क्रिया (Kriya Kise Kahate Hain): नमस्कार दोस्तों, जैसा कि सब जानते है सभी भाषा में क्रिया का एक अहम रोल होता है, हिंदी भाषा में भी क्रिया का खास महत्व है। बिना क्रिया के वाक्य पूर्ण नहीं कहलाता। छोटी कक्षा से लेकर कॉम्पटीटिव एग्जाम में भी क्रिया से जुड़े कई सवाल पूछे जाते है।
आज हम इस आर्टिकल में आपको हिंदी व्याकरण में क्रिया के विषय पर विस्तारपूर्वक माहिति प्रदान करेंगे। इस आर्टिकल की मदद से आप क्रिया क्या है, क्रिया की परिभाषा (Karak ki Paribhasha), क्रिया किसे कहते है, क्रिया के प्रकार अर्थात क्रिया के भेद (Kriya ke Bhed), क्रिया शब्द, क्रिया के उदाहरण जैसे विषय सरल भाषा में सीख सकेंगे। इसलिए हमारा आपसे निवेदन है कि आर्टिकल को पूरा पढ़े।
यहां पर हम क्रिया को निम्न स्टेप्स में जानेंगे:
- क्रिया किसे कहते हैं (Kriya Kise Kahate Hain)
- क्रिया के भेद (Kriya ke Kitne Bhed Hote Hain)
- क्रिया के उदाहरण (Kriya ke Udaharan)
क्रिया किसे कहते हैं? (Kriya Kise Kahte Hai)
सबसे पहले समझते है की क्रिया क्या है? अर्थात क्रिया की परिभाषा क्या है?
हिंदी व्याकरण में चार विकारी शब्द होते हैं संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया। क्रिया को अंग्रेजी में Action Word कहते है। क्रिया का अर्थ होता है करना। जो भी काम हम करते है, वो क्रिया कहलाती है।
क्रिया की परिभाषा (Kriya ki Paribhasha): जिस शब्द के द्वारा किसी क्रिया के करने या होने का बोध हो, उसे क्रिया कहते है। दिन भर हम जो भी काम करते है, उसे क्रिया कहा जाता है जैसे कि उठना, बैठना, रोना, खाना, पीना, जाना, सोना, लिखना, चलना आदि। हिंदी में क्रिया के रूप लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार बदलते है।
क्रिया के मुख्य उदाहरण
आइये क्रिया को निम्नलिखित उदाहरण द्वारा समझते है।
- बच्चा झूला झूल रहा है।
इस वाक्य में ‘झूल रहा है’ क्रिया दर्शाती है।
- बाहर बारिश हो रही है।
इस वाक्य में ‘हो रही है’ क्रिया दर्शाती है।
- सूरज चमक रहा है।
इस वाक्य में ‘चमक रहा है’ क्रिया दर्शाती है।
- रुपाली खाना बना रही है।
इस वाक्य में ‘बना रही है’ क्रिया दर्शाती है।
- किसान फसल काट रहा है।
इस वाक्य में ‘काट रहा है’ क्रिया दर्शाती है।
- मोहन गाना गाता है।
- राम पुस्तक पढ़ता है।
- रेखा नाचती है।
- धीरज धीरे धीरे चलता है।
- किरण बहुत तेज भागता है।
प्रयुक्त उदाहरण में काम करने का बोध हो रहा है। अतः यह सभी उदाहरण क्रिया के अंतर्गत आएंगे। काम करने की बोध के लिए उपयोग होने वाले शब्दों के आधार पर क्रिया के स्वरूप का भी पता चलता है।
पता चलता है कि क्रिया वर्तमान में हुई है। भूतकाल में हुई है या भविष्य काल में होने वाली है। इसके बारे में इन शब्दों के माध्यम से पता चलता है। क्रिया के लिए उपयोग होने वाले शब्दों के आधार पर समय का संकेत मिलता है।
धातु किसे कहते हैं?
जो क्रिया के मूल रूप होते हैं, उसे ‘धातु’ कहते हैं यानि की धातु शब्द के द्वारा क्रिया की उत्पति होती है। मूल धातु शब्द में ‘ना’ प्रत्यय को लगाकर जो शब्द बनता है, उसे क्रिया शब्द कहते है।
आइये इन्हें उदाहरण के द्वारा समझते हैं। जैसे – ‘बैठना’ क्रिया में मूल शब्द ‘बैठ’ में ‘ना’ प्रत्यय जोड़कर ‘बैठना’ शब्द बना है। अतः ‘बैठना’ क्रिया की मूल धातु ‘बैठ’ है।
- पढ़ + ना = पढ़ना
- लिख + ना = लिखना
- नाच + ना = नाचना
- सो + ना = सोना
पढ़ना, लिखना, नाचना और सोना को क्रिया शब्द कहते है।
क्रिया शब्द किसे कहते हैं? (Kriya Shabd Kise Kahate Hain)
वाक्य में वे शब्द जो क्रिया और काम को सूचित करता है, उसे क्रिया शब्द कहते है।
क्रिया शब्द के उदाहरण
- सोहन क्रिकेट खेलता है।
- माँ बच्चे को मारती है।
- कुसुम विद्यालय जा रही है।
- गीता खाना बना रही है।
- मोंटू घर की सफाई कर रहा है।
- बच्चे अपना गृहकार्य लिख रहे है।
- वह अपने घर गया।
- दीपक अपनी बहन का काम में हाथ बटा रहा है।
- शिक्षक ने बच्चों को बुलवाया।
- सुमित आते ही सो गया।
क्रिया के कितने भेद होते हैं?
क्रिया के मुख्य 3 भेद है।
- कर्म के आधार पर
- प्रयोग तथा संरचना के आधार पर
- काल के आधार पर
तो चलिए अब इन तीनों भेद के बारे में विस्तार पूर्वक समझते है।
1. कर्म के आधार पर
कर्म के आधार पर क्रिया के मुख्य दो भेद किये जाते है।
- अकर्मक क्रिया
- सकर्मक क्रिया
अकर्मक क्रिया किसे कहते है?
वे क्रियाएं जिनके साथ कर्म प्रयुक्त नहीं होता तथा क्रिया का प्रभाव वाक्य के प्रयुक्त कर्ता पर नहीं पड़ता, उसे अकर्मक क्रिया कहते है।
अगर सरल भाषा में बोला जाये तो जब किसी वाक्य में कर्ता हो और क्रिया भी हो लेकिन कर्म ना हो, उसे अकर्मक क्रिया कहते है।
अ + कर्मक शब्द को मिलाकर अकर्मक शब्द बनता है। यहाँ ‘अ’ का अर्थ होता है बिना और ‘कर्मक’ का अर्थ होता है कर्म करने वाला। अकर्मक का शाब्दिक अर्थ होता है ‘कर्म के बिना’
चलिए यहाँ पर हम अकर्मक को निन्मलिखित उदाहरण द्वारा सरलता से समझते है। जैसे कि
- कुत्ता भौकता है।
इस वाक्य में कर्ता ‘कुत्ता’ है और क्रिया ‘भौकता’ है, मलतब कि यहाँ पर कर्म प्रयुक्त नहीं होता। इन क्रिया में कर्म की जरूरत नहीं पड़ती है।
- कविता हंसती है।
इस वाक्य में कर्ता ‘कविता’ है और क्रिया ‘हंसती’ है, मलतब की यहाँ पर कर्म प्रयुक्त नहीं होता। इन क्रिया में कर्म की जरूरत नहीं पड़ती है।
- बच्चा रोता है।
इस वाक्य में कर्ता ‘बच्चा’ है और क्रिया ‘रोता’ है, मलतब की यहाँ पर कर्म प्रयुक्त नहीं है। इन क्रिया में कर्म की जरूरत नहीं पड़ती है।
अकर्मक क्रिया के उदाहरण
- आदमी बैठा है।
- माला खेलती है।
- पक्षी उड़ रहे है।
- मोहन देर से सोता है।
- घोडा दौड़ता है।
- राहुल घूम रहा है।
- हम रात भर सोते है।
- वह दिन भर पढता रहता है।
- माधव चिल्लाता रहता है।
- मोहित उठ गया।
सकर्मक क्रिया किसे कहते है? (Sakarmak Kriya Kise Kahate Kain)
वे क्रियाएं जिनका प्रभाव वाक्य में प्रयुक्त कर्ता पर ना पड़कर कर्म पर पड़ता है अर्थात वाक्य में क्रिया के साथ कर्म भी प्रयुकत हो, उसे सकर्मक क्रिया कहते है।
अगर सरल भाषा में बोला जाये तो जब किसी वाक्य में जब किसी वाक्य में कर्ता, क्रिया और कर्म तीनों उपस्थित हों, उसे सकर्मक क्रिया कहते है।
स + कर्मक शब्द को मिलाकर सकर्मक शब्द बनता है। यहाँ ‘स’ का अर्थ होता है ‘साथ में’और ‘कर्मक’ का अर्थ होता है कर्म करने वाला। सकर्मक का शाब्दिक अर्थ होता है ‘कर्म के साथ में’
चलिए यहाँ पर हम सकर्मक को निन्मलिखित उदाहरण द्वारा सरलता से समझते है।
- भूपेंद्र दूध पी रहा है।
इस वाक्य में ‘भूपेंद्र’ कर्ता है, ‘पी रहा है’ क्रिया है और ‘दूध’ यहां पर कर्म है। यहाँ पर कर्ता कर्म और क्रिया तीनों उपस्थित है। मलतब की यहाँ पर क्रिया का प्रभाव कर्म पर पड़ रहा है। यह सकर्मक क्रिया है।
- नीतू खाना बना रही है।
इस वाक्य में ‘नीतू’ कर्ता है, ‘बना रही है’ क्रिया है और ‘खाना’ यहां पर कर्म है। यहाँ पर कर्ता कर्म और क्रिया तीनों उपस्थित है। मलतब कि यहाँ पर क्रिया का प्रभाव कर्म पर पड़ रहा है। यह सकर्मक क्रिया है।
- सोनल ने कमरे की सफाई की।
इस वाक्य में ‘सोनल’ कर्ता है, ‘सफाई की’ क्रिया है और ‘कमरे’ यहां पर कर्म है। मतलब कि यहाँ पर कर्ता जो क्रिया कर रहा है, उसका प्रभाव कर्म पर सीधा पड़ रहा है। यह सकर्मक क्रिया है।
सकर्मक क्रिया के उदाहरण (Sakarmak Kriya ke Udaharan)
- मोहन विद्यालय जा रहा है।
- गीता रामायण पढ़ रही है।
- रोहन फुटबाल खेल रहा है।
- वो अपनी कार में बाजार जा रही है।
- मोना पानी का गिलास भर रही है।
- बच्चे ने मम्मी को फ़ोन किया।
- श्याम रातभर कंप्यूटर चलाता है।
- माली ने फूलों में पानी डाला।
- शिक्षक पुस्तक पढ़ा रहा है।
- मैं घूमने जा रहा हूँ।
सकर्मक क्रिया के भेद
सकर्मक क्रिया के दो भेद है।
- पूर्ण सकर्मक क्रिया
- अपूर्ण सकर्मक क्रिया
पूर्ण सकर्मक क्रिया के दो उपभेद है।
- एक कर्मक क्रिया
- द्रिकर्मक क्रिया
चलिए सबसे पहले पूर्ण संक्रमक क्रिया को समझते है।
पूर्ण सकर्मक क्रिया की परिभाषा: सकर्मक क्रिया के वाक्य में जब कर्म के अतिरिक्त किसी पूरक शब्द (संज्ञा या विशेषण) की आवश्यकता नहीं पड़ती, उसे पूर्ण सकर्मक क्रिया कहते है।
- छात्र पढ़ रहे है।
- बच्चा खेल रहा है।
- मोनिका लिख रही है।
- बच्चे दौड़ रहे है।
- कामिनी तैर रही है
पूर्ण सकर्मक क्रिया के दो उपभेद है।
एक कर्मक क्रिया: अगर किसी सकर्मक क्रिया के वाक्य में सिर्फ एक ही कर्म प्रयुक्त हो, उसे एक कर्मक क्रिया कहते है।
जैसे कि
- रोहन बाइक चला रहा है।
- विजय अनानास खा रहा है।
- श्याम कपडे धो रहा है।
- विणा बाग़ साफ़ कर रही है।
- शिक्षक पढ़ा रहे है।
- माता खाना बना रही है।
आप देख सकते हो उपयुक्त वाकय में सिर्फ एक ही कर्म की उपस्थिति है।
द्विकर्मक क्रिया किसे कहते हैं (dwikarmak kriya kise kahate hain): अगर किसी सकर्मक क्रिया के वाक्य में दो कर्म प्रयुक्त हो तो उसे द्रिकर्मक क्रिया कहते है। यहाँ पर एक प्रधान कर्म होता है और एक गौण कर्म।
जैसे कि
- मैं लड़के को हिंदी पढ़ा रहा हूँ।
- कविश ने प्रियंक को पेन दी।
- राम अपने भाई के साथ बाजार गया।
- शिक्षक ने विद्यार्थी को पुस्तक भेट में दी।
- रोहन ने मोहन को कपडे दिलवाये।
अपूर्ण सकर्मक क्रिया की परिभाषा: जिस सकर्मक क्रिया के वाक्य में कर्म के अतिरिक्त किसी पूरक शब्द (संज्ञा या विशेषण) की आवश्यकता बनी रहती है, उसे अपूर्ण सकर्मक क्रिया कहते है।
जैसे कि
- रमेश महेश को बुद्धू समझता है।
- मोहन मुझे अपना दोस्त मानता है।
- वर्माजी को विद्यालय का प्रिंसिपल बनाया गया।
- मीना कामिनी से ज्यादा सुन्दर है।
- वह अपने भाई को विद्वान समझता है।
सकर्मक और अकर्मक क्रिया को कैसे पहचाने?
अक्सर लोग सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया को पहचान ने में गलती कर देते है। हम आपको कुछ सरल टिप्स बताएँगे, जिसके चलते आप इन दोनों में भेद सरलता से पहचान सकेंगे।
- क्रिया में क्या/किसे लगाकर प्रश्न करना।
चलिए हम दो वाक्य देखते है।
- विद्यार्थी रामायण पढ़ रहे है।
- विद्यार्थी पढ़ रहे है।
पहले वाक्य में अगर ‘क्या’ शब्द लगाकर प्रश्न किया जाये तो आपको उसका जवाब मिल सकता है।
जैसे कि
विद्यार्थी क्या पढ़ रहे है?
जवाब: रामायण
मलतब यहाँ कि क्रिया का फल कर्ता पर ना पड़कर सीधा कर्म पर पड़ रहा है, इसलिए यह सकर्मक क्रिया है। यहाँ पर विद्यार्थी कर्ता है, रामायण कर्म है और पढ़ रहे है क्रिया है।
दूसरे वाक्य में अगर ‘क्या’ शब्द लगाकर प्रश्न किया जाये, तो आपको उसका जवाब नहीं मिल पाता। मलतब यहाँ पर विद्यार्थी कर्ता है और पढ़ रहे है क्रिया है, लेकिन कर्म की उपस्थिति नहीं है। इस लिए यह अकर्मक क्रिया है।
- प्रकृति द्वारा होने वाली सभी क्रिया और जिस क्रिया का कोई कर्ता नहीं होता वो अकर्मक क्रिया है जैसी कि
- बादल बरस रहे है।
- फूल खिल रहा है।
- हवा चलती है।
- तारें चमकते है।
अगर हम ‘क्या’ लगाकर यहाँ पर पश्न पूछते है कि क्या बरस रहे है? तो हमें कोई जवाब प्राप्त नहीं होगा। अगर हम यहाँ पर जवाब बादल देंगे तो बादल कर्ता है, कर्म नहीं है और यह क्रिया अपने आप स्वतः हो रही है इसलिए यह अकर्मक क्रिया है।
2. प्रयोग तथा संरचना के आधार पर
प्रयोग तथा संरचना के आधार पर क्रिया के निम्नलिखित भेद है।
- सामान्य क्रिया
- सहायक क्रिया
- संयुक्त क्रिया
- सजातीय क्रिया
- कृदंत क्रिया
- प्रेरणार्थक क्रिया
- पूर्वकालीन क्रिया
- नाम धातु क्रिया
- नामिक क्रिया
- विधि क्रिया
आइये सभी भेद को बारी बारी से समझते है।
सामान्य क्रिया
जब किसी वाक्य में एक ही क्रिया प्रयुक्त किया गया हो, उसे सामान्य क्रिया कहा जाता है।
जैसे कि
- जैनी नाची।
- राम मंदिर गया।
- सोहन केला खाता है।
- कविता गीत गाती है।
- राधा समाचारपत्र पढ़ रही है।
ऊपर के सभी वाक्यों में एक ही क्रिया को निर्देशित किया गया है।
सहायक क्रिया
जो क्रिया विशेष भाव व्यक्त करने के लिए मुख्य क्रियाओं की मदद करती है यानि की किसी वाक्य में वो पद, जिन्हे मुख्य क्रिया के साथ जोड़कर वाक्य को पूर्ण किया जाता है, उन्हें सहायक क्रिया कहा जाता है।
जैसे कि
- बच्चे घर में खेलने लगे।
इस वाक्य में मुख्य क्रिया ‘खेलना है’ और सहायक क्रिया ‘लगे’ यानि की ‘लगाना’ है।
- गाय को घास देना चाहिए।
इस वाक्य में मुख्य क्रिया ‘देना है’ और सहायक क्रिया ‘चाहिए’ यानि की ‘चाहना’ है।
- मिठाई का नाम सुनते ही मन खुश हो गया।
इस वाक्य में मुख्य क्रिया ‘हो’ और सहायक क्रिया ‘गया’ यानि की ‘जाना’ है।
संयुक्त क्रिया
ऐसी क्रिया जो दो क्रियाओं के मिलने से बनती है, उन्हें सयुंक्त क्रिया कहा जाता है। मलतब कि जब दो क्रिया मिलकर तीसरी नयी क्रिया का निर्माण करती हैं, तो वह नयी क्रिया सयुंक्त क्रिया कहलाती है।
जैसे कि
- अजय ने दूध पी लिया।
आप देख सकते हैं वाक्य में सिर्फ एक क्रिया नहीं है बल्कि दो क्रिया ‘पीना’ और ‘लेना’ है और इन दोनों क्रिया को मिलकर नयी क्रिया ‘पी लिया’ नियुक्त होती है।
- मोहन पूरी किताब पढ़ने लगा।
आप देख सकते हैं वाक्य में सिर्फ एक क्रिया नहीं है बल्कि दो क्रिया ‘पढ़ना’ और ‘लगना’ है और इन दोनों क्रिया मिलकर नयी क्रिया ‘पढ़ने लगा’ क्रिया का निर्माण करती हैं।
- राम दुकान की ओर मुड़ने लगा।
आप देख सकते हैं वाक्य में सिर्फ एक क्रिया नहीं है बल्कि दो क्रिया ‘मुड़ना’ और ‘लगना’ है और इन दोनों क्रिया मिलकर नयी क्रिया ‘मुड़ने लगा’ क्रिया का निर्माण करती हैं।
- नीता आईने के सामने खड़ी होकर रो पड़ी।
उपयुक्त वाक्य में दो क्रिया ‘रोना’ और ‘पड़ना’ है यह दो क्रिया मिलकर एक नई क्रिया ‘रो पड़ना’ का निर्माण करती है।
सजातीय क्रिया
वे क्रियाएं जहाँ कर्म और क्रिया एक ही धातु से बने हो और साथ में प्रयुक्त होते हो, उस क्रिया को सजातीय क्रिया कहा जाता है।
जैसे कि
- मोहन खाना खा रहा है।
- बच्चे खेल खेल रहे है।
- आकाश पढाई पढ़ रहा है।
- माला अच्छी लिखाई लिख रही है।
- जहाँगीर ने लड़ाई लड़ी।
कृदंत क्रिया
शब्दों के अंत में प्रत्यय लगाकर जो क्रिया बनती है, उन्हें कृदंत क्रिया कहा जाता है।
जैसे कि
- उड़ + ई = उड़ी
- उग + ता = उगता
- ज़ाग + ए = जागे
- दौड़ + ता = दौड़ता
प्रेरणार्थक क्रिया
जब कर्ता स्वयं क्रिया करने की बजाय किसी दूसरे को क्रिया करने के लिए प्रेरित करता है, इस क्रिया को प्रेरणार्थक क्रिया कहा जाता है।
जैसे कि
- अजय रानी से खाना बनवाता है।
- दयाशंकर रामु से गाड़ी साफ़ करवाता है।
- माता पिता अपने बच्चों से काम करवाते है।
- मालिक नौकर से खाना बनवाता है।
- माली अपने बेटे से बाग़ की सफाई करवाता है।
यहाँ पर प्रेरणार्थक क्रिया के दो प्रकार के कर्ता होते हैं
- प्रेरक कर्ता: प्रेरणा प्रदान करने वाला
- प्रेरित कर्ता: प्रेरणा लेने वाला कर्ता
प्रेरणार्थक क्रिया के भेद
प्रेरणार्थक क्रिया के दो भेद है।
- प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया
- द्रितीय प्रेरणार्थक क्रिया
प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया: मूल क्रिया के शब्द के अंत में ‘आना’ प्रत्यय जोड़कर जो क्रिया बनती है, उन्हें प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया कहा जाता है।
जैसे कि
- महेश बच्चों को काम करना सिखाता है।
- बेटा अपनी माँ से भोजन बनवाता है।
- गीता सबको मदुर गीत सुनाती है।
- शिक्षक विद्यार्थी से गृहकार्य लिखवाता है।
- माता अपनी बेटी से कपडे धुलवाती है।
द्रितीय प्रेरणार्थक क्रिया: मूल क्रिया के शब्द के अंत में ‘वाना’ प्रत्यय जोड़कर जो क्रिया बनती है, उन्हें प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया कहा जाता है।
जैसे कि
- माँ आज खाने में हलवा बनवाना।
- बगीचे में आज साफ सफाई करवाना।
- वह हार्दिक से अपना होमवर्क करवाता है।
- माँ नीतू से बच्चे को दूध पिलवाती है।
- जोकर सर्कस में हाथी करतब करवाता है।
पूर्वकालीन क्रिया
जब कर्ता एक कार्य को समाप्त करके तुरंत दूसरे कार्य पर लग जाता है तब जो पहले क्रिया समाप्त हो जाती है, उस क्रिया को पूर्वकालीन क्रिया कहते है। सामान्य तौर पर पूर्वकालिक क्रियाओं में ‘कर’ शब्द जुड़ा हुआ होता है।
- श्याम ने नहाकर पूजा किया।
इस वाक्य में ‘किया’ एक क्रिया है लेकिन इस क्रिया के पहले भी नहाकर वाली क्रिया समाप्त हो जाती है, इसलिए “नहाकर” पूर्वकालिक क्रिया कहलाएगा।
- ललित घर पहुँचकर फोन करता है।
इस वाक्य में “करता” एक क्रिया है लेकिन इस क्रिया के पहले “पहुंचकर” वाला भी एक क्रिया समाप्त हो जाती है, जिस वजह से पहुंचकर वाली क्रिया को पूर्वकालिक क्रिया कहा जाएगा।
जैसे कि
- चोर सामान चुराकर भाग गया।
- वो जाकर सो गया।
- मैं भागकर जाऊंगा।
विधि क्रिया
ऐसे वाक्य जिनमें आज्ञा वाचक शब्द का प्रयोग किया जा रहा है तो ऐसे वाक्यों में पाए जाने वाले क्रियाओं को विधि क्रिया कहा जाता है।
जैसे कि
- मोहन यहाँ चले जाओ।
- तुम अपना काम करते रहो।
- यहाँ मत देखों।
- खिड़की के बहार कचरा मत फेकों।
नामिक क्रिया
क्रिया के साथ यदि संज्ञा और विशेषण जैसे शब्दों को भी साथ लगाया जाए तो उन्हें नामिक क्रिया कहा जाता है। कभी-कभी इन्हे मिश्र क्रिया भी कहा जाता है।
जैसे कि
- दिखाई देना
- याद आना
- भूख लगना
- दाखिल होना
- सुनाई पड़ना
- साथ चलना
नामधातु क्रिया
संज्ञा, सर्वनाम अथवा विशेषण शब्दों के अंत में प्रत्यय लगाकर जो क्रिया बनती है, उसे नाम धातु क्रिया कहा जाता है।
जैसे कि
संज्ञा से नाम धातु क्रिया बनाना
- शर्म – शर्माना
- लोभ – लुभाना
- बात – बतियाना
- झूठ – झुठलाना
- लात – लतियाना
सर्वनाम से नाम धातु क्रिया बनाना
अपना – अपनाना
विशेषण से नाम धातु क्रिया बनाना
- साठ – सठियाना
- तोतला – तुतलाना
- नरम – नरमाना
- गरम – गरमाना
3. काल के आधार पर
काल के आधार पर क्रिया के मुख्य तीन भेद है।
- भूतकालिक क्रिया
- वर्तमानकालिक क्रिया
- भविष्यतकालिक क्रिया
भूतकालिक क्रिया
वे क्रियाएं जिनके द्वारा भुलकाल में कार्य यानि की क्रिया के सम्पन्न होने का बोध होता है, उन्हें भूतकालिक क्रिया कहते है।
जैसे कि
- मयंक ने चाय सुबह में ही पी ली थी।
- बच्चों ने पुस्तक अध्यापक के आने से पहले पढ़ लिया।
- राहुल ने पढ़ा होगा।
- अजय कल फिल्म देखने गया था।
- अंग्रेजों ने भारत पर राज किया था।
भूतकालिक क्रिया के छह उपभेद है।
- सामान्य भूतकालिक क्रिया
- आसन्न भूतकालिक क्रिया
- पूर्ण भूतकालिक क्रिया
- संदिग्ध भूतकालिक क्रिया
- अपूर्ण भूतकालिक क्रिया
- हेतुहेतुमद भूतकालिक क्रिया
चलिए भूतकालिक क्रिया के भेद विस्तार से समझते हैं।
सामान्य भूतकालिक क्रिया: क्रिया के जिस रूप में बीते हुए समय का निश्चित ज्ञान न हो, उस क्रिया को सामान्य भूतकालिक क्रिया कहते है।
जैसे कि
- बच्चा घर गया।
- उसने चाय पी।
- हमने कुछ चित्र देखे।
आसन्न भूतकालिक क्रिया: क्रिया के जिस रूप से कार्य कुछ समय पहले की समाप्त हुआ है तो इस क्रिया को आसन्न भूतकालिक क्रिया कहते है।
जैसी कि
- अंकुर बिहार से लौटा है।
- मैं खाना खा चूका हूँ।
- मेरा मित्र मेरे घर आया है।
पूर्ण भूतकालिक क्रिया: क्रिया के जिस रूप से बीते समय में कार्य की समाप्ति का पूर्ण बोध होता है, उस क्रिया को पूर्ण भूतकालिक क्रिया कहते है।
जैसे कि
- मैं खाना खा चूका हूँ।
- उसने राकेश को मारा था।
- हंसिका स्कूल गई थी।
संदिग्ध भूतकालिक क्रिया: क्रिया के जिस रूप से बीते समय में कार्य पूर्ण होने या न होने में संदेह होता है, उस क्रिया को संदिग्ध भूतकालिक क्रिया कहते है।
जैसे कि
- श्याम ने खाना खाया होगा।
- कलाकार ने अभिनय किया होगा।
- मैंने पत्र लिखा होगा।
अपूर्ण भूतकालिक क्रिया: क्रिया के जिस रूप से यह जाना जाये कि क्रिया भूल काल में हो रही थी लेकिन उसकी समाप्ति का पता न चले, उस क्रिया अपूर्ण भूतकालिक क्रिया को कहते है।
जैसे कि
- भक्तों द्वारा पूजा की जा रही थी।
- विद्या अपने गांव जा रही थी।
- गौरी खीर खा रही थी।
हेतुहेतुमद भूतकालिक क्रिया: क्रिया के जिस रूप से यह पता चले की क्रिया भूलकाल में होने वाली थी लेकिन कुछ कारणवश नहीं हो सकी, उसे हेतुहेतुमद भूतकालिक क्रिया कहते है।
जैसी कि
- यदि मोहन पढाई करता तो परीक्षा में पास हो जाता।
- यदि में समय सर स्टेशन पहुँचता हो गाड़ी में चढ़ जाता।
- राधा आती तो मैं चली जाती।
वर्तमानकालिक क्रिया
वे क्रियाएं जो किसी भी कार्य को वर्तमान में सम्पन्न होने का बोध कराती है, उन्हें वर्तमानकालिक क्रिया कहते है।
जैसे कि
- राधा आम खा रही है।
- वह जा रहा है।
- काव्य पढ़ रहा है।
- सुनीता नाच रही है।
- मैं और मेरा दोस्त अभी पिकनिक जा रहे है।
उपयुक्त वाक्य में रही है, रहा है शब्द वर्तमान में होने वाली क्रिया को निर्देशित करते है, इसलिए ये सभी वाक्य वर्तमानकालिक क्रिया कहलाते है।
वर्तमानकालिक क्रिया के पांच भेद है।
- सामान्य वर्तमानकालिक क्रिया
- आज्ञार्थक वर्तमानकालिक क्रिया
- अपूर्ण वर्तमानकालिक क्रिया
- संदिग्ध वर्तमानकालिक क्रिया
- संभाव्य वर्तमानकालिक क्रिया
चलिए वर्तमानकालिक क्रिया के भेद विस्तार से समझते हैं।
सामान्य वर्तमानकालिक क्रिया: जो वर्तमानकालिक क्रिया कार्य का सामान्य रूप से वर्तमान समय में होने का बोध करवाती है, उन्हें सामान्य वर्तमानकालिक क्रिया कहते है। इस प्रकार के वाक्य के अंत में ता है/ती हैं/ता हूँ आता है।
जैसे कि
- हम मंदिर जाते है।
- लड़की कहानी कहती है।
- रवि पुस्तक पढता है।
आज्ञार्थक वर्तमानकालिक क्रिया: जो वर्तमानकालिक क्रिया में आज्ञा और आदेश होने का बोध होता है, उन्हें आज्ञार्थक वर्तमानकालिक क्रिया कहते है।
जैसे कि
- अब तुम यहाँ देखो।
- मेरे साथ चलो।
- गीता मेरे लिए खाना बनाओ।
अपूर्ण वर्तमानकालिक क्रिया: वर्तमानकालिक क्रिया का वो रूप जहां क्रिया वर्तमान समय में जारी रहने का बोध देती है, उन्हें अपूर्ण वर्तमानकालिक क्रिया कहते है।
जैसे कि
- मैं खाना खा रहा हूँ।
- गीता सफाई कर रही है।
- मोहन पेड़ काट रहा है।
संदिग्ध वर्तमानकालिक क्रिया: क्रिया का वह रूप जिससे वर्तमान कल में क्रिया के होने में संदेह पाया जाये, उस क्रिया को संदिग्ध वर्तमानकालिक क्रिया कहते है।
जैसे कि
- बच्चा रो रहा होगा।
- निति स्कूल जाती होगी।
- माता खाना बना रही होगी।
संभाव्य वर्तमानकालिक क्रिया: जिस वर्तमानकालिक क्रिया में कार्य वर्तमान में होने की सम्भावना का बोध करवाती है, उन्हें संभाव्य वर्तमानकालिक क्रिया कहते है। इस प्रकार के वाक्य के अंत में सहायक क्रिया के रूप में रहा होगा/ रही होगी/ रहे होंगे जैसे शब्द आते है। (वाक्य में शायद जैसे शब्दों को प्रगट होना)
जैसे कि
- कोई हमारी बात सुन रहा होगा।
- शायद पिताजी घर पर होंगे।
- हार्दिक किताब पढ़ रहा होगा।
भविष्यतकालिक क्रिया
वे क्रियाएं जो भविष्य में होने वाले कार्य का बोध कराती है, उन्हें भविष्यतकालिक क्रिया कहते है।
जैसे कि
- दोनों भाई कल घूमने जाएंगे।
- बच्चों की परीक्षाएं अगले महीने से शुरू होगी।
- टीना मीना के साथ बाजार जाएँगी।
- कल हमारे घर में पूजा होगी।
- वडाप्रधान कल इस मंच पर भाषण देंगे।
उपयुक्त वाक्य में जाएंगे, होगी, देंगे शब्द भविष्य में होने वाली क्रिया का बोध करवाते है। इसलिए ये सभी वाक्य भविष्यतकालिक क्रिया कहलाते है।
भविष्यतकालिक क्रिया के तीन भेद है।
- सामान्य भविष्यतकालिक क्रिया
- आज्ञार्थक भविष्यतकालिक क्रिया
- संभाव्य भविष्यतकालिक क्रिया
चलिए भविष्यतकालिक क्रिया के भेद विस्तार से समझते हैं।
सामान्य भविष्यतकालिक क्रिया: जो भविष्यतकालिक क्रिया कार्य का सामान्य रूप से आने वाले समय में होने का बोध करवाती है, उन्हें सामान्य भविष्यतकालिक क्रिया कहते है।
जैसे कि
- लड़के क्रिकेट खेलेंगे।
- हम वहां जायेंगे।
- पेड़ पर से फल पड़ेगा।
आज्ञार्थक भविष्यतकालिक क्रिया: जिस भविष्यतकालिक क्रिया आज्ञा और आदेश होने का बोध करवाती है, उन्हें आज्ञार्थक भविष्यतकालिक क्रिया कहते है।
जैसे कि
- वहां मत जाइएगा।
- आप अपना काम कीजिएगा।
- कल यह पाठ पढ़ियेगा।
संभाव्य भविष्यतकालिक क्रिया: जिस भविष्यतकालिक क्रिया में कार्य भविष्य काल में होने की सम्भावना का बोध करवाती है, उन्हें संभाव्य भविष्यतकालिक क्रिया कहते है।
जैसे कि
- कल मोहन आ सकता है।
- हम दो दिन बाद मिलेंगे।
- अब आप क्या करोगे।
FAQ
वैसे तो क्रिया के कई प्रकार है लेकिन क्रिया के मुख्य रूप से दो प्रकार है: सकर्मक क्रिया एवं अकर्मक क्रिया।
सकर्मक क्रिया उन्हें कहते हैं जिसके अर्थ को पूरी तरीके से व्यक्त करने के लिए प्रत्यक्ष वस्तु की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए मोहन (विषय) चलाता है। यहां पर इस वाक्य को पूरी तरीके से अर्थ पूर्ण बनाने के लिए एक प्रत्यक्ष वस्तु की जरूरत है, उसी के बाद यह वाक्य पूरी तरीके से अर्थ पूर्ण हो सकता है जैसे वह साइकिल चलाता है। अकर्मक क्रिया उन्हें कहते हैं, जिसमें अर्थ को पूरा करने के लिए प्रत्यक्ष वस्तु की जरूरत नहीं पड़ती है। जैसे वह रोती है।
रोहिणी दूध पी रही है यह वाक्य सकर्मक क्रिया का उदाहरण है। क्योंकि यहां इस वाक्य को बिना प्रत्यक्ष क्रिया के अर्थ पूर्ण नहीं बना सकते।
सकर्मक क्रिया दो प्रकार के होते हैं: एकनर्नकर्मक एवं जिस क्रिया में केवल एक ही कर्म होते हैं, उन्हें एककर्मक क्रिया कहते हैं और जिन क्रियाओं में एक साथ दो दो कर्म होते हैं, वे द्विकर्मक सकर्मक क्रिया कहलाते हैं।
प्रयोग एवं संरचना के आधार पर क्रिया के निम्नलिखित भेद हैं: सामान्य क्रिया, संयुक्त क्रिया, सहायक क्रिया, कृदंत क्रिया, प्रेरणार्थक क्रिया, पूर्वकालिक क्रिया, नामधातु क्रिया, विधि क्रिया, नामिक क्रिया आदि।
याद आना, सुनाई पड़ना, साथ चलना, प्यास लगना, रो पड़ना इत्यादि नामीक क्रिया के उदाहरण हैं।
उपयुक्त वाक्य संभाव्य वर्तमान कालीक क्रिया है। क्योंकि वर्तमान में किसी क्रिया के होने की संभावना बताई जा रही हैं।
जो क्रिया किसी भी कार्य का भविष्य में होने की संभावना का बोध कराती है, उसे संभाव्य भविष्यत कालिक क्रिया कहते हैं। जैसे हम आज शाम बाजार जा सकते हैं, हम दोनों कल विद्यालय में मिलेंगे।
भविष्यत काल क्रिया के तीन प्रकार हैं: सामान्य भविष्यत कालिक क्रिया, आज्ञार्थक भविष्यतकालिक क्रिया, संभाव्य भविष्यत कालिक क्रिया।
हमने क्या सिखा?
हमने यहां पर क्रिया किसे कहते हैं (Kriya in Hindi), क्रिया के भेद (Kriya ke Prakar) और इसके उदाहरण के बारे में विस्तार से जाना है। यदि आपका क्रिया की परिभाषा (kriya ki paribhasha) और भेद से जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। इस जानकारी को आगे शेयर जरूर करें।
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