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गिला-शिकवा शायरी

Gila-Shiqwa Shayari in Hindi

Gila-Shiqwa Shayari in Hindi
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गिला-शिकवा शायरी | Gila-Shiqwa Shayari in Hindi

तक़दीर के लिखे पर कभी
शिक़वा न किया कर ऐ इंसान,
तू इतना अक़्लमंद नहीं
जो भगवान के इरादे समझ सके।

गिला भी तुझ से बहुत है
मगर मोहब्बत भी वो बात अपनी
जगह है ये बात अपनी
जगह -बासिर सुल्तान काज़मी

आसानी से दिल लगाये जाते है
मगर मुश्किल से वादे निभाए जाते है
मोहब्बत ले आती है
उन राहों पे जहाँ दियों के
बदले दिल जलाये जाते है

शिकवा तो बहुत है
मगर शिकायत नहीं कर सकते,
मेरे होठों को इजाजत
नहीं तेरे खिलाफ बोलने की।

कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है
वास्ता कोई तू ने तो हम से आज
तक कोई गिला नहीं किया
-जौन एलिया

जितनी शिद्दत से मुझे जख्म दिया है
उसने इतनी शिद्दत से
तो मैंने उसे चाहा भी ना था

जब गिला शिकवा अपनों से
हो तो खामोशी ही भली,
अब हर बात पे जंग हो
यह जरूरी तो नहीं।

ग़ैरों से कहा तुम ने ग़ैरों से सुना तुम
ने कुछ हम से कहा होता कुछ
हम से सुना होता -चराग़ हसन हसरत

ख्वाहिशों का काफिला भी अजीब ही है
अक्सर वहीँ से गुजरता है जहाँ रास्ता ना हो

कोई चराग़ जलाता नहीं सलीक़े से,
मगर सभी को शिकवा हवा से होती है।

कहने देती नहीं कुछ मुँह से मोहब्बत
मेरी लब पे रह जाती है
आ आ के शिकायत मेरी
-दाग़ देहलवी

तेरी बातें ही सुनाने आये
दोस्त भी दिल दुखाने ही आये

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कोई गिला कोई शिकवा न रहे आप से,
ये आरज़ू है इक सिल सिला बना रहे आप से,
बस इक बात की उम्मीद है आप से,
दिल से दूर न करना अगर दूर भी रहें आप से।

ज़िंदगी से यही गिला है
मुझे तू बहुत देर से मिला है मुझे
-अहमद फ़राज़

मोहब्बत है की नफरत है कोई इतना
तो समझाए कभी मैं दिल से लड़ती हूँ
कभी दिल मुझसे लड़ता है

Gila-Shiqwa Shayari in Hindi

न गिला है कोई हालात से,
न शिकायेतें किसी की जात से…
खुद से सारे लफ्ज जुदा हो रहे हैं
मेरी ज़िन्दगी की किताब से।

रात आ कर गुज़र भी जाती है
इक हमारी सहर नहीं होती
-इब्न-ए-इंशा

रुलाने के बाद क्यों हँसाते है लोग जाने के
बाद क्यों बुलाते है लोग ज़िंदगी में क्या
कुछ कसर बाकी थी
जो मरने के बाद भी जलाते है लोग

दिल टूटने पर भी जो शख्स,
शिकायत भी न करे,
उस शख्स की मोहब्बत में
कमियां न निकाला कर।

दिल की तकलीफ़ कम नहीं करते
अब कोई शिकवा हम
नहीं करते -जौन एलिया

दीदार तेरा किया हमने आज गैरो की
क़तार से ना नजर-ऐ-इनायत
हुई ना रूह को सुकून मिला

वहाँ तक चले चलो
जहाँ तक साथ मुमकिन है,
जहाँ हालात बदलेंगे
वहाँ तुम भी बदल जाना।

हम क्यूँ,शिकवा करें झूठा,क्या हुआ
जो दिल टूटा शीशे का खिलौना था,
कुछ ना कुछ तो होना था, .
-आनंद बख़्शी

तू होश में थी फिर भी
हमें पहचान न पायी,
एक हम हैं के पीकर भी
तेरा नाम लेते रहे।

हो जाते हो बरहम भी बन जाते हो हमदम भी
ऐ साकी-ए-मयखाना शोला भी हो,
शबनम भी खाली मेरा पैमाना बस
इतनी शिकायत है
-हसरत जयपुरी

बदलते इस ज़माने ने सबको बदल डाला
ख्वाबों और ख्यालो को भी बदल डाला ना
बदल सका उस बेवफा को प्यार मेरा
जिसके लिए हमने अपने आपको बदल डाला

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होता है जिस जगह मेरी
बरबादियों का जिक्र,
तेरा भी नाम लेती है
दुनिया कभी कभी।

ग़लत है जज़्ब-ए दिल का शिकवा देखो
जुर्म किस का है, न खेंचो गर तुम
अपने को कशाकश दर‌मियां क्यूं हो !!

बदली जो कयानात मुझे इसका गम नहीं
लेकिन बुरा था नसीब जो तुम बदल गए

तू हकीकत-ए-इश्क है या कोई फरेब,
ज़िन्दगी में आती नहीं खाव्बों से जाती नहीं।

तकदीर ने जैसे चाहा वैसे ढल गए हम,
बहुत सभल कर चले फिर भी फिसल गए हम,
किसी ने यकीन तोड़ा तो किसी ने हमारा दिल,
और लोगों को लगता है बदल गए हम।

कब वो सुनता है कहानी मेरी और
फिर वो भी ज़बानी मेरी -मिर्ज़ा ग़ालिब

ज़माना बदल गया बदल गए इंसान भी
आज बदला सब कुछ चाहत और प्यार भी
आज किसी की नजर में कीमत नहीं है
खून की पैसा जिस की जेब में
वो ही सुल्तान और अमीर भी

कोई गिला कोई शिकवा ना रहे आपसे,
ये आरज़ू है कि सिल-सिला रहे आपसे,
बस इस बात की बहुत उम्मीद है आपसे,
खफा ना होना अगर हम खफा रहें आपसे।

बड़ा मज़ा हो जो महशर में हम करें
शिकवा वो मिन्नतों से कहें
चुप रहो ख़ुदा के लिए -दाग़ देहलवी

जाने दो अब इस गुस्से को
इश्क को तो भी निभाना है
गुस्सा है अगर आशिक़ पे
तो कब्र में क्यों इससे लजाना है

जाने किस बात की
उनको शिकायत है मुझसे,
नाम तक जिनका नहीं मेरे अफ़साने में।

****

क्यूँ हिज्र के शिकवे करता है
क्यूँ दर्द के रोने रोता है अब इश्क़
किया तो सब्र भी कर इस में
तो यही कुछ होता है -हफ़ीज़ जालंधरी

एक से सिलसिले है सब हिज्र की रुत बता गयी
फिर वही सुबह आएगी फिर वही शाम आ
गयी मेरे लहू में जल उठे उतने ही ताज़ा
दम चिराग वक़्त की साजिशी
हवा जितने दिए बुझा गयी

मुझे सता के वो मेरी दुआएं लेता है,
उसे खबर है के मुझे बददुआ नहीं आती,
सब कुछ सौंप दिया उसे हमने अपना,
फिर भी वो कहता है हमें वफ़ा नहीं आती।

मोहब्बत ही में मिलते हैं
शिकायत के मज़े पैहम मोहब्बत
जितनी बढ़ती है शिकायत
होती जाती है -शकील बदायुनी

कैसे कहे की उसको भी हमसे है
कोई वास्ता उसने तो हमसे
आज तक कोई गिला नहीं किया

सौ जान से हो जाऊंगा
राजी मैं सजा पर,
पहले वो मुझे अपना
गुनाहगार तो कर ले।

आरज़ू हसरत और उम्मीद शिकायत
आँसू इक तिरा ज़िक्र था और
बीच में क्या क्या निकला -सरवर आलम राज़

मौत से कह दो की हम से नाराजगी
खत्म कर ले अब वो भी बहुत बदल गए है
जिनके लिए जिया करते थे हम

कोई मिला ही नहीं
जिसको सौपते मोशिन,
हम अपने ख्वाब की खुशबू,
ख्याल का मौसम।

Gila-Shiqwa Shayari in Hindi

शिकवा कोई दरिया की रवानी से नहीं है,
रिश्ता ही मेरी प्यास का पानी से नहीं है !!

मैं अपनी चाहतों का हिसाब
जो लेने बैठ जाऊं,
तो तुम मेरा सिर्फ याद करना भी
न लौटा सकोगे।

दुनिया न जीत पाओ तो हारो न
खुद को तुम थोड़ी बहुत तो
ज़हन मे नाराज़गी रहे !!
-निदा फ़ाजली

ये ना पूछ की शिकायतें कितनी है तुझसे ऐ
जिंदगी सिर्फ ये बता की तेरा
कोई और सितम बाकि तो नहीं है

मैं शिकवा करूँ भी तो किस से करूँ,
अपना ही मुकद्दर है अपनी ही लकीरें हैं।

शिक़वा वो भी करते हैं
शिकायत हम भी करते हैं,
मुहोब्बत वो भी करते हैं
मुहोब्बत हम भी करते हैं।

रेत पर थक गिरा हूँ तो हवा पूछती है
आप इस दश्त में क्यों आये थे
वहशत के बगैर

अभी म्यान में तलवार मत रख अपनी,
अभी तो शहर में एक बे-क़सूर बाकी है।

हमारे इश्क़ में रुस्वा हुए तुम मगर
हम तो तमाशा हो गए हैं
-अतहर नफ़ीस

मुमकिन हो आपसे तो भुला दीजिये मुझे
पत्थर पे हूँ लकीर मिटा दीजिये मुझे
हर रोज मुझसे ताजा शिकायत है
आप को मैं क्या हूँ एक बार बता दीजिये मुझे

दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता,
रोता है दिल जब वो पास नहीं होता,
बरबाद हो गए हम उनके प्यार में,
और वो कहते हैं इस तरह प्यार नहीं होता।

उन का ग़म उन का तसव्वुर उन के
शिकवे अब कहाँ अब तो ये बातें भी
ऐ दिल हो गईं आई गई -साहिर लुधियानवी

महफ़िल में मेरे ज़िक्र के आते ही
उठे वो रुस्वा-ऐ-मोहब्बत
का ये एजाज तो देखो

हमारे सब्र का इम्तेहान न लीजिये,
हमारे दिल को यूँ सजा न दीजिये,
जो आपके बिना जी न सके एक पल,
उन्हें और जीने कि दुआ न दीजिये।

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चुप रहो तो पूछता है ख़ैर है
लो ख़मोशी भी शिकायत हो
गई -अख़्तर अंसारी अकबराबादी

तक़दीर से शिकवा भी करे तो
किस तरह करे इस तक़दीर
ने हमको मिलाया भी था उनसे

मत पूछ शीशे से
उसके टूटने कि वजह,
उसने भी किसी
पत्थर को अपना समझा होगा।

शिकवा तो एक छेड़ है लेकिन
हकीकतन तेरा सितम भी
तेरी इनायत से कम नहीं।

मोहब्बत की दास्ताँ सुनाने आये है
तबाह करने के बाद वो प्यार जताने आये है
आंसू पूछ लिए थे हमने कब के
मगर वो फिर से आज हमें रुलाने आये है

तेरे बाद हमने इस दिल का
दरवाजा खोला ही नहीं,
वरना बहुत से चाँद आये
तेरे घर को सजाने के लिए।

हम को पहले भी न मिलने की
शिकायत कब थी अब जो है
तर्क-ए-मरासिम का बहाना हम से

मोहब्बत हमने की तो एक खता हो गयी की
वफ़ा और जिंदगी ही अब सजा हो
गयी वफ़ा करते रहे इबादतों की
तरह फिर इबादत भी हमारे लिए एक गुनाह हो गयी

ये मत कहना के तेरी याद से रिस्ता नहीं रखा,
मैं खुद तन्हा रहा मगर दिल को तन्हा नहीं रखा,
तुम्हारी चाहतो के फूल तो महफूज रहे हैं,
तुम्हारी नफरतों कि पीर को जिंदा नहीं रखा।

जिन्दगी से तो खैर शिकवा था
मुद्दतों मौत ने भी तरसाया।

वो आते है ख्वाबों में यूँही बिन बुलाये
ऐसा ही कुछ शिकवा हमारे दिल को भी है

कहेगा झूट वो हमसे
तुम्हारी याद आती है,
कोई है मुन्तजिर कितना
ये लहेजे बोल देते हैं।

आप नाराज़ हों, रूठे, के ख़फ़ा हो जाएँ,
बात इतनी भी ना बिगड़े कि जुदा हो जाएँ !!

****

उसके बिन चुप चुप रहना अब अच्छा लगता है
ख़ामोशी से एक दर्द को सहना भी अच्छा लगता है
उसका मिलना ना मिलना तो किस्मत की बात है
मगर पल पल उसकी याद में रोना अब अच्छा लगता है

वफ़ा के बदले मुझे बेवफाई न किया कर,
मेरी उम्मीद ठुकरा कर इंकार न किया कर,
तेरी मोहब्बत में हम सब कुछ गवा बैठे,
जान चली जाएगी यूँ इम्तिहान न लिया कर।

चाँद से शिकायत करूँ किसकी हर
कोई यहाँ रात का मुसाफ़िर है

करोगे याद तुम की मैं कहता था कभी
दौलत और मोहब्बत का ना कभी भी मेल होता है
होती है जिनके लिए दौलत ही सब से
बढ़कर उनके लिए तो ये मोहब्बत बस एक खेल होता है

Gila-Shiqwa Shayari in Hindi

उन्ही रास्तों ने जिन पे
कभी तुम साथ थे मेरे,
मुझे रोक रोक पूछा
तेरा हमसफ़र कहाँ है।

लुफ्त वो इश्क में पाये है की जी जानता है
रंज भी ऐसे उठाये है की जी जानता है
जो ज़माने के सितम है वो जमाना जाने
तूने दिल इतने सताए है की जी जानता है

देखा है आज मुझे भी गुस्से की नजर से,
मालूम नहीं आज वो किस किस से लङे हैं।

हम छीन लेंगे तुम से ये शान-ऐ-बेनिआज़ी
तुम मांगते फिरोगे अपना गुरुर हम से

कोई ताबीज़ ऐसा दो
के मैं चालक हो जाऊं,
बहुत नुक्सान देती है
मुझे ये सादगी मेरी।

तुम्हे जफ़ा से ना यूँ बाज़ आना चाहिए था
अभी कुछ और मेरा दिल दुखाना चाहिए था

ठोकर न लगा मुझे पत्थर नहीं हूँ मैं,
हैरत से न देख मुझे मंजर नहीं हूँ मैं,
माना के उनकी नजरो मेरी कदर नहीं,
मगर उनसे पूछो जिन्हें हासिल म नहीं।

रह ना पाओगे कभी भुला कर देख लो यकीन नहीं
आता तो आज़मा कर देख लो हर जगह महसूस होगी
कमी हमारी अपनी महफ़िल को कितना भी सजा कर देख लो

आँख से दूर न हो दिल से उतर जायेगा,
वक़्त का क्या है गुजरता है गुजर जाएगा।

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दोस्तों के इस कदर सदमे उठाये जान पर
दिल से दुश्मन की
अदावत का गिला जाता रहा

गम ये नहीं की कसम अपनी भुलाई तुमने
गम तो ये है की रक़ीबों से निभाई तुमने कोई
रंजिश थी अगर तुमको तो मुझसे कह देते
बात आपस की क्यों सबको बताई तुमने

वो मुझे चाहती है पर अपना नहीं सकती
मुझे भुलाने का दर्द उठा नहीं सकती अजीब है
उसके प्यार का ये अंदाज भी खफा तो करती है
पर मना नहीं सकती

अपने ही होते है जो दिल पे वार करते है
फ़राज़ वरना गैरो को क्या
खबर की दिल की जगह कौन सी है

मिलाते हो उसी को
ख़ाक में जो दिल से मिलता है
मेरी जान चाहने वाला
बड़ी मुश्किल से मिलता है

छुरी की नोक से जख्मो पे वो महरम लगते है
जख्म भी खुद ही देते है खुद ही आंसू बहाते है
ये कैसा प्यार है उनका कोई तो
हमको समझाओ सितमगर है
या है दिलबर वो जो याद आते है

*****

कोई मिल जाये मुझे तुम
जैसा ये ना -मुमकिन सही
लेकिन तुम ढूंढ लो हम
जैसा इतना आसान ये भी नहीं

तुझे फुर्सत ना मिली पढ़ने की वरना हम
तो तेरे शहर में बिकते रहे किताबों की तरह

प्यार किसी से जो करोगे रुस्वाई ही मिलेगी
वफ़ा कर लो चाहे जितनी बेवफाई ही मिलेगी
जितना भी किसी को अपना बना लो
जब आँख खुलेगी तन्हाई ही मिलेगी

सब फ़साने है दुनिया दारी के किस ने
किस का सुकून लूटा है सच तो ये है
की इस ज़माने में मैं भी झूठा हूँ तू भी झूठा है

यहाँ किसी को भी कुछ हस्ब-ऐ-आरजू ना मिला
किसी को हम ना मिले और हमको तू ना मिला

करोगे याद एक दिन इस प्यार के ज़माने को
चले जायेंगे जब हम कभी ना वापस आने
को चलेगा महफ़िल में जब जिक्र हमारा
कोई तो तुम भी तन्हाई ढूँढोगे आंसू बहाने को

नहीं जाता किसी से वो मर्ज़ जो है
नसीबों का ना क़ायल हूँ
दवा का मैं ना कायल हूँ
तबीबों का ना शिकवा दुश्मनो का है
ना है शिकवा हबीबों का शिकायत है
तो किस्मत की गिला है तो नसीबों का

Gila-Shiqwa Shayari in Hindi

हर चमन में मुमकिन है की गुल खिल जाये
तुम्हे भी हमारे बाद मुमकिन है कोई और
मिल जाये जिंदगी तो तुमने कभी हमको जीने
ना दी अब मरना चाहा तो कहते हो
की मौत भी ना आये

सुना है गुस्से में वो सब तोड़ देता है
मेरा दिल है उसके पास खुदा खैर करे

बदला जो वक़्त गहरी दोस्ती बदल गयी सूरज ढला
तो साये की सूरत बदल गयी एक उम्र तक
मैं तेरी जरूरत बना रहा फिर यूँ
हुआ की तेरी जरुरत बदल गयी

मुख्लिस हर किसी के साथ रहता हूँ
शायद इसीलिए उदास रहता हूँ

मुझे तो गम था उसके बिछड़ने का मगर
वो हाथ मलता रहा उम्र भर गँवा के मुझे

गिले है हजारों की बदले हो क्यों तुम मगर अब
करे क्यों गिला अजनबी से अजब है
नींदें गंवाने का सिलसिला ये
अच्छा नहीं सिलसिला अजनबी से

गुजर गया वो वक़्त जब तेरी हसरत थी
मुझे अब तू खुदा भी बन जाये
तो भी तेरा सजदा ना करूँ

अर्ज़ सिर्फ इतना है दोस्ती के बारे
में आदमी गलत समझा आदमी के बारे में

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जिसे खुद से ही नहीं फुर्सतें जिसे ख्याल
अपने कमाल का उसे क्या
खबर मेरे शौंक की,उसे क्या पता मेरे हाल का

सुन कर तमाम रात मेरी दास्तान -ऐ-गम
बोले तो सिर्फ ये की बहुत बोलते हो तुम

तेरी बन्दा परवारी से मेरे दिन गुजर रहे है
ना गिला है दोस्तों का ना शिकायत ऐ जमाना

शाम -ऐ -वादा सही दुःख ज्यादा ही सही
फिर भी देखो फ़राज़ आज शब
उसकी फ़ुर्क़त में कह लो गजल कल उसे देखना

जिसने कभी चाहतो का पैगाम लिखा था
जिसने सब कुछ मेरे नाम लिखा था सुना है
आज उसे मेरे ज़िक्र से भी नफरत है
जिसने कभी अपने दिल पर मेरा नाम लिखा था

उनका भरोसा मत करो जिनका ख्याल वक़्त
के साथ बदल जाये भरोसा उनका करो
जिनका ख्याल वैसे ही रहे
जब आपका वक़्त बदल जाये

मोहब्बत यहाँ बिकती है इश्क नीलाम होता है
भरोसे का क़त्ल यहाँ खुले आम होता है
ज़माने से जब मिली ठोकर तो मैखाने चले गए
हम आज वही ज़माना हमें शराबी का नाम देता है

लिपटा है मेरे दिल से किसी राज़ की मानिंद
वो शख्स जिस को मेरा होना भी नहीं है

सफर में कोई किसी के लिए ठहरता नहीं
ना मुड़ के देखा कभी साहिलों को दरिया ने

****

आईना देख अपना सा मुंह ले के रह गए
साहब को दिल ना देने पे कितना गुरुर था

बेवफाई करके निकलू या वफ़ा कर जाऊंगा शहर
को हर ज़ायके से आश्ना कर जाऊंगा तू भी
ढूंढेगा मुझे शौक- ऐ -सजा में एक दिन मैं
भी कोई खूबसूरत सी खता कर जाऊंगा

लो आज हमने तोड़ दिया रिश्ता- ऐ- उम्मीद
लो अब कभी गिला ना करेंगे किसी से हम

तरसते थे जो हमसे मिलने को कभी ना जाने
क्यों आज हमारे साये से भी कतराते है
हम भी वही है ये दिल भी वही है
ना जाने फिर क्यों ऐसे लोग बदल जाते है

गम मुझे देते हो औरो की ख़ुशी के वास्ते
क्यों बुरे बनते हो तुम नाहक़ किसी के वास्ते

मेरे लफ्ज़ अगर उस तक पहुंच जाये तो बस
इतना कह देना हम जैसे लोग
एक बार खो जाएं तो फिर दोबारा नहीं मिलते

हमसे खेलती रही दुनिया ताश की पत्तो की
तरह जिसने जीता उसने भी फेंका
जिसने हारा उसने भी फेंका

अब और नहीं होती इश्क की गुलामी
यारो कह दो उसे हो जाये जिसका होना है

तू अगर छोड़ के जाने की जिद पे है
तो जा जान भी जिस्म से जाती है
तो कब पूछ के जाती है

Gila-Shiqwa Shayari in Hindi

बात उम्र भर की थी दो पल की नहीं बात साथ
की थी हालात की नहीं जहाँ के मेले में
हाथ छोड़ दिया तूने बात
जुबान की थी किस्मत की नहीं

अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जायेगा मगर
तुम्हारी तरह कौन मुझे चाहेगा तुम्हें
जरूर कोई चाहतों से देखेगा
मगर वो आँखें हमारी कहा से लाएगा

आतिश -ऐ-इश्क में जल जाऊँ तुझे इससे क्या
मौसम की तरह बदल जाऊँ तुझे इससे क्या
चोट कौन या जख्म लगे ये एहसास-ऐ-गम
में तर्पण मैं गिर जाऊँ या संभल जाऊँ तुझे इससे क्या

उसकी चाहत ने रुलाया बहुत है उसकी यादो
ने तड़पाया बहुत है हम उससे करते है
मोहब्बत बेइन्तहा इस बात को
उसने आज़माया बहुत है

मोहब्बत से रिहा होना जरुरी हो गया है
मेरा तुझसे जुदा होना जरुरी हो गया है
वफ़ा के तज़ुर्बे करते हुए तो
उम्र गुजरी ज़रा सा बेवफा होना जरुरी हो गया है

Gila-Shiqwa Shayari in Hindi

ऐ मौत मैं तुझे गले लगाना चाहता हूँ
कितनी वफ़ा है तुझे मैं ये आज़माना चाहता हूँ
रुलाया है बहुत दुनिया में लोगो ने मुझे मिले
जो साथ तेरा तो मैं दुनिया को रुलाना चाहता हूँ

आँखें भी हाय नज़ा में
अपनी बदल गयी सच है
की बेकसी में कोई आश्ना नहीं

एक पल की जुदाई गवारा ना कर सके ऐसा
इश्क हम दुबारा ना कर सके ज़िंदगी
भर पलट के ना देखा कभी हम
फिर भी शिकवा तुम्हारा ना कर सके

यहीं से जान गया मैं की वक़्त ढलने लगा मैं
थक हार के बैठा तो फिर जलने लगे जो दे रहा था
सहारा तो एक हजूम में था
जो गिर पड़ा तो सभी रास्ते बदलने लगे

हमने मोहब्बतों के नशे में आ कर उसे
खुदा बना डाला होश तब आया जब
उसने कहा की खुदा किसी एक का नहीं होता

मरने का तेरे इश्क में इरादा भी नहीं है,
है इश्क मगर इतना ज्यादा भी नहीं है

चाहने से कोई चीज अपनी नहीं होती हर
मुस्कराहट ख़ुशी नहीं होती अरमान तो होते हैं
बहुत मगर कभी वक़्त तो कभी किस्मत सही नहीं होती

नादानी की हद है ज़रा देखो तो
उन्हें मुझे खो कर वो मेरे जैसा ढूंढ रहे है

कितना अजीब अपनी जिंदगी का सफर
निकला सारे जहाँ का दर्द अपना मुक़द्दर
निकला जिसके नाम अपनी जिंदगी का हर
लम्हा कर दिया अफ़सोस वो
हमारी चाहत से बेखबर निकला

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कर रहा था ग़म-ऐ -जहाँ का
हिसाब आज तुम याद बेहिसाब आये

बराबर से बच कर गुजर जाने वाले ये नाले
नहीं बे-असर जाने वाले नहीं जानते कुछ
की जाना कहाँ है चले जा रहे है मगर जाने वाले

बेताबियाँ समेट के सारे जहान की जब
कुछ ना बन सका तो मेरा दिल बना दिया

हम तो तेरे दिल की महफ़िल सजाने आये थे
तेरी कसम तुझे अपना बनाने आये थे
किस बात की सजा दी तुमने हमें
बेवफा हम तो तेरे दर्द को अपना बनाने आये थे

मेरी कोशिश हमेशा नाकाम रही पहले
तुम्हे पाने की अब तुम्हे भुलाने की

क्यों कोई चाह कर मोहब्बत निभा नहीं
पाता क्यों कोई चाह कर रिश्ता बना नहीं
पाता क्यों लेती है जिंदगी ऐसी करवट
की कोई चाह कर भी प्यार जता नहीं पाता

पलकें खुली सुबह तो ये जाना हमने मौत
ने आज फिर से हमें जिंदगी
के हवाले कर दिया

दिल तोड़कर हमारा तुमको राहत भी ना मिलेगी
हमारे जैसी तुमको चाहत भी ना मिलेगी यूँ
इतनी बेरुखी ना हमें दिखलाये
हम अगर रूठे तो हमारी आहात भी ना मिलेगी

दिलों को फ़िक्र-ऐ-दो-आलम से कर दिया
आज़ाद तेरे जूनून का खुदा सिलसिला दराज़ करे

कुछ पाने की चाहत में बहुत कुछ छूट जाता है
ना जाने सब्र का धागा कहाँ पर टूट जाता है
ज़रा बताओ की तुम किसे हमराह कहते हो
यहाँ तो अपना साया भी साथ छोड़ जाता है

भुलाकर मुझे अगर तुम अब भी हो सलामत तो
भुलाकर तुम्हे सम्भालना मुझे भी आता है
मेरी फितरत में नहीं है ये आदत वरना
तेरी तरह यूँ बदलना मुझे भी आता है

काश वो समझते है इस दिल की तड़प को तो यूँ
हमें रुस्वा ना किया होता उनकी ये बेरुखी
भी मंजूर थी हमें बस एक बार हमें समझ लिया होता

*****

मैं भी मुहं में जुबान रखता हूँ
काश पूछो की मुद्दा क्या है
जब की तुझ बिन नहीं कोई
मौजूद फिर ये हंगामा ऐ खुदा क्या है

कुछ मैं भी थक गया उसे ढूंढते हुए कुछ
जिंदगी के पास भी मोहलत नहीं रही
उसकी हर एक अदा से झलकने लगा
खलूस जब मुझको ऐतबार की आदत नहीं रही

मैं एक ज़रा बुलंदी को छूने निकला था
हवा ने थम के ज़मीन पर गिरा दिया मुझको

तू दोस्त किसी का भी सितमगर ना हुआ था
औरों पे है वो जुल्म की मुझ पर ना हुआ था
छोड़ा मेह -ऐ -नख्शब की तरह
दास्त-ऐ-क़ज़ा ने खुर्शीद हनूज़
उस के बराबर ना हुआ था

दीवाना मत कहो मुझको यूँ अच्छा नहीं लगता बड़ा
अफ़सोस होता है जब कोई अपना नहीं लगता लगता है
की होगी उसकी भी कुछ मजबूरी
उसका यूँ छोड़ कर जाना अच्छा नहीं लगता

बदलते इस ज़माने ने सब को बदल डाला ख्वाबों
और ख्यालों को भी बदल डाला ना बदल सका
उस बेवफा को प्यार मेरा जिसके
लिए हमने अपने आप को बदल डाला

बदली जो कायनात मुझे इसका गम नहीं
लेकिन बुरा था नसीब जो तुम बदल गए

Gila-Shiqwa Shayari in Hindi

खामोश गुजर जाते है वो करीब से सवाल उठते है
दिल में अजीब से वो खफा है
या ये उनकी कोई अदा है
शिकायत भी क्या करे अब अगर यही है नसीब में

ये तरक़्क़ी का ज़माना है
तेरे आशिक पर उँगलियाँ
उठती थी अब हाथ उठा करते है

चमन से बिछड़ा हुआ एक गुलाब हूँ
मैं खुद अपनी तबाई का जबाब हूँ
यूँ निगाहे ना फेर मुझसे मेरे
सनम मैं तेरी चाहतों में ही हुआ बर्बाद हूँ

हर ग़ालिब ग़ालिब जिसको समझते है
हम शुहूद है ख्वाब में
हनूज़ जो जागे है ख्वाब में

मौत से कह दो की हमसे नाराजगी ख़त्म
कर ले अब वो भी बहुत बदल गए है
जिनके लिए जिया करते थे हम

जिस दिन से चला हूँ मेरी मंजिल पर
नजर है
आँखों ने कभी मिले का पत्थर नहीं देखा

है आज क्यों ज़लील के कल तक ना थी
पसंद गुस्ताख़ी-ऐ-फरिश्ता हमारे जनाब में

तिनको से खेलते ही रहे आशियाँ में
हम आया भी और गया भी
ज़माना बहार का

Gila-Shiqwa Shayari in Hindi

कहते है वो मजबूर है हम ना चाहते हुए भी दूर है
हम चुरा ली है उन्होंने धड़कने
हमारी फिर भी कहते है बेक़सूर है हम

क़सम देकर अपनी तुझे रोक लेगा तेरी
लघज़िशों पे तुझे टोक देगा तू मुड़ मुड़
के पीछे किसे देखता है
तेरा कौन है जो तुझे रोक लेगा

दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया
तुझ से भी दिल फरेब है ग़म रोजगार के

कभी पत्थर से भी टकराये तो खराश तक ना
आये कभी इक बात ही से
इंसान टूट के बिखर जाते है

मेरे पास इतने सवाल थे
मेरी उम्र से ना सिमट
सके तेरे पास जितने जवाब थे
तेरी एक निगाह में आ गए

जो बुराई मेरे नाम से मनसूब हुई दोस्तों
कितना बुरा था मेरा अच्छा होना

मेरी वफ़ा की गवाही तो सितारे भी देते है
पर मेरे चाँद को आया नहीं ऐतबार मेरा

ये क्या की तुझे भी है ज़माने से
शिकायत ये क्या की तेरी
आँख भी पुरनुम है मेरी जान

हो ना हो ये कोई सच बोलने वाला है
कातील जिसके हाथों में
क़लम पावों में ज़ंजीरें है

जिनको तूफ़ान से उलझने की आदत
हो मोहसिन ऐसी कश्ती
को समंदर भी दुआ देते है

लोग तो मजबूर है मारेंगे पत्थर क्यों
ना हम शीशों से कह दे टुटा ना करे

कहाँ तलाश करोगे तुम मुझ जैसा कोई
जो तुम्हारे सितम भी सहे
और तुम से मोहब्बत भी करे

तुम पर बीतेगी तो तुम भी जान
जाओगे मोहसिन कोई नजर
अंदाज करे तो कितना दर्द होता है

मजा देती है उनको जिंदगी की
ठोकरें मोहसिन जिनको नाम -ऐ-खुदा
लेकर संभल जाने की आदत हो

जिनके आँगन में अमीरी का शजर लगता है
उनका हर ऐब भी जमने को हुनर लगता है

रैज़ा रैज़ा है अक्स मेरा मगर हैरत ये है,
है मेरा आइना
सलामत तो फिर टूटा क्या है

नेरंगी सिआसत ऐ दौरान तो देखिये
मंजिल उन्हें मिली जो शरीक ऐ सफर ना थे

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ज़मीर मरता है एहसास की ख़ामोशी से
ये वो वफ़ात है जिसकी खबर नहीं होती

कुछ आंसू कुछ खुशिया देकर टाल गया
जीवन का एक और सुनहरा साल गया कौन
जाने की कल का समा कैसा होगा
अब तक तो कल सा ही है सब हाल गया

Gila-Shiqwa Shayari in Hindi

जुदा हुए है बहुत लोग इक तुम भी
सही अब इतनी सी बात
पे क्या जिंदगी हराम करे

जाने किस दौर में जाएगी ये आदत मेरी
रूठना उससे और औरों से उलझते रहना

शोर है हंगामा अराई है जिंदगी तू कहाँ ले
आई है नफ्सा नफ्सी का
अजीब आलम है भीड़ है मगर तन्हाई है

ना जी भर कर देखा ना कुछ बात की
भरी आरजू थी हमको मुलाकात की

ग़ुम ऐ आरजू तेरी राह में शब ऐ
आरजू तेरी चाह में जो उजड़ गया वो
बसा नहीं जो बिछड़ गया वो मिला नहीं

ये मज़ा था दिल लगी का की बराबर आग
लगती ना मुझे क़रार होता ना मुझे क़रार होता

हैरान हूँ की मुद्दत -ऐ-क़ातील मैं
मोहसिन वो शख्स मेरी
सोच से ज्यादा बदल गया

हर एक बात पे कहते हो तुम की तू क्या है
तुम्ही कहो की ये अंदाज-ऐ-गुफ्तगू क्या है

लम्हा भर अपना हवाओं को बनाने वाले
अब ना आएंगे पलट कर कभी जाने वाले

हुस्न भी था कशिश भी थी अंदाज भी था
क़ाब भी था हया भी था प्यार भी था
अगर कुछ ना था तो बस इकरार

अपने मेहबूब की खातिर था खुदा को
मंजूर वरना क़ुरान भी
उतरता बे जुबान -ऐ-उर्दू

क्या जानिए क्या है तेरे बीमार की
हालत इसे भी कहते है
की है वक़्त दुआ का

कोई गिला कोई शिकवा ना रहे आपसे ये
आरजू है की सिलसिला रहे आपसे
बस इस बात की बड़ी उम्मीद है
आपसे खफा ना होना अगर हम खफा रहे आपसे

******

दिल को पिघलाता हुआ
आँखों क गरमाता हुआ
फिर ख्याल -ऐ-यार आया
आगा बरसाता हुआ

करता रहा फरेब कोई सादगी के साथ इतना
बड़ा मजाक मेरी जिंदगी के साथ शायद
मिली सजा मुझे इस जुर्म की हो गया था
जो प्यार मुझे एक अजनबी के साथ

किसी के दिल में बसना बुरा तो नहीं किसी को
दिल बसाना खता तो नहीं है ये ज़माने की
नजर में बुरा तो क्या हुआ ज़माने
वाले भी इंसान है खुदा तो नहीं

आ गया है फ़र्क़ उसकी नज़रों में यकीनन
अब वो मुझे अंदाज से नहीं अंदाजे से पहचानती है

Gila-Shiqwa Shayari in Hindi

हर एक सवाल का उसको जवाब क्या देते
हम अपनी जात का उसको हिसाब क्या देते
जो एक लफ्ज की खुशबु ना रख सका महफूज
हम उसके हाथ में पूरी किताब क्या देते

जख्म देने का अंदाज कुछ ऐसा है
जख्म देकर कहते है अब हाल कैसा है
जहर देकर कहते है अब पीना ही होगा
और जब पी लिया तो कहते है जीना ही होगा यही है
दोस्तों प्यार की कहानी हँसते हँसते फिर रोना ही होगा

पत्थर समझ कर पांव से ठोकर लगा दी
अफ़सोस तेरी आँख ने परखा नहीं
मुझे क्या उम्मीदे बांध कर आया था
सामने उसने तो आँख भर के देखा नही मुझे

घर का दरवाजा इस अंदाज से खोला उसने
की जैसे मैं नहीं कोई और था आने वाला

हाथों की लकीरो पे मत जा ऐ ग़ालिब
नसीब उनके भी होते है
जिनके हाथ नहीं होते

किसी फ़क़ीर की झोली में जब मैंने एक
सिक्का डाला तब ये जाना की इस महंगाई
के ज़माने में दुआएं आज भी कितनी सस्ती है

यूँ कहने को तो हम बड़े खुश मिजाज है
लेकिन रुला देती है
अपनों की प्यार की हसरत कभी कभी

तुम्हारे बाद कौन बनेगा मेरा हमदर्द
हमने तो अपने भी खोये है तुझे पाने के लिए

इस कदर हम यार को मनाने निकले
उसकी चाहत के हम दीवाने निकले जब
भी उसे दिल का हाल बताना चाहा तो
उसके होठो से वक़्त ना होने के बहाने निकले

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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