Essay on Holi in Hindi: नमस्कार दोस्तों, आज हमने यहां पर होली पर निबन्ध लिखे है। होली पर हिंदी निबंध हर कक्षा में आवश्यक रूप से पूछा जाता है और साथ ही कई प्रतियोगी परीक्षाओं में भी इसके बारे में पूछा जाता है।

यह हिंदी निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 व उच्च कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होगा।
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होली पर निबंध – Essay on Holi in Hindi
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परिचय
होली भारत में मनाए जाने वाला एक ऐसा पर्व है जिसे भारत के संपूर्ण राज्यों में बड़ी ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। होली को एक अन्य नाम रंगीला त्यौहार से भी जाना जाता है। होली के दिन सभी लोग अपनी दुश्मनी को भूल कर के एक दूसरे को रंग लगाते हैं और उनसे गले मिलते हैं। आज किस दिन दुश्मन लोग भी एक मित्र की तरह रहना पसंद करते हैं।
होली क्या है?
होली पूरे भारतवर्ष के हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक ऐसा महत्वपूर्ण त्यौहार है जिसमें सभी युवा पीढ़ी के बच्चे और बूढ़े एक दूसरे को रंग या गुलाल लगाते हैं और उनसे अपना प्रेम प्रकट करते हैं। होली ही एकमात्र ऐसा त्यौहार है, जिस दिन सभी लोग अपने पुरानी दुश्मनी अर्थात गिले-शिकवे को भूल कर के एक दूसरे के गले लगते हैं। इसी कारण होली को भारत में सर्वाधिक प्रिय माना जाता है।
होली कब मनाया जाता है?
हमारे भारतवर्ष में होली को फाल्गुन महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। रंगो की होली मनाने से 1 दिन पहले होलिका दहन होता है। होलिका दहन पर एक बहुत ही पुरानी मान्यता है। होलिका दहन के बाद उसके सुबह ही लोग इस रंगो के त्यौहार होली को बड़ी ही प्रेम और मित्रता पूर्वक मनाते हैं।
होली के त्यौहार पर उद्देश्य
होली का त्यौहार मनाने का मुख्य उद्देश्य दुश्मनी और पुराने गिले-शिकवे को मिटाना है। यदि हम दूसरे शब्दों में कहें, तो होली का अर्थ यह है कि बुराई को खत्म करना और अच्छाई का विकास करना अर्थात बुराई पर अच्छाई की जीत होना, इसलिए आज के 1 दिन पहले होली को जलाया जाता है।
इस वर्ष (2021) होली कब है?
इस वर्ष की होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन है। यह दिवस मार्च माह की 28 तारीख को होलिका दहन और 29 तारीख को होली है।
अंतिम शब्द
यह होली का त्यौहार लोगों को एक करने के लिए मनाया जाता है। यह होली का त्यौहार सभी छोटे-बड़े, बुजुर्ग, भाई-बहन, आस-पड़ोस इत्यादि लोग एक साथ मिलकर मनाते हैं। यह त्यौहार गुलाल और रंगों के द्वारा मनाया जाता है।
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प्रस्तावना
होली भारत में मनाया जाने वाला एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन भारत के सभी लोग अपने पुराने गिले-शिकवे इत्यादि को भूल कर के एक दूसरे के गले मिलते हैं और उन्हें रंग या गुलाल लगाते हैं। तो आज हम इसी पर्व के बारे में संपूर्ण विस्तार पूर्वक जानकारी प्राप्त करेंगे कि इस पर्व को क्यों मनाया जाता है, इस पर्व के पीछे क्या इतिहास है इत्यादि। तो आइए जानते हैं होली के बारे में विस्तार पूर्वक।
होली क्या है?
जिस प्रकार भारत में अन्य सभी त्यौहार जैसे दशहरा, दीपावली इत्यादि मनाई जाती है, ठीक उसी प्रकार यह त्यौहार होली भी मनाया जाता है। होली बहुत ही ज्यादा चर्चित एवं विख्यात त्यौहार है। होली में उपयोग होने वाले रंगों और गुलालओं का उपयोग अन्य त्योहारों में भी किया जाता है।
आज के दिन सभी बूढ़े, बच्चे, युवा इत्यादि सभी लोग एक साथ मिलकर के इस होली के पर्व को मनाते हैं। इस होली के पर्व के दिन लोग तरह-तरह के पकवान बनाते हैं और उनका भोग करते हैं। इस दिन सभी लोग अपने पुरानी दुश्मनी को भूल कर के एक मित्र की तरह रहते हैं और एक दूसरे को रंग, गुलाल इत्यादि लगाते हैं।
होली का त्यौहार कब मनाया जाता है?
होली का त्यौहार प्रत्येक वर्ष की फाल्गुन माह में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। होली के दिन से एक रात्रि पहले होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन इसीलिए किया जाता है कि लोग अपनी बुराइयों को इसमें जला सके। होलिका दहन के पर्व को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों के द्वारा यह कहा जाता है कि “होलिका दहन इसीलिए मनाया जाता है ताकि लोगों को यह दिखाया जा सके कि किस प्रकार अच्छाई की बुराई पर जीत होती है।”
होली का पर्व मनाने के उपलक्ष में पौराणिक मान्यता
होली का पर्व मनाने की बहुत ही पौराणिक मान्यता है। यह मान्यता भक्त प्रहलाद और उनकी ही पिता हिरण्यकश्यप के विषय में है। इस कहानी में भक्त प्रहलाद के पिता हिरण्यकश्यप स्वयं को ही तीनों लोको के स्वामी अर्थात भगवान मानते थे, ऐसे में लोग उनसे भयभीत होकर उनकी पूजा भी करते थे। परंतु भक्त प्रहलाद बहुत ही साहसी और भगवान विष्णु के प्रति भक्ति करने वाले व्यक्ति थे, इसलिए उन्होंने अपने पिता की कभी भी पूजा नहीं की।
उनके पिता ने भक्त प्रहलाद को भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से मना करते थे परंतु भक्त प्रहलाद भगवान विष्णु की पूजा करने से नहीं रुकते थे। ऐसे में हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रहलाद को अनेकों प्रकार के दंड दिए, उनके पिता हिरण्यकश्यप के द्वारा दंड दिए जाने पर भी भक्त प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ क्योंकि भक्त प्रहलाद की रक्षा स्वयं भगवान विष्णु करते थे।
अंततः हिरण्यकश्यप गुस्से में आकर के अपनी बहन होलिका की मदद से भक्त प्रहलाद को जलाने का प्रयास किया। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि उन्हें अग्नि छू तक नहीं सकती। अपने इसी वरदान के चलते होलिका भक्त प्रहलाद को लेकर फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन जलती चिता पर बैठी, तब भी भक्त प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ और हिरण्यकश्यप की बहन होलिका अपने वरदान के बावजूद भी जल गई।
लोगों की ऐसी मान्यता है कि तभी से ही इस होली के पर्व को मनाया जाता है। इस कहानी को पढ़ने के बाद यह निष्कर्ष निकलता है कि कभी भी बुराई की जीत नहीं हो सकती। इसी के उपलक्ष में होली का त्यौहार मनाया जाता है।
होली का त्योहार किस वर्ष कब मनाया जाएगा
इस वर्ष होली का त्यौहार मार्च महीने में 28 तारीख को होलिका दहन और 29 तारीख को होली का पर्व मनाया जाने वाला है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन फाल्गुन मास की पूर्णिमा का दिन है। इसी कारण इस दिन होली का पर्व मनाया जाने वाला है।
होली सावधानीपूर्वक कैसे बनाएं
- आप होलिका दहन के दिन पटाखों का उपयोग करते होंगे, यदि हो सके तो आप कम से कम पटाखों का उपयोग करें।
- अब तो मार्केट में अनेकों प्रकार के प्राकृतिक रंग आ चुके हैं तो ऐसे में आप प्राकृतिक रंगों का ही उपयोग करें।
- आप सभी लोग केमिकल युक्त रंगों का उपयोग न करें। यदि आप केमिकल युक्त रंगों का उपयोग करते हैं तो आपकी त्वचा खराब हो सकती है।
- हमें होली का पर्व यदि हो सके तो एक दूसरे को टीका करके ही मना लेना चाहिए।
- हमारी यही परामर्श होगी कि आप सभी लोग एक दूसरे को टीका करके और गले मिल कर के ही यह त्यौहार मना लेना चाहिए।
अंतिम शब्द
होली ही एक ऐसा पर्व है जिसके माध्यम से लोग अपने सभी गिले-शिकवे भूलकर के एक दूसरे के गले मिलते हैं और एक दूसरे के प्रति अपना अपना प्रेम भाव प्रकट करते हैं। इसी कारण होली के पर्व को पूरे भारत में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। आज के दिन सभी बूढ़े, बच्चे, युवा, महिलाएं इत्यादि लोग एक दूसरे को रंग इत्यादि लगाते हैं और एक दूसरे को होली के पर्व की बधाइयां देते हैं।
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