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होली पर कविता

Holi Poem in Hindi: भारत एक ऐसा देश है, जहां पर सभी धर्मों के पर्वों को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। होली हिन्दू त्यौहारों में मुख्य त्योहारों में से एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। इसे रंगों का त्यौहार भी कहा जाता है।

होली हिंदी महीने के अनुसार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। यह दो दिन का त्यौहार होता है, जिसमें पहले दिन होलिका दहन होता है और दूसरे दिन सभी एक-दूसरे को रंग लगाते है और नाचते-गाते है।

Hindi Poems on Holi
Holi Poem in Hindi

हमने यहां पर होली पर प्रेरणादायक कविता (holi par kavita) शेयर की है। आप इन्हें पढ़कर आगे जरूर भेजे और आपको यह हिंदी कविताएं कैसी लगी, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

होली पर कविता (Hindi Poems on Holi)

होली पर बाल कविता (Holi Par Bal Kavita)

होली आई, होली आई।
रंग बिरंगी होली आई।
धूम मचाती होली आई।
घर घर में खुशियां लाई।
बच्चों की यह टोली आई।
हाथ में पिचकारी लाई।
रंग गुलाल उड़ाती आई।
होली आई, होली आई।

Holi Poem in Hindi
Image: Holi Poem in Hindi

Holi Poem in Hindi

हिन्दुस्तान का कवि
कितना आसान है
दुश्मनी को भुलाना
बस दुश्मन को घेरना
और उसे रंग है लगाना…!
अच्छा हुआ दोस्त जो तूने

होली पर रंग लगा कर हंसा दिया
वरना अपने चेहरे का रंग तो
महंगाई ने कब का उड़ा दिया

मेरे रंग तुम्हारा चेहरा
होली के दिन बिठाना पहरा
दिल तुम्हारा पास है मेरे
अब बचाना अपना चेहरा

अलग-अलग धर्मों के फ्लेग्स ने होली मनाई,
एक-दूसरे को खूब रंगा
बाद में सबने देखा तो पता चला
उनमें से हर एक बन चुका था तिरंगा

आपको रंगों से एलर्जी है
चलिए आपको रंग नहीं लगाएंगे
मगर साथ तो बैठिएगा
रंगीन बातों से ही होली मनाएंगे

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आओ बच्चों इस होली में
कुछ नवीन कर डालें,
ऊँच-नीच, निर्बल सबको हम
अपने गले लगा लें।

जिनके पास नहीं कुछ भी है
उनको भी हम रंग दें,
मित्र बना करके उन सबको
हम टोली का संग दें।

खाते नहीं मिठाई, गुझिया
कुछ उनको भी बांटे,
प्रेम प्रीत का सबक सिखाएं
न दुत्कारे-डांटे।

यह संदेश होलिका माँ का
द्वार-द्वार पहुंचाएं,
जीवन जीते परहित में
वही महान कहलाए।

Poems on Holi in Hindi

देखो-देखो होली है आई
चुन्नू-मुन्नू के चेहरे पर खुशियां हैं आई
मौसम ने ली है अंगड़ाई।

शीत ऋतु की हो रही है बिदाई
ग्रीष्म ऋतु की आहट है आई
सूरज की किरणों ने उष्णता है दिखलाई
देखो-देखो होली है आई।

बच्चों ने होली की योजना खूब है बनाई
रंगबिरंगी पिचकारियां बाबा से है मंगवाई
रंगों और गुलाल की सूची है रखवाई
जिसकी काका ने अनुमति है नहीं दिलवाई।

दादाजी ने प्राकृतिक रंगों की बात है समझाई
जिस पर सभी बच्चों ने सहमति है जतलाई
बच्चों ने खूब मिठाइयां खाकर शहर में खूब धूम है मचाई
देखो-देखो होली है आई।

होली ने भक्त प्रहलाद की स्मृति है करवाई
बच्चों और बड़ों ने कचरे और अवगुणों की होली है जलाई
होली ने कर दी है अनबन की सफाई
जिसने दी है प्रेम की जड़ों को गहराई।

बच्चों! अब है परीक्षा की घड़ी आई
तल्लीनता से करो पढ़ाई वरना सहनी पड़ेगी पिटाई
अथक परिश्रम, पुनरावृत्ति देगी सफलता
अपार जन-जन की मिलेगी बधाई
होगा प्रतीत ऐसा होली-सी खुशियां हैं फिर लौट आई
देखो-देखो होली है आई।

अबकी बार होली में (Poem on Holi in Hindi)

करो आतंकियों पर वार अबकी बार होली में,
न उनको मिल सके घर-द्वार अबकी बार होली में,
बना तोपोंकी पिचकारी चलाओ यार अब जी भर,
बना तोपोंकी पिचकारी चलाओ यार अब जी भर,
बहुत की शांति की बातें, लगाओ अब उन्हें लातें,
न कर पायें घातें कोई अबकी बार होली में,
पिलाओ भांग उनको फिर नचाओ भांगडा जी भर,
कहो बम चला कर बम, दोस्त अबकी बार होली में,
छिपे जो पाक में नापाक हरकत कर रहे जी भर,
करो बस सूपड़ा ही साफ़ अब की बार होली में,
न मानें देव लातों के कभी बातों से सच मानो,
चलो नहले पे दहला यार अबकी बार होली में,
जहाँ भी छिपे हैं वे, जा वहीं पर खून की होली,
चलो खेलें “सलिल” मिल साथ अबकी बार होली में॥

Holi Par Poem in Hindi

भालू ने हाथी दादा के,
मुहँ पर मल दी रोली।

भालू ने हाथी दादा के,
मुहँ पर मल दी रोली….
ठुमक-ठुमक कर लगे नाचने-
बोले – “आई होली”।।

ठुमक-ठुमक कर लगे नाचने-
बोले – “आई होली”।।

हाथी दादा ने भालू को,
अपने गले लगाया।

हाथी दादा ने भालू को,
अपने गले लगाया….
घर ले जाकर गन्ने का रस-
दो पीपे पिलवाया।।

घर ले जाकर गन्ने का रस-
दो पीपे पिलवाया।।

आई होली, आई होली, आई होली, आई होली…!

होली आज मनाना है

आज हमें तुमको रंग लगाना है
होली आज मनाना है।
इनकार मत करो
रंगों को तुम स्वीकार करो
आज रंगो से तुम्हें नहलाना है
होली आज मनाना है।
भर के पिचकारी जो मारी
भीगा सारा अंग अंग भीगी साड़ी
तुम्हे अपने ही रंग में रंगवाना है
होली आज मनाना है।
रंग गुलाल तो बहाना है
दूरियाँ सारी दिलों की मिटाना है
तो कैसा ये शरमाना है
होली आज मनाना है।

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पुराने दिनों की याद दिलाती होली

होली आती हैं हमें याद दिलाती
पिचली कितनी होली
वो बचपन की होली
वो सखियों की होली
वो गुजियों वाली होली
सब कुछ याद दिलती
होली आती हैं रंग गले लगाती हैं
आकर सब को नहलाती हैं,
होली आती हैं हमें हमारे पुराने दिनों की याद दिलाती हैं।

holi par kavita
holi par kavita

Hindi Poem on Holi Festival

समय समय की बात है होली आज है कल भी होती थी
आज इन्टरनेट से बधाईयां देते कल थे देते लगा रंगों की
कल की बात है जैसे पडोसी होता होली पर आने पर खुश
आज की बात करें, पडोसी सोचे क्यों आये ये दिखे नाखुश
मैल मिलाप अब दूर का ही लगता अच्छा सोचे बच्चा बच्चा
लगा दिया थोड़ा रंग तो देखे ऐसे, जैसे जायेगा चबा कच्चा
त्यौहार नहीं मनाओगे तो संस्कार सब में कहाँ से आएंगे
अब तो सब त्यौहार फेसबुक व्हाट्सएप्प पर ही मनाएंगे
समय आएगा कुछ समय में ऐसा होली हो जाएगी गुम
होली दिखेगी फोटो में ढूंढेंगे उसे गूगल में मिल हम तुम
निकलो बताओ मनाओ सिखाओ होली है ऋतू का आगमन
मिलन का त्यौहार है, मनाओ मिलकर अभी सब अपना मन।

Holi Poetry Hindi

रंग फुहारों से हर ओर भींग रहा है घर आगंन
फागुन के ठंडे बयार से थिरक रहा हर मानव मन!

लाल गुलाबी नीली पीली खुशियाँ रंगों जैसे छायीं
ढोल मजीरे की तानों पर बजे उमंगों की शहनाई!

गुझिया पापड़ पकवानों के घर घर में लगते मेले
खाते गाते धूम मचाते मन में खुशियों के फूल खिले!

रंग बिरंगी दुनिया में हर कोई लगता एक समान
भेदभाव को दूर भागता रंगों का यह मंगलगान!

पिचकारी के बौछारों से चारो ओर छाई उमंग
खुशियों के सागर में डूबी दुनिया में फैली प्रेम तरंग!

Holi Poetry Hindi

फागुन बनकर (Poetry on Holi in Hindi)

बरस गए हैं मेरी आँखों में
हज़ारों सपने
महकने लगे हैं टेसू
और मन
बावला हुआ जाता है
सपनों की कलियाँ
दिल की हर डाल पर
फूट रही है
और ये उपवन
नन्दन हुआ जाता है
समझ नहीं पा रही हूँ
ये तुम हो या मौसम
जो बरसा है
मुझपर
फागुन बनकर

होली पर कविता हिंदी में

निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली,
सबकी जुबाँ पे एक ही बोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल,
प्यार की धारा बनेगी होली।

होली के ओजार कई हैं, जोड़ने वाले तार कई हैं
रंग बिरंगे बादल से होने वाली बोछार कई है
पिचकारी का ज़ोर क्या कम है, बन्दूक में ही रहने दो गोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी गोली।

कब तक रूठे रहोगे तुम, बोलो कुछ क्यों हो गुमसुम
तुमको रंग लगाने में लगता कट जाएगी दुम
कड़वाहट की कैद से निकलो; अब तो बन जाओ हमजोली
फिल से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली।

मन में नहीं कपट छल हो, ऊँचा बहुत मनोबल हो
होली के हर रंग समेटे दिल पावन गंगाजल हो
अंतर मन भी स्वच्छ हो पूरा, सूरत अगर है प्यारी भोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली।

निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली,
सबकी जुबाँ पे एक ही बोली
फिर से सजेगी रंग की महफिल,
प्यार की धारा बनेगी होली।

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होली (Holi Kavita in Hindi)

होली है भाई होली है
मौज मस्ती की होली है
रंगो से भरा ये त्यौहार
बच्चो की टोली रंग लगाने आयी है
बुरा ना मानो होली है
होली है भाई होली है
एक दूसरे हो रंग लगाओ
मन की कड़वाहट को छोड़ो
सब मिल के खुशियां मनाओ
अपनी परंपरा कभी न छोड़ो
बुरा ना मानो होली है
होली है भाई होली है
होलिका दहन का मतलब समझो
हिरणकश्यप के दंभ को तोड़ो
भक्त प्रह्लाद को रखना याद
कभी न छोड़ना सच का साथ
बुरा ना मानो होली है
होली है भाई होली है।

मुट्ठी में है लाल गुलाल

होली की कविताएं

नोमू का मुंह पुता लाल से
सोमू की पीली गुलाल से
कुर्ता भीगा राम रतन का,
रम्मी के हैं गीले बाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।

चुनियां को मुनियां ने पकड़ा
नीला रंग गालों पर चुपड़ा
इतना रगड़ा जोर-जोर से,
फूल गए हैं दोनों गाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।

लल्लू पीला रंग ले आया
कल्लू ने भी हरा रंग उड़ाया
रंग लगाया एक-दूजे को,
लड़े-भिड़े थे परकी साल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।

कुछ के हाथों में पिचकारी
गुब्बारों की मारा-मारी।
रंग-बिरंगे सबके कपड़े,
रंग-रंगीले सबके भाल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।

इन्द्रधनुष धरती पर उतरा
रंगा, रंग से कतरा-कतरा
नाच रहे हैं सब मस्ती में,
बहुत मजा आया इस साल।
मुट्ठी में है लाल गुलाल।।

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उमरिया हिरनिया हो गई (Hindi Hasya Kavita on Holi)

होली पर हास्य कविता

उमरिया हिरनिया हो गई, देह इन्द्र- दरबार।
मौसम संग मोहित हुए, दर्पण-फूल-बहार।।

शाम सिंदूरी होंठ पर, आंखें उजली भोर।
भैरन नदिया सा चढ़े, यौवन ये बरजोर।।

तितली झुक कर फूल पर, कहती है आदाब।
सीने में दिल की जगह, रक्खा लाल गुलाब।।

रहे बदलते करवटें, हम तो पूरी रात।
अब के जब हम मिलेंगे, करनी क्या-क्या बात।।

मन को बड़ा लुभा रही, हंसी तेरी मन मीत।
काला जादू रूप का, कौन सकेगा जीत।।

गढ़े कसीदे नेह के, रंगों के आलेख।
पास पिया को पाओगी, आंखें बंद कर देख।।

होली पर छोटी कविता

करो आतंकियों पर वार अबकी बार होली में
न उनको मिल सके घर-द्वार अबकी बार होली में
बना तोपोंकी पिचकारी चलाओ यार अब जी भर
निशाना चूक न पाए, रहो गुलज़ार होली में
बहुत की शांति की बातें, लगाओ अब उन्हें लातें
न कर पायें घातें कोई अबकी बार होली में
पिलाओ भांग उनको फिर नचाओ भांगडा जी भर
कहो बम चला कर बम, दोस्त अबकी बार होली में
छिपे जो पाक में नापाक हरकत कर रहे जी भर
करो बस सूपड़ा ही साफ़ अब की बार होली में
न मानें देव लातों के कभी बातों से सच मानो
चलो नहले पे दहला यार अबकी बार होली में
जहाँ भी छिपे हैं वे, जा वहीं पर खून की होली
चलो खेलें ‘सलिल’ मिल साथ अबकी बार होली में।

होली पर कविता

बड़े प्यार से अम्मा बोली।
खूब मनाओ भैया होली।।

नहीं करेंगे कभी कुसंग।
डालो सभी परस्पर रंग।।

एक वर्ष में होली आई।
जी भर खेलो खाओ मिठाई।।

ध्यान लगाकर सुनो-पढ़ो।
नए-नए सोपान चढ़ो।।

बच्चे शोर मचाए होली।
उछले-कूदें खेलें होली।।

बड़े प्यार से अम्मा बोली।
खूब मनाओ भैया होली।।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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