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समान नागरिक संहिता क्या है?, पूरी जानकारी

Uniform Civil Code Kya Hai

Uniform Civil Code Kya Hai: साल 2014 में बीजेपी के भारत की सत्ता में आने के बाद उसके एजेंडे में तीन मुख्य काम थे पहला जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना, दूसरा राम मंदिर का निर्माण करना और तीसरा समान नागरिक संहिता को पूरे देश में लागू करना।

हालांकि दो एजेंडे तो बीजेपी के पूरे हो चुके हैं अब तीसरा एजेंडा समान नागरिक संहिता पर काम चल रहा है।

6 फरवरी 2024 को उत्तराखंड की बीजेपी सरकार के द्वारा यूनिफॉर्म सिविल कोड को विधानसभा में पेश करने और अगले ही दिन पास होकर इसके कानून बनने के बाद एक बार फिर से यह चर्चा का विषय बन गया है। क्योंकि बीजेपी सत्ता वाले कई राज्य में अब इसे लागू किया जा सकता है।

वैसे Uniform Civil Code Kya Hai? बहुत से लोगों को इसकी जानकारी नहीं है। इस लेख में समान नागरिक संहिता के बारे में जानकारी देंगे। जिसमें यूसीसी क्‍या है, UCC का इतिहास आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे।

यूनिफॉर्म सिविल कोड क्‍या है? (Uniform Civil Code Kya Hai)

UCC जिसका पूरा नाम Uniform Civil Code है। इसे समान नागरिक संहिता भी कहा जाता है। यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ होता है देश में सभी धर्म, संप्रदाय, जाति, वर्ग के लिए एक ही नियम।

सरल शब्दों में कहें तो समान नागरिक संहिता का अर्थ है कि पूरे देश में सभी धर्म संप्रदाय के लिए एक ही कानून बनाया जाए, जिसमें धार्मिक समुदाय के लिए विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने के नियम भी एक ही होंगे।

यह संहिता भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में लिखा गया है, जिसके अनुसार देश में सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून लागू करने की बात कही गई है। वैसे भारत में सभी नागरिकों के लिए एक समान आपराधिक संहिता है लेकिन एक समान नागरिक कानून अभी तक लागू नहीं हुआ है।

UCC लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना उत्तराखंड

समान नागरिक संहिता का यह मुद्दा एक सदी से भी ज्यादा समय से राजनीतिक बहस का केंद्र बना हुआ था। भारतीय जनता पार्टी जब साल 2014 में सत्ता में आई तब से ही वह समान नागरिक संहिता (UCC) को संसद में कानून बनाने पर जोर दे रही थी। साल 2024 से पहले इस मुद्दे ने काफी जोर पकड़ा।

भारतीय जनता पार्टी एकमात्र ऐसी पार्टी है, जिसने UCC को लागू करने का वादा किया और 2019 के लोकसभा चुनाव घोषणा पत्र में इस मुद्दे को शामिल किया था। भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे में यूनिफॉर्म सिविल कोड उनकी प्राथमिकता रही है।

अब जब हर एक राज्यों में समान नागरिक संहिता को लागू करने की बात चल रही है तो ऐसे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई बैठक में उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने का निर्णय ले लिया।

4 फरवरी 2024 को उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने समान नागरिक संहिता के मसौदे को मंजूरी दे दी थी, उसके बाद राज्य विधानसभा में इसे पेश किया गया। इस तरह उत्तराखंड भारत का ऐसा पहला राज्य बन चुका है, जिसने समान नागरिक संहिता विधेयक को पास किया है।

UCC का इतिहास

समान नागरिक संहिता का मुद्दा कोई नया मुद्दा नहीं है। इसका इतिहास 100 साल से भी ज्यादा पुराना है। UCC की अवधारणा का विकास ब्रिटिश काल में तब हुआ जब 1835 में ब्रिटिश सरकार ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।

जिसमें सबूत, अनुबंध और अपराधों से संबंधित भारतीय कानून के संहिताकरण में एकरूपता की आवश्यकता पर बल दिया था। लेकिन उस रिपोर्ट में हिंदू और मुसलमान के व्यक्तिगत कानून को इससे बाहर रखने की भी सिफारिश की गई थी।

चूंकि ब्रिटिश इकेश्वरवादी थे। ऐसे में भारत में चल रही जटिल प्रथाओं को समझना उनके लिए मुश्किल था और वह ना ही इन विवादों में फंसना चाहते थे। क्योंकि उनका एक मात्र मकसद भारत में व्यवसाय करना और भारत से पैसा लूटना था।

ब्रिटिश शासन का जब अंत आने लगा, उस समय व्यक्तिगत मुद्दों से निपटने वाले कानूनो की संख्या में काफी ज्यादा वृद्धि होने लगी, जिसके कारण 1941 में सरकार को हिंदू कानून को संहिताबध्द करने के लिए एक समिति गठित करने के लिए मजबूर होना पड़ा और वह समिति थी BN राव।

इसी समिति के सिफारिश पर हिंदू, बौद्ध, जैनी और सिखों के उत्तराधिकार मामलों को सुलझाने के लिए 1956 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम विधेयक को अपनाने की सिफारिश की गई थी। लेकिन उस सिफारिश में मुस्लिम, पारसी और ईसाई लोगों के लिए अलग कानून रखे गए थे।

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आजादी के बाद भी UCC पर चर्चा

15 अगस्त 1947 को देश आजाद होने के बाद भी समान नागरिक संहिता पर काफी ज्यादा चर्चा विचार किए गए। UCC को लेकर कुछ सदस्यों का मानना था कि भारत जहां पर अलग-अलग धर्म संप्रदाय के लोग रहते हैं, ऐसे देश में समान नागरिक संहिता को लागू कर पाना आसान नहीं और शायद बेहतर भी नहीं होगा।

वहीं कुछ लोगों का मानना था कि अलग-अलग धर्म संप्रदाय वाले इस देश में समान नागरिक संहिता लागू करने पर एक देश एक कानून के तर्ज पर लोगों में सद्भावना लाया जा सकता है।

यूसीसी पर सुप्रीम कोर्ट का रुख

कई ऐतिहासिक निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार को पूरे देश में एक समान नागरिक संहिता को लागू करने की बात कही है।

मोहम्मद अहमद खास बनाम शाहबानो बेगम के ऐतिहासिक फैसले में भी सुप्रीम कोर्ट में एक तलाकशुदा मुस्लिम महिला की याचिका पर सुनवाई करते समय व्यक्तिगत समुदाय के व्यक्तिगत कानून के बजाय भारत के कानून सीआरपीसी के आधार पर उसके पक्ष में फैसला सुनाया गया था।

ऐसे में अदालत ने उस समय यह भी कहा कि संविधान का अनुच्छेद 44 जिसमें एक समान कानून पूरे देश में लागू करने की बात कही गई है एक बेकार पड़ा हुआ आर्टिकल बनकर रह गया है।

क्योंकि संविधान में ऐसे आर्टिकल होने का क्या फायदा जो केवल संविधान में ही लिखा हो, पूरे देश में उसका कोई प्रभाव नहीं है।

UCC पर PM नरेंद्र मोदी की वकालत

बीजेपी ने शुरुआत से ही पूरे भारत में समान नागरिक संहिता को लागू करने पर जोर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विरोधियों से यह सवाल भी किया है कि क्या दोहरी व्यवस्था से देश चल सकता है?

उनका कहना है कि संविधान में सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार का उल्लेख किया गया है। ऐसे में तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति के बजाय हमें संतुष्टीकरण के रास्ते पर चलना है।

उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष समान नागरिक संहिता के मुद्दे का इस्तेमाल केवल मुस्लिम समुदाय को गुमराह करने और उन्हें भड़काने के लिए कर रहे हैं।

लेकिन उन्हें समझने की जरूरत है कि क्या घर में हर एक सदस्यों के लिए अलग-अलग कानून होने से परिवार चल पाएगा? ठीक उसी तरह देश में अलग-अलग नागरिकों के लिए अलग-अलग कानून होने से देश भी नहीं चल सकता।

बाबासाहेब अंबेडकर ने एक समान कानून संहिता पर क्या कहा है?

बाबासाहेब अंबेडकर ने एक समान और पूर्ण आपराधिक संहिता, संपत्ति हस्तांतरण करने का कानून और नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट जैसे कई कानून का हवाला देते हुए कहा था कि भारत में व्यावहारिक रूप से समान नागरिक संहिता है, जिनमें मूल तत्व समान है और पूरे देश में लागू है।

UCC पर पंडित जवाहरलाल नेहरू का क्या कहना था?

पंडित जवाहरलाल नेहरू का एक समान कानून संहिता पर कहना था कि वर्तमान समय में भारत की स्थिति ऐसी नहीं है कि पूरे भारत में एक समान कानून संहिता को लागू किया जा सके।

निष्कर्ष

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 में देश के सभी नागरिकों को अपने-अपने धर्म के अनुसार जीने का अधिकार दिया गया है। ऐसे में अगर पूरे देश में एक समान नागरिक संहिता लागू होता है तो अनुच्छेद 25 का उल्लंघन होगा।

ऐसे में भारत जैसे विविधता वाले देश में एक समान नागरिक संहिता लागू करना इतना आसान नहीं है। लेकिन फिर भी तत्कालीन सरकार इस पर जोर दे रही है।

हमें उम्मीद है कि इस पोस्ट के जरिए UCC Kya Hai से संबंधित सभी प्रश्नों का जवाब आपको मिल गया। समान नागरिक संहिता के जुड़ी इस जानकारी को आगे शेयर जरुर करें।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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