Home > Biography > सुभाष चंद्र बोस का जीवन परिचय और राजनीतिक सफ़र

सुभाष चंद्र बोस का जीवन परिचय और राजनीतिक सफ़र

Subhash Chandra Bose Biography in Hindi

Subhash Chandra Bose Biography in Hindi: भारत को आजाद करने में कई महान नेताओं ने अपना योगदान दिया है। ऐसे ही महान नेताओं में से एक सुभाष चंद्र बोस थे, जिन्हें नेताजी के नाम से भी जाना जाता है। सुभाष चंद्र बोस की जयंती 23 जनवरी को हर साल पराक्रम दिवस के रूप में मनाई जाती है।

इस लेख में हम सुभाष चंद्र बोस की जीवनी (subhash chandra bose ka jeevan parichay) लेकर आए हैं, जिसमें उनके प्रारंभिक जीवन से लेकर उनके राजनीतिक सफर से परिचित होंगे।

सुभाष चंद्र बोस का जीवन परिचय (Subhash Chandra Bose Biography in Hindi)

नामसुभाष चंद्र बोस
जन्म और जन्मस्थान23 जनवरी 1897, कटक (उड़ीसा)
पेशास्वतंत्रता सेनानी, राजनेता
पिताजानकी नाथ बोस
माताप्रभावती देवी
पत्नीएमिली शेंकल
बच्चेअनीता बोस फाफ
शिक्षारेनशॉ कॉलेजिएट स्कूल, कटक
प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, इंग्लैंड
राजनीतिक दलभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, ऑल इंडिया फार्वर्ड ब्लाक
मृत्यु18 अगस्त 1945 (48 वर्ष में)

सुभाष चंद्र बोस का प्रारंभिक जीवन

सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को भारत के उड़ीसा राज्य के कटक शहर में एक हिंदू बंगाली परिवार में हुआ था।

सुभाष चंद्र बोस अपने 14 भाई बहनों में से नौवें संतान थे। उनके आठ भाई और छह बहन थी, जिसमें सुभाष चंद्र बोस अपने बड़े भाई शरद चंद्र के काफी करीब थे।

इनका परिवार काफी संपन्न था। यही कारण था कि इतना बड़ा परिवार होने के बावजूद उनके माता-पिता ने सभी बच्चों का पालन पोषण बढ़िया तरीके से किया।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का परिवार

सुभाष चंद्र बोस के परिवार में 14 भाई-बहन और उनके माता-पिता थे। उनके पिता का नाम जानकी नाथ था, जो कि कटक के एक प्रसिद्ध वकील थे।

कटक सरकार ने उनके पिता को राय बहादुर की भी उपाधि दी थी। उनके पिता बंगाल विधानसभा के सदस्य भी रह चुके थे। उनकी माता का नाम प्रभावती था, जो कि ग्रहणी थी।

सुभाष चन्द्र बोस की शिक्षा

सुभाष चंद्र बोस ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कटक के यूरोपियन स्कूल से की थी। बचपन से ही वे पढ़ाई लिखाई में काफी तेज तरार थे। नेताजी 16 वर्ष की आयु से ही स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस से काफी ज्यादा प्रभावित थे।

1909 में प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने के बाद उन्होंने Revesicoligiat नामक स्कूल में एडमिशन लिया। 1915 में अपनी स्कूली पढ़ाई के दौरान उनकी तबीयत खराब हो गई थी। लेकिन उसके बावजूद उन्होंने अपनी इंटरमीडिएट स्कूल की परीक्षा में दूसरा स्थान प्राप्त किया।

1916 में कोलकाता चले गए, जहां पर प्रेसिडेंट कॉलेज में ग्रेजुएशन के लिए एडमिशन लिया। वहां से इन्होंने BA की डिग्री प्राप्त की। अपने ग्रेजुएशन के दौरान प्रेसिडेंट कॉलेज में एक अंग्रेजी प्रोफेसर भारतीय विद्यार्थियों को बहुत परेशान किया करता था।

तब नेताजी ने उनका विरोध किया और भारतीय विद्यार्थियों का नेतृत्व करने लगे, जिसके कारण उन्हें 1 साल तक परीक्षा नहीं देने की सजा दी गई।

सुभाष चंद्र बोस ने बिना देरी किए Skatish कॉलेज में ग्रेजुएशन के लिए एडमिशन लिया और 1919 में उन्होंने प्रथम अंक के साथ ग्रेजुएशन की परीक्षा पास की। BA की परीक्षा में पूरे कोलकाता विश्वविद्यालय में उन्होने दूसरा स्थान प्राप्त किया था।

सुभाष चंद्र बोस का विवाहित जीवन

सुभाष चंद्र बोस जब ऑस्ट्रेलिया में थे, उस समय उनकी मुलाकात एमिली शेंकल नामक विदेशी लड़की से हुई, जो कि काफी सुलझी हुई लड़की थी। उसी लड़की से उन्होंने शादी कर ली, जिसका पता किसी को नहीं था।

1993 में उनके वैवाहिक जीवन के बारे में लोगों को पता चला। सुभाष चंद्र बोस की एक बेटी थी, जिसका नाम अनीता बोस था।

सुभाष चंद्र बोस का करियर

नेताजी सेना में भर्ती होना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने 49वीं नेटिव बंगाल रेजीमेंट की परीक्षा भी दी थी। लेकिन उनकी आंखों में कमी होने के कारण सेना में भर्ती नहीं हो पाएं। उसके बाद उन्होंने सिविल सेवा की सर्विस में जाने का सोचा।

लेकिन भारत में अंग्रेजी शासन के अंतर्गत एक भारतीय के लिए आईएएस बनना बहुत ही बड़ी चुनौती थी। लेकिन उसके बावजूद उनके पिताजी ने उन्हें यूपीएससी की तैयारी के लिए इंग्लैंड भेज दिया।

लेकिन वहां भी यूपीएससी की तैयारी करने वाले कोचिंग में उन्हें एडमिशन नहीं मिला। जिसके बाद सुभाष चंद्र बोस ने सेल्फ स्टडी करके यूपीएससी की परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया। इतना ही नहीं सबसे ज्यादा अंक उन्हे अंग्रेजी के विषय में ही मिले थे।

1921 में भारत में राष्ट्रवादी उथल-पुथल की सुनवाई के बाद सुभाष चंद्र बोस ने अपने भाई शरद चंद्र को एक पत्र लिखा कि वह स्वामी विवेकानंद को अपना गुरु मानते हैं और उनके बताए गए आदर्शो का पालन करते हुए वे अपने जॉब से इस्तीफा देना चाहते हैं।

22 अप्रैल 1921 को उन्होंने इस्तीफा दे दिया और फिर इंग्लैंड में मानसिक और नैतिक विज्ञान में ट्राई पास की डिग्री हासिल करके जून 1921 को भारत वापस लौट आए।

यह भी पढ़े

सुभाष चंद्र बोस की राजनीतिक यात्रा

भारत आने के बाद सुभाष चंद्र बोस देश के स्वतंत्रता की लड़ाई में शामिल हो गए। उस दौरान उन्होंने कांग्रेस पार्टी भी ज्वाइन की। उस समय उनकी मुलाकात रविंद्र नाथ टैगोर से हुई, जिन्होंने नेताजी को महात्मा गांधी से मिलने का सुझाव दिया।

जुलाई 1921 को सुबह पहली बार नेताजी मुंबई के मणि भवन में महात्मा गांधी से मिले। महात्मा गांधी के साथ उन्होंने असहयोग आंदोलन में भी भाग लिया। आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ने सुभाष चंद्र बोस को चितरंजन दास के साथ काम करने की सलाह दी।

नेताजी कोलकाता में चितरंजन दास के साथ काम करने लगे। देशबंधु चितरंजन दास सुभाष चंद्र बोस के मिलनसार व्यक्तित्व के कारण उनसे काफी ज्यादा प्रभावित हुए। उसके बाद उन्होंने सुभाष चंद्र बोस को कोलकाता के महापौर का सीईओ बना दिया।

उस पद पर रहते हुए नेताजी ने कई अच्छे कार्य किए। वे एक युवा लीडर थे, जो कि नई सोच लेकर आए थे। सुभाष चंद्र बोस जल्दी से जल्दी गुलाम भारत को आजाद करवाना चाहते थे।

सुभाष चंद्र बोस ने “स्वराज” अखबार की भी शुरुआत की। सन 1927 में जेल से रिहा होने के बाद वे कांग्रेस पार्टी के महासचिव भी बने। सन 1938 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ।

एक तरफ सुभाष चंद्र बोस थे, वहीं दूसरी तरफ गांधी जी ने पट्टाभि सितारामय्या को खड़ा किया था। लेकिन सुभाष चंद्र बोस ने चुनाव में भारी मतों से जीत प्राप्त की। लेकिन गांधी जी उनकी जीत से खुश नहीं थे। क्योंकि वे पट्टाभि सितारामय्या की हार को अपनी हार समझ रहे थे।

उस बात का पता चलने के बाद सुभाष चंद्र बोस ने गांधी जी के समर्थन की कमी महसूस करते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उसके बाद डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को कांग्रेस का नया अध्यक्ष चुना गया।

आजाद हिंद फौज का गठन

सितंबर 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था। उस समय को सुभाष चंद्र बोस ने एक सुनहरे मौके के रूप में देखा और उन्होंने अपनी पार्टी के जरिए पूरी दुनिया से मदद लेना चाहा ताकि अंग्रेजों पर दबाव पड़ सके और वह जल्दी से जल्दी भारत छोड़कर जाएं।

सुभाष चंद्र बोस ने अपने साथियों के साथ मिलकर तेजी से ब्रिटिश सरकार का विरोध किया, जिसके कारण नेताजी सहित उनके कई साथियों को सरकार ने जेल में डाल दिया। लेकिन नेताजी उस सुनहरे अवसर को खोना नहीं चाहते थे, जिसके कारण उन्होंने जेल में अनशन शुरू कर दिया और दो हफ्ते तक कुछ खाया पिया नहीं।

उस कारण उनकी तबीयत भी खराब होने लगी, जिसके बाद उनकी रिहाई की मांग के लिए भारत के नौजवान सड़क पर उत्तर आए। जिसके कारण ब्रिटिश सरकार को उन्हें रिहा करना पड़ा लेकिन उन्हें नजर बंद रखने का आदेश दिया गया।

उनके घर के आसपास दिन भर पुलिस का पहरा लगा दिया गया। लेकिन अपने भतीजे की मदद से सुभाष चंद्र बोस पुलिस की नजरबंदी से भाग करके बिहार पहुंच गए और फिर वहां से पाकिस्तान जा पहुंचे और उधर से होते हुए जर्मनी गए और वहां पर एडोल्फ हिटलर से मिले।

सुभाष चंद्र बोस जानते थे कि हिटलर और जर्मनी का दुश्मन इंग्लैंड है, इसीलिए उन्होंने कूटनीति का उपयोग किया। क्योंकि वे जानते थे कि दुश्मन का दुश्मन ही दोस्त बन सकता है।

इसलिए उन्होंने जर्मनी से मदद मांगी। 1943 में दक्षिण पूर्व एशिया में सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज (इंडियन नेशनल आर्मी) नाम से खुद की आर्मी तैयार की।

सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु आज भी एक रहस्य बनी हुई है। सरकारी दस्तावेजों के अनुसार उनकी मृत्यु 18 अगस्त 1945 को जापान जाते समय विमान क्रैश हो जाने के कारण हो गया था। लेकिन उनका शव प्राप्त नहीं हुआ। मृत्यु की जानकारी विमान क्रैश होने के 5 दिन के बाद टोक्यो रेडियो के द्वारा दी गई थी।

निष्कर्ष

उपरोक्त लेख में आपने स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता सुभाष चंद्र बोस के जीवन परिचय (Subhash Chandra Bose Biography in Hindi) के बारे में जाना।

हमें उम्मीद है कि सुभाष चंद्र बोस का जीवन परिचय आपको प्रेरित किया होगा। यदि यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए अन्य लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें।

यह भी पढ़े

बाल गंगाधर तिलक का जीवन परिचय

नाथूराम गोडसे का जीवन परिचय

सरदार उधम सिंह का जीवन परिचय

वीर सावरकर का जीवन परिचय

Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

Related Posts

Leave a Comment