Home > Hindi Vyakaran > अन्तःस्थ व्यंजन (परिभाषा और प्रकार)

अन्तःस्थ व्यंजन (परिभाषा और प्रकार)

Antahsth Vyanjan: हिंदी व्याकरण में मुख्य रूप से स्वर और व्यंजन के बारे में आपने आवश्यक सुना होगा। हिंदी व्याकरण में व्यंजन और स्वर दोनों होते हैं और इन दोनों पर पूरी हिंदी टिकी हुई है। ऐसे तो व्यंजन बहुत सारे हैं लेकिन व्यंजन को कई अलग-अलग भागों में बांटा गया है।

व्यंजन की हर लाइन को एक अलग भाग में बांटा गया है। उच्चारण के आधार पर और बोलने के आधार पर व्यंजनों को विभाजित किया गया है। आज का हमारा आर्टिकल जिसमें हम अंतस्थ व्यंजन के बारे में बात करने वाले हैं।

Antahsth Vyanjan

अन्तःस्थ व्यंजन (परिभाषा और प्रकार) | Antahsth Vyanjan

अंतस्थ व्यंजन किसे कहते हैं?

अन्तःस्थ व्यंजन की परिभाषा: अंतस्थ व्यंजन की परिभाषा की बात करें तो अंत करण के माध्यम से उच्चारित होने वाले व्यंजनों को अंतस्थ व्यंजन कहा जाता है। अंतस्थ व्यंजन के उदाहरण- य’, ‘र’, ‘ल’ और ‘व’।

अन्त:स्थ शब्द का अर्थ

अंतर शब्द के अर्थ अंदर का, बीच में स्थित, भीतर रहने वाला, भीतरी, अन्त:स्थ, मध्य में रहने वाला इत्यादि होते हैं।

अन्त:स्थ व्यंजन की दूसरी परिभाषा

ऐसे वर्ण जिनको जीभ और होठों के परस्पर सटने से बोला जाता है। लेकिन कहीं पर भी दोनों पूरी तरह से स्पर्श् नहीं होते हैं। उदाहरण: य, र, ल, व

अन्तःस्थ व्यंजन क्या है?

उन व्यंजन को अन्तःस्थ व्यंजन कहा जाता है, जिनका उच्चारण जीभ, तालु, दांत और होठों के परस्पर सटने की वजह से होता है। इन व्यंजन के उच्चारण के समय सांस की गति अन्य व्यंजन के उच्चारण की तुलना में काफी कम होती है। इन चारों व्यंजनों को स्पर्शहीन वर्ण के नाम से भी पहचाना जाता है।

इन व्यंजनो को अर्ध स्वर वर्ण इसलिए बोला जाता है। क्योंकि इन व्यंजनों के उच्चारण स्वर की भांति किए जाते हैं। स्वर की तरह ही इन व्यंजन को बोलने में ज्यादा घर्षण नहीं होता है।

अंतस्थ व्यंजन मे “र” जिसे प्रकंपित नाम से जाना जाता है। एंजेल का उच्चारण जब करते हैं तो जीभ मुख्य के बीच में आ जाती है और झटके से आगे पीछे चलती है। तब इस व्यंजन का उच्चारण होता है।

“ल” व्यंजन का उच्चारण जब करते हैं तब जीव का अगला हिस्सा मूख के बीचो बीच में आता है। जब इस व्यंजन का उच्चारण किया जाता है। तब जीभ के दोनों किनारों से हवा बाहर निकलती है।

अन्तःस्थ व्यंजन के प्रकार

अन्तःस्थ जो मुख्य रूप से चार प्रकार का होता है। अन्तःस्थ व्यंजन के चारों प्रकार लिखे, निम्नलिखित रुप से दिए गए हैं।

निष्कर्ष

आज के आर्टिकल में हमने अन्तःस्थ व्यंजन परिभाषा और भेद के बारे में संपूर्ण जानकारी आप तक पहुंचाई है। हमें पूरी उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी आपको बहुत अच्छी लगी होगी। यदि आपका इससे जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। इस जानकारी को आगे शेयर जरूर करें।

स्पर्श व्यंजनसंयुक्त व्यंजनअन्तःस्थ व्यंजनउष्म व्यंजन
सघोष व्यंजनअघोष व्यंजनअल्पप्राण व्यंजनमहाप्राण व्यंजन

हिंदी व्याकरण के अन्य महत्वपूर्ण भाग

उपसर्गप्रत्ययलिपि
भाषावर्णपद
वाक्यसमाससंज्ञा
सर्वनामकारकविशेषण
Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

Leave a Comment