी और दुर्विनीत थे।
राजा अमरशक्ति ने अपने लड़कों को व्यावहारिक शिक्षा देने का बहुत प्रयास किया लेकिन उन पर किसी बात का असर नहीं हुआ। थक-हारकर एक राजा ने अपने मंत्रीमंडल से कहा कि “मूर्ख और अविवेकी पुत्रों से अच्छा तो निस्संतान रहना होता। पुत्रों के मरण से भी इतनी पीड़ा नहीं होती, जितनी मूर्ख पुत्र से होती है। मर जाने पर तो पुत्र एक ही बार दुःख देता है, किंतु ऐसे पुत्र जीवन-भर अभिशाप की तरह पीड़ा तथा अपमान का कारण बनते हैं।”
अमरशक्ति राजा ने कहा कि हमारे राज्य में हजारों विद्वान्, कलाकार एवं नीतिविशारद महापंडित रहते हैं। कोई ऐसा उपाय करो कि ये निकम्मे राजपुत्र शिक्षित होकर विवेक और ज्ञान की ओर बढ़ें।
अत्यंत विचार-विमर्श के बाद एक मंत्री सुमति ने राजा को बताया कि महाराज, व्यक्ति का जीवन-काल तो बहुत ही अनिश्चित और छोटा होता है। हमारे राजपुत्र अब बड़े हो चुके हैं। विधिवत् व्याकरण एवं शब्दशास्त्र का अध्ययन आरंभ करेंगे तो बहुत दिन लग जाएँगे। इनके लिए तो यही उचित होगा कि इनको किसी संक्षिप्त शास्त्र के आधार पर शिक्षा दी जाए, जिसमें सार-सार ग्रहण करके निस्सार को छोड़ दिया गया हो; जैसे हंस दूध तो ग्रहण कर लेता है, पानी को छोड़ देता है।
ऐसे में यदि राजकुमारों को शिक्षा देने और व्यवहारिक रूप से प्रशिक्षित करने का उत्तरदायित्व पंडित विष्णु शर्मा को सौंपा जाए जो कि हमारे ही राज्य में रहते हैं। उचित होगा सभी शास्त्रों में पारंगत विष्णु शर्मा की छात्रों में बड़ी प्रतिष्ठा है। आप राजपुत्रों को शिक्षा के लिए उनके हाथों ही सौंप दीजिए। वे अल्प समय में ही राजकुमारों को शिक्षित करने की समर्थ रखते हैं।
राजा अमरशक्ति अपने मंत्री के इस सुझाव से अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने तुरंत महापंडित विष्णु शर्मा का आदर-सत्कार करने के बाद विनय के साथ अनुरोध किया, “आर्य, आप मेरे पुत्रों पर इतनी कृपा कीजिए कि इन्हें अर्थशास्त्र का ज्ञान हो जाए। मैं आपको दक्षिणा में सौ गाँव प्रदान करूँगा।”
पंडित विष्णु शर्मा ने कहा की “राजन में अपनी विद्या का विक्रय नहीं करता हूँ, मैं सौ गाँव के बदले में अपनी विद्या बेचूंगा नहीं। लेकिन मैं आपको वचन देता हूँ कि मैं मात्र 6 माह में आपके पुत्रों को नीतियों में पारंगत कर दूंगा। यदि ऐसा न हुआ तो ईश्वर मुझे विद्या शुन्य कर दे।”
पंडित विष्णु शर्मा कि यह भीष्म प्रतिज्ञा सुनकर राजा अमरशक्ति स्तब्ध रह गये।
राजा अमरशक्ति ने मंत्रियों के साथ विष्णु शर्मा की पूजा-अभ्यर्थना की और तीनों राजपुत्रों को उनके हाथ सौंप दिया। पंडित विष्णु शर्मा तीनों राजकुमारों को अपने आश्रम ले आये। विष्णु शर्मा ने राजकुमारों को अलग-अलग प्रकार कि नीतिशास्त्र से संबंधित कहानियां सुनाई।
Panchatantra Stories के पात्रों में मनुष्य, पशु-पक्षी आदि का वर्णन किया और अपने विचारों को उन पात्रों के मुख से व्यक्त किया। उनको पात्रों को आधार बनाकर पंडित विष्णु शर्मा ने राजकुमारों को उचित-अनुचित और व्यावहारिक ज्ञान में प्रशिक्षित किया। राजकुमारों कि शिक्षा पूरी होने के बाद विष्णु शर्मा ने उन कहानियों को पंचतंत्र कि कहानियों के रूप में संकलित किया।
वर्तमान में उपलब्ध प्रमाणों के आधार यह कहा जा सकता हैं कि पंचतंत्र ग्रंथ कि रचना पूरी होने के दौरान पंडित विष्णु शर्मा कि उम्र लगभग 80 वर्ष कि रही होगी। वे दक्षिण भारत के महिलारोप्य नामक नगर में रहते थे।
पंचतंत्र के भाग – Part of Panchatantra
पंचतंत्र को पांच भागों में बांटा गया हैं।
- मित्रभेद (मित्रों में मनमुटाव एवं अलगाव)
- मित्रलाभ या मित्रसंप्राप्ति (मित्र प्राप्ति एवं उसके लाभ)
- संधि-विग्रह/काकोलूकियम (कौवे एवं उल्लुओं की कथा)
- लब्ध प्रणाश (मृत्यु या विनाश के आने पर; यदि जान पर आ बने तो क्या?)
- अपरीक्षित कारक (जिसको परखा नहीं गया हो उसे करने से पहले सावधान रहें; हड़बड़ी में क़दम न उठायें)
पंडित विष्णु शर्मा ने पंचतंत्र कि कहानियों (Panchatantra Stories in Hindi with Moral) को बेहद रोचक तरीके से पेश किया हैं, यह कहानियां मनोविज्ञान, व्यावहारिकता तथा राजकार्य से सिधान्तों कि सीख देती है। पंचतन्त्र की कहानियां बहुत जीवंत हैं। इनमे लोकव्यवहार को बहुत सरल तरीके से समझाया गया है। बहुत से लोग इस कहानियों को नेतृत्व क्षमता विकसित करने का एक सशक्त माध्यम मानते हैं।
इस आर्टिकल में हम Panchtantra ki Kahaniyan प्रकाशित कर रहे हैं, साथ ही समय-समय पर इस कहानियों को अपडेट भी किया जायेगा। आपसे अनुरोध हैं कि इस पेज को बुकमार्क कर लें, ताकि आप बाद में इसे आसानी से पढ़ सकें।
पंचतंत्र की कहानियां – Panchatantra Stories in Hindi
मित्रभेद – The Separation of Friends
- बन्दर और लकड़ी का खूंटा – The Monkey and The Wedge Story In Hindi
- सियार और ढोल – The Jackal and the Drum Story In Hindi
- व्यापारी का पतन और उदय – The Fall and Rise of A Merchant Story In Hindi
- मूर्ख साधू और ठग – The Foolish Sage & Swindler Story In Hindi
- लड़ती भेड़ें और सियार – Fighting Goats and the Jackal Story In Hindi
- दुष्ट सर्प और कौवे – The Cobra And The Crows Story In Hindi
- बगुला भगत और केकड़ा – The Crane And The Crab Story In Hindi
- चतुर खरगोश और शेर – The Cunning Hare And The Lion Story In Hindi
- खटमल और बेचारी जूं – The Bug And The Poor Flea Story In Hindi
- नीले सियार की कहानी – The Story Of The Blue Jackal In Hindi
- शेर, ऊंट, सियार और कौवा – The Lion, Camel, Jackal And Crow Story In Hindi
- टिटिहरी का जोड़ा और समुद्र का अभिमान – The Bird Pair and the Sea Story In Hindi
- मूर्ख बातूनी कछुआ – The Turtle that fell off the Stick Story In Hindi
- तीन मछलियों की कथा – Tale of the Three Fishes Story In Hindi
- हाथी और गौरैया – The Elephant and the Sparrow Story In Hindi
- सिंह और सियार – The Lion and the Jackal Story In Hindi
- चिड़िया और बन्दर – The Bird and the Monkey Story In Hindi
- गौरैया और बन्दर – The Sparrow And The Monkey Story In Hindi
- मित्र-द्रोह का फल – Right-Mind and Wrong-Mind Story In Hindi
- मूर्ख बगुला और नेवला – Foolish Crane And The Mongoose Story In Hindi
- जैसे को तैसा – The Rat that ate Iron Story In Hindi
- मूर्ख मित्र – The King and the Foolish Monkey Story In Hindi
मित्र सम्प्राप्ति – The Gaining of Friends
- साधु और चूहा – The Hermit and the Mouse Story In Hindi
- गजराज और मूषकराज की कथा – Elephants and King of Mice Story In Hindi
- ब्राह्मणी और तिल के बीज – Shandili and Sesame Seeds Story In Hindi
- व्यापारी के पुत्र की कहानी – Story of the Merchant’s Son Story In Hindi
- अभागा बुनकर – The Unlucky Weaver Story In Hindi
संधि-विग्रह/काकोलूकियम (कौवे एवं उल्लुओं की कथा) – Of Crows and Owls
- कौवे और उल्लू के बैर की पंचतंत्र कथा – Crows and Owls Story In Hindi
- हाथी और चतुर खरगोश – Elephants and Hares Story In Hindi
- धूर्त बिल्ली का न्याय – The Cunning Mediator Story In Hindi
- बकरा, ब्राह्मण और तीन ठग – The Brahmin & Three Crooks Story In Hindi
- कबूतर का जोड़ा और शिकारी – The Dove and the Hunter Story In Hindi
- ब्राह्मण और सर्प की कथा – The Brahmin And The Cobra Story In Hindi
- बूढा आदमी, युवा पत्नी और चोर – The Old Man, Young Wife and Thief Story In Hindi
- ब्राह्मण, चोर, और दानव की कथा – The Brahmin, Thief, and Demon Story In Hindi
- दो सांपों की कथा – The Tale of Two Snakes Story In Hindi
- चुहिया का स्वयंवर – The Wedding Of The Mice Story In Hindi
- सुनहरे गोबर की कथा – Tale Of The Golden Droppings Story In Hindi
- बोलने वाली गुफा – The Cave that Talked Story In Hindi
- सांप की सवारी करने वाले मेढकों की कथा – Frogs That Rode A Snake Story In Hindi
- कौवे और उल्लू का युद्ध – The War of Crows and Owls Story In Hindi
लब्ध प्रणाशा – Loss of Gains)
- बंदर का कलेजा और मगरमच्छ – The Monkey And The Crocodile Story In Hindi
- लालची नागदेव और मेढकों का राजा – The Greedy Cobra and Frog King Story In Hindi
- शेर और मूर्ख गधा – The Lion and the Foolish Donkey Story In Hindi
- कुम्हार की कहानी – The Story of the Potter Story In Hindi
- गीदड़ गीदड़ ही रहता है – Lioness and the Young Jackal Story In Hindi
- वाचाल गधा और धोबी – The Donkey and the Washerman Story In Hindi
- अविवेक का मूल्य – The Price of Indiscretion Story In Hindi
- सियार की रणनीति – The Jackal’s Strategy Story In Hindi
- कुत्ता जो विदेश चला गया – The Dog who went Abroad Story In Hindi
- स्त्री का विश्वास – Faith Of Women Story In Hindi
- स्त्री-भक्त राजा – King Who Loved His Wife Story In Hindi
अपरीक्षित कारक – Ill-Considered Actions
- अपरीक्षितकारकम् – Ill Considered Actions First Story In Hindi
- ब्राह्मणी और नेवला की कथा – The Brahmani and the Mongoose Story In Hindi
- मस्तक पर चक्र – The Four Treasure-Seekers Story In Hindi
- जब शेर जी उठा – The Lion that Sprang to Life Story In Hindi
- चार मूर्ख पंडितों की कथा – The Four Learned Fools Story In Hindi
- दो मछलियों और एक मेंढक की कथा – The Tale of Two Fishes & A Frog Story In Hindi
- संगीतमय गधा – The Musical Donkey Story In Hindi
- ब्राह्मण का सपना – The Brahmin’s Dream Story In Hindi
- दो सिर वाला जुलाहा – The Weaver with Two Heads Story In Hindi
- वानरराज का बदला – The Unforgiving Monkey King Story In Hindi
- राक्षस का भय – Fear Of Daemon Story In Hindi
- दो सिर वाला पक्षी – The Bird with Two Heads Story In Hindi
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