Vyanjan Sandhi Kise Kahate Hain: आज इस आर्टिकल में हम बात करने वाले हैं व्यंजन संधि के बारे में। इस आर्टिकल में हम व्यंजन संधि से संबंधित सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्नों को भी शामिल करेंगे तथा व्यंजन संधि के प्रकार एवं उदाहरण को भी समझेंगे।
व्यंजन संधि किसे कहते है?
व्यंजन संधि की परिभाषा: व्यंजन संधि के अंदर जब भी कोई व्यंजन और स्वर अथवा व्यंजन और व्यंजन के मिलने से जो परिवर्तन दिखाई देता है, उसे व्यंजन संधि कहते है।
व्यंजन संधि की दूसरी परिभाषा: जब किसी भी दो वर्णों के अंतर्गत संधि की जाती है तो उनमें से प्रथम वर्ण व्यंजन और दूसरा वर्ण स्वर हो तो उसे व्यंजन संधि कहा जाता हैं।
व्यंजन संधि के उदाहरण (Vyanjan Sandhi ke Udaharan)
- जगत् + आनन्द = जगदानन्द
- सम् + लग्न = संलग्न
व्यंजन संधि के नियम
व्यंजन संधि के निम्नलिखित नियम होते हैं:
नियम 1
जब किसी वर्ग के पहले वर्ण (क्, च्, ट्, त्, प्) का मिलन प्रथम वर्ण का मेल किसी स्वर से होता है तो उस वर्ग का प्रथम वर्ण अपने ही वर्ग के ‘तृतीय वर्ण’ में बदल जाता है।
उदाहरण
- वाक् + ईश = वागीश
- षट् + आनन = षडानन
- सत् + आशय = सदाशय
- अप् + ज = अब्ज
नियम 2
जब किसी वर्ग के प्रथम वर्ण का मेल किसी ‘अनुनासिक वर्ण’ से होता है तो उस वर्ग का प्रथम वर्ग के स्थान पर पांचवा वर्ण हो जाएगा।
जैसे
- सम् + ख्या = संख्या
- सम् + गम = संगम
- शम् + कर = शंकर
नियम 3
जब त अथवा द का मेल च अथवा छ वर्ण से होता है तो उनके स्थान पर उस वर्ग का तृतीय वर्ण आ जाएगा।
जैसे
- सम् + वत् = संवत्
- तत् + टीका = तट्टीका
नियम 4
जब त अथवा द के पश्चात ‘ह’ वर्ण आने पर त ‘द’ में तथा ह ‘ध’ में बदल जाता है।
जैसे
- उत् + हरण = उद्धरण
नियम 5
यदि कहीं पर ‘म’ वर्ण के पश्चात आने वाले वर्ण के स्थान पर उसी वर्ग का पांचवा वर्ण आता है।
जैसे
- सम् + हार = संहार
नियम 6
यदि किसी स्वर के पश्चात ‘ह’ आए तो उसके स्थान पर “च्छ” हो जाता है।
जैसे
स्व + छंद = स्वच्छंद
नियम 7
यदि ‘म’ के पश्चात ‘क’ से ‘म’ तक के वर्णों के अतिरिक्त अन्य कोई वर्ण आए तो ‘म’ अनुस्वार में बदल जाता है।
जैसे
- किम् + चित = किंचित
नियम 8
जब ‘अ’ तथा ‘आ’ स्वर के अलावा अन्य किसी स्वर के पश्चात स आए तो स के स्थान पर ‘प’ हो जाता है।
जैसे
- वि + सर्ग = विसर्ग
नियम 9
ऋ, रू अथवा थ्रू के बाद न अथवा इनके बीच में चाहे स्वर, क वर्ग, प वर्ग, अनुश्वार, य, व या ह आये तो न्, ण मैं बदल जाता है।
जैसे
- प्र + मान = प्रमाण
नियम 10
योगिक शब्दों से पूर्व यदि शब्द के अंत में ‘न’ हो तो संधि में इसका लोप हो जाता है।
जैसे
- राजन + आज्ञा = राजाज्ञा
व्यंजन संधि के अन्य उदाहरण
- दिक्+गज=दिग्गज
- वाक्+जाल=वाग्जाल
- सत्+जन=सज्जन
- उत्+ज्वल= उज्वल
- जगत्+आनन्द =जगदानन्द
- उत्+हार=उद्धार
- षट्+आनन =गजानन
- जगत्+नाथ=जगन्नाथ
- तत्+लीन=तल्लीन
- सम्+गम=संगम
- चित्+मय=चिन्मयानंद
- वाक्+दान=वाग्दान
- उत्+घाटन=उद्घाटन
- उत्+नति=उन्नति
- तृष्+ना=तृष्णा
- सम्+भावना=सम्भावना
निष्कर्ष
उम्मीद है आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और व्यंजन संधि से संबंधित सभी प्रश्नों के उत्तर आपको इस आर्टिकल के माध्यम से मिले होंगे। यदि आपका इससे जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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