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डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान शिक्षक के रूप में माने जाते हैं। इन्होने शिक्षा के जगत में काफी योगदान दिया है। यह एक महान शिक्षक के साथ एक राजनितिक व्यक्ति भी रहे। यह भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति और द्वितीय राष्ट्रपति भी रहे।

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान हिंदू विचारक, दार्शनिक, प्रख्यात शिक्षाविद, भारतीय संस्कृति के संवाहक थे। इन्हें महान व्यक्तित्व के कारण भारत सरकार ने इनके सम्मान में इन्हें 1954 में सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया और हर वर्ष इनका जन्म दिवस यानि 5 सितम्बर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

Essay On Sarvapalli Radhakrishnan In Hindi
Sarvepalli Radhakrishnan Essay in Hindi

यहां पर डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध (Sarvepalli Radhakrishnan Essay in Hindi) शेयर कर रहे हैं। यह निबन्ध बहुत ही सरल शब्दों में लिखा गया है।

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डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध 200 शब्दों में

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1881 में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। शुरुआत की शिक्षा इनकी साधारण रही और उसके पश्चात उन्होंने कई उपाधियाँ हासिल की। इनकी शादी 16 वर्ष की उम्र में हो गई थी। 30 वर्ष की उम्र में इन्होंने नैतिक किंग जॉर्ज वी चेयर संभाली थी।

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जो 1952 से 1962 तक भारत के उपराष्ट्रपति भी रह चुके हैं। सन 1975 में उन्हें पुरस्कार से भी नवाजा गया था और 1975 में ही इनका निधन हो गया। इसके पश्चात सन 1989 मे डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के नाम की एक स्कॉलरशिप योजना शुरू हुई।

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्ण जो कि नेक इंसान रहे हैं और इन्होंने अपना हर 1 मिनट देश के विकास में न्योछावर किया। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जो महान राजनीतिक नेता भी रह चुके हैं।

इनके द्वारा कई प्रकार की किताबें भी लिखी गई। सन 1923 में इनकी एक किताब भारतीय दर्शनशास्त्र प्रकाशित हुई। इन्होंने अपने जीवन में शिक्षक का किरदार भी निभाया है।

Sarvepalli Radhakrishnan Essay in Hindi
Sarvepalli Radhakrishnan Essay in Hindi

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध 600 शब्दों में

प्रस्तावना

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 30 वर्ष की उम्र में कोलकाता के वॉइस चांसलर के द्वारा मानसिक एवं नैतिक किंग जॉर्ज वी चेयर की उपाधि से नवाजा गया। सर्वपल्ली राधाकृष्णन आंध्र यूनिवर्सिटी के वॉइस चांसलर बने।

उसके पश्चात 3 वर्षों के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में नीतिशास्त्र के प्रोफ़ेसर रहे। वे अच्छे लेखक भी थे। कई लेख किताबें भी लिखी। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन 1952 से 1962 तक भारत के उपराष्ट्रपति रहे। इन्हें भारत रत्न से भी नवाजा गया है।

इसके पश्चात यह राष्ट्रपति पद पर भी नियुक्त हुए। इन्हें उपनिषद ब्रह्मसूत्र गीता शंकर माधव रामानुजन की व्याख्या और बुद्धिस्ट और जैन धर्म की अच्छी जानकारी थी। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के एक महान व्यक्ति और प्रसिद्ध शिक्षक थे।

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन व्यापक दृष्टिकोण, नियमों व सिद्धांतों को मानने वाले व्यक्ति थे, जिन्होंने भारत के प्रमुख कार्यकारी की भूमिका का निर्वहन किया। इनका जन्म दिवस भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन बहुत ही ज्यादा सर्व सम्मानित व्यक्ति थे, जिन्हें हम शिक्षक दिवस के दिन सर्वश्रेष्ठ शिक्षक के रूप में याद करते हैं। सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने भारतीय परंपरा धर्म-दर्शन कई लेख पुस्तकें लिखी।

सर्वपल्ली राधाकृष्णन महान शिक्षाविद और मानवतावादी थे। इसी वजह से शिक्षकों के प्रति प्रेम सम्मान प्रदर्शित करने के लिए पूरे देश भर में के द्वारा विद्यार्थियों के द्वारा उनके जन्म दिवस पर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म और शिक्षा

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के तिरुतनी में 5 सितंबर 1888 को एक ग्रामीण ब्राह्मण परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम सर्वपल्ली वीरास्वामी था, जो कम मानदेय पर जमीनदारी का कार्य करते थे। इनकी माता का सीतामा था।

घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उन्होंने अपने संपूर्ण शिक्षा छात्रवृति के सहारे पूरी की। इन्होंने अपने प्रारंभिक शिक्षा तमिलनाडु के क्रिश्चियन मिशनरी संस्थान से पूरी की। इसके पश्चात मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से उन्होंने अपने बीए की डिग्री प्राप्त की।

16 वर्ष की आयु में इन्होंने सिवाकामू से विवाह कर लिया। इनको मद्रास प्रेसिडेंसी में सहायक लेक्चरर के पद पर कार्य करने का अवसर मिला। बाद में मैसूर यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर के रूप में नौकरी मिली।

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की उपाधियाँ

अपने बाद के जीवन में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने प्लेटो व अन्य कई लेखकों की अस्तित्ववाद के दर्शन की व्याख्या को पढ़ा। उन्होंने द फिलोसोफी रवींद्रनाथ टैगोर क्वेस्ट, द राइन ऑफ रिलीजन कंटेंपोरेरी फिलोसोफी, द इंटरनेशनल जनरल ऑफ एथिक्स, जनरल ऑफ फिलोसोफी आदि ख्याति प्राप्त जनरल के लिए कई आर्टिकल लिखे।

सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने दर्शनशास्त्र की लाइब्रेरी के लिए प्रोफ़ेसर के निवेदन पर दूसरी पुस्तक भारतीय दर्शनशास्त्र का लेखन किया, जो कि 1923 में प्रकाशित हुई। इन्हें 1961 मे जर्मन बुक ट्रेड का शांति पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। 17 अप्रैल 1975 को इनका निधन हुआ।

उपसंहार

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान शिक्षक के रूप में माने जाते हैं। साथ ही यह भारत के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के पद भी अपनी सेवा दे चुके है। इनके व्यक्तित्व से हर किसी को प्रेरणा लेनी चाहिए।

निष्कर्ष

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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