Aghosh Vyanjan: हिंदी व्याकरण के अंतर्गत व्यंजन को मुख्य भाग माना जाता है। व्यंजन को अलग-अलग भागों में उच्चारण के आधार पर विभाजित किया गया है।
आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे अघोष व्यंजन के बारे में। अघोष व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं एवं उनकी परिभाषा के बारे में भी चर्चा करेंगे। यदि आप अघोष व्यंजन के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो यह आर्टिकल उनके लिए उपयोगी साबित होगा। अतः इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़ें।
अघोष व्यंजन किसे कहते हैं?
अघोष व्यंजन की परिभाषा: अघोष व्यंजन ऐसे व्यंजन को कहते हैं, जिनका उच्चारण करते समय यदि स्वर यंत्री में कंपन ना हो तो ऐसे व्यंजन अघोष व्यंजन कहलाते हैं। इनकी संख्या हिंदी वर्णमाला में 13 होती है। यह प्रत्येक वर्ग का पहला, दूसरा और तीसरा श, ष, स आदि अघोष व्यंजन में आते हैं।
दूसरे शब्दों में जिन वर्णों का उच्चारण करते समय नाक की जगह श्वाँस का उपयोग होता हैं, उन्हे अघोष वर्ण कहते हैं।
अघोष व्यंजन के भेद
अघोष व्यंजन के प्रकार की बात की जाए तो अघोष व्यंजन को मुख्यतः उच्चारण के आधार पर विभाजित किया गया है। अतः इनकी संख्या 13 होती है, जो इस प्रकार हैं:
जैसे
- क, ख
- च, छ
- ट, ठ
- त, थ
- प, फ
- श, ष, स
निष्कर्ष
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व्यंजन के अन्य प्रकार
स्पर्श व्यंजन | संयुक्त व्यंजन | अन्तःस्थ व्यंजन | उष्म व्यंजन |
सघोष व्यंजन | अघोष व्यंजन | अल्पप्राण व्यंजन | महाप्राण व्यंजन |
हिंदी व्याकरण के अन्य महत्वपूर्ण भाग