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महात्मा गांधी का जीवन परिचय

Biography of Mahatma Gandhi in Hindi: अगर हम भारत के इतिहास की बात करें तो स्वतंत्रता संग्राम एक बहुत आवश्यक अध्याय है, जिनके बारे में भारत के प्रत्येक नागरिक को पता होना चाहिए। इस स्वतंत्रता संग्राम में बहुत सारे लोगों ने अपने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति चढ़ा दी, जिसमें पहला नाम महात्मा गांधी का आता है।

Biography of Mahatma Gandhi in Hindi

आज के लेख में हम महात्मा गांधी का जीवन परिचय आपके समक्ष प्रस्तुत करने जा रहे हैं, जिसे पढ़ने के बाद आप महात्मा गांधी के व्यक्तित्व विचारों और सिद्धांतों को करीब से समझ पाएंगे और क्यों उन्हें भारतीय राष्ट्र का पिता माना जाता है यह भी समझ पाएंगे।

महात्मा गांधी को हम ना केवल एक वकील बल्कि एक राजनेता, समाज सेवक, लेखक, महान देशभक्त और भारत के राष्ट्रपिता के रूप में जानते है। इस वजह से महात्मा गांधी का जीवन परिचय विभिन्न परीक्षा और प्रतियोगिता में पूछा जाता है। जिस वजह से प्रत्येक विद्यार्थी और भारतीय नागरिक को महात्मा गांधी की जीवनी पढ़नी चाहिए।

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महात्मा गांधी का जीवन परिचय (Biography of Mahatma Gandhi in Hindi)

नाममहात्मा गांधी
पूरा नाममोहनदास करमचंद गांधी
जन्म और जन्मस्थान2 अक्टूबर 1869, पोरबंदर (गुजरात)
पिता का नामकरमचंद गांधी
माता का नामपुतलीबाई
पत्नी का नामकस्तूरबा गांधी
संतानहरिलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास (4 बेटे)
शिक्षामॅट्रिक (1887), बैरिस्टर (1891)
उपाधिराष्ट्रपिता
धर्महिंदू
राष्ट्रीयताभारतीय
उपलब्धियांआजाद में अहम योगदान
मुख्य आंदोलनचंपारण और खेड़ा सत्याग्रह, खिलाफत आंदोलन, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, दांडी मार्च, अंग्रेजों भारत छोड़ो
मृत्यु30 जनवरी 1948
समाधिराजघाट (नई दिल्ली)

महात्मा गांधी कौन थे?

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद्र गांधी था, जो एक पेशेवर वकील थे। जिन्होंने अपने देश के हालात को अंग्रेज सरकार के हाथ में रहकर बिगड़ते हुए देखा तो एक देशभक्त के रूप में देश के सभी नागरिकों के समक्ष अंग्रेज सरकार के खिलाफ आजादी के लड़ाई को नेतृत्व करने के लिए उतरे।

महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता सेनानी होने के बावजूद अपने व्यक्तित्व का प्रकाश पश्चिमी देशों में भी बिखेरे थे। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था और उनकी माता का नाम पुतलीबाई था।

महात्मा गांधी की शादी 12 वर्ष की आयु में करवा दी गई थी, जिसके बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई को जारी रखा और इंग्लैंड बैरिस्टर पढ़ने के लिए गए थे। लंदन से वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे अफ्रीका गए, जहां अपने वकालत पर काम करने के दौरान उन्होंने काले लोगों की दयनीय स्थिति को देखा और वहां से सर्व प्रथम आंदोलन और नेतृत्व का कार्य शुरू किया।

1916 में भारत वापस लौटने पर महात्मा गांधी ने भारत में सविनय अवज्ञा आंदोलन, अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन, असहयोग आंदोलन, दांडी मार्च, चंपारण आंदोलन, करो या मरो आंदोलन जैसे अनेकों बड़े-बड़े आंदोलन का नेतृत्व करके सभी भारतीयों को एकजुट किया और अंग्रेजों को भारत से भगाया।

भारत को आजाद करने में महात्मा गांधी के सर्वोच्च बलिदान को देखते हुए उन्हें भारत के राष्ट्रपिता की उपाधि दी गई। जिस वजह से महात्मा गांधी को भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में हम हमेशा याद रखते हैं।

महात्मा गांधी का प्रारंभिक जीवन

महात्मा गांधी को उच्च शिक्षा प्राप्त करने की सलाह मिली। उस दौर में भारत विकसित नहीं था, जिस वजह से बाल विवाह जैसी प्रथा चलती थी। इसी प्रथा के वजह से गांधीजी की शादी 12 वर्ष की उम्र में एक 13 वर्षीय लड़की से करवा दी गई, जिनका नाम कस्तूरबा गांधी था।

1888 में भावनगर के सामलदास कॉलेज से अपनी स्नातक की शिक्षा पूरी करने के बाद महात्मा गांधी इंग्लैंड के लंदन बैरिस्टर की पढ़ाई करने चले गए। वहां वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह बैरिस्टर बने और आपने कार्य की शुरूआत दक्षिण अफ्रीका से की।

दक्षिण अफ्रीका में वकालत का काम करने के दौरान उन्होंने वहां पर काले लोगों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को समझा और इससे बड़े आहत हुए। उस दौरान महात्मा गांधी ने लेनिन और कार्ल मार्क्स की किताब को पढ़कर आंदोलन और नेतृत्व की ताकत को समझा।

दक्षिण अफ्रीका में उनकी मुलाकात गोपाल कृष्ण गोखले से हुई, जिन्हें महात्मा गांधी का राजनीतिक गुरु माना जाता है। गोपाल कृष्ण गोखले ने महात्मा गांधी को राजनीतिक शिक्षा दी और उन्हें अंग्रेजों के खिलाफ राजनीतिक तौर पर कार्य करने की समझ दी।

अपनी शिक्षा को पूरी करने के बाद महात्मा गांधी 1916 में भारत पहुंचे। भारत आने के बाद महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया और अलग-अलग तरह के आंदोलन का नेतृत्व करते हुए भारत को आजादी दिलाई। गांधी जी के हरिलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास चार बेटे थे, जो स्वतंत्रता संग्राम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे।

महात्मा गांधी का भारतीय स्वतंत्रता में योगदान

गांधी जी को हम सब भारत के स्वतंत्रता संग्राम में विभिन्न आंदोलन का नेतृत्व करने से जानते है। अगर हम महात्मा गांधी के भारत के प्रति योगदान की बात करें तो आधुनिक इतिहास में महात्मा गांधी का योगदान सर्वप्रिय माना जाएगा।

महात्मा गांधी भारत के वह पहले नेता थे, जिन्होंने राजनीतिक तरीके से बिना अहिंसा किये केवल सबूत और कानूनी कार्रवाई के दम पर अंग्रेजों के खिलाफ उन्हीं के तरीके से जीत हासिल की। जिसका सबसे बेहतरीन उदाहरण महात्मा गांधी के द्वारा शुरू किया गया पहला आंदोलन चंपारण आंदोलन है।

महात्मा गांधी 1 साल तक भारत का दौरा करते रहे, जिसके बाद उन्होंने बिहार के चंपारण को आंदोलन को शुरू करने का सबसे सटीक जगह माना और 1918 में चंपारण आंदोलन नील की खेती करने वाले किसानों के लिए शुरू किया।

अंग्रेजों के खिलाफ उनके कोर्ट में केस दायर किया और अंग्रेजों के कोर्ट में ही अंग्रेजों को हराकर भारतीय लोगों के समक्ष शांति और अहिंसा से किस प्रकार जीता जा सकता है इसका एक उदाहरण प्रस्तुत किया।

इसके बाद गांधी जी ने लगातार कई आंदोलनों का नेतृत्व किया, जिसमें 1920 का असहयोग आंदोलन सबसे प्रमुख और लोकप्रिय माना जाता है। मगर इस आंदोलन के बाद गांधीजी इस बात को समझ गए कि अंग्रेजों का सहयोग छोड़ने से वह भारत को नहीं छोड़ेंगे, जिस वजह से 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की गई।

जिस समय भारत के प्रत्येक नागरिक के आंखों में आजादी की चमक दिखने लगी थी। मगर अंत में जब अंग्रेजों को सुधरता हुआ नहीं देखा गया तो 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की मुहिम शुरू की गई, जिसकी चीख ने अंग्रेजों को भारत से भगाकर दम लिया।

गांधी जी ने सत्य और अहिंसा की राह पर चलते हुए भारत को अंग्रेजों से मुक्त कराया। उनकी प्रभावशाली व्यक्तित्व को देखते हुए रविंद्र नाथ टैगोर ने गांधी जी को महात्मा की उपाधि दी और उस समय से उन्हें महात्मा गांधी के नाम से जाना जाने लगा। महात्मा गांधी ने मुख्य रूप से पांच बड़े आंदोलन का नेतृत्व किया था, जिसमें से तीन आंदोलन राष्ट्र भर में बहुत बड़े स्तर पर चले थे।

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गांधीजी के मुख्य आंदोलन

जैसा कि हमने आपको बताया गांधी जी ने विभिन्न प्रकार के आंदोलन में हिस्सा लिया। जिसमें से पांच आंदोलन को सबसे प्रमुख आंदोलन माना जाता है। उसमें से भी 3 ऐसे आंदोलन थे, जो पूरे राष्ट्र में बहुत बड़े स्तर पर चले थे। हम उनके सभी आंदोलन के बारे में विस्तार से जानेंगे।

चंपारण और खेड़ा सत्याग्रह

गांधीजी 1916 में भारत आए। 1917 तक पूरे भारत का दौरा करने के बाद 1918 में अपने आंदोलन की शुरुआत बिहार के पटना में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के निर्देशन पर चंपारण आंदोलन किया।

जिस आंदोलन में उन्होंने नील की खेती करने वाले किसानों से उनकी मर्जी के खिलाफ लगान लेने वाले अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया था। जिसमें उन्होंने जीत हासिल की थी और किसानों के ऊपर लगाए जाने वाले लगान को रोक दिया था।

1918 में ही खेड़ा सत्याग्रह बिहार में किया गया था। जिसमें मील में काम करने वाले मजदूरों को उचित तनख्वाह नहीं दी जाती थी, जिसके खिलाफ और अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी गई थी। गांधी जी ने इस लड़ाई में जीत हासिल की और मील मजदूरों को उनके उचित तनख्वाह दिलवाई।

खिलाफत आंदोलन

भारत में विश्व युद्ध खत्म होने के बाद हिंदू-मुस्लिम को लेकर विभिन्न प्रकार की लड़ाइयां चलने लगी थी, जिसे कम करने और देश के सभी धर्म के लोगों को एकजुट करने के लिए 1919 में खिलाफत आंदोलन का नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया।

यह आंदोलन धीरे-धीरे बड़ा रूप ले रहा था और लोगों ने इस आंदोलन को बड़े स्तर पर उठाने के लिए अलग-अलग जगह पर सभा करना शुरू किया। ऐसी ही एक सभा दिल्ली के जालियांवाला बाग में हो रही थी। इस दौरान 13 अप्रैल 1919 को जालियांवाला बाग में बैठे सभी बच्चे, बूढ़े, औरत और आदमियों पर अंधाधुंध गोलीबारी कर के बहुत बड़े स्तर पर नरसंहार कर दिया गया।

खिलाफत आंदोलन और जालियांवाला बाग की सभा मुख्य रूप से काला कानून अर्थात रौलट एक्ट के खिलाफ किया गया था। इस हत्याकांड के बाद महात्मा गांधी ने पूरी तरह से सभी प्रकार के आंदोलनों को देश में रूप दिया और बहुत शोक व्यक्त किया।

असहयोग आंदोलन

1920 में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया, जिसमें उन्होंने भारत के प्रत्येक नागरिक से अनुरोध किया कि अंग्रेज सरकार को किसी भी प्रकार का सहयोग ना करें। उनका कोई भी काम कोई भारतीय व्यक्ति ना करें और अंग्रेज की नौकरी को छोड़ दें, अंग्रेज की मजदूरी को छोड़ दें, अंग्रेज के सामान को ना खरीदें, इस तरह अंग्रेज को पूरी तरह से बहिष्कार करें।

यह आंदोलन में गांधीजी का पहला सबसे बड़ा आंदोलन था, जो पूरे राष्ट्र में शुरू हुआ और लोगों ने एकजुट होकर गांधी जी की बात मानना शुरू किया। कुछ महीनों तक इस आंदोलन के चलने के बाद गांधीजी यह समझ गए कि अंग्रेजों को किसी भी प्रकार किस सहयोग की आवश्यकता ही नहीं है। क्योंकि वह यहां लूटने आए हैं, जिसके बाद उन्होंने अपने आंदोलन प्रक्रिया में बदलाव किया।

चौरी-चौरा कांड

1920 से लेकर 1922 तक भारत में असहयोग आंदोलन बड़े स्तर पर चल रहा था, उसी दौरान 4 फरवरी 1922 को हरियाणा के चौरी चौरा नाम के एक स्थान पर कुछ शांति से आंदोलन कर रहे लोगों को पुलिस ने मारना शुरू किया। पुलिस की इस हरकत से गुस्सा होकर लोगों ने पुलिस को दौड़ाया और पूरे पुलिस स्टेशन में आग लगा दी, जिसमें 22 पुलिस वाले जिंदा जल गए।

गांधीजी ने इस हरकत के बारे में सुनते ही अपना गुस्सा व्यक्त किया और तुरंत असहयोग आंदोलन को रोक दिया। उस वक्त भारत के सभी लोगों ने गांधी जी का बड़ा विद्रोह किया था। हर कोई चाहता था कि यही सही मौका है इस आंदोलन को और बड़े स्तर पर उठाने का।

मगर गांधीजी जानते थे कि इस वक्त सरकार बहुत गुस्से में है और अगर इस वक्त आंदोलन किया जाएगा तो उसका खामियाजा कुछ बेकसूर लोगों को उठाना पड़ेगा। इस वजह से उन्होंने इस आंदोलन को तुरंत बंद कर दिया।

अंग्रेज सरकार अपना पूरा गुस्सा गांधीजी पर उतारती है और उन्हें 8 साल के लिए जेल में बंद कर दिया जाता है, जिस दौरान उन्होंने “सत्य के प्रयोग” नाम की एक किताब लिखी, जिसे गांधीजी की आत्मकथा की उपाधि दी गई है।

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सविनय अवज्ञा आंदोलन

जेल से बाहर निकलने के बाद 1930 में गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की, जो गांधी जी का दूसरा सबसे बड़ा आंदोलन बना और पूरे राष्ट्र में शुरू किया गया। इस आंदोलन में अंग्रेज सरकार के सभी सवाल का विनम्रता से ना में जवाब देने को कहा गया।

अंग्रेज सरकार को बिना हाथ उठाए, बिना कोई गलत काम किए शांति से नकारते हुए आंदोलन को बड़ा रूप दिया गया। इस आंदोलन से अंग्रेज सरकार पर बहुत भारी असर देखने को मिला। मगर कुछ जगहों पर यह आंदोलन धीरे-धीरे उग्र रूप लेने लगा, जिस वजह से कुछ समय के बाद इस आंदोलन को रोकना पड़ा।

दांडी मार्च

1930 के दौर में अंग्रेज सरकार अलग-अलग तरह की चीजों पर बिना मतलब का टैक्स लगाती थी, जिससे बचने के लिए गांधी जी ने दांडी मार्च का आंदोलन किया। उन्होंने 12 मार्च 1930 को 78 लोगों की टोली के साथ साबरमती आश्रम से दांडी नाम के स्थान तक पैदल चलना शुरू किया।

धीरे-धीरे इस कारवां में और लोग जुड़ते चले गए और जब वह दांडी पहुंचे तो वहां गांधीजी के पीछे चलने वाले लोगों की संख्या हजारों में थी। गांधी जी ने समुद्र के पानी से नमक बनाया और नमक पर लगने वाले टैक्स को तोड़ा और देश के नागरिकों को बताया कि गलत टैक्स लगने वाले नमक को ना खरीदें। अपना नमक खुद बनाए और देश भर में भारतीय नमक भेजें।

दांडी मार्च के दौरान एक जगह पर बहुत सारे लोग जुट गए थे और इसी जगह गांधी जी ने भाषण दिया और सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की।

अंग्रेजों भारत छोड़ो

1940 आते-आते भारत में हर किसी को लगने लगा था कि अब अंग्रेज सरकार पहले से कमजोर हो गई है और अब आजादी मिलने वाली है। हर कोई बड़ा-बड़ा आंदोलन करने लगा था। हर जगह अंग्रेज के खिलाफ बड़ी-बड़ी मुहिम चल रही थी।

इस वक्त गांधी जी ने जोर शोर से ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ का नारा देते हुए हर किसी को घर से निकलकर दिल्ली तक चलने का संदेश दिया। पूरे भारत में लोग बहुत दूर-दूर से अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा देते हुए दिल्ली में उनके संसद तक जा पहुंचे और उनके अंदर घुसकर अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा लगाया।

महात्मा गांधी की मृत्यु

महात्मा गांधी ने अपने पूरे जीवन काल में कितने ही आंदोलन किए और किस तरह भारत के सभी लोगों को एकजुट किया। साथ ही अपने व्यक्तित्व को विश्वभर में कुछ इस तरह प्रस्तुत किया कि पूरी दुनिया के लोग इस बारे में सोचते रहते थे कि किस प्रकार घर में बैठकर एक बूढ़े आदमी ने आवाज उठाई और उसकी आवाज देश की हर एक कोने में गूंज गई और हर कोई उसकी बात मानते हुए घर से निकलकर आंदोलन करने लगा।

गांधी जी का यह व्यक्तित्व और प्रभाव आज भी विश्व के सभी लोगों के लिए एक रोचक बात बनी हुई है। मगर 1947 में जब अंग्रेजों ने भारत को आजाद किया और एक और देश पाकिस्तान की मांग की, जिसके बाद भारत दो अलग-अलग हिस्सों में टूट गया।

गांधीजी इस फैसले के खिलाफ कुछ नहीं कर सके। गांधी जी ने देश के टूटने पर अपना समर्थन दिखाया, जिस बात से गुस्सा होकर उस जमाने के एक प्रचलित वकील नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी पर सरेआम गोली चला दी। 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी को गोली लगने से मृत्यु हो गई। उस वक्त महात्मा गांधी के मुंह से आखरी शब्द “हे राम” निकला था।

 FAQ

महात्मा गांधी का पूरा नाम क्या था?

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

महात्मा गांधी का सबसे बड़ा आंदोलन कौन सा था?

महात्मा गांधी ने मुख्य रूप से पांच बड़े आंदोलन की है। जिसमें से तीन आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर सबसे बड़े आंदोलनों में गिना जाता है। जिसमें सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो और असहयोग आंदोलन आता है।

महात्मा गांधी की पत्नी का नाम क्या था?

महात्मा गांधी की पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी था।

गांधी जी को महात्मा की उपाधि किसने दी?

गांधी जी को महात्मा की उपाधि उस जमाने के बहुत बड़े लेखक और लिटरेचर में नोबेल पुरस्कार विजेता रविंद्र नाथ टैगोर ने दी।

महात्मा गांधी के गुरु कौन थे?

महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले को माना जाता है।

निष्कर्ष

हमने अपने आज के इस लेख में महात्मा गांधी का जीवन परिचय हिंदी में (mahatma gandhi ka jivan parichay) के बारे में जानकारी दी है। हमें उम्मीद है कि महात्मा गांधी जी के जीवन परिचय पर प्रस्तुत किया गया यह लेख आप लोगों के लिए काफी ज्यादा हेल्पफुल और यूजफुल साबित हुआ होगा।

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