Pandit Jawaharlal Nehru Par Nibandh : देश के जाने-माने नेताओं में पंडित जवाहरलाल नेहरू का नाम शामिल है। आजादी की लड़ाई में भी पंडित जवाहरलाल नेहरू का मुख्य योगदान रहा है। हम यहां पर पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में पंडित जवाहरलाल नेहरू के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध | Pandit Jawaharlal Nehru Par Nibandh
पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध (200 Word)
भारत के पहले प्रधानमंत्री के पंडित जवाहरलाल नेहरु थे। आजादी की लड़ाई के पश्चात जब भारत आजाद हुआ, तब सबसे पहले प्रधानमंत्री के पदभार को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संभाला था। पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 में हुआ। पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में आज भी मनाया जाता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू के पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था। उनकी माता का नाम स्वरूपरानी था।
पंडित जवाहरलाल नेहरू को शुरुआत से ही बच्चों के प्रति प्रेम और स्नेह ज्यादा रहा था। इसीलिए उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रुप में मनाया जाता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू के पिता वकील थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू इकलौते पुत्र थे। उनकी तीन बहनें थी।
पेशे से वकील होने के कारण पंडित जवाहरलाल नेहरू के पिता द्वारा उनको दुनिया की बेहतरीन स्कूलों और विश्वविद्यालयों में पढ़ने का मौका दिया गया। उन्होंने अपने स्कूली शिक्षा और कॉलेज की शिक्षा लंदन में पूरी की पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी वकील की पढ़ाई 1912 में कंप्लीट कर ली थी।
साल 1920 के प्रतापगढ़ में किसान मोर्चा में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया और साइमन कमीशन का विरोध जताया। इस साइमन कमीशन के विरोध में पंडित जवाहरलाल नेहरू घायल हो गए थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने साल 1930 में नमक आंदोलन ने भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया और नमक आंदोलन में विरोध जताने पर ब्रिटिश सरकार द्वारा पंडित जवाहरलाल नेहरू को गिरफ्तार कर लिया था एवं 6 महीने तक उन्हें जेल में बंद रखा था। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने नौ बार जेल की यात्राएं की और 1935 में अल्मोड़ा जेल में उन्होंने आत्मकथा लिखी थी।
पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध (600 Word)
प्रस्तावना
पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 इलाहाबाद के प्रयाग में हुआ था। इनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था। मोतीलाल नेहरू काफी समृद्ध व्यक्ति थे। जवाहर लाल नेहरू की माता का नाम श्रीमती स्वरूपरानी था। माता-पिता की इकलौती औलाद होने की वजह से पंडित जवाहरलाल नेहरू को घर में बहुत ही ज्यादा लाड प्यार मिला। आरंभिक शिक्षा घर पर ही पूर्ण हुई। नेहरू जी को घर पर पढ़ाने के लिए अंग्रेज शिक्षक नियुक्त किया गया। 15 वर्ष की आयु में इन्हें आगे की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड भेज दिया गया। वहां उन्होंने हैरो स्कूल मैं और कैंब्रिज विश्वविद्यालय में अध्ययन किया। सन 1912 में बैरिस्टर परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद भारत लौटे। सन 1915 जवाहरलाल कमला नेहरू के साथ विवाह के बंधन में बंधे।
भारत आने के बाद जवाहरलाल नेहरू के कार्य
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत लौटने के बाद वकालत प्रारंभ की। परंतु अब उनका मन वकालत में नहीं था। वह भारत की परतंत्रता की स्थिति को देखकर बहुत ज्यादा दुखी थे। उनके मन में यह बात कांटे की तरह चूभती थी। उन्होंने इंग्लैंड की स्वतंत्रता वाली स्थिति देखी थी, उसकी तुलना में भारत की दशा बहुत ही दयनीय और हीन थी।
भारत की दयनीय दशा के लिए वह अंग्रेजों को जिम्मेदार मानते थे। जलियांवाला बाग हत्याकांड ने उनके दिल को झकझोर कर रख दिया। उन्होंने पहले होमरूल आंदोलन में भाग लिया, उसके पश्चात गांधी जी के नेतृत्व में चल रहे आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। इसके पश्चात शाही ठाठ बाट को छोड़कर पंडित जवाहरलाल नेहरू सत्याग्रही बन गये।
स्वतंत्रता में जवाहरलाल नेहरू का योगदान
उन्होंने असहयोग आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस कारण उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा और कई यातनाएं सहनी पड़ी फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। निरंतर राष्ट्रीय हित व स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ते रहे। सन 1929 को लाहौर अधिवेशन में पंडित जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष बने। इस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य की मांग की उन्होंने इस अधिवेशन के बाद कांग्रेस को एक नई दिशा दी। उन्हें कई बार कांग्रेस में अध्यक्ष पद नियुक्त किया गया। नेहरू जी ने सन 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय योगदान दिया। तीन वर्ष तक कारावास में रहे। निरंतर भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए प्रयास साथ ही साथ अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रोत्साहित किया| वह अहिंसात्मक साधनों व आंदोलन और कार्य और प्रवृत्तियों द्वारा भारत को स्वतंत्रता दिलाना चाहते थे|
स्वतंत्रता के बाद जवाहरलाल नेहरू का योगदान
हिंसात्मक साधनों के द्वारा लड़कर ब्रिटिश शासन से भारत को मुक्त करवाने में विश्वास नहीं रखते थे। महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहे। उनकी तथा अन्य नेताओं के प्रयासों के फलस्वरूप ब्रिटिश सरकार ने 1946 को भारत को स्वतंत्रता देने का निश्चय किया। 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन से भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई। यह सब भारत के क्रांतिकारियों तथा सभी नेताओं और नागरिकों के द्वारा किए गए अथाग प्रयासों का फल था। अंततः भारत को ब्रिटिश शासन की गुलामी से आजादी प्राप्त हुई। आजादी प्राप्त करने में पंडित जवाहरलाल नेहरू का महत्वपूर्ण योगदान रहा। पंडित जवाहरलाल नेहरु जी शांति के पक्षधर थे। उन्होंने चीन के साथ पंचशील के सिद्धांत के आधार पर मित्रता का संबंध स्थापित किया।
जवाहरलाल नेहरू का देहांत
चीन ने विश्वासघात करते हुए भारत पर आक्रमण किया और भारत युद्ध के लिए तैयार नहीं था और भारत युद्ध में हार गया और इससे पंडित जवाहरलाल नेहरू को गहरा आघात पहुंचा। 27 मई 1964 को उनका देहांत हो गया। नेहरू जी ने प्रधानमंत्री के रूप में देश को नई दिशा प्रदान की। किसानों को जल की प्राप्ति कराने के लिए नदी घाटी परियोजना का प्रारंभ किया। हमारी औद्योगिक उन्नति उन्हीं के प्रयासों का फल हैं।
वह भारत का संपूर्ण व समग्र विकास चाहते थे इसलिए उन्होंने शहरों के विकास के साथ-साथ गांव के विकास पर भी बल दिया। उन्हें भारत और भारतवासियो से बहुत ज्यादा प्रेम था और बच्चों से तो उन्हें अत्यधिक प्रेम था। इसीलिए उनके जन्मदिवस 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। जमुना तट पर शांति भवन के समाधि स्थापित हैं।
निष्कर्ष
आजादी की लड़ाई के पश्चात जब देश आजाद हुआ तो प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में पंडित जवाहरलाल नेहरू को चुना गया।पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किये गए और आजादी की लड़ाई में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। जवाहरलाल नेहरू ने आजादी के पश्चात देश को नए सिरे से शुरू करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अंतिम शब्द
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