Mahaprayan Vyanjan: आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे महाप्राण व्यंजन के बारे में। महाप्राण व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं? एवं उनकी परिभाषा के बारे में भी चर्चा करेंगे। यदि आप महाप्राण व्यंजन के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए काफी उपयोगी रहने वाला है।
महाप्राण व्यंजन किसे कहते हैं?
महाप्राण व्यंजन की परिभाषा: महाप्राण भाषा विज्ञान में वह व्यंजन होते हैं, जिन्हें मुख से वायु प्रवाह के साथ बोला जाता है। जैसे कि ख, घ, झ और फ। हिंदी वर्णमाला में महाप्राण व्यंजन की संख्या 15 होती है।
दूसरे शब्दों में महाप्राण व्यंजन ऐसे व्यंजन होते हैं, जिनको बोलने में अधिक समय व प्रयत्न करना पड़ता है और बोलते समय मुख से अधिक वायु का प्रवाह होता है, उन्हें महाप्राण व्यंजन कहते हैं।
महाप्राण व्यंजन के प्रकार
ख, घ, छ, झ, ठ, ढ, थ, ध, फ, भ, ढ़, श, ष, स, ह।
इसमें
- क वर्ण का दूसरा, चौथा
- अक्षर च वर्ण का दूसरा, चौथा अक्षर
- ट वर्ण का दूसरा, चौथा अक्षर
- त वर्ण का दूसरा, चौथा अक्षर
- प वर्ण का दूसरा, चौथा अक्षर
चारों उष्म व्यंजन – श ष स ह
एक उच्छिप्त व्यंजन – ढ़
आदि शामिल होते हैं।
निष्कर्ष
उम्मीद है आपको महाप्राण व्यंजन से संबंधित यह जानकारी पसंद आई होगी और महाप्राण व्यंजन से संबंधित सभी प्रश्नों के उत्तर आपको यहाँ पर प्राप्त हो गये होंगे। आपको यह जानकारी कैसी लगी, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। इसे आगे शेयर जरूर करें।
व्यंजन के अन्य प्रकार
स्पर्श व्यंजन | संयुक्त व्यंजन | अन्तःस्थ व्यंजन | उष्म व्यंजन |
सघोष व्यंजन | अघोष व्यंजन | अल्पप्राण व्यंजन | महाप्राण व्यंजन |
हिंदी व्याकरण के अन्य महत्वपूर्ण भाग