Poem on New Year in Hindi: नमस्कार दोस्तों, यहां पर हमने नए साल पर कविताएं शेयर की है। यह हिंदी कविताएं आपमें एक नया जोश और उमंग भर देगी। यह हिंदी कविताएं बहुत ही प्रसिद्ध कवियों द्वारा रचित है। आपको यह कैसी लगी हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

नव वर्ष पर कविता – Poem on New Year in Hindi
विषय सूची
New Year Poem in Hindi
युवकों को-
यह शीत, प्रीति का वक्त, मुबारक तुमको,
हो गर्म नसों में रक्त मुबारक तुमको।
नवयुवकों को-
तुमने जीवन के जो सुख स्वप्न बनाए,
इस वर्ष शरद में वे सब सच हो जाएँ।
बालकों को-
यह स्वस्थ शरद ऋतु है, आनंद मनाओ।
है उम्र तुम्हारी, खेलो, कूदो, खाओ।
-हरिवंशराय बच्चन
नए साल की कविता
नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है,
खुशियों की बस इक चाहत है।
नया जोश, नया उल्लास,
खुशियाँ फैले, करे उजास।
नैतिकता के मूल्य गढ़ें,
अच्छी-अच्छी बातें पढें।
कोई भूखा पेट न सोए,
संपन्नता के बीज बोए।
ऐ नव वर्ष के प्रथम प्रभात,
दो सबको अच्छी सौगात।
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नए साल में (कविता)
नए साल में
प्यार लिखा है
तुम भी लिखना।
प्यार प्रकृति का शिल्प
काव्यमय ढाई आखर
प्यार सृष्टि पयार्य
सभी हम उसके चाकर।
प्यार शब्द की
मयार्दा हित
बिना मोल, मीरा-सी-बिकना।
प्यार समय का कल्प
मदिर-सा लोक व्याकरण
प्यार सहज संभाव्य
दृष्टि का मौन आचरण।
प्यार अमल है ताल
कमल-सी,
उसमें दिखना।
Nav Varsh Kavita in Hindi
नए वर्ष में नई पहल हो
कठिन ज़िंदगी और सरल हो।
अनसुलझी जो रही पहेली
अब शायद उसका भी हल हो।
जो चलता है वक्त देखकर
आगे जाकर वही सफल हो।
नए वर्ष का उगता सूरज
सबके लिए सुनहरा पल हो।
समय हमारा साथ सदा दे
कुछ ऐसी आगे हलचल हो।
सुख के चौक पुरें हर द्वारे
सुखमय आँगन का हर पल हो
सभी के लिए ये नया साल मंगलमय हो।
Naye Saal Par Kavta Hindi
आने वाला पल
गुजर जायेगा एक दिन
गुजरा हुआ पल
याद आएगा एक दिन।
क्यो गिनते रहते है हम
यूं पल छिन छिन
पानी की तरह इनका
रुक सकना नहीं मुमकिन।
ये रिश्ते, ये नाते
ये दोस्त, ये दुश्मन
क्यूँ ईजाद कर रहे है
हम ये उलझन।
क्यूँ जकड़ रखा है
जंजीरों मे खुद को
जिस्म को छोड़ के रूह भी
उड़ जाएगी एक दिन।
क्यूँ घूमते फिरते हो
यूं हैरान, परेशान
लोग मिलेंगे बिछड़ेंगे
बस याद आयेगा एक दिन।
खोल दो सारी जंजीरों को
जो उड़ने नहीं देती
खुली हवा मे तुम भी
सांस ले पाओगे एक दिन।
जिंदगी मे क्या हुआ क्या नहीं
क्या खोया क्या मिल गया
सब कुछ भूल कर खुश रहो
हर एक पल एक दिन।
आने वाला पल
गुजर जायेगा एक दिन
गुजरा हुआ पल
याद आएगा एक दिन।
New Year Poems in Hindi
भूल के बीती बातों को,
एक नए मुकाम को पाना है,
नए साल में हमको एक,
नया इतिहास रचाना है।
ऊपर हमको उठना है अब,
उत्साह न ये गिर ने पाए,
छेड़ें ऐसा संगीत नया,
पूरी दुनिया ही जो गाये,
रुकना नहीं है अब हमको,
आगे कदम बढ़ाना है,
नए साल में हमको एक,
नया इतिहास रचाना हैं।
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नया साल मुबारक हो (कविता)
झाड़ियों के उलझाव से
बाहर निकलने की कोशिश में
बैलों के गले में बँधी घंटियाँ बोल उठीं
नया साल मुबारक हो।
बिगड़ी गाड़ी को
बड़ी देर से ठीक करने में जुटा मैकेनिक
गाड़ी के नीचे से उतान स्वरों में ही बोला
नया साल मुबारक हो।
बरसों से मंगली लड़का ढूँढ़ते-ढूँढ़ते परेशान माँ-बाप को देख
नीबू के पत्ते की नोक पर ठिठकी
जनवरी की ओस ने कहा
नया साल मुबारक हो।
कल बुलडोजर की आसानी के लिए
आज घर को चिह्नित करते कर्मचारी को देख
घर का छोटा बच्चा दूर से ही बोला पंचम में
नया साल मुबारक हो अंकल
नया साल मुबारक हो…
नई सुबह (कविता)
चलो,
पूरी रात प्रतीक्षा के बाद
फिर एक नई सुबह होगी
होगी न,
नई सुबह?
जब आदमियत नंगी नहीं होगी
नहीं सजेंगीं हथियारों की मंडिया
नहीं खोदी जायेगीं नई कब्रें
नहीं जलेंगीं नई चिताएँ
आदिम सोच, आदिम विचारों से
मिलेगी निजात
होगी न,
नई सुबह?
सब कुछ भूल कर
हम खड़े हैं
हथेलियों में सजाये
फूलों का बगीचा,
पूरी रात जाग कर
फिर एक नई सुबह के लिए
होगी न
नई सुबह?
Hindi Poems on New Year
नव वर्ष के आगमन पर
प्रेम गीत गाएं
सहज सरल मन से
सब को गले लगाए
उंच नीच भेद भाव के
अंतर को मिटाएं
नव वर्ष के आगमन पर
प्रेम गीत गाएं
शिक्षा का उजियारा हम
घर घर पहुंचाएं
पर्यावरण की चिंता करे
पेड़ फिर लगाए
नव वर्ष के आगमन पर
प्रेम गीत गाएं
स्वच्छता अभियान को
समझें समझाएं
योग प्राणायाम कर स्वस्थ
हम हो जाएं
नव वर्ष के आगमन पर
प्रेम गीत गाएं
देश प्रेम का जज्बा सभी
जन मन में लाएं
माँ भारती के चरणों में
शीश सब झुकाएं
नव वर्ष के आगमन पर
प्रेम गीत गाएं
नव वर्ष आया है द्वार (कविता)
मंगल दीप जलें अम्बर में
मंगलमय सारा संसार
आशाओं के गीत सुनाता
नव वर्ष आया है द्वार
स्वर्ण रश्मियाँ बाँध लड़ी
ऊषा प्राची द्वार खड़ी
केसर घोल रहा है सूरज
अभिनन्दन की नवल घड़ी
चन्दन मिश्रित चले बयार
नव वर्ष आया है द्वार
प्रेम के दीपक नेह की बाती
आँगन दीप जलाएँ साथी
बदली की बूँदों से घुल मिल
नेह सुमन लिख भेजें पाती
खुशियों के बाँटें उपहार
नव वर्ष आया है द्वार
नव निष्ठा नव संकल्पों के
संग रहेंगे नव अनुष्ठान
पर्वत जैसा अडिग भरोसा
धरती जैसा धीर महान
सुख सपने होंगे साकार
नव वर्ष आया है द्वार
आओ, नूतन वर्ष मना लें (कविता)
आओ, नूतन वर्ष मना लें!
गृह-विहीन बन वन-प्रयास का
तप्त आँसुओं, तप्त श्वास का,
एक और युग बीत रहा है, आओ इस पर हर्ष मना लें!
आओ, नूतन वर्ष मना लें!
उठो, मिटा दें आशाओं को,
दबी छिपी अभिलाषाओं को,
आओ, निर्ममता से उर में यह अंतिम संघर्ष मना लें!
आओ, नूतन वर्ष मना लें!
हुई बहुत दिन खेल मिचौनी,
बात यही थी निश्चित होनी,
आओ, सदा दुखी रहने का जीवन में आदर्श बना लें!
आओ, नूतन वर्ष मना लें!
-हरिवंशराय बच्चन
Poem on New Year in Hindi
ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये व्यवहार नहीं
धरा ठिठुरती है सर्दी से
आकाश में कोहरा गहरा है
बाग़ बाज़ारों की सरहद पर
सर्द हवा का पहरा है
सूना है प्रकृति का आँगन
कुछ रंग नहीं, उमंग नहीं
हर कोई है घर में दुबका हुआ
नव वर्ष का ये कोई ढंग नहीं
चंद मास अभी इंतज़ार करो
निज मन में तनिक विचार करो
नये साल नया कुछ हो तो सही
क्यों नक़ल में सारी अक्ल बही
उल्लास मंद है जन-मन का
आयी है अभी बहार नहीं
ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
ये धुंध कुहासा छंटने दो
रातों का राज्य सिमटने दो
प्रकृति का रूप निखरने दो
फागुन का रंग बिखरने दो
प्रकृति दुल्हन का रूप धार
जब स्नेह–सुधा बरसायेगी
शस्य–श्यामला धरती माता
घर-घर खुशहाली लायेगी
तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि
नव वर्ष मनाया जायेगा
आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर
जय गान सुनाया जायेगा
युक्ति–प्रमाण से स्वयंसिद्ध
नव वर्ष हमारा हो प्रसिद्ध
आर्यों की कीर्ति सदा-सदा
नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
अनमोल विरासत के धनिकों को
चाहिये कोई उधार नहीं
ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं।
गया साल (कविता)
जैसे -तैसे गुज़रा है
पिछला साल
एक-एक दिन बीता है
अपना
बस हीरा चाटते हुए
हाथ से निबाले की
दूरियाँ
और बढ़ीं, पाटते हुए
घर से, चौराहों तक
झूलतीं हवाओं में
मिली हमें
कुछ झुलसे रिश्तों की
खाल
व्यर्थ हुई
लिपियों-भाषाओं की
नए-नए शब्दों की खोज
शहर
लाश घर में तब्दील हुए
गिद्धों का मना महाभोज
बघनखा पहनकर
स्पर्शों में
घेरता रहा हमको
शब्दों का
आक्टोपस-जाल
Poem on New Year in Hindi
अभिनंदन नववर्ष तुम्हारा
है उल्लासित फिर जग सारा
नई डगर है नया सवेरा, खुशियों से भरा नज़ारा
अभिनंदन नववर्ष तुम्हारा….
ओस सुबह की है फिर चमकी, बिखरा करके छ्टा निराली
चेहरे दमके बगियाँ महकी, घर घर होली और दीवाली
फिर खिलकर फूल सतरंगे, हो प्रतिबिंबित तब सरिता में
प्रकृति को क्या खूब सँवारा…..
अभिनंदन नववर्ष तुम्हारा….
हो उत्साहित गोरन्वित हम, लिए सोच में वही नयापन
निकल पड़े कुछ कर पाने को, नई दिशाएँ दर्शाने को
कर पाऊँ हर सपने को सच, जो तुम थामो हाथ हमारा….
अभिनंदन नववर्ष तुम्हारा….
नए साल की पहली नज़्म (कविता)
अंदेशों के दरवाज़ों पर
कोई निशान लगाता है
और रातों रात तमाम घरों पर
वही सियाही फिर जाती है
दुःख का शब-खूं रोज़ अधूरा रह जाता है
और शिनाख्त का लम्हा बीतता जाता है
मैं और मेरा शहर-ए-मोहब्बत
तारीकी की चादर ओढ़े
रोशनी की आहट पर कान लगाये कब से बैठे हैं
घोड़ों की टापों को सुनते रहते हैं
हद्द-ए-समाअत से आगे जाने वाली आवाजों के रेशम से
अपनी रिदा-ए-सियाह पे तारे काढ़ते रहते हैं
अन्गुश्ताने इक-इक करके छलनी होने को आए
अब बारी अंगुश्त-ए-शहादत की आने वाली है
सुबह से पहले वो कटने से बच जाए तो।
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