आज हम यहां पर आपको अशोक स्तम्भ (ashok chinh) के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। यहां पर हम आपको Ashok Stambh in Hindi की पूरी जानकारी शेयर करेंगे। जैसे भारत में अशोक स्तम्भ कहां पर स्थित है (where is ashok stambh), अशोक स्तम्भ का इतिहास क्या है (what is ashok stambh) और अशोक स्तम्भ में शेरों का महत्व क्या है? इसे जानने के लिए इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें।

Ashoka Stambh (ashok pillar) in Hindi History: प्राचीनकाल में भारतीय उपमहाद्वीप के शक्तिशाली राजाओं में से एक सम्राट अशोक मौर्य वंश के तीसरे शासक थे। सम्राट अशोक ने अपने जीवन में भारत पर 273 ई.पू. से 232 ई. पू. शासन किया। अशोक के साम्राज्य में दक्षिण में मैसूर, पूर्व में बंगाल और असम, पश्चिम में फारस के कुछ भाग, अभी जो अफगानिस्तान हैं वो, दक्षिण एशिया और उससे आगे और अधिकांश भारत आता था।
सम्राट अशोक को बौद्ध साहित्य में एक क्रूर और निर्दयी सम्राट के रूप में बताया है। फिर कलिंग का युद्ध हुआ तब अशोक बौद्ध धर्म अपनाकर Buddhist बन गया और अपना पूरा जीवन बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में लगा दिया और अपना पूरा जीवन बौद्ध धर्म में अर्पित कर दिया। अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार सिर्फ भारत में ही नहीं पूरे विश्व में कई जगहों पर किया। पुरे भारत में सम्राट अशोक ने कई जगहों पर स्तूपों का निर्माण करवाया, इसमें सभी बहुत ही लोकप्रिय हैं।
इनमें से सारनाथ का स्तम्भ (सारनाथ स्तम्भ, सारनाथ अशोक स्तंभ) – भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया लिया गया है।
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विषय सूची
अशोक स्तंभ का इतिहास – Ashok Stambh (Ashok Chinh) in Hindi
अशोक स्तम्भ का इतिहास (ashok ke stambh) – Ashokstambh History in Hindi
सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाने के बाद बौद्ध धर्म का बहुत प्रचार किया। भारत में सम्राट अशोक ने कई स्तूप और स्तम्भ (ashokstambh) बनवाये। सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को भारत के अलावा बाहर के देशों में भी बहुत बढ़ाया और बहुत प्रचार-प्रसार किया। सम्राट अशोक ने अपने पुत्र महेंद्र व पुत्री संघमित्रा को श्री लंका में बौद्ध धर्म के प्रसार के लिए भेजा था।
सम्राट अशोक ने तीन सालों में करीब 84 हजार स्तूपों (ashok stamba) का निर्माण करवाया, उसने भारत में भी कई जगहों पर स्तम्भ भी बनवाये थे। ये स्तंभ भारत में बहुत ही प्रसिद्ध हुए। इनमें विशिष्ट मूर्ति कला की गई है जो इनको बहुत ही सुन्दर बनाती है। धर्मचक्र प्रवर्तन की घटना के लिए Sarnath Stambh (sarnath ashok stambh) एक स्मारक था। इसकी स्थापना धर्मसंघ की अक्षुण्णता बनाये रखने के लिए की गई थी।

अशोक स्तम्भ (अशोक पिलर) की बनावट – Ashok Stambh in Hindi
Ashoka Stambh (asok stambh) सारनाथ में जो है उसका जमीन के अन्दर को छोड़कर बाकि सब गोलाकार है। जैसे-जैसे स्तंभ के ऊपर की और बढ़ते है तो ये पतला होता जाता है। दंड के ऊपर कंठ है और कंठ पर शीर्ष। कंठ के नीचे दलोंवाला उल्टा कमल है। ये स्तम्भ लगभग 45 फिट लम्बा है जो चुनार के बलुआ पत्थर से बना है। ये गोलाकार कंठ चक्र से चार भागों में विभक्त हैं। जिनमें क्रमशः हाथी, घोड़ा, सांड और शेर की आकृतियां उभरी हुई है।
सबसे ऊपर कंठ पर चार शेरों की मुर्तिया है जो एक दूसरे के विपरीत दिशा में है और चारों शेरों में सभी चार अलग अलग चारों दिशाओं में देख रहे हैं। अर्थात् चारों की पीठ एक दूसरे से जुड़ी है। इन चारों शेरों की मूर्तियों के बीच एक दंड 32 तिल्लियों के धर्मचक्र धारण किये हुए था। ये धर्मचक्र भगवान बुद्ध के 32 महापुरुष लक्षणों का प्रतीक के जैसा था। ये Sarnath Stambh दिखने में बहुत ही अदभुत है।
अशोक स्तम्भ में शेरों का महत्व – Ashok Stambh
बुद्ध के पर्यायवाची शब्दों में शाक्यसिंह व नरसिंह आते हैं। बुद्ध को शेर का पर्यायवाची बौद्ध धर्म में माना गया है। इसलिए ही बुद्ध के द्वारा उपदेश दिए गये धर्म चक्र परिवर्तन सुत को बुद्ध की सिंह गर्जना कहा गया है। ये दहाड़ते हुए शेर धर्म चक्र परिवर्तन के समान दृष्टीमान हैं।
जब बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ तब उनके भिक्षुओं ने चारों दिशाओं में जाकर लोक कल्याण के लिए बहुजन हिताय सुखाय का आदेश इसिपतन मृगदाव में दिया था। जो कि आज सारनाथ के नाम से प्रसिद्ध हैं। इसलिए सम्राट अशोक जो चन्द्रगुप्त मौर्य के पौत्र और मौर्य काल के तीसरे सम्राट ने स्तम्भ के चारों ओर सिंह गर्जना करते हुए सिंहों को बनवाया। आज के समय में इन्हें ही Ashok Stambh कहा जाता है।
भारत में अशोक स्तम्भ – Ashok Stambh History, Ashok Stambh in India
सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म का बहुत प्रचार-प्रसार किया इसके साथ ही भारत में कई जगहों पर स्तूप और स्तम्भ बनवाए। आज हम कुछ Ashok Stambhs के बारे में बता रहे हैं।
सारनाथ अशोक स्तम्भ – Sarnath Pillar History, Ashokan Pillar at Sarnath
सम्राट अशोक ने 250 ई.पू. सारनाथ में एक स्तम्भ बनाया था। जिसे Ashok Stambh कहा जाता है और सारनाथ का स्तम्भ Sarnath Ashoka Pillar भी कहलाता है। भारत के राष्ट्रिय प्रतीक के रूप में सारनाथ के स्तम्भ को अपनाया गया है और सारनाथ अशोक स्तम्भ को सारनाथ संग्रहालय में रखा गया है।

इस स्तम्भ के सबसे ऊपर चार शेरों के बैठे हुए मूर्तियां बनाई हुई है जो जिनकी पीठ आपस में सटी हुई है। इस स्तम्भ पर तीन लेख लिखे हुए हैं। पहला लेख ब्राह्मी लिपि में सम्राट अशोक के समय का ही लिखा हुआ है और दूसरा कुषाण काल व तीसरा गुप्त काल के लेख है।
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अशोक स्तम्भ इलाहाबाद – Ashoka Pillar Allahabad
इस Ashoka Stambh का निर्माण सम्राट अकबर ने 16वीं शताब्दी में करवाया था। यह Ashok Stambh इलाहाबाद किले के बाहर स्थित है। अशोक के ब्राह्मी लिपि में लिखे अभिलेख इस स्तम्भ के बाहरी हिस्से पर दिखाई देते हैं। कहा जाता है कि 1800 ई. में इस स्तम्भ को गिरा दिया गया था लेकिन फिर 1838 में अंग्रेजों ने वापस इसे खड़ा कर दिया।

वैशाली का अशोक स्तम्भ – Ashoka Pillar Vaishali – Ashok Stham
कलिंग के युद्ध के बाद सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया था और बौद्ध धर्म का अनुयायी बन चुका था। भगवान बुद्ध ने अपना अंतिम उपदेश वैशाली में दिया था। उनकी याद में सम्राट अशोक ने वैशाली में इस अशोक स्तम्भ का निर्माण करवाया था। बिहार राज्य के वैशाली में यह अशोक स्तम्भ स्थित है।

ये स्तम्भ बाकि के सभी स्तम्भों से भिन्न है। इसके ऊपर उतर दिशा में मुंह करके एक त्रुटिपूर्ण शेर की मूर्ति बनी हुई है। इस उतर दिशा को भगवान बुद्ध की अंतिम यात्रा की दिशा माना गया है। इस स्तम्भ के पास में एक तलब और एक अशोक स्तूप बना हुआ है। जिसे राम कुंड कहा जाता है। ये Buddhists का पवित्र स्थान माना जाता है।
दिल्ली का अशोक स्तम्भ – Ashoka Pillar Delhi
दिल्ली का अशोक स्तम्भ 3 शताब्दी ईसा पूर्व महान सम्राट अशोक ने दिल्ली के Feroz Shah Kotla में बनवाया था। ये स्तम्भ पॉलिश किये हुए बलुआ पत्थर से बना हुआ है और यह 13.1 मीटर तक लम्बा है। यह माना गया है कि ये स्तम्भ पहले मेरठ में था। लेकिन जब सन् 1364 में फिरोज शाह तुगलक मेरठ गया था। तब उसको यह स्तम्भ बहुत ही अच्छा लगा और वह इस स्तम्भ से मोहित हो गया। इसके बाद ये मेरठ से इस अशोक स्तम्भ को दिल्ली लाकर किले के आगे लगवा दिया।

सांची का अशोक स्तम्भ – Ashoka Pillar Sanchi
इस स्तम्भ (Ashok Stambh in Hindi) की संरचना सारनाथ के स्तम्भ से बहुत मिलती है। इस स्तम्भ के ऊपर भी चार शेरों की मूर्तियां बनी हुई है, जिनकी पीठ एक दूसरे से सटी हुई है। ये स्तम्भ मध्यप्रदेश के सांची में स्थित है। इस स्तम्भ का निर्माण तीसरी शताब्दी में करवाया गया था। इस स्तम्भ की संरचना ग्रीको बौद्ध शैली से बहुत प्रभावित है। ये स्तम्भ कई सदियों पुराना होने के बावजूद आज भी नया दिखाई पड़ता है। सांची के इतिहास के प्राचीन अवशेष रूप में यह आज भी मजबूत है।

इस सभी स्तंभों के अलावा भारत में अमरावती, चंपारण बिहार, लौरिया अराराज, रामपुरवा और लौरिया नन्दनगढ़, लुम्बिनी नेपाल, निगाली सागर और रुम्मिनदेई में भी अशोक स्तम्भ स्थित है।
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सम्राट अशोक की जीवनी और इतिहास – Samrat Ashok History in Hindi
अशोक का जीवन परिचय – Samrat Ashok Ka Jeevan Parichay
सम्राट अशोक की जीवनी (Samrat Ashok History in Hindi): सम्राट अशोक का जन्म 304 ईसा पूर्व में पाटलिपुत्र, पटना में हुआ था। इनके पिता मौर्य राजवंश के दूसरे राजा थे और सम्राट अशोक के पिता का नाम बिन्दुसार और माता का नाम रानी धर्मा था। लंका की परपंरा के अनुसार राजा बिन्दुसार के 16 रानियां और 101 पुत्र थे। जिनमें से सम्राट अशोक एक थे।

सम्राट अशोक राजवंश परिवार से थे तो वो युद्ध में पूरी तरह से निपुण थे और वह शिकार और तलवारबाजी में भी पूरी तरह से निपूण थे।
माना जाता है कि सम्राट अशोक में इतना बल था कि वो एक लकड़ी के एक वार से ही शेर को मार सकते थे।
कलिंग का युद्ध – Kalinga War in Hindi
सभी सम्राटों में अशोक एक ऐसे सम्राट थे, जिन्होंने कलिंग को युद्ध में हराया था। करीब 261 ईसापूर्व सम्राट अशोक ने अपने राज्य को और भी बड़ा करने के लिए कलिंग पर युद्ध किया और विजय भी हुआ।
कलिंग जो अभी के समय में ओडिशा में स्थित है। ये युद्ध बहुत ही भीषण युद्ध था। इस युद्ध में करीब एक लाख लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस युद्ध में लगभग डेढ़ लाख लोग घायल हुए थे और इनमें मरने वालों की ज्यादा संख्या सैनिकों की थी। इस युद्ध में इतना रक्तपात हुआ था कि इससे सम्राट अशोक पूरा हिल गया था।

इस युद्ध ने उनकी पूरी जिन्दगी बदल दी थी। इस विध्वंशकारी युद्ध में इतनी तबाही हुई थी कि सम्राट अशोक के हृदय को बहुत ही बड़ी ठेस पहुंची थी। छोटे-छोटे बच्चों को मरते, लोगों को अपने घरों को टूटते हुए देख, अपने परिवार वालों को अलग-अलग होते देख सम्राट अशोक का हृदय परिवर्तन हो गया।
सम्राट अशोक की जानकारी – Information About Samrat Ashoka, Amazing Fact About Samrat Ashoka
Ashok Chakra जिसे धर्म का चक्र भी कहते हैं। भारत के तिरंगे के बीच में स्थित है।
सम्राट अशोक को कौर्वकी से प्रेम हो गया था और उन्होंने उनसे विवाह भी किया था।
एक बार सम्राट अशोक उज्जैन में अपने जख्मों का ईलाज करवा रहे थे तो उनकी मुलाकात विदिशा महादेवी साक्या से हुई। जिनसे अशोक ने विवाह कर लिया था। इस विवाह के बाद अशोक के दो बच्चे हुए थे। जिनमें एक बेटा और एक बेटी थी। बेटे का नाम महेंद्र और बेटी का नाम संघमित्रा था जो बौद्ध धर्म का प्रचार करने के लिए श्रीलंका गये थे।
ऐसा भी माना जाता है कि सम्राट अशोक का नाम अशोक के पेड़ से ही लिया गया है।
नीडर और साहसी राजा के रूप में सम्राट अशोक को माना जाता था।
अशोक का शासन काल 273 से 232 ईसापूर्व तक माना जाता है।
सम्राट अशोक ने अपने शासन काल में 20 से भी अधिक विश्वविद्यालयों को स्थापित किया।
अशोक के शासन काल को स्वर्णिम काल के रूप में याद किया जाता है।
सम्राट अशोक ने अपने राज-सिहांसन के लिए कई भाइयों की भी हत्या कर दी थी।
उन्होंने भारत के उपमहाद्वीपों को पाने के लिए लगात्तार 8 वर्षों तक युद्ध लड़ते रहे। लेकिन वे भारत के उपमहाद्वीप तमिलनाडु, केरल और श्रीलंका पर अपना कब्ज़ा नहीं कर पाए।
सम्राट अशोक के कई सारी पत्नियां थी लेकिन महारानी देवी को ही उनकी पत्नी माना जाता है।
मौर्य वंश में सबसे ज्यादा शासन करने वाले सम्राट अशोक ही थे।
सम्राट अशोक ने कभी अपने जीवनकाल में हार का सामना नहीं किया।
सम्राट अशोक की मृत्यु – Death of Samrat Ashok, Ashoka History
मौर्य राजवंश के शक्तिशाली शासक अशोक की मृत्यु 232 ईसापूर्व मानी जाती है और ऐसा माना जाता है कि उनकी मृत्यु के 50 वर्ष बाद तक मौर्य राजवंश का साम्राज्य चला था।
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