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इल्जाम शायरी

Ilzaam Shayari in Hindi

Ilzaam Shayari in Hindi
Images :- Ilzaam Shayari in Hindi

इल्जाम शायरी | Ilzaam Shayari in Hindi

बेवफा तो वो खुद थी,
पर इल्ज़ाम किसी और को देती है.
पहले नाम था मेरा उसके लबों पर,
अब वो नाम किसी और का लेती है
कभी लेती थी वादा मुझसे साथ न छोड़ने का,
अब बही वादा किसी और से लेती है।

दिल की ख्वाहिश को नाम क्या दूँ
प्यार का उसे पैगाम क्या दूँ
दिल में दर्द नहीं, उसकी यादें हैं
अब यादें ही दर्द दे तो उसे इल्ज़ाम क्या दूँ

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लफ्जों से इतना आशिकाना
ठीक नहीं है ज़नाब,
किसी के दिल के पार
हुए तो इल्जाम क़त्ल का लगेगा।

सबको_फिक्र है खुद
को सही #साबित करने की…
जैसे ये जिँदगी…जिँदगी
नहीँ…कोई “इल्ज़ाम” है…

उदास_ज़िन्दगी, उदास वक्त,
उदास मौसम…
न जाने कितनी चीज़ों पे #इल्ज़ाम
लग जाता है एक तेरे बात न करने से….

ये मिलावट का दौर हैं
“साहब” यहाँ,
इल्जाम लगायें जाते हैं
तारिफों के लिबास में।

उदास जिन्दगी, उदास वक्त,
उदास मौसम,
कितनी चीजो पे
इल्जाम लगा है तेरे ना होने से।

हर इल्जाम का हकदार वो हमे बना जाते है,
हर खता कि सजा वो हमे सुना जाते है,
हम हर बार चुप रह जाते है,
क्योंकि वो अपना होने का हक जता जाते है।

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लफ्जों से इतना “आशिकाना”
ठीक नहीं है ज़नाब
किसी के दिल के पार हुए
तो “इल्ज़ाम” क़त्ल का लगेगा

सबको फिक्र है
अपने आप को सही साबित करने की,
जैसे जिन्दगी नहीं कोई इल्जाम है।

मोहब्बत तो दिल से की थी,
दिमाग उसने लगा लिया
दिल तोड़ दिया मेरा उसने
और इल्जाम मुझपर लगा दिया.

बदल जाने का #इल्ज़ाम सिर्फ तुम्हे ही
क्यों दू जब की “समय” के
साथ साथ मैं भी बदल गई हूं

*****

मेरी नजरों की तरफ
देख जमानें पर न जा
इश्क मासूम है
इल्जाम लगाने पर न जा

बेवजह दीवार पर इल्जाम है बंटवारे का,
कई लोग एक कमरे में भी अलग रहते हैं।

Ilzaam Shayari in Hindi

ये हुस्न तेरा ये इश्क़ मेरा
रंगीन तो है बदनाम सही
मुझ पर तो कई इल्ज़ाम लगे
तुझ पर भी कोई इल्ज़ाम सही..

जुबां गन्दी होने का #इलज़ाम है
मुझ पर खता सिर्फ इतनी है
की हम_सफाई नहीं देते।

चिराग जलाने का सलीका सीखो साहब
हवाओं पे इल्ज़ाम लगाने से क्या होगा

****

तू कहीं भी रहे,
सिर तुम्हारे इल्ज़ाम तो हैं,
तुम्हारे हाथों के
लकीरों में मेरा नाम तो हैं.

गलतियों से अंजान_तू भी नहीं, मैं भी नहीं
दोनों #इंसान हैं, खुदा तू भी नहीं, मैं भी नहीं,
तू मुझे और मैं तुझे “इल्ज़ाम” देता हूँ मगर,
अपने अंदर #झाँकता तू भी नहीं, मैं भी नही।

Ilzaam Shayari in Hindi

दुनिया को हकीकत का
मेरी पता कुछ भी नहीं
इल्जाम हजारो हैं
और खता कुछ भी नहीं

जिस के लिए सब कुछ लुटा दिया हमने,
वो कहते हैं उनको भुला दिया हमने,
गए थे हम उनके आँसू पोछने,
इल्ज़ाम दे दिया की उनको रुला दिया हमने।

दिल-ए-बर्बाद का मैं तुझे इल्ज़ाम नहीं देता,
हाँ अपने लफ़्ज़ों में तेरे जुर्म जरूर लिखता हूँ,
लेकिन तेरा नाम नहीं लेता।

दिल की “ख्वाहिश” को नाम क्या दूँ,
प्यार का उसे #पैगाम क्या दूँ,
दिल में ‘दर्द’ नहीं, उसकी यादें हैं,
अब यादें ही दर्द दे, तो उसे #इल्ज़ाम क्या दूँ…

बस यही सोच कर कोई
सफाई नहीं दी हमने,
कि इल्ज़ाम झूठे ही
सही पर लगाये तो तुमने हैं ।

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बेवफ़ा तो वो ख़ुद हैं,
पर इल्ज़ाम किसी और को देते हैं,
पहले नाम था मेरा उनके लबों पर,
अब वो नाम किसी और का लेते हैं.

मेरी “तबाही” का
इल्ज़ाम अब #शराब पर हैं
मैं और करता भी
क्या_तुम पे आ रही थी बात

बेवफाई मैंने नहीं की है
मुझे इल्ज़ाम मत देना,
मेरा सुबूत मेरे अश्क हैं
मेरा गवाह मेरा दर्द है ।

तू ने ही लगा दिया
इल्ज़ाम-ए-बेवफ़ाई,
अदालत भी तेरी थी
गवाह भी तू ही थी।

सुना है वो जाते हुए कह गये,
के अब तो हम सिर्फ़ तुम्हारे ख्वाबो मे आएँगे,
कोई कह दे उनसे के वो वादा कर ले,
हम जिंदगी भर के लिए सो जाएँगे..

****

मेरे_अल्फ़ाज़ को आदत है
हौले से #मुस्कुराने की,
मेरे शब्द कि अब
किसी पर “इल्ज़ाम” नहीं लगाते।

हर बार इल्ज़ाम हम पर
ही लगाना ठीक नहीं,
वफ़ा खुद से नहीं होती
खफा हम पर होते हो ।

दिल का हाल बताना नहीं आता,
किसी ऐसे तड़पाना नहीं आता,
सुनना चाहते हैं आवाज आपकी,
मगर बात करने का बहाना नहीं आता,

Ilzaam Shayari in Hindi

जानकर_भी वो हमें जान ना पाए,
आज तक वो हमें #पहचान ना पाए,
खुद ही कर ली “बेवफ़ाई” हम ने उनसे
ताकि उन पर बेवफ़ाई का कोई #इल्ज़ाम ना आए.

उल्फत में अक्सर ऐसा होता है
आँखे हंसती हैं और दिल रोता है
मानते हो तुम जिसे मंजिल अपनी
हमसफर उनका कोई और होता है.

बड़ा_अजीब सा
वाकया हो गया आज
खता की ही नहीं,
पर #इलज़ाम लग गया।

जान कर भी वो मुझे जान न पाए
आज तक वो मुझे पहचान न पाए
खुद ही कर ली वेबफाई हमने
ताके उन पर कोई इल्ज़ाम न आये

हम आपके प्यार में कुछ कर न जायें
बन के रूह बिछड़ ना जायें
भूलना मुमकिन नहीं है आपको
मरने से पहले कही मर ना जायें..

ये “मिलावट” का दौर हैं
“साहब”..यहा
“इल्ज़ाम” लगायें जाते हैं
‘तारिफों’ के लिबास में..।।

तेरे ख्याल से खुद को छुपा के देखा है,
दिल-ओ-नजर को रुला-रुला के देखा है,
तू नहीं तो कुछ भी नहीं है तेरी कसम,
मैंने कुछ पल तुझे भुला के देखा है।

रिश्तें टूट कर चूर चूर हो गये,
धीरे धीरे वो हमसे दूर हो गये,
हमारी खामोशी हमारे लिये गुनाह बन गई,
और वो गुनाह कर के बेकसूर हो गये।

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कहीं अब #मुलाक़ात हो जाए हमसे,
बचा कर के “नज़र” गुज़र जाइएगा…
जो कोई कर जाए कभी ज़िक्र मेरा,
हंसकर फिर सारे #इल्ज़ाम मुझे दे जाइएगा

दिल से रोये मगर होंठो से मुस्कुरा बेठे,
यूँ ही हम किसी से वफ़ा निभा बेठे,
वो हमे एक लम्हा न दे पाए अपने प्यार का,
और हम उनके लिये जिंदगी लुटा बेठे!

गलती हुई हमसे मान हमने लिया
गलत हम थे जान हमने लिया अब ना
करेंगे कुछ ऐसा जो बुरा लगे आपको
अब ये दिल में ठान हमने लिया.

दिल पे आये हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैं
लोग अब मुझको तेरे नाम से पहचानते हैं

इतना खूबसूरत चेहरा है तुम्हारा,
हर दिल दीवाना है तुम्हारा,
लोग कहते है चाँद का तुकडा हो तुम,
लेकिन हम कहते है चाँद तुकडा है तुम्हारा.

गलतियों से अंजान तू भी नहीं,
मैं भी नहीं दोनों_इंसान हैं,
खुदा तू भी नहीं, मैं भी नहीं, तू मुझे
और मैं तुझे “इल्ज़ाम” देता हूँ मगर,
अपने अंदर ‘झाँकता’ तू भी नहीं, मैं भी नही।

****

हर प्यार में एक एहसास होता है,
हर काम का एक अंदाज होता है,
जब तक ना लगे बेवफाई की ठोकर,
हर किसी को अपनी पसंद पे नाज़ होता है.

झूठे “इल्ज़ाम” मेरी जान लगाया ना करो,
दिल हैं नाजूक इसे तुम_ऐसे दुखाया ना करो,
झूठे “इल्ज़ाम” मेरी जान लगाया ना करो…

Ilzaam Shayari in Hindi

तुम मेरे लिए कोई इल्जाम न ढूँढ़ो
चाहा था तुम्हे, यही इल्जाम बहुत है

अफसोस होता हैं उस पल का,
जब अपनी पसंद कोई और चुरा
लेता हैं, ख्वाब हम देखते रहते हैं,
और हकीकत कोई और बना लेता हैं.

“इल्ज़ाम” लगा दो लाख चाहे,
लेकिन सच तुम_खुद निगल नही पाती।
अगर उस दिन मैं छू देता तो,
फिर तुम आज इस #कदर जल नही पाती।

हमारे हर सवाल का सिर्फ़ एक ही जवाब आया
पैगाम जो पहुँचा हम तक बेवफ़ा इल्जाम आया

जिंदगी के लिये जान ज़रूरी है,
जीने के लिये अरमान ज़रूरी है,
हमारे पास हो चाहे कितना भी गम,
लेकिन तेरे चहरे पर मुस्कान ज़रूरी है।.

इतनी सी #ज़िन्दगी में ख्वाब बहुत है,
“ज़ुल्म” का पता नहीं पर इल्ज़ाम बहुत है।।

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होठों पर मोहब्बत के फ़साने नहीं आते,
साहिल पर समंदर के खजाने नहीं आते,
पलकें भी चमक उठती हैं सोते हुए हमारी,
आँखों को अभी ख्वाब छुपाने नहीं आते।.

बड़ा “अजीब” दौर ए #जमाना चल रहा है यहां
पता ही नहीं चलता तारीफ की जा रही कि,
“इलज़ाम” लगाए जा रहे है।

इल्ज़ाम लगा देने से बात सच्ची नही हो जाती
दिल पे क्या बीतती हैं किसी से कही नही जाती

तू ना निभा सकी तो क्या मै अपनी मोहब्बत को
अंजाम दूंगा तुझसे मिलना ना हुआ नसीब में तो क्या
हुआ मै अपनी औलाद को तेरा नाम दूंग.

करता हूँ तुमसे मोहब्बत मरने पर इल्जाम होगा
कफ़न उठा के देखना होठों पर तेरा नाम होगा

मेरी यादें मेरा चेहरा मेरी बातें रुलायेंगी,
हिज़्र के दौर में गुज़री मुलाकातें रुलायेंगी,
दिनों को तो चलो तुम काट भी लोगे फसानों में,
जहाँ तन्हा मिलोगे तुम तुम्हें रातें रुलायेंगी।..

उदास “जिन्दगी”, उदास वक्त,
उदास मौसम, कितनी_
चीजो पे “इल्ज़ाम” लगा है
तेरे ना होने से।

मेरे दिल की मजबूरी को कोई इल्जाम ना दे
मुझे याद रख बेशक मेरा नाम ना ले
तेरा वहम है की मैंने भुला दिया तुझे
मेरी एक सांस ऐसी नही जो तेरा नाम ना ले

मेरी आँखों में छुपी उदासी को कभी
महसूस तो कर, हम वो हैं जो सब को
हंसा कर रात भर रोते है.

मुझे इश्क है बस तुमसे नाम बेवफा मत देना
गैर जान कर मुझे इल्जाम बेवजह मत देना
जो दिया है तुमने वो दर्द हम सह लेंगे मगर
किसी और को अपने प्यार की सजा मत देना

*****

भरोसा तोड़ने वाले के लिए ,
बस यही एक सजा काफ़ी हैं
उसको जिंदगी भर की ,
ख़ामोशी तोहफे में दे दी जाए !!.

जानकर भी वो हमें जान ना पाए,
आज तक वो हमें_पहचान ना पाए,
खुद ही कर ली#बेवफ़ाई हम ने उनसे,
ताकि उन पर बेवफ़ाई का कोई ‘इल्ज़ाम’ ना आए…

कोई “इल्ज़ाम”
रह गया हो तो वो भी दे दो
पहले भी हम बुरे थे,
अब_थोड़े और सही

झूठे इल्जाम, मेरी जान,
लगाया ना करो
दिल है नाज़ुक,
इसे तुम ऐसे दुखाया ना करो

खुदा_तूने भी क्या खूब #मुकम्मल ये
दुनिया करी है, बेगुनाह “सजा”
काट रहे हैं
और गुनेहगार बा-इज़्ज़त बरी है।

हुस्न वालों ने क्या कभी की ख़ता कुछ भी
ये तो हम हैं सर इलज़ाम लिये फिरते हैं

“इल्ज़ाम” है
हम पर कि हम तेरे_दीवाने हैं
तुम जलता ‘चिराग’ हो,
और हम तेरे परवाने हैं.

कोई_प्यार करे और उस पर
कोई “इल्ज़ाम” ना लगे, यह मुमकिन नहीं
हौसला हो और फिर भी
प्यार ना मिले यह #मुमकिन नहीं.

मेरी तबाही का इल्ज़ाम अब शराब पर हैं
मैं और करता भी क्या तुम पे आ रही थी बात

Ilzaam Shayari in Hindi

इल्ज़ाम ये था कि झुठा हूँ,
मैं ‘सज़ा’ ये है कि उनसे रिहा हूँ,मैं

हम ने देखी है इन आँखों की महकती खुशबू
हाथ से छूके इसे रिश्तों का #इल्ज़ाम न दो सिर्फ़ #एहसास है
ये रूह से महसूस करो प्यार
को प्यार ही रहने दोकोई नाम न दो

मेरे दिल की मजबूरी को कोई
“इल्ज़ाम” ना दे मुझे याद रख बेशक मेरानाम ना ले
तेरा वहम है की मैंने भुला दिया तुझे
मेरी एक_सांस ऐसी नही जो तेरा नाम ना ले

हँस कर #कबूल क्या
कर ली सजाएँ मैंने
ज़माने ने दस्तूर ही बना लिया
हर “इलज़ाम” मुझ पर मढ़ने का

कमाल का शख्स था
जिसने “जिन्दगी” तबाह कर दी,
राज की बात है
दिल_उससे खफ़ा अब भी नहीं…

इस #जमाने के ना जाने
कितने “इलज़ाम” सहे हमने
पर कभी भी तेरे न
होने का #अहसास होने न दिया।

तुम मेरे लिए कोई “इल्ज़ाम” न ढूँढ़ो
चाहा था तुम्हे, यही “इल्ज़ाम” बहुत है !!

फिक्र है सब को_खुद
को सही साबित करने की,
जैसे ये #जिन्दगी,
जिन्दगी नही, कोई “इल्ज़ाम” है!!

हर “इल्ज़ाम” का हकदार वो हमे बना जाते है,
हर खता कि #सजा वो हमे सुना जाते है,
हम हर बार_चुप रह जाते है,
क्योंकि वो अपना होने काहक जता जाते है।

उदास #जिन्दगी, उदास वक्त,
उदास_मौसम..
कितनी चीजो पे
“इल्ज़ाम” लगा है तेरे ना होने से !!

दिल-ए-बर्बाद का मैं तुझे #इल्ज़ाम नहीं देता,
हाँ अपने लफ़्ज़ों में तेरे जुर्म जरूर लिखता हूँ,
लेकिन तेरा_नाम नहीं लेता।

धूर्तपन” की सारी हदें पार हो
गई मैंने एक_गलती क्या किया
उन्होंने सारी “गलतियों”
का आरोप #मुझपर ही मढ़ दिए।

हर बारहम पर,
इल्ज़ाम लगा देते हो
#मोहब्बत का, कभी खुद से पूछा है,
की इतनेहसीन क्यों हो।

करता हूँ तुमसे #मोहब्बत
मरने पर “इल्ज़ाम” होगा,
कफ़न उठा के देखना
होठों पर_तेरा नाम होगा.

जानकर भी वो मुझे जान न पाए,
आज तक वो मुझे #पहचान न पाए, खुद ही कर ली
‘बेवफाई’ हमने,
ताकिउन पर कोई इलज़ाम न आये।

कमाल का #शख्स था
जिसने “जिन्दगी” तबाह कर दी,
राज की बात है

अक्सर कुछ “गलतियां” हम से हो जाती हैं !
हम “इल्ज़ाम” किसी और पर लगा बैठते हैं !!

बात बिगड़ जाएगी_अगर देखोगे यूं
ही तुम कातिल निगाहों से, फिर “इल्ज़ाम”
आएगा कि लगा दिया है
रोग #इश्क का लेकर अपनी बाहों में।

फिक्र है सबको_खुद
को सही साबित करने की,
जैसे ये जिन्दगी, “जिन्दगी”
नही, कोई “इल्ज़ाम” है।

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