आज के इस लेख में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बारे में जानेंगे। यहां पर जवाहरलाल नेहरू कौन थे, इनका भारत की स्वतंत्रता के पीछे क्या हाथ था आदि जैसे कुछ सवालों के बारे में जानने के साथ ही इनकी पूर्णता विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त करेंगे। तो आइए लेख को प्रारंभ करते हैं।

पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय (जन्म, परिवार, शिक्षा, राजनीतिक जीवन, सम्मान, मृत्यु)
पंडित जवाहरलाल नेहरू की जीवनी एक नज़र में
नाम | जवाहरलाल नेहरू |
अन्य नाम | चाचा नेहरू |
जन्म एवं जन्मस्थान | 14 नवंबर 1889, इलाहाबाद |
पिता का नाम | मोतीलाल नेहरू |
माता का नाम | स्वरूप रानी नेहरू |
पत्नी का नाम | कमला कौर |
स्कूल/कॉलेज | हैरो स्कूल (इंग्लैंड) ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज |
बच्चे | इन्दिरा गांधी |
पेशा | बैरिस्टर, लेखक, राजनीतिज्ञ |
राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
पुरस्कार/सम्मान | भारत रत्न (1955) |
मृत्यु | 27 मई 1964 (74 वर्ष में), नई दिल्ली, भारत |
पंडित जवाहरलाल नेहरू कौन थे?
पंडित जवाहरलाल नेहरू हमारे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। यह एक ऐसे व्यक्ति भी थे, जिन्होंने स्वतंत्रता के महासंग्राम में भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के मुख्य सहयोगी थे। स्वतंत्रता के बाद जब 1952 में देश को एक नई संविधान प्राप्त करवाई गई, उस समय पंडित जवाहरलाल नेहरू को प्रथम प्रधानमंत्री बनाया गया।
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने प्रधानमंत्री पद को धारण करने के बाद अपने देश की विभिन्न समस्याओं को दूर किया और शैक्षिक सामाजिक और विभिन्न क्षेत्रों में भी सुधार की नींव रखी।
जिस समय पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश की बागडोर संभाली थी, उस समय इन्हें अपने देश की आबादी को एकजुट करने के लिए और उन्हें अनेकों बाधाओं से दूर करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी थी, क्योंकि सबसे पहला प्रधानमंत्री का पद इन्होंने ही किया था।
परंतु पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश की संस्कृति और धर्म को एक साथ जोड़ने के लिए अपने इस प्रयास को अग्रसर रखा और सभी देशवासियों को एक साथ जोड़ा। पंडित जवाहरलाल नेहरू के समय इतने ज्यादा लोकप्रिय हुए थे, कि लोग इन्हें चाचा नेहरू भी कहने लगे थे।
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने जीवन में कई बार राजनीति और देश को लेकर ठोकरें खाई, परंतु फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और उन्हें सफलतापूर्वक विभिन्न आर्थिक सामाजिक और शैक्षणिक सुधार करके लाखों भारतीयों से सम्मान और प्रशंसा अर्जित की। जवाहरलाल नेहरू भारतीय, धर्मनिरपेक्ष और गांधीवादी राजनेता थे।
पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म कब हुआ था?
पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म कश्मीरी पंडित वंश के एक सास्वत ब्राह्मण परिवार में 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में हुआ। नेहरू बचपन से ही बड़े प्रभावशाली एवं अच्छी बातें करते थे। कश्मीरी पंडित समुदाय के साथ संबंध होने के कारण उन्हें लोगों द्वारा पंडित नेहरू के नाम से भी पुकारा जाता था।
पंडित जवाहरलाल नेहरू के पारिवारिक संबंध
पंडित जवाहरलाल नेहरू के पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था। इनके पिता मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद के बहुत ही प्रसिद्ध वकील थे। इनकी माता का नाम स्वरूप रानी नेहरू था, जो लाहौर में बसे कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से थी।
पंडित जवाहरलाल नेहरू की दो बहनें भी थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू की बड़ी बहन का नाम विजयालक्ष्मी तथा उनके छोटी बहन का नाम कृष्णा हठीसिंग था। उनकी बड़ी बहन विजयलक्ष्मी बाद में संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्ष बनी और उनकी छोटी बहन कृष्णा हठीसिंग एक बहुत ही अच्छी लेखिका थी।
जवाहरलाल नेहरू की शैक्षणिक योग्यता
पंडित जवाहरलाल नेहरू शिक्षा के मामले में अन्य राजनेताओं से ज्यादा पढ़े लिखे थे, क्योंकि इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा तो घर पर प्राप्त की थी। परंतु उन्होंने घर पर शिक्षा प्राप्त करने के साथ-साथ अपनी आगे की शिक्षा को अग्रसर रखने के लिए भारत के कुछ अच्छे स्कूलों और इसके बाद विश्व विद्यालय की शिक्षा हेतु विश्व के सबसे अच्छे विश्वविद्यालय में प्राप्त की।
पंडित जवाहरलाल नेहरू सन 1905 में लगभग 15 वर्ष की उम्र में इंग्लैंड चले गए। नेहरू इंग्लैंड जाकर के अपनी पढ़ाई को अग्रसर रखा और वहां पर इन्होंने हैरो नामक स्कूल में शिक्षा प्राप्त की।
वहां से शिक्षा प्राप्त करने के बाद जवाहरलाल नेहरू केब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज से पंडित जवाहरलाल नेहरू ने स्नातक तक की डिग्री प्राप्त की। अपनी डिग्री प्राप्त करने के बाद जवाहरलाल नेहरू लंदन के इनर टेंपल में चले गए। लंदन के इनर टेंपल में इन्होंने अपने संपूर्ण जीवन के लगभग 2 वर्ष बिताएं और वहां से वकालत की पढ़ाई पूरी की।
पंडित जवाहरलाल नेहरू की विदेश यात्रा
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने जीवन का लगभग 9 से 10 वर्ष का समय विदेशों में बिताया। नेहरू बहुत छोटी सी उम्र में ही विदेश चले गए थे। जिस समय नेहरू विदेश गए थे, उस समय उनकी उम्र मात्र 15 वर्ष थी।
पंडित जवाहरलाल नेहरू लगभग 7 वर्षों तक इंग्लैंड में रहे और उन्होंने वहां पर फेबियन समाजवाद और आयरिश राष्ट्रवाद के लिए एक अलग दृष्टिकोण का विकास किया। इसके बाद इन्होंने लंदन के इनर टेंपल में 2 वर्ष बताए, जिससे वहां पर उन्होंने भारतीय संस्कृति को बढ़ावा प्रदान किया।
इस आधार पर पंडित जवाहरलाल नेहरू विदेश में अपनी पढ़ाई से लेकर के घूमने तक में लगभग 9 से 10 वर्षों का समय लिया और जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री बनने के बाद भी अपने देश के संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए विदेश जाया करते थे।
ऐसे में यदि देखा जाए तो पंडित जवाहरलाल नेहरू विदेशों में अपनी संस्कृति को लगभग 10% तक फैला चुके थे और वर्तमान समय में हमारी भारतीय संस्कृति को पूरे विश्व भर में सर्वोपरि माना जाता है।
पंडित जवाहरलाल की पत्नी
पंडित जवाहरलाल नेहरू जब इंग्लैंड से अपनी वकालत की पढ़ाई पूरी करके वापस लौटे थे, तो 1912 में इन्होंने भारत में अपनी वकालत शुरू की और महात्मा गांधी को कई बार कारागार में जाने से भी बचाया।
पंडित जवाहरलाल नेहरू का 8 फरवरी 1916 को कमला कौर से विवाह हुआ। कमला कौर का विवाह हुआ तब ये 17 वर्ष की थी और इनका पूरा नाम कमला कौल नेहरू था। 28 फरवरी 1936 को स्विटज़रलैंड में कमला नेहरू की टीबी की बीमारी के कारण मृत्यु हो गई।
पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुत्री
जिस प्रकार पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के लिए अपने जीवन को समर्पित करने के लिए जाने जा रहे थे, ठीक उसी प्रकार इनकी पुत्री भी देश हित के लिए पूरे भारत में जानी जाती थी। जवाहरलाल नेहरू की पुत्री का नाम इंदिरा गांधी था।
पंडित जवाहरलाल नेहरू के विवाह के ठीक 1 वर्ष बाद उनकी पत्नी कमला नेहरू ने 19 नवम्बर 1917 को इंदिरा गांधी को जन्म दिया। इंदिरा गांधी पहली ऐसी महिला थी, जो प्रधानमंत्री बनी थी।
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पंडित जवाहरलाल नेहरू का राजनीतिक जीवन
वर्ष 1926 से 1928 तक पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव के रूप में देश की सेवा की। इसके बाद वर्ष 1928 से 1929 तक पंडित नेहरू ने कांग्रेस के वार्षिक सत्र का आयोजन मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में किया था। इस सत्र में नेताजी सुभाष चंद्र बोस और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने मिलकर के पूरी राजनीतिक स्वतंत्रता की मांग का समर्थन किया था।
जबकि मोतीलाल नेहरू और अन्य नेता ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत ही प्रभुत्व संपन्न राज्य चाहते थे। परंतु जवाहरलाल नेहरू का ऐसा मानना नहीं था वह चाहते थे कि वह खुद के देश में किसी के अंतर्गत चलने वाले साम्राज्य में ना रहे। इस मसले को हल करने के लिए महात्मा गांधी ने एक ऐसा रास्ता निकाला और उन्होंने कहा कि हम ब्रिटिश वादियों को भारतवर्ष के राज्यों का दर्जा दिलाने के लिए उन्हें 2 साल का समय देंगे।
यदि ऐसा नहीं होता है तो कांग्रेस पूर्व राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए एक राष्ट्रीय आंदोलन शुरू करेगी। सुभाष चंद्र बोस और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस समय को कम करके 1 वर्ष कर दिया। परंतु ब्रिटिश वादियों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
हमारे भारतवर्ष के इतिहास में एक ऐसा मौका भी आया था कि जब महात्मा गांधी को स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के लिए स्वयं श्री सरदार वल्लभभाई पटेल और जवाहरलाल नेहरू ने किसी एक का चयन करना था। परंतु लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के सामने पंडित जवाहरलाल नेहरू का विनम्र राष्ट्रीय दृष्टिकोण भारी पड़ा।
ऐसा करके महात्मा गांधी ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को ना केवल प्रधानमंत्री बनाया। अपितु उन्हें लंबे समय तक के लिए संपूर्ण विश्व के सबसे विशाल लोकतंत्र की बागडोर संभालने का गौरव प्राप्त कराया गया।
पंडित जवाहरलाल नेहरू के विचार
पंडित जवाहरलाल नेहरू को उच्च विचारों के लिए भी जाना जाता है और पंडित जवाहरलाल नेहरू का देश के प्रति बहुत ही अच्छा विचार था, जो कि निम्न निम्नलिखित प्रकार से दर्शाया गया है।
- उनका कहना था कि नागरिकता देश की सेवा में छिपी होती है।
- असफलता तभी आती है जब हम स्वयं के अंदर के आदर्श, उद्देश्य और सिद्धांत को भूल जाते हैं।
- लोगों की कला लोगों के दिल और दिमाग का सही दर्पण होता है।
- हमारी संस्कृति हमारे मन और आत्मा का विस्तार करती हैं।
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पंडित जवाहरलाल नेहरू के अन्य कार्य
पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ अन्य कार्यों के लिए भी जाने जाते है। पंडित जवाहरलाल नेहरू एक अच्छे लेखक, महान कवि होने के साथ एक प्रसिद्ध वकील भी थे।
पंडित जवाहरलाल नेहरू अपने सभी रचनाओं को अंग्रेजी भाषा में ही देते थे और इनकी अंग्रेजी इतनी ज्यादा कठिन थी, कि इसे ट्रांसलेट करना किसी भी व्यक्ति के समझ से बाहर था।
पंडित जवाहरलाल नेहरू उस समय मॉडर्न जमाने की भांति इंग्लिश राइटिंग करते थे और शायद इसीलिए इनकी लेखनी कोई भी ट्रांसलेट नहीं कर पाता था। उनके लेखों में उपन्यास, आत्मकथा इत्यादि शामिल है। इनके लेख बहुत ही कठिन होते हैं, परंतु बहुत ही प्रभावशाली भी होते हैं।
जवाहरलाल नेहरू को मिले सम्मान
- भारत रत्न (1955)
पंडित जवाहरलाल नेहरू की क़िताबे
- डिस्कवरी ऑफ इंडिया
- विश्व इतिहास की एक झलक
- दुनिया के इतिहास का ओझरता दर्शन (1939)
- भारत और विश्व
- भारत की एकता और स्वतंत्रता
- सोवियत रूस
पंडित जवाहरलाल नेहरू के द्वारा लिखित लोकप्रिय पुस्तक
डिस्कवरी ऑफ इंडिया पंडित नेहरू की सबसे लोकप्रिय किताब है। इसे डिस्कवरी पंडित नेहरू अहमदनगर की जेल में अप्रैल-सितंबर 1944 में लिखा था। पंडित नेहरू ने इस पुस्तक को अंग्रजी भाषा में लिखा था। इसके बाद इस पुस्तक को अन्य कई भाषाओं में अनुवाद कर दिया गया।
पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु
पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत की बहुत ही दयनीय दुर्दशा देखकर के उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। उन्हें गांधी जी के द्वारा उचित मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। वह इसके लिए कई बार जेल भी गए, फिर भी उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने जुनून को नहीं छोड़ा।
27 मई 1964 की सुबह पंडित जवाहरलाल नेहरू की तबीयत अचानक खराब हुई। डॉक्टरों द्वारा बताया गया कि उन्हें अचानक दिल का दौरा पड़ा है। उसी दिन की दोपहर को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने प्राण त्याग दिए।
FAQ
पंडित जवाहरलाल नेहरू की जन्म तारीख 14 नवंबर 1889 है।
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इंग्लैंड के हैरो नामक स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा और लंदन के इनर टेंपल नामक यूनिवर्सिटी से अपनी कॉलेज की शिक्षा प्राप्त की।
जवाहरलाल नेहरू का देहांत 27 मई 1964 को दिल का दौरा पड़ने से हुआ था।
पंडित जवाहरलाल नेहरू के जीवन का कार्यक्षेत्र दिल्ली था।
ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज
निष्कर्ष
इस लेख में हमने पंडित जवाहरलाल नेहरू बायोग्राफी इन हिंदी के बारे में विस्तार से बताया हैं साथ में उनके परिवार, राजनीति सफ़र आदि के बारे में भी बताया।
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