Gila-Shiqwa Shayari in Hindi
गिला-शिकवा शायरी | Gila-Shiqwa Shayari in Hindi
आसानी से दिल लगाये जाते है
मगर मुश्किल से वादे निभाए जाते है
मोहब्बत ले आती है
उन राहों पे जहाँ दियों के
बदले दिल जलाये जाते है
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कोई गिला कोई शिकवा न रहे आप से,
ये आरज़ू है इक सिल सिला बना रहे आप से,
बस इक बात की उम्मीद है आप से,
दिल से दूर न करना अगर दूर भी रहें आप से।
Gila-Shiqwa Shayari in Hindi
न गिला है कोई हालात से,
न शिकायेतें किसी की जात से…
खुद से सारे लफ्ज जुदा हो रहे हैं
मेरी ज़िन्दगी की किताब से।
रुलाने के बाद क्यों हँसाते है लोग जाने के
बाद क्यों बुलाते है लोग ज़िंदगी में क्या
कुछ कसर बाकी थी
जो मरने के बाद भी जलाते है लोग
हो जाते हो बरहम भी बन जाते हो हमदम भी
ऐ साकी-ए-मयखाना शोला भी हो,
शबनम भी खाली मेरा पैमाना बस
इतनी शिकायत है
-हसरत जयपुरी
बदलते इस ज़माने ने सबको बदल डाला
ख्वाबों और ख्यालो को भी बदल डाला ना
बदल सका उस बेवफा को प्यार मेरा
जिसके लिए हमने अपने आपको बदल डाला
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तकदीर ने जैसे चाहा वैसे ढल गए हम,
बहुत सभल कर चले फिर भी फिसल गए हम,
किसी ने यकीन तोड़ा तो किसी ने हमारा दिल,
और लोगों को लगता है बदल गए हम।
ज़माना बदल गया बदल गए इंसान भी
आज बदला सब कुछ चाहत और प्यार भी
आज किसी की नजर में कीमत नहीं है
खून की पैसा जिस की जेब में
वो ही सुल्तान और अमीर भी
कोई गिला कोई शिकवा ना रहे आपसे,
ये आरज़ू है कि सिल-सिला रहे आपसे,
बस इस बात की बहुत उम्मीद है आपसे,
खफा ना होना अगर हम खफा रहें आपसे।
****
क्यूँ हिज्र के शिकवे करता है
क्यूँ दर्द के रोने रोता है अब इश्क़
किया तो सब्र भी कर इस में
तो यही कुछ होता है -हफ़ीज़ जालंधरी
एक से सिलसिले है सब हिज्र की रुत बता गयी
फिर वही सुबह आएगी फिर वही शाम आ
गयी मेरे लहू में जल उठे उतने ही ताज़ा
दम चिराग वक़्त की साजिशी
हवा जितने दिए बुझा गयी
मुझे सता के वो मेरी दुआएं लेता है,
उसे खबर है के मुझे बददुआ नहीं आती,
सब कुछ सौंप दिया उसे हमने अपना,
फिर भी वो कहता है हमें वफ़ा नहीं आती।
Gila-Shiqwa Shayari in Hindi
मुमकिन हो आपसे तो भुला दीजिये मुझे
पत्थर पे हूँ लकीर मिटा दीजिये मुझे
हर रोज मुझसे ताजा शिकायत है
आप को मैं क्या हूँ एक बार बता दीजिये मुझे
दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता,
रोता है दिल जब वो पास नहीं होता,
बरबाद हो गए हम उनके प्यार में,
और वो कहते हैं इस तरह प्यार नहीं होता।
हमारे सब्र का इम्तेहान न लीजिये,
हमारे दिल को यूँ सजा न दीजिये,
जो आपके बिना जी न सके एक पल,
उन्हें और जीने कि दुआ न दीजिये।
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मोहब्बत की दास्ताँ सुनाने आये है
तबाह करने के बाद वो प्यार जताने आये है
आंसू पूछ लिए थे हमने कब के
मगर वो फिर से आज हमें रुलाने आये है
मोहब्बत हमने की तो एक खता हो गयी की
वफ़ा और जिंदगी ही अब सजा हो
गयी वफ़ा करते रहे इबादतों की
तरह फिर इबादत भी हमारे लिए एक गुनाह हो गयी
ये मत कहना के तेरी याद से रिस्ता नहीं रखा,
मैं खुद तन्हा रहा मगर दिल को तन्हा नहीं रखा,
तुम्हारी चाहतो के फूल तो महफूज रहे हैं,
तुम्हारी नफरतों कि पीर को जिंदा नहीं रखा।
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उसके बिन चुप चुप रहना अब अच्छा लगता है
ख़ामोशी से एक दर्द को सहना भी अच्छा लगता है
उसका मिलना ना मिलना तो किस्मत की बात है
मगर पल पल उसकी याद में रोना अब अच्छा लगता है
वफ़ा के बदले मुझे बेवफाई न किया कर,
मेरी उम्मीद ठुकरा कर इंकार न किया कर,
तेरी मोहब्बत में हम सब कुछ गवा बैठे,
जान चली जाएगी यूँ इम्तिहान न लिया कर।
करोगे याद तुम की मैं कहता था कभी
दौलत और मोहब्बत का ना कभी भी मेल होता है
होती है जिनके लिए दौलत ही सब से
बढ़कर उनके लिए तो ये मोहब्बत बस एक खेल होता है
Gila-Shiqwa Shayari in Hindi
लुफ्त वो इश्क में पाये है की जी जानता है
रंज भी ऐसे उठाये है की जी जानता है
जो ज़माने के सितम है वो जमाना जाने
तूने दिल इतने सताए है की जी जानता है
ठोकर न लगा मुझे पत्थर नहीं हूँ मैं,
हैरत से न देख मुझे मंजर नहीं हूँ मैं,
माना के उनकी नजरो मेरी कदर नहीं,
मगर उनसे पूछो जिन्हें हासिल म नहीं।
रह ना पाओगे कभी भुला कर देख लो यकीन नहीं
आता तो आज़मा कर देख लो हर जगह महसूस होगी
कमी हमारी अपनी महफ़िल को कितना भी सजा कर देख लो
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गम ये नहीं की कसम अपनी भुलाई तुमने
गम तो ये है की रक़ीबों से निभाई तुमने कोई
रंजिश थी अगर तुमको तो मुझसे कह देते
बात आपस की क्यों सबको बताई तुमने
वो मुझे चाहती है पर अपना नहीं सकती
मुझे भुलाने का दर्द उठा नहीं सकती अजीब है
उसके प्यार का ये अंदाज भी खफा तो करती है
पर मना नहीं सकती
छुरी की नोक से जख्मो पे वो महरम लगते है
जख्म भी खुद ही देते है खुद ही आंसू बहाते है
ये कैसा प्यार है उनका कोई तो
हमको समझाओ सितमगर है
या है दिलबर वो जो याद आते है
*****
प्यार किसी से जो करोगे रुस्वाई ही मिलेगी
वफ़ा कर लो चाहे जितनी बेवफाई ही मिलेगी
जितना भी किसी को अपना बना लो
जब आँख खुलेगी तन्हाई ही मिलेगी
सब फ़साने है दुनिया दारी के किस ने
किस का सुकून लूटा है सच तो ये है
की इस ज़माने में मैं भी झूठा हूँ तू भी झूठा है
करोगे याद एक दिन इस प्यार के ज़माने को
चले जायेंगे जब हम कभी ना वापस आने
को चलेगा महफ़िल में जब जिक्र हमारा
कोई तो तुम भी तन्हाई ढूँढोगे आंसू बहाने को
नहीं जाता किसी से वो मर्ज़ जो है
नसीबों का ना क़ायल हूँ
दवा का मैं ना कायल हूँ
तबीबों का ना शिकवा दुश्मनो का है
ना है शिकवा हबीबों का शिकायत है
तो किस्मत की गिला है तो नसीबों का
Gila-Shiqwa Shayari in Hindi
हर चमन में मुमकिन है की गुल खिल जाये
तुम्हे भी हमारे बाद मुमकिन है कोई और
मिल जाये जिंदगी तो तुमने कभी हमको जीने
ना दी अब मरना चाहा तो कहते हो
की मौत भी ना आये
बदला जो वक़्त गहरी दोस्ती बदल गयी सूरज ढला
तो साये की सूरत बदल गयी एक उम्र तक
मैं तेरी जरूरत बना रहा फिर यूँ
हुआ की तेरी जरुरत बदल गयी
गिले है हजारों की बदले हो क्यों तुम मगर अब
करे क्यों गिला अजनबी से अजब है
नींदें गंवाने का सिलसिला ये
अच्छा नहीं सिलसिला अजनबी से
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जिसे खुद से ही नहीं फुर्सतें जिसे ख्याल
अपने कमाल का उसे क्या
खबर मेरे शौंक की,उसे क्या पता मेरे हाल का
जिसने कभी चाहतो का पैगाम लिखा था
जिसने सब कुछ मेरे नाम लिखा था सुना है
आज उसे मेरे ज़िक्र से भी नफरत है
जिसने कभी अपने दिल पर मेरा नाम लिखा था
उनका भरोसा मत करो जिनका ख्याल वक़्त
के साथ बदल जाये भरोसा उनका करो
जिनका ख्याल वैसे ही रहे
जब आपका वक़्त बदल जाये
मोहब्बत यहाँ बिकती है इश्क नीलाम होता है
भरोसे का क़त्ल यहाँ खुले आम होता है
ज़माने से जब मिली ठोकर तो मैखाने चले गए
हम आज वही ज़माना हमें शराबी का नाम देता है
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बेवफाई करके निकलू या वफ़ा कर जाऊंगा शहर
को हर ज़ायके से आश्ना कर जाऊंगा तू भी
ढूंढेगा मुझे शौक- ऐ -सजा में एक दिन मैं
भी कोई खूबसूरत सी खता कर जाऊंगा
तरसते थे जो हमसे मिलने को कभी ना जाने
क्यों आज हमारे साये से भी कतराते है
हम भी वही है ये दिल भी वही है
ना जाने फिर क्यों ऐसे लोग बदल जाते है
Gila-Shiqwa Shayari in Hindi
बात उम्र भर की थी दो पल की नहीं बात साथ
की थी हालात की नहीं जहाँ के मेले में
हाथ छोड़ दिया तूने बात
जुबान की थी किस्मत की नहीं
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जायेगा मगर
तुम्हारी तरह कौन मुझे चाहेगा तुम्हें
जरूर कोई चाहतों से देखेगा
मगर वो आँखें हमारी कहा से लाएगा
आतिश -ऐ-इश्क में जल जाऊँ तुझे इससे क्या
मौसम की तरह बदल जाऊँ तुझे इससे क्या
चोट कौन या जख्म लगे ये एहसास-ऐ-गम
में तर्पण मैं गिर जाऊँ या संभल जाऊँ तुझे इससे क्या
उसकी चाहत ने रुलाया बहुत है उसकी यादो
ने तड़पाया बहुत है हम उससे करते है
मोहब्बत बेइन्तहा इस बात को
उसने आज़माया बहुत है
मोहब्बत से रिहा होना जरुरी हो गया है
मेरा तुझसे जुदा होना जरुरी हो गया है
वफ़ा के तज़ुर्बे करते हुए तो
उम्र गुजरी ज़रा सा बेवफा होना जरुरी हो गया है
Gila-Shiqwa Shayari in Hindi
ऐ मौत मैं तुझे गले लगाना चाहता हूँ
कितनी वफ़ा है तुझे मैं ये आज़माना चाहता हूँ
रुलाया है बहुत दुनिया में लोगो ने मुझे मिले
जो साथ तेरा तो मैं दुनिया को रुलाना चाहता हूँ
एक पल की जुदाई गवारा ना कर सके ऐसा
इश्क हम दुबारा ना कर सके ज़िंदगी
भर पलट के ना देखा कभी हम
फिर भी शिकवा तुम्हारा ना कर सके
यहीं से जान गया मैं की वक़्त ढलने लगा मैं
थक हार के बैठा तो फिर जलने लगे जो दे रहा था
सहारा तो एक हजूम में था
जो गिर पड़ा तो सभी रास्ते बदलने लगे
चाहने से कोई चीज अपनी नहीं होती हर
मुस्कराहट ख़ुशी नहीं होती अरमान तो होते हैं
बहुत मगर कभी वक़्त तो कभी किस्मत सही नहीं होती
कितना अजीब अपनी जिंदगी का सफर
निकला सारे जहाँ का दर्द अपना मुक़द्दर
निकला जिसके नाम अपनी जिंदगी का हर
लम्हा कर दिया अफ़सोस वो
हमारी चाहत से बेखबर निकला
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बराबर से बच कर गुजर जाने वाले ये नाले
नहीं बे-असर जाने वाले नहीं जानते कुछ
की जाना कहाँ है चले जा रहे है मगर जाने वाले
हम तो तेरे दिल की महफ़िल सजाने आये थे
तेरी कसम तुझे अपना बनाने आये थे
किस बात की सजा दी तुमने हमें
बेवफा हम तो तेरे दर्द को अपना बनाने आये थे
क्यों कोई चाह कर मोहब्बत निभा नहीं
पाता क्यों कोई चाह कर रिश्ता बना नहीं
पाता क्यों लेती है जिंदगी ऐसी करवट
की कोई चाह कर भी प्यार जता नहीं पाता
दिल तोड़कर हमारा तुमको राहत भी ना मिलेगी
हमारे जैसी तुमको चाहत भी ना मिलेगी यूँ
इतनी बेरुखी ना हमें दिखलाये
हम अगर रूठे तो हमारी आहात भी ना मिलेगी
कुछ पाने की चाहत में बहुत कुछ छूट जाता है
ना जाने सब्र का धागा कहाँ पर टूट जाता है
ज़रा बताओ की तुम किसे हमराह कहते हो
यहाँ तो अपना साया भी साथ छोड़ जाता है
भुलाकर मुझे अगर तुम अब भी हो सलामत तो
भुलाकर तुम्हे सम्भालना मुझे भी आता है
मेरी फितरत में नहीं है ये आदत वरना
तेरी तरह यूँ बदलना मुझे भी आता है
काश वो समझते है इस दिल की तड़प को तो यूँ
हमें रुस्वा ना किया होता उनकी ये बेरुखी
भी मंजूर थी हमें बस एक बार हमें समझ लिया होता
*****
मैं भी मुहं में जुबान रखता हूँ
काश पूछो की मुद्दा क्या है
जब की तुझ बिन नहीं कोई
मौजूद फिर ये हंगामा ऐ खुदा क्या है
कुछ मैं भी थक गया उसे ढूंढते हुए कुछ
जिंदगी के पास भी मोहलत नहीं रही
उसकी हर एक अदा से झलकने लगा
खलूस जब मुझको ऐतबार की आदत नहीं रही
तू दोस्त किसी का भी सितमगर ना हुआ था
औरों पे है वो जुल्म की मुझ पर ना हुआ था
छोड़ा मेह -ऐ -नख्शब की तरह
दास्त-ऐ-क़ज़ा ने खुर्शीद हनूज़
उस के बराबर ना हुआ था
दीवाना मत कहो मुझको यूँ अच्छा नहीं लगता बड़ा
अफ़सोस होता है जब कोई अपना नहीं लगता लगता है
की होगी उसकी भी कुछ मजबूरी
उसका यूँ छोड़ कर जाना अच्छा नहीं लगता
बदलते इस ज़माने ने सब को बदल डाला ख्वाबों
और ख्यालों को भी बदल डाला ना बदल सका
उस बेवफा को प्यार मेरा जिसके
लिए हमने अपने आप को बदल डाला
Gila-Shiqwa Shayari in Hindi
खामोश गुजर जाते है वो करीब से सवाल उठते है
दिल में अजीब से वो खफा है
या ये उनकी कोई अदा है
शिकायत भी क्या करे अब अगर यही है नसीब में
चमन से बिछड़ा हुआ एक गुलाब हूँ
मैं खुद अपनी तबाई का जबाब हूँ
यूँ निगाहे ना फेर मुझसे मेरे
सनम मैं तेरी चाहतों में ही हुआ बर्बाद हूँ
Gila-Shiqwa Shayari in Hindi
कहते है वो मजबूर है हम ना चाहते हुए भी दूर है
हम चुरा ली है उन्होंने धड़कने
हमारी फिर भी कहते है बेक़सूर है हम
क़सम देकर अपनी तुझे रोक लेगा तेरी
लघज़िशों पे तुझे टोक देगा तू मुड़ मुड़
के पीछे किसे देखता है
तेरा कौन है जो तुझे रोक लेगा
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कुछ आंसू कुछ खुशिया देकर टाल गया
जीवन का एक और सुनहरा साल गया कौन
जाने की कल का समा कैसा होगा
अब तक तो कल सा ही है सब हाल गया
Gila-Shiqwa Shayari in Hindi
कोई गिला कोई शिकवा ना रहे आपसे ये
आरजू है की सिलसिला रहे आपसे
बस इस बात की बड़ी उम्मीद है
आपसे खफा ना होना अगर हम खफा रहे आपसे
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करता रहा फरेब कोई सादगी के साथ इतना
बड़ा मजाक मेरी जिंदगी के साथ शायद
मिली सजा मुझे इस जुर्म की हो गया था
जो प्यार मुझे एक अजनबी के साथ
किसी के दिल में बसना बुरा तो नहीं किसी को
दिल बसाना खता तो नहीं है ये ज़माने की
नजर में बुरा तो क्या हुआ ज़माने
वाले भी इंसान है खुदा तो नहीं
Gila-Shiqwa Shayari in Hindi
हर एक सवाल का उसको जवाब क्या देते
हम अपनी जात का उसको हिसाब क्या देते
जो एक लफ्ज की खुशबु ना रख सका महफूज
हम उसके हाथ में पूरी किताब क्या देते
जख्म देने का अंदाज कुछ ऐसा है
जख्म देकर कहते है अब हाल कैसा है
जहर देकर कहते है अब पीना ही होगा
और जब पी लिया तो कहते है जीना ही होगा यही है
दोस्तों प्यार की कहानी हँसते हँसते फिर रोना ही होगा
पत्थर समझ कर पांव से ठोकर लगा दी
अफ़सोस तेरी आँख ने परखा नहीं
मुझे क्या उम्मीदे बांध कर आया था
सामने उसने तो आँख भर के देखा नही मुझे
किसी फ़क़ीर की झोली में जब मैंने एक
सिक्का डाला तब ये जाना की इस महंगाई
के ज़माने में दुआएं आज भी कितनी सस्ती है
इस कदर हम यार को मनाने निकले
उसकी चाहत के हम दीवाने निकले जब
भी उसे दिल का हाल बताना चाहा तो
उसके होठो से वक़्त ना होने के बहाने निकले
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