India Gate History in Hindi: राजधानी दिल्ली में हमें बहुत से ऐतिहासिक स्मारक देखने को मिल जाते हैं और इन्हीं सभी ऐतिहासिक स्मारकों की वजह से ही भारतीय इतिहास में हुई महत्वपूर्ण घटनाओं का भी वर्णन हमें जानने को मिलता है। उन्हीं सभी प्रसिद्ध आकर्षक स्मारकों में से एक इंडिया गेट भी है।
इंडिया गेट भारत के वीर सैनिकों के सम्मान के लिए समर्पित है। इंडिया गेट को प्रसिद्ध अखिल भारतीय युद्ध स्मारक के नाम से भी जानते हैं। इसकी भव्यता और आकर्षण की तुलना अक्सर फ्रांस में मौजूद आर्क डी ट्रायम्फ और मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया से की जाती हैं।
आज इस लेख के माध्यम से हम आपको इंडिया गेट का इतिहास (India Gate Story in Hindi) और उस से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों (Facts About India Gate in Hindi) के बारे में जानने वाले हैं। यदि आप भी जान कुर्बान करने वाले सैनिकों को समर्पित इस स्मारक के बारे में जानना चाहते हैं, तो हमारे इस लेख को अंतिम तक अवश्य पढ़ें।
इंडिया गेट का इतिहास, डिजाइन, शिलालेख, अमर जवान ज्योति | History of India Gate in Hindi
इंडिया गेट की सामान्य जानकारी
पुराना नाम | अखिल भारतीय युद्ध स्मारक |
स्थान | राजपथ मार्ग, दिल्ली (भारत) |
वास्तुकार | एडविन लुटियंस |
स्थापना | 12 फरवरी 1931 |
नींव कब रखी गई | शाम 4.30 बजे, 10 फरवरी 1921 |
ऊंचाई | 42 मीटर |
इंडिया गेट का इतिहास (India Gate ka Itihas)
प्रथम विश्वयुद्ध (1914-1918) और तीसरे एंगलो अफगान युद्ध (1919) के दौरान ब्रिटिश भारतीय सेना के 90 हजार सैनिकों ने शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य की रक्षा करते हुए, अपने आपको न्योछावर कर दिया और अपने प्राणों की आहुति दे दी। यही कारण है कि दिल्ली के राजपथ में मौजूद इंडिया गेट का निर्माण शहीद हुए उन सभी सैनिकों की याद में किया गया था।
इंडिया गेट (India Gate in Hindi) की पूरे दीवारों पर प्रथम विश्वयुद्ध और तीसरे एंगलो अफगान युद्ध में शहीद हुए सभी भारतीय ब्रिटिश सैनिकों का नाम अंकित किया गया है। वीर सैनिकों को समर्पित इंडिया गेट का निर्माण (india gate ka nirman) कार्य वर्ष 1921 में किया गया था।
द ड्यूक ऑफ कनॉट दौरे पर 10 फरवरी 1921 के दिन शाम 4.30 बजे एक सैन्य समारोह में इंपीरियल सर्विस टॉप्स के सदस्यों और भारतीय सेना के सदस्यों के द्वारा इस युद्ध स्मारक (about india gate in hindi) की नींव रखी गयी थी।
जब इस स्मारक की नींव रखी गई तब वहां पर प्रथम भारतीय वायसराय विस्कॉन्ड चेम्सफोर्ड, फ्रेडेरिक थिसीगर और कमांडर इन चीफ भी मौजूद थे। इस आयोजन में डेक्कन हॉर्स, 59वें शिंदे राइफल्स (फ्रंटियर फोर्स), 39वीं गढ़वाल राइफल्स, तीसरे सेपरर्स और माइनर्स, 117वें मराठा, 6वें जाट लाइट इन्फैंट्री, 5वें गोरखा राइफल्स (फ्रंटियर फोर्स) और 34वें सिख पायनियर को उनके महान मुकाबले के लिए “रॉयल” ख़िताब से नवाजा गया।
इस स्मारक के प्रोजेक्ट को पूरा होने में 10 वर्ष का समय लग गया। प्रोजेक्ट का काम पूरा हो जाने पर इस स्मारक का उद्घाटन भारत के वायसराय लॉर्ड इरविन ने 12 फरवरी 1931 को किया था।
इंडिया गेट (india gate information in hindi) दिल्ली के दिल के रूप में जानी जाती है और इस गेट पर कुल 95300 स्वतंत्रता सेनानियों का नाम अंकित है। समय इंडिया गेट को जाने-माने आर्किटेक्चर एडविन लुटियंस ने डिजाइन किया था। इसके निर्माण में ग्रेनाइट के साथ-साथ लाल और पीले रंग के स्टैंड स्टोन का प्रयोग किया गया है। भारत के इस आकर्षित स्मारक को देखने के लिए दूर-दूर से विदेशी सेनानी आते रहते हैं।
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इंडिया गेट का डिजाइन
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और आश्चर्यचकित कर देने वाले वस्तु कला से निर्मित इंडिया गेट (Information on India Gate in Hindi) का डिजाइन तैयार करने का जिम्मा एडविन लुटियंस उठाया था, जो युद्ध स्मारक के डिज़ाइनर थे। इनके द्वारा यूरोप में 66 युद्ध स्मारक का भी डिजाईन तैयार किया था, उस समय ये IWGC के सदस्य थे।
फ्रांस के ‘आर्क डि ट्रायम्फ’ की संरचना के समान ही इंडिया गेट की संरचना है। एक हेक्सागोनल परिसर (षट्कोणीय) जगह के बीचों बीच है, जिसकी ऊंचाई 42 मीटर और चौड़ाई 9.1 मीटर, व्यास 625 मीटर और 306,000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल है।
इंडिया गेट जाति संप्रदाय से परे एक धर्मनिरपेक्ष स्मारक है। इंडिया गेट की दीवारों को बनाने के लिए विशेषकर ग्रेनाइट, लाल और पीले बलुआ पत्थर उपयोग में लिए गए है, जिनको भरतपुर (राजस्थान) से लाया गया था। इण्डिया गेट के ऊपर एक गुबंद बना है।
इसके अतिरिक्त इंडिया गेट के 150 मीटर की दूरी पर एक शानदार एक छतरी जैसी संरचना है, जिसे एडविन लुटियंस निर्माण का रूप दिया था। इस संरचना में लोड जॉर्ज पंचम की मूर्ति पहले मौजूद थी, जिसे आजादी मिलने के बाद वहां से हटा दिया गया और उस प्रतिमा को कोरोनेशन पार्क में स्थापित किया गया।
इंडिया गेट पर शिलालेख
इसके उपरी भाग में दोनों तरफ (सामने और पीछे) बड़े अक्षरों में “INDIA” लिखा हुआ है और India के दाएं और बाएँ MCMXIV (1914) और MCMXIX (1919) लिखा गया है। इसके नीचे बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा गया है:
“TO THE DEAD OF THE INDIAN ARMIES WHO FELL HONOURED IN FRANCE AND FLANDERS MESOPOTAMIA AND PERSIA EAST AFRICA GALLIPOLI AND ELSEWHERE IN THE NEAR AND THE FAR-EAST AND IN SACRED MEMORY ALSO OF THOSE WHOSE NAMES ARE RECORDED AND WHO FELL IN INDIA OR THE NORTH-WEST FRONTIER AND DURING THE THIRD AFGHAN WAR”
इसका हिंदी में अर्थ होता है:
“भारतीय सेनाओं के शहीदों के लिए, जो फ्रांस और फ्लैंडर्स मेसोपोटामिया फारस पूर्वी अफ्रीका गैलीपोली और निकटपूर्व एवं सुदूरपूर्व की अन्य जगहों पर शहीद हुए और उनकी पवित्र स्मृति में भी जिनके नाम दर्ज़ हैं और जो तीसरे अफ़ग़ान युद्ध में भारत में या उत्तर-पश्चिमी सीमा पर मृतक हुए।”
दूसरी तरफ के शिलालेख में 1917 में युद्ध में शहीद हुए सेना के 13,218 सैनिक और सेना के महिला स्टाफ के नाम है।
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इंडिया गेट पर मौजूद अमर जवान ज्योति का इतिहास
इंडिया गेट के ठीक नीचे एक “अमर जवान ज्योति” (amar jawan jyoti in hindi) का निर्माण किया गया है, यह उन जवानों की याद दिलाता है, जिन्होंने त्याग बलिदान और अपने देश के लिए कुर्बानी दी है। यह “अमर जवान ज्योति” उन सभी भारतीय सैनिकों को समर्पित है, जिन्होंने भारत पाकिस्तान के युद्ध में अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।
इन सभी देश के रक्षा करते हुए मिटने वाले सैनिकों की याद में “अमर जवान ज्योति” का निर्माण साल 1971 में किया गया था।
अमर जवान ज्योति का उद्घाटन 1972 की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था और उन्होंने इस स्मारक पर अमर सैनिकों को भाव पूर्ण तरीके से श्रद्धांजलि अर्पित की थी। तभी से प्रति वर्ष गणतंत्र दिवस के परेड के मौके पर देश के प्रधानमंत्री और भारतीय शक्ति के तीनों सेना प्रमुख इस पावन भूमि पर मौजूद होते हैं और उन सभी वीर पुरुषों को सच्ची एवं भावपूर्ण श्रद्धांजलि प्रदान करते हैं।
इसके अतिरिक्त इस शहीद भूमि पर शहीद दिवस एवं विजय दिवस समेत कई अन्य यादगार मौकों पर भारत के तीनों सेना प्रमुख मौजूद होते हैं और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इस ज्योति के निर्माण में पूरी तरह से संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है और इसमें बड़े बड़े अक्षरों से “अमर जवान ज्योति” लिखा गया है।
इसके अतिरिक्त इस स्मारक के ठीक ऊपर L1A1 की एक स्व-लोडिंग राइफल रखी गई है। इसकी शोभा को और बढ़ाने के लिए इसके शीर्ष पर एक सैनिक का हेलमेट स्थापित किया गया है। इस जवान ज्योति की सबसे महत्वपूर्ण एवं खास बात यह है कि यहां पर शहीदों की याद में हमेशा एक अनंत ज्योति (amar jawan jyoti) प्रज्वलित रहती है।
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हमेशा अमर जवान ज्योति की लौ कैसे जलती रहती है?
“अमर जवान ज्योति” स्मारक के अगल-बगल चार कलश रखे गए हैं और इनमें से एक में 1971 से पूरे साल 24 घंटे अग्नि प्रज्वलित रहती है, पहले ज्योति एलपीजी गैस के प्रयोग से चलती थी, लेकिन 2006 से ज्योति को सीएनजी गैस से प्रज्वलित किया जाने लगा। इसकी सुरक्षा के लिए 24 घंटे हर दिन सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं।
इंडिया गेट से जुड़े कुछ रोचक तथ्य (India Gate Facts in Hindi)
- इंडिया गेट के पूरी दीवारों पर प्रथम विश्व युद्ध और अफगान युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के नाम को बहुत ही सुंदरता से दर्ज किया गया है। उन सभी शहीद सैनिकों के इंडिया गेट की दीवारों पर नाम आज भी साफ साफ देखे जा सकते हैं।
- इंडिया गेट पर मौजूद अमर जवान ज्योति का उद्घाटन भारतवर्ष की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1972 में 26 जनवरी के दिन किया था।
- इंडिया गेट के पूरे आसपास में बगीचे और खूबसूरत हरे-भरे पौधों का निर्माण किया हुआ है। जिस वजह से यह एक पिकनिक स्पॉट के रूप में भी जाना जाता है।
- इंडिया गेट को पहले “अखिल भारतीय युद्ध स्मारक” नाम से जाना जाता था। लेकिन बाद में इसका नाम इंडिया गेट कर दिया गया।
इंडिया गेट कैसे पहुंचे?
इंडिया गेट को देखने के लिए दुनिया के हर कोने से लोग भारत आते है। यहाँ पर आप रेल मार्ग, हवाई मार्ग या फिर सड़क मार्ग में से किसी भी रास्ते से आसानी से पहुँच सकते है।
यदि आप रेल मार्ग से दिल्ली आते है तो आप हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन दोनों जगह से आसानी से यहाँ तक पहुँच सकते है। कम खर्च में मेट्रो ट्रेन भी उपलब्ध है।
यदि आप सड़क मार्ग या फिर हवाई मार्ग से दिल्ली पहुँचते है तो आपको मेट्रो ट्रेन, टैक्सी, लोकल बस आदि आसानी से इंडिया गेट तक पहुँचा देगी। यदि आप अपना निजी वाहन लेकर जाते है तो आपको अपने वाहन को इंडिया गेट से आधा किलोमीटर दूरी पर शाहजहां रोड पर स्थित पार्किंग में पार्क करना होगा। इसके बाद आप निश्चिन्त होकर इसकी सैर कर सकते है।
इंडिया गेट से जुड़े सामान्य प्रश्न
इंडिया गेट दिल्ली (भारत) में स्थित है।
इंडिया गेट की ऊंचाई 42 मीटर है।
द ड्यूक ऑफ कनॉट दौरे पर 10 फरवरी 1921 के दिन शाम 4.30 बजे एक सैन्य समारोह में इंपीरियल सर्विस टॉप्स के सदस्यों और भारतीय सेना के सदस्यों के द्वारा इस युद्ध स्मारक की नींव रखी गयी थी। इस स्मारक के प्रोजेक्ट को पूरा होने में 10 वर्ष का समय लग गया। प्रोजेक्ट का काम पूरा हो जाने पर इस स्मारक का उद्घाटन भारत के वायसराय लॉर्ड इरविन ने 12 फरवरी 1931 को किया था।
अमर जवान ज्योति
एड्विन लैंडसियर लूट्यन्स
निष्कर्ष
इंडिया गेट एक ऐसा स्मारक है, जिसके जरिए हमारे देश के प्रत्येक नागरिक वीरगति को प्राप्त हुए सभी सैनिकों को याद करते हैं। इंडिया गेट को देखकर प्रत्येक भारतीय नागरिक का ह्रदय गर्व से ऊंचा उठ जाता है। हमारे देश के प्रत्येक सैनिकों को सम्मान की दृष्टि से देखना चाहिए।
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