नारा लेखन हिंदी भाषा का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसका प्रयोग हर जगह पर किया जाता है। हम इनका प्रयोग राजनीति मुद्दों में, युद्ध में, विरोध प्रदर्शन में आदि में देखते है।
नारा कुछ शब्द मिलाकर बनाया जाता है, जो व्यक्ति के अंदर उत्सुकता पैदा करता है। आज हम यहाँ पर नारा लेखन इन हिंदी के विषय के बारे में विस्तार से जानेंगे और यह भी जानेंगे कि नारा कैसे बनाया जाता है।
नारा या स्लोगन क्या हैं?
नारा से तात्पर्य हिंदी में आह्वान वाक्य, उद्घोष या नीति वचन वाक्य या प्रचार वाक्य होता हैं। इसे अंग्रेजी में slogan writing कहते है।
नारा – जोर से शब्दों को बोलना, ऊंची और बुलंद आवाज, सामूहिक अथवा एकल की आवाज को लोगों तक पहुंचाने का मार्ग। नारा के व्याकरण में परिचय दिया जाए तो यह एक संज्ञा है और लिंग में पुलिंग है।
नारा की परिभाषा क्या है?
नारों का प्रयोग अलग-अलग विषयों से जुड़ी हुई, समाज में किसी वस्तु की विशेषता का स्थापन कराने में सहायता करती है। नारा संक्षिप्त होता है तथा साथ ही सार्थक एवं प्रेरणादायक होता है। कुछ ऐसे वाक्य अथवा शब्दों के समूह जो लोगों के मन मस्तिष्क पर ऐसा असर डाल देते हैं कि उन्हें भुलाए नहीं भूलता। ऐसे वाक्य जिनमें लोगों को प्रेरणा देने की शक्ति हो, नारा कहलाता है।
नारे का एक-एक शब्द इतना शक्तिशाली होता है कि लोगों के मन और मस्तिष्क तुरंत प्रभावित हो जाते हैं और यह जनमानस के हृदयों को वशीभूत कर जाते हैं। यदि इसे और सरलता से जाना जाए तो इसका प्रयोग ज्यादातर किसी व्यक्ति अथवा किसी पक्ष या किसी दल के विशेष उद्देश्य को लोगों तक पहुंचाने अथवा अभिव्यक्त करने के लिए एक लयबद्ध, विशेष, ऊर्जावान और तुकांत से परिपूर्ण विचार, जिसमें जनमानस को अपनी ओर आकर्षित करने की पूर्ण क्षमता हो इस रूप में नारे को प्रकट किया जाता है अथवा बोला या लिखा जाता है।
यह अत्यधिक प्रभावशाली होते हैं, इन्हें बार-बार दोहरा कर ऊंचे स्वरों में बोल सकते हैं। नारों में अक्सर सूक्ष्म में तथ्यों को इतनी सहजता और सरलता से आम जनता से जोड़ लिया जाता है कि वे भी इसमें जुड़ाव ढूंढने लगते हैं। प्रमुख रूप से इसमें आवाहन करने जैसे वाक्य प्रेरणा देने वाले वाक्य ही प्रयोग किए जाते हैं।
नारे को जितनी सरल भाषा में लिखा जाए यह लोगों को उतने ही लंबे समय तक याद रहते हैं। इसमें भी दो पक्ष होते हैं पहला पक्ष नकारात्मक और दूसरा सकारात्मक। नकारात्मक और सकारात्मक दोनों ही पक्ष सुनने वाले को प्रभावित करते हैं।
नारा राजनीति, वाणिज्य, धर्म और अन्य पक्षों में भी एक विचार को अथवा उद्देश्य को बार-बार अभिव्यक्त करने में प्रयोग करने वाला एक आदर्श वाक्य बन जाता है। यदि हम उस समय की बात करें जब अंग्रेज भारत पर अपना कब्जा जमाए हुए थे तब भी स्वतंत्रता सेनानियों ने जो नारे लगाए थे, उन्होंने अहम भूमिका अदा की थी। वे नारे आज भी हमारी जुबान पर चढ़े होते हैं।
स्वतंत्रता आंदोलन में रही नारों की अहम भूमिका
नारा एक ऐसा शब्द है, जो न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में प्रचलित है। क्योंकि इसका इतिहास बहुत पुराना है। हर एक देशों में अलग-अलग उद्देश्य से नारों को लिखा जाता है, इसे बोला जाता है। प्राचीन समय में भी नारे विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग किए जाते थे और लोगों को प्रेरणा देने की शक्ति रखते थे।
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में नारों की अहम भूमिका रही। इन नारो को हथियार बनाकर क्रांतिकारियों ने जनमानस तक स्वतंत्रता की लहर फैलाई। नारों के बलबूते स्वतंत्रता संग्राम में उन्हें अन्य सामान्य लोगों में स्वतंत्रता की तलप जगाई ताकि वह भी स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले सकें और देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके।
देश को स्वतंत्रता दिलाने में कई क्रांतिकारियों ने अपने जीवन का योगदान दिया और उन क्रांतिकारियों द्वारा विभिन्न प्रकार के नारों का प्रयोग किया गया। जिनमें से कुछ नारे बहुत प्रसिद्ध है जैसे वंदे मातरम, जय हिंद, करो या मरो, भारत माता की जय इत्यादि।
इस तरह इन चंद शब्दों ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जनमानस पर गहरा प्रभाव डाला। इन नारो के शब्दों के पीछे स्वतंत्रता आंदोलन का पूरा इतिहास छिपा हुआ है। आज भी इन नारो को बोलने से भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की झलक आंखों के सामने उत्पन्न हो जाती है। इस तरह नारो ने हथियार से भी ज्यादा तीखा प्रहार अंग्रेजों पर किया।
नारे कई प्रकार के होते हैं। आइए नारे के प्रकारों पर चर्चा करते हैं।
नारे के प्रकार अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग उद्देश्य के आधार पर होते हैं जैसे कि राजनीतिक, व्यवसायिक, मुख्य रूप से सामाजिक, धार्मिक, अध्यात्मिक, उत्साहवर्धक और प्रेरणादायक।कुछ नारे विरोध करने के लिए प्रयोग होते हैं तो कुछ नारे लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए प्रयोग होते हैं।
नारे लिखने के उद्देश्य
- किसी भी विशेष संस्था, समाज अथवा राजनीति के विषय में या किसी अभियान की ओर लोगो का ध्यान आकर्षित करने के लिए।
- समाज में जागरुकता फैलाना एक आदर्श संदेश लोगों तक पहुंचाना।
- जनमानस को विशेष कार्य हेतु प्रेरणा देना।
- लोगों की सामाजिक अभियक्ति को बाहर निकालने का कार्य करना।
- जनमानस किसी विशेष उद्देश्य के प्रति जागरूक हो, इसके लिए प्रयास करना। जैसे “जल ही जीवन है” का नारा है इस नारे के पीछे का उद्देश्य पानी बचाना है।
नारे की विशेषताएं
- नारे में कुछ ऐसे शब्द, लय होने चाहिए जो लोगों के दिलों को छू जाए।
- नारे में तुकबंदी हो और लय का सही प्रयोग इसे आकर्षक बनाते हैं।
- नारे में शब्दों का प्रयोग सरलता से होना चाहिए, लोकप्रिय और प्रचलित शब्द लोगों को जल्दी याद हो जाते है, इसीलिए लोकप्रिय शब्द का प्रयोग करना चाहिए।
- नारे को लिखते समय ध्यान रखना चाहिए कि वह संक्षिप्त हो और ऐसा हो कि सुनने वाला प्रभावित हो।
- नारा में गंभीर अर्थ प्रयुक्त होना चाहिए।
- इसकी शब्द सीमा 10 से 12 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए।
- इसमें एक विषय की विशेषता का सटीक रूप से वर्णन होना चाहिए।
- नारा सदैव एक आदर्श संदेश के साथ लिखा जाना चाहिए, जिसमें लोगों को प्रेरणा करने की क्षमता हो और लोगों को जागरूक कर सके।
- नारा मौलिकता, रचनात्मकता, एवं आकर्षक शब्दो से प्रयुक्त हों।
- इसमें शब्दों का उचित तालमेल और उचित रूप से चयन अति आवश्यक है।
- इसे और आकर्षक बनाने के लिए इसमें पर्यायवाची शब्द भी जोड़ सकते हैं।
जल ही जीवन है अथवा जल है तो कल है।
यहां जल शब्द दिया गया है, जो मूल शब्द पानी का पर्यायवाची है।
नारा 2 पंक्तियों में भी लिखा जा सकता है
हम सब का यही नारा,
पर्यावरण को सुरक्षित बनाना।
जहां सबको मिलती खुशियां सहर्ष।
ऐसा हमारा प्यारा देश भारत वर्ष।।
गांधी जी का था इरादा,
देशवासी करे स्वच्छता का वादा।
अपना देश महान है,
हिंदी से हिंदुस्तान है।
सोंधी सुगंध, मीठी सी भाषा
गर्व से कहो, हिंदी है मेरी भाषा।
भारत हमारी माता है,
जो हमारी भाग्य विधाता है।
नारा से जनमानस का हित
बुलंद आवाज में अचूक सी क्षमता होती हैं, जो जनता के मन मस्तिष्क पर प्रभाव डालती हैं। नारों के माध्यम से बहुत कम शब्दों में ही अपनी बात रखी जा सकती है और दूर दूरदराज के जनता तक पहुंचाई जा सकती है।
कुछ लोकप्रिय नारे तो पूरे समाज को परिवर्तित करने क्षमता रखते हैं। इनका असर बहुत तेजी से होता है तथा जल्दी से लोगों को याद हो जाता है। नारा को शब्द रूपी हथियार के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह उद्देश्यों की पूर्ति जल्दी कराते हैं।
इसमें जनता को प्रेरणा देने के लिए इससे बार-बार दोहराया वह जोर-जोर से बुलंद आवाज में बोला जाता है, इसीलिए इसका प्रभाव जल्दी पड़ता है।
यहां स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े हुए कुछ प्रसिद्ध नारे के बारे में लिखा जा रहा है।
- सुभाष चंद्र बोस ने “जय हिंद” और “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा” जैसे उत्साहपूर्ण नारा दिया।
- महात्मा गांधी द्वारा दिया गया “करो या मरो” का नारा।
- भगत सिंह द्वारा दिया गया “इंकलाब जिंदाबाद” का नारा।
- लाल बहादुर शास्त्री द्वारा दिया गया “जय जवान जय किसान” का नारा।
- बाल गंगाधर तिलक द्वारा दिया गया “स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा” का नारा।
- राम प्रसाद बिस्मिल द्वारा दिया गया “सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है” का नारा।
- जवाहरलाल नेहरू द्वारा दिया गया “आराम हराम है”का नारा।
कुछ अन्य प्रसिद्ध नारे हैं, जो समाज की प्रगति और उन्नति में सहायक होते हैं वह निम्न है:
- “जल है तो जीवन है” का नारा जल बचाने की प्रेरणा देता है।
- “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” के नारे से हम सीखते हैं कि लड़कियों को बचाना भी है और उन्हें शिक्षित भी करना है।
- “पेड़ लगाओ, पेड़ बचाओ, इस दुनिया को हरा भरा बनाओ” ऐसा नारा हमें पर्यावरण के प्रति जागरूक करता है।
कुछ अन्य प्रसिद्ध नारे भी हैं, जिन्हें हमेशा प्रयोग किया जाता है।
जल ही जीवन है।
पेड़ लगाओ धरती बचाओ।
एक नया सवेरा लाएंगे पूरे,
भारत को स्वच्छ बनाएंगे।
छोड़ो अपने सारे काम
पहले चलो करें मतदान।
मानो तुम मेरा कहना
शिक्षा से दूर रहना।
जागो ग्राहक जागो
अपने अधिकारों को पहचानो।
कोरोना वायरस से संबंधित नारे
2 गज दूरी, मास्क है जरूरी।
2 गज दूरी का रखो ध्यान
यही है कोरोना का समाधान।
काम में और काम के बाद,
सुरक्षा रहे सदा आपके साथ।
जो मास्क से दोस्ती तोड़ेगा,
वह एक दिन दुनिया छोड़ेगा।
FAQ
नारा लिखने के लिए कम से कम 10 से 12 शब्दों का चयन करना चाहिए, जो गंभीर अर्थ को प्रकट करें। नारे लिखते वक्त ध्यान रहे कि इसमें किसी एक विषय की विशेषता का सटीक रूप से वर्णन होना चाहिए। नारे में प्रयोग किए गए हर एक शब्द लिखे लोगों के दिलों सिधे उतर जाना चाहिए। इसके शब्द सरल, लोकप्रिय और प्रचलित होने चाहिए, जिससे लोगों के जुबान पर यह आसानी से चढ जाएं और हर कोई इस नारे को आसानी से बोल सकें। नारे को लय के साथ लिखा जाना चाहिए, जिससे यह प्रभावशाली हो सके।
नारे कितने शब्दों में लिखा जाना चाहिए यह महत्व नहीं रखता है। क्योंकि नारे में प्रयोग किए जाने वाले शब्द आदर्श पूर्ण होने चाहिए, उसमें लोगों को प्रेरणा करने की क्षमता होनी चाहिए। ऐसे शब्दों का प्रयोग होना चाहिए जो जनसमूह को जागृत कर सके। इस तरीके से कम से कम 10 से 12 शब्दों की सीमा में ऐसे नारे होने चाहिए, जिसमें गंभीर अर्थ का भाव उत्पन्न हो।
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में अनेक स्वतंत्रता क्रांतिकारियों द्वारा अलग-अलग नारे बोले गए थे, जिसमें बाल गंगाधर तिलक द्वारा स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, गांधी जी द्वारा हे राम, पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा हू विल्स इफ इंडिया डाईड, सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, सारे जहां से अच्छा हिंदुस्ता हमारा, वंदे मातरम, भारतवर्ष को तलवार के बल पर जीता गया था और तलवार के बल पर ही उसे ब्रिटेन के कब्जे में रखा जाएगा जैसे कुछ अन्य नारे है।
नारे का शाब्दिक अर्थ बुलंद आवाज होता है, जो आदर्श वाक्य है जिसका प्रयोग धार्मिक, व्यवसायिक, राजनीति और अन्य संदर्भ में किसी एक निश्चित विचार या उद्देश्य की अभिव्यक्ति के रूप में किया जाता है और नारा का उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों को, जनसमूह को राजी करना होता है।
निष्कर्ष
यहाँ पर हमने नारा लेखन हिंदी में (स्लोगन राइटिंग इन हिंदी) और नारा लेखन कैसे लिखते हैं के विषय के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त की है। उम्मीद करते हैं आपके लिए यह जानकारी मददगार रही होगी, इसे आगे शेयर जरूर करें। यदि आपका इस लेख से जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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