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अल्फ़ाज़ शायरी

Alfaaz Shayari In Hindi

Alfaaz Shayari In Hindi
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Alfaaz Shayari In Hindi | अल्फ़ाज़ शायरी

ज़िन्दगी यूँ ही बहुत कम है,
मोहब्बत के लिए,
फिर एक दूसरे से रूठकर
वक़्त गँवाने की जरूरत क्या है।

डाल दो अपनी दुआ के,
चंद अल्फाज मेरी झोली में,
क्या पता आपके लब हीले,
और मेरी जिंदगी बदल जाए।

हम अल्फाजो से खेलते रह गए,
और वो दिल से खेल के चली गयी।

अल्फ़ाज़ नही मिले
ससे मिलने के बाद,
अपने दिल का हाल
कहे बिना ही लौट आया।

वह जो औरों को बताती है
जीने के तरीके
खुद अपनी मुट्ठी मेँ
मेरी जान लिए बैठी है

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तेरी याद तेरी चाहत शायरी
के अल्फाज बन गए,
भरी महफिल में लोग मेरे
दर्द को भी वाह वाह कह गए।

एक उम्र कटी दो अलफ़ाज़ में
एक आस में… एक काश… में

****

न अहसास बचे हैं,
न अल्फ़ाज़ बचे हैं,
खो गयी है मुस्कान,
बस राज़ बचे हैं।

एक उमर बीत चली है तुझे चाहते हुए,
तू आज भी बेखबर है कल की तरह।

Alfaaz Shayari In Hindi

अल्फ़ाज़ों में क्या बयां करें
अपनी मोहब्बत के अफ़साने,
हमारे में तो तुम ही हो
तुम्हारे दिल की खुदा जाने।

वो कहते हैं…
कैसे बयां करे हम अपना हल-ए-दिल
हमने कहा बस…
तीन अलफ़ाज़ काफी हैं
प्यार का इज़हार करने के लिए

दिल के जज्बातों को अल्फाजों
में बयाँ करना पड़ता है,
अब वो मोहब्बत नहीं जो
जज्बातों को समझ सके।

चलो माना कि हमें प्यार
का इज़हार करना नहीं आता,
जज़्बात न समझ सको
इतने नादान तो तुम भी नहीं।

शायर है हम शराबी नहीं,
जब तक चाय नहीं पीते,
अल्फाज पन्नों पर नहीं बरसते।

अब ये न पूछना के मैं
अलफ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ,
कुछ चुराता हूँ
दर्द दूसरों के कुछ अपनी सुनाता हूँ।

मत लगाओ बोली
अपने अल्फ़ाज़ों की
हमने लिखना शुरू किया
तो तुम नीलाम हो जाओगे

मेरे लब्जो ने आज फिर
ये कैसी शरारत की है,
नैनो से तुझको खोजा मगर
अल्फाजों से गुस्ताखी की है।

फासले रख के क्या
हासिल कर लिया तूने…
रहती तो आज भी
तू मेरे दिल में ही है…

दोस्त बेशक एक हो लेकिन ऐसा हो,
जो अल्फाज से ज्यादा
खामोशी को समझें।

मेरी शायरी का असर उन
पर हो भी तो कैसे हो ?
के मैं अहसास लिखता हूँ
वो अल्फाज़ पड़ते हैं।

बिछड़ के तुझसे
किसी दूसरे पर मरना है,
ये तजुर्बा भी
इसी जिन्दगी में करना है।

सिमट गई मेरी गजल
भी चंद अलफ़ाजो में,
जब उसने कहा
मोहब्बत तो है पर तुमसे नहीं।

जब अलफ़ाज़
पन्नो पर शोर करने लगे
समझ लेना सन्नाटे बढ़ गए हैं

अब ये न पूछना की मैं
अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ,
कुछ चुराता हूँ दर्द दुसरो के
कुछ अपनी सुनाता हूँ।

तुम्हारा साथ छूटने के बाद,
बड़े हल्के से पकड़ता हूं
अब मै सबकुछ.

दोस्तों से रिश्ता रखा करो,
जनाब तबियत मस्त रहेगी,
ये वो हकीम हैं जो,
अल्फ़ाज़ से इलाज कर दिया करते हैं

आँसू मेरे देख के क्यों
परेसान है ए दोस्त,
ये तो वो अलफ़ाज़ है
जो जुबां तक ना आ सके।

ये जो खामोश से अल्फ़ाज़ लिखे है न
पढ़ना कभी ध्यान से, चीखते कमाल है

न चाकू, न खंजर,
न तलवार कर सकेंगे,
रकीब के दिल में घाव
मेरे लिखे अल्फाज़ करेंगे।

एक दूरी बनाए रखनी थी
सबसे नजदीकियां निभाते हुए।

सभी तारीफ करते हैं
मेरे तहरीर की लेकिन,
कभी कोई नहीं सुनता
मेरे अलफ़ाज़ की सिसकियाँ।

अल्फ़ाज़ चुराने की हमें
जरुरत ही ना पड़ी कभी
तेरे बेहिसाब ख्यालों
ने बेहतासा लफ्ज दिए

अल्फ़ाज़ थक से गए हैं
दर्द बयाँ करते करते,
आज मेरी ख़ामोशी ने
अल्फ़ाज़ की जगह ली है।

मेरी बेतुकी सी बातों
पर वो हंसता बहुत था….
एक शख़्स मेरी
खुशी के लिए जिन्दगी से
लड़ता बहुत था..

हां, याद आया,
उसका आखरी अलफ़ाज़ यही था,
जी सको तो जी लेना,
लेकिन मर जाओ तो बेहतर है।

शायद इश्क अब
उतर रहा है सर से
मुझे अलफ़ाज़ नहीं
मिलते शायरी के लिए

अल्फ़ाज़ के दिवाने
तो लाखों हैं मेरे,
तलाश तो खामोशी
पढने वाले की है।

मत देख वो शख्स गुनहगार है कितना,
ये देख की तेरे साथ वफादार है कितना।

आ लिख दूँ कुछ तेरे बारे में,
मुझे पता है कि तू रोज ढूंढती है,
खुद को मेरे अल्फाजो में।

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अक्सर अल्फ़ाज़
खामोश हो जाते हैं वहा,
जहा बाते निगाहों से शुरु होती हैं।

उनके आने से आ जाती है
मेरे चेहरे पे रौनक ,,
और वो समझते हैं
कि मेरा हाल अच्छा है…

तुम्हे सोचा तो हर
सोच से खुशबू आई,
तुम्हे लिखा तो हर
अलफ़ाज़ महकता पाया।

प्यार की तरह आधे अधूरे
से अल्फाज थे हम,
तुमसे क्या जुड़े जिंदगी
पूरी तरह गजल बन गई।

बाक़ी ही क्या रहा है
तुझे माँगने के बाद
बस इक दुआ में
छूट गए हर दुआ से हम

अलफ़ाज़ चुराने की
हमें जरुरत ही ना पड़ी कभी,
तेरे वे हिसाब ख्यालों ने
वे हतासा लफ्ज दिए।

उठा के कलम कुछ यूं लिखा है उसे,
मैंने दर्द नही हर
अल्फाज़ मे लिखा है उसे।

हर रात जान बूझकर रखता हूँ
दरवाज़ा खुला…
शायद कोई लुटेरा मेरा गम भी लूट ले…

वो कहते हैं,
कैसे बयां करे हम अपना हाल-ए-दिल,
हमने कहा बस,
तीन अलफ़ाज़ काफी हैं
प्यार का इज़हार करने के लिए।

*****

यूँ ना समझ पाओगे
अल्फाज़ो को मेरे,
मेरी शायरियां समझने के लिए
दिल तुड़वाना पड़ता हैं।

वो सुना रहे थे
अपनी वफाओ के किस्से
हम पर नज़र पड़ी तो खामोश हो गए

जब अलफ़ाज़ पन्नो
पर शोर करने लगे,
समझ लेना सन्नाटे बढ़ गए हैं।

अल्फ़ाज़ उतने झूठ न
कह सके आज तक,
जितने सच आंखें एक
नज़र भर में कह गयीं।

Alfaaz Shayari In Hindi

तमाम उम्र गुजार देगें
हम राह-ए-इंतजार में,
झूठा ही सही पर
आने का एक वादा तो कर दे।

मेरे अल्फाज भी खामोश
हो जाते हैं कभी कभी,
स्याही बिखरती है मगर
एहसास रह जाते हैं कभी कभी।

माना की तुझसे दूरियां
कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है,
पर तेरे हिस्से का वक्त
आज भी तन्हा गुजरता है।

बिखरे पड़े हैं हर्फ कई,
तू समेट कर इन्हे अल्फाज़ कर दे,
जोड़ दे बिखरे पन्ने को,
मेरी जिंदगी को तू किताब कर दे।

एक साथ चार कंधे देखकर जहन में आया,
एक ही काफी था गर जीते जी मिला होता।

वो ढूंढते हैं इश्क मेरे
अल्फ़ाज़ के दायरों में,
नहीं समझते कि
खामोश मोहब्बत क्या है।

जिसे खोने का डर
हमें सबसे ज्यादा होता है,
उसे एक दिन हम खो ही देते हैं।

मैं अल्फाज़ हूँ तेरी हर बात समझता हूँ
मैं एहसास हूँ तेरे जज़्बात समझता हूँ
कब पूछा मैंने कि क्यूँ दूर हो मुझसे
मैं दिल रखता हूँ तेरे हालात समझता हूँ

दिल की बात अल्फ़ाज़ों
से किया करता हूँ,
लोगों की जुबां पे नहीं
दिलों में रहा करता हूँ।

ये जो खामोश से अलफ़ाज़ लिखे है न,
पढ़ना कभी ध्यान से चीखते कमाल है।

ये बारिश जो यूं उमड़ पड़ी है,
लगता है तुम शहर में हो.।

बिखेर अल्फ़ाज़ खुद
को समेट लेता हूँ,
कुछ इस तरह मैं
खुश हो लेता हूँ।

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Alfaaz Shayari In Hindi

चीज जिसे दिल कहते हैं,
भूल गए हैं रख कर कहीं,
एहसास जिसे प्यार कहते हैं,
भूल गए हैं वो दफना के कहीं।

दिल चीर जाते हैं…
ये अल्फाज उनके
वो जब कहते हैं
हम कभी एक नहीं हो सकते

मेरे दिल से हो या तेरे दिल से हो,
प्यार के अल्फ़ाज़ निकलने चाहिए।

अलफ़ाज़ गिरा देते हैं
जज़्बात की क़ीमत,
हर बात को
अलफ़ाज़ में तोला न करो।

अलफ़ाज़ तो बहुत हैं
मोहब्बत बयान करने के लिए,
पर जो खामोशी नहीं समझ सकते
वो अलफ़ाज़ क्या समझेगेे

यहाँ कुछ लोग पसंद
करने लगे हैं अल्फ़ाज़ मेरे,
मतलब मोहब्बत में
बर्बाद और भी हुए हैं।

रुतबा तो खामोशियों
का होता है मेरे दोस्त,
अलफ़ाज़ तो बदल जाते है
लोगों को देखकर।

बहुत मुश्किल से करता हूँ,
तेरी यादों का कारोबार,
मुनाफा कम है,
पर गुज़ारा हो ही जाता है…

बिखरे पड़े हैं हर्फ कई तू
समेट कर इन्हे अल्फाज़ कर दे
जोड़ दे बिखरे पन्ने को
मेरी जिंदगी को तू किताब कर दे

मेरा अनकहा अल्फाज
भी समझ जाती है,
एक माँ ही है जो मुझको
मुझसे बेहतर समझ पाती है।

कलम चलती है तो दिल की आवाज लिखता हूँ,
गम और जुदाई के अंदाज़-ए-बयां लिखता हूँ,
रुकते नहीं हैं मेरी आँखों से आंसू,
मैं जब भी उसकी याद में अल्फाज़ लिखता हूँ।

****

अगर आप अजनबी थे तो लगे क्यों नहीं,
और अगर मेरे थे तो मुझे मिले क्यों नहीं..

मैं ख़ामोशी तेरे मन की,
तू अनकहा अलफ़ाज़ मेरा
मैं एक उलझा लम्हा,
तू रूठा हुआ हालात मेरा

जब तक अल्फाज
मेरे महसूस ना होंगे,
मोहब्बत के परिंदे
रूह कैसे छूं पाएंगे।

मोहब्बत उसे भी बहुत है मुझसे ,,
जिंदगी सारी इस वहम ने ले ली…

यहाँ अलफ़ाज़ की तलाश में
न आया करो यारो
हम तो बस एहसास लिखते हैं,
महसूस किया कीजिये

Alfaaz Shayari In Hindi

कमाल की चीज है
ये मोहब्बत अधूरी हो सकती है,
पर कभी खत्म नही हो सकती।

खत्म हो गयी कहानी
बस कुछ अलफाज बाकी हैं
एक अधूरे इश्क की
एक मुक़्क़मल सी याद बाकी है

एक उम्र कटी दो अल्फाज में,
एक आस में, एक काश में।

खता हो जाती है जज़्बात के साथ,
प्यार उनका याद आता है, हर बात के साथ,
खता कुछ नहीं, बस प्यार किया है,
उनका प्यार याद आता है, हर अलफ़ाज़ के साथ।

मैंने नजदीकियों में खलिश देखी है,
मैंने दूरियों में पनपता इश्क़ देखा है।

हां… याद आया उसका
आखरी अलफ़ाज़ यही था
जी सको तो जी लेना,
लेकिन मर जाओ तो बेहतर है

दबे अल्फाजों को आवाज देकर,
मानो खुदको खुदसे
रिहा कर आऐ हम।

मैंने कब कहा की मिल जाए वो मुझे,
गैर ना हो जाए बस इतनी सी हसरत है।

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ना अल्फाज झूठे होते है,
ना शब्दो के अंदाज झूठे होते है,
लिख हुई हर बात में,
कुछ सच्चे जज्बात छुपे होते है।

निखरे थे वो भी इश्क़ था
बिखरे हैं ये भी इश्क़ है।

अल्फाज तो मेरे अपने है साहब,
लेकिन इन अल्फाजो के
पीछे कोई और है

चंद अल्फ़ाज़ के मोती हैं
मेरे दामन में,
है मगर तेरी मोहब्बत
का तक़ाज़ा कुछ और।

आंखे थक गई हैं
आसमान को देखते देखते,
पर वो तारा नही टूटता,
जिसे देखकर तुम्हे मांग लूं..

तमाम अल्फाज के
मायने ही बदल गए,
वह अपने चेहरे पर
सो गई किताब रखकर।

हर अल्फाज दिल का दर्द है मेरा पढ़ लिया करो,
कौन जाने कौन सी शायरी आखरी हो जाए,
ये चेहरा ये रौनक ढल ही जाएंगे एक उम्र के बाद,
हम मिलते रहेंगे ताउम्र यूँ ही अल्फ़ाज़ों के साथ।

शहर ग़ैर हो चुका है..
तुम ग़ैर हुए तो क्या हुए…!

******

ये लिखे हुए अल्फाज ही तो
मुझे मेरे होने का सबूत देते है,
वरना इस रूह को अपने
रूह की खबर कहाँ।

कुछ अल्फाज के
सिलसिले से बनती है शायरी,
और कुछ चेहरे अपने
आप में पूरी गजल होते हैं।

कभी मोहब्बत करने का दिल
करे तो ग़मों से करना मेरे दोस्त,
सुना है, जिसे जितनी मोहब्बत करो
वो उतना ही दूर चला जाता है।

लिखे हुए अल्फाज तो
सभी पढ़ते है साहब,
कोई खामोशी समझने
वाला भी चाहिए।

Alfaaz Shayari In Hindi

महसूस करोगे तो कोरे
कागज पर भी नज़र आएंगे,
हम अल्फ़ाज़ हैं
तेरे हर लफ्ज़ में ढल जाएंगे।

जिसके नसीब मे हों ज़माने की ठोकरें,
उस बदनसीब से ना सहारों की बात कर।

कैसे बयां करूं अल्फाज नहीं है,
दर्द का मेरे तुझे एहसास नहीं है,
पूछते हो मुझसे क्या दर्द है,
मुझे दर्द ये ही कि तू मेरे पास नहीं है।

मुकम्मल ना सही अधूरा ही रहने दो,
ये इश्क़ है कोई मक़सद तो नहीं है। ,

बात ये है कि लोग बदल गए हैं
ज़ुल्म ये है कि मानते भी नहीं.

खामोशी को चुना है
अब बाकी है सफर के लिए,
अब अल्फाजोंको जाया
करना हमें अच्छा नहीं लगता।

उलझने क्या बताऊं जिन्दगी की,
तेरे गले लगकर तेरी ही शिकायत करनी है।

कई हर्फ़ों से मिल कर बन रहा हूँ,
बजाए लफ़्ज़ के अल्फ़ाज़ हूँ मैं।

वो जो संजीदगी से कहना था
वो तो हम कह चुके शरारत में।

सारी रात तेरे यादों में खत लिखते रहे,
पर दर्द ही इतना था की,
अश्क बहते रहे और अल्फाज बहते रहे।

हालात कह रहे हैं
अब मुलाकात नही मुमकिन,
उम्मीद कह रही है
थोड़ा और इंतजार कर.!!

अधूरे रहते हैं
मेरे अल्फाज तेरे जिक्र के बिना,
मेरी शायरी की रूह तो बस तु है।

बहुत कमियां हैं हम में ये हमें
लोग हर रोज बताते हैं.

ये अलग बात कि
अल्फ़ाज़ हैं मेरे लेकिन,
सच तो बस ये है
कि तेरी ही सदा है मुझ में।

मीठे बोल बोलिए क्योंकि अल्फाजों में जान होती है,
इन्हीं से आरती अरदास और अजान होती है,
ये दिल के समंदर के वो मोती हैं,
जिनसे इंसान की पहचान होती है।

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एक जैसी ही दिखती थी…
माचिस की वो तीलियां…
कुछ ने दिये जलाये..
और कुछ ने घर..!!

मेरे अल्फ़ाज ही है
मेरे दर्द का मरहम,
गर मैं शायर ना
होता तो पागल होता।

तेरे सिवा कोई मेरे जज़्बात में नहीं,
आँखों में वो नमी है जो बरसात में नहीं,
पाने की कोशिश तुझे बहुत की मगर,
तू एक लकीर है जो मेरे हाथ में नहीं।

उनके अल्फाज हमारे कानों तक पहुंच तो जाएंगे,
हम तो सिर्फ दोस्त हैं उनके,
पर वो अपना दर्द हमें इस कदर सुनाते हैं,
जैसे कोई खास है उनके।

फैसला ये है की अब
आवाज नही देनी किसी को,
हम भी देखें कौन
कितना तलबगार है हमारा!!

कागज पर गम को
उतारने के अंदाज ना होते,
मर ही गये होते अगर
शायरी के अल्फाज ना होते।

दिल्लगी कर ज़िन्दगी से,
दिल लगा कर चल….
ज़िन्दगी है थोड़ी,
थोड़ा मुस्कुरा के चल..!

अल्फ़ाज़ न आवाज़
न हमराज़ न दम-साज़,
ये कैसे दोराहे पे
मैं ख़ामोश खड़ी हूँ।

अगली बार जब तुम मिलो
तो हाथ ना मिलाना
क्योंकि तुम थाम नही
पाओगे और मै छोड़ नही पाऊंगा..

****

प्यार अल्फाजों का खेल है,
प्यार करने वाला खामोशी को भी समझ जाता है,
और प्यार ना करने वाले को,
छोड़ देना ही बेहतर होता है।

“ रुतबा ” तो खामोशियों का होता है..
“ अल्फाजों ” का क्या..?
वो तो बदल जाते हैं अक्सर
“ हालात ” देखकर..!

जब सन्नाटा फ़ैल जाये तो समझ लेना,
कि अल्फ़ाज गहरे उतरे हैं दिल में।

Life में कौन आता है
ये Important नही,
आखिर तक कौन रहता है
ये Important है।

बंद रहते हैं
जो अल्फ़ाज़ किताबों में सदा,
गर्दिश-ए-वक़्त मिटा देती है
पहचान उन की।

ख़्वाब दुख देने लगे थे
हमने देखने ही छोड़ दिए

तेरे अल्फाज हमारे दिल को,
कुछ इस तरह भा जाते हैं,
तू झूठा ही हम पर प्यार दिखाएं,
हम तो उससे भी खुश हो जाते हैं।

तुझसे दूर जाने का कोई इरादा न था,
पर रुकते आखिर कैसे
जब तू ही हमारा न था!!

Alfaaz Shayari In Hindi

इतनी ठोकर देने के
लिए शुक्रिया ए-ज़िन्दगी,
चलने का ना सही,
संभलने का हुनर तो आ गया…

ख़याल क्या है
जो अल्फ़ाज़ तक न पहुँचे ‘साज़’,
जब आँख से ही न
टपका तो फिर लहू क्या है।

रफ़्तार कुछ इस कदर
तेज हुई है ज़िन्दगी की,
कि सुबह का दर्द शाम
को पुराना हो जाता है!!

तेरी बातो मे निकलते अल्फाज,
युही नही समझ लेते है हम,
उस को क्या पता प्यार करते है हम,
जिनसे उनकी खामोशी भी समझ लेते है हम।

इजाज़त तो हमने भी नहीं दी थी
मोहब्बत करने की उन्हें,
बस वो नज़र उठाते गए
और हम तबाह होते गए।

इक रात वो जहाँ गया था
बात रोक कर,
अब तक बैठा हूँ
वही वो रात रोक कर!

सफ़र में कहीं तो
दगा खा गए हम…
के जहां से चले थे,
वापस वहीं आ गए हम…

ऐसे माहौल में दवा क्या है
दुआ क्या है..?
जहां कातिल ही खुद
पूछे कि हुआ क्या है..?

मै चुप रहा और गलतफहमियां बढ़ती गईं,
उसने वो भी सुना जो मैंने कभी कहा ही नही..!

क्या बात है बड़े चुपचाप से बैठे हो,
कोई बात दिल पे लगी है या
दिल कहीं और लगा बैठे हो।

इन खाली खिड़कियों पर
बरसती उन बूंदों की भीड़,
समझ नही आता ये
शाम बरस रही है या रो रही है।

गुजर गया वह वक्त
जब आरजू थी तेरी
अब तो खुदा भी हो जाए
तो सजदा ना करूं…

इश्क़ का सफ़र अब
खत्म ही समझिए,
उनकी बातों से अब
जुदाई की महक आने लगी है।

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मेरे अपने करने लगे हैं
बगावत आजकल,
गैरों को होने लगी है
मोहब्बत मुझसे.!

मिले तो हजारों लोग थे जिन्दगी में,
जो सबसे अलग था
वो किस्मत में नही था।

सांस के साथ अकेला चल रहा था,
सांस गई तो सब साथ चल रहे थे।

सुबह होते होते चैन
मिल ही जाएगा ऐ साहिब,
अँधेरे में दर्द-ए-दिल
बहुत बढ जाता है।

कैसे कह देते हैं
लोग रात गई बात गई
यहां जमाने गुजर जाते हैं
दिल पर लगी बात को भुलाने में।

*****

जिंदगी तो सबके पास है
पर हर कोई जिंदा थोड़ी है

उड़ने दे इन परिंदों को फिजा में गालिब,
जो तेरे अपने होंगे लौट आएंगे किसी दिन।

आजकल शाम ढलते ही न
जाने रात क्यों रो देती है ,
जाने कौन सूरज था जो रातों
को भी उजाला किया करता था ।

ऐसा नही की जन्म नही लेती
इच्छाएं अब मन में,
बस उन्हे मार डालना सिख लिया है!
शुक्रिया तुम्हारा

Alfaaz Shayari In Hindi

चांद लाकर कोई नही देगा
अपने चेहरे से जगमगाया कर

सब कर लेना लम्हे जाया मत करना
गलत जगह पर जज्बे जाया मत करना।

ना रूठने का डर ना मनाने की कोशिश
दिल से उतरे हुए लोगों से शिकायत कैसी

जानता हूं कि तुझे साथ
तो रखते हैं कई,
पूछना था कि तेरा ध्यान
भी रखता है कोई।

कुछ बातें थीं
जो दिल में ही रह गईं…
डर था कि कहीं तेरी
मौजूदगी भी ना खो दूं…

इश्क़ की राह में साथ चले थे दोनों,
मै तो बर्बाद हो गया,
तुम बताओ कहां तक पहुंचे?

जीते हैं इसलिए की
हमारे कहलाएंगे वो,
मरते नही इसलिए कि
अकेले रह जाएंगे वो।

रातों में रुलाने नही आते,
इतना भी कहां
मशरूफ हो तुम दिल
को दुखाने नही आते.

बिखरें सब अंदर से हैं
संवार खुद को बाहर से रहे हैं।

औरों का बताया हुआ
रस्ता नही चुनते,
जो इश्क चुना करते हैं,
वो दुनिया नही चुनते।

खो दिया तुमको तो
हम पूछते फिरते हैं यही,
जिसकी तकदीर
बिगड़ जाए वो करता क्या है।

मुमकिन नही जनाब
मुझे पढ़ पाना हर किसी के लिए,
मै वो किताब हूं जहां
लफ़्ज़ों की जगह जज़्बात लिखे हैं।

पढ़ता रहता हूं
कहीं उनकी खबर मिल जाए,
लिखता रहता हूं ताकि
उनको मेरी खबर मिल जाए।

इश्क़ की चोट का कुछ
दिल पे असर हो तो सही
गम कम हो या ज्यादा
कुछ हो तो सही।

मुझे शोहरत कितनी भी मिले
मै हसरते नही रखता…!
मै सब भूल जाता हूं पर दिल में
नफरतें नही रखता..!!

आज बादलों को बरसने की इजाजत नहीं है,
मोहब्बत हमारी थी और हम ही को
साथ रहने की इजाजत नही है।

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काटों पर भी दोष कैसे डालें जनाब
पैर तो हमने रखा था
वो अपनी जगह पर थे।

खिड़कियां हिल रही हैं,
दिल की कोई दवा होगी….
खैर छोड़ो हमारे यहां कौन
आता है, हवा होगी ।।

एक नजर ने छेड़ा है,
अब दर्द-ए-ज़िगर क्या होगा…!
जो जख्म बना मरहम से,
उस ज़ख्म का मरहम क्या होगा..!!

और कितना लिखूं मै तेरी याद में..
कोई दम नही मेरी फरियाद में!!
रूह भी मेरी मुझसे छीन के ले गई,
मै मै ना रहा तेरे बाद में!!

ये दूरियां भी मिटा दूं
मै एक पल में मगर
कभी कदम नही चलते,
तो कभी रिश्ते नही मिलते।

अगर खिलाफ हैं तो होने दो,
जान थोड़ी हैं…
ये सब धुंआ है
कोई आसमान थोड़ी हैं…!

सुनकर जमाने की बातें,
तू अपनी अदा मत बदल…
यकीन रख अपने खुदा पर,
यूं बार बार खुदा मत बदल !!

ज़ख्म जो बाहर बाहर
दिखते नही हैं,
घाव करते हैं अंदर अंदर
और रुकते नही हैं..!

वो जो कहता था, कुछ नही होता…
हाय मुर्शद….
अब वो रोता है, चुप नही होता।