केवल दो पंक्तियों में अपने मन की भावनाओं को व्यक्त करने का सबसे अच्छा तरीका दो लाइन शायरी है। इन छोटी शायरियों के गहरे अर्थ हैं, जो आपके दिल को लेंगे।
अगर आप भी 2 लाइन शायरी को इंटरनेट पर ढूंढ रहे है तो आप बिलकुल सही जगह पर है। इस आर्टिकल में हम आपके लिए 2 लाइन शायरी का सबसे बेहतरीन कलेक्शन आपके लिए लेकर आएं है।
आप इन में से अपने पसंद की हिंदी शायरी दो लाइन को चुनकर इसे सोशल मीडिया जैसे व्हाट्सएप, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर आसानी से शेयर कर सकते है और अपने दिल की बात अपनों से साथ बयां कर सकते है।
तू मेरे साथ होगा तो क्या कहेगा जमाना, मेरी यही एक तमन्ना और तेरा यही एक बहाना !
भरे बाजार से अक्सर मैं खाली हाथ आया हूँ, कभी ख्वाहिश नहीं होती कभी पैसे नहीं होते।
बेमिशाल है यूँ आपका शायरी में मुझे लिखना, वरना तो सबने मुझे सदा… बेजुबां ही माना है।
अगर बिकने पे आ जाओ तो घट जाते हैं दाम अक्सर, न बिकने का इरादा हो तो क़ीमत और बढ़ती है।
एक अर्शे बाद उनको हमारी याद आयी, दिल खुश तो हुआ न जाने क्यों आँख भर आयी।
“आँखो की “चमक” पलकों की “शान” हो तुम, चेहरे की “हसी” लबों की “मुस्कान” हो तुम, “धड़कता” है दिल बस तुम्हारे “इन्तहां” मे, फिर कैसे ना कहूँ… मेरी “जान” हो तुम” “I Love you Jaan”
रोज़ रोज़ गिर कर भी मुकम्मल खड़ा हूँ, ऐ मुश्किलों देखो मैं तुमसे कितना बड़ा हूँ।
कोशिश बहुत की के राज-ए-मोहब्बत बयां न हो, पर मुमकिन कहां है के आग लगे और धुंआ न हो..!!
तलब करें तो मैं अपनी आँखें भी उन्हें दे दूँ, मगर ये लोग मेरी आँखों के ख्वाब माँगते हैं।
दुनिया फ़रेब करके हुनरमंद हो गई, हम ऐतबार करके गुनाहगार हो गए।
गिरना था जो आपको तो सौ मक़ाम थे, ये क्या किया कि निगाहों से गिर गए।
तुझे अगर मेरी जिंदगी में शामिल होना है, तो अपनाओ मुझे मेरी हर कमी के साथ।
हिंदी शायरी दो लाइन
बिगाड़ के रख देती है ज़िन्दगी का चेहरा, ए-मोहब्बत… तू बड़ी तेजाबी चीज़ है।
भूल जाऊं मैं तुम्हे, लोग मुझसे ये आसानी से कह देते हैं, शायद खेल समझते हैं इश्क़ को वो, इसलिए इसे मुंह ज़ुबानी कह देते हैं।
मैं एक शाम जो रोशन दीया उठा लाया, तमाम शहर कहीं से हवा उठा लाया।
अगर बिकने पे आ जाओ तो घट जाते हैं दाम अक्सर, न बिकने का इरादा हो तो क़ीमत और बढ़ती है।
हमें तेरे काफिले में चलने का कोई शौक़ नहीं, मगर तेरे साथ कोई और चले, हमें मंजूर नहीं।
“मेरी हर “ख़ुशी” हर “बात” तेरी हैं, सांसों में छुपी ये “हयात” तेरी हैं, दो “पल” भी नहीं रह सकते… तेरे बिन, “धड़कनो” की धड़कती हर “आवाज़” तेरी हैं”
“हर किसी के “चेहरे” में वो बात नहीं होती, थोड़े से “अँधेरे” में… “रात” नहीं होती, इस जहां में कुछ लोग बहुत “प्यारे” होते है, क्या करे आज-कल उन्ही से “मुलाकात” नहीं होती है”
“तेरी “खूबसूरत” आँखों में… “आँसू” अच्छे नहीं लगते, चाहे जितना भी “रोये” लेकिन… कभी “सच्चे” नहीं लगते”
क्या बताये… कैसे कैसे मिल जाते हैं लोग , रहमदिल क्या हुए रोज छल जाते हैं लोग।
तुम्हे पाकर भी खुश न था, तुम्हे खोने का भी गम है तेरे जाने के बाद भी, ‘तेरा’ होने का गम है।
हुआ सवेरा तो हम उनके नाम तक भूल गए जो बुझ गए रात में चरागों की लौ बढ़ाते हुए।
Two Line Shayari in Hindi
मेरी सांसों में… बस तुम्हारा नाम बसा है, खुश है दिल मेरा तो ये एहसान भी तुम्हारा है।
चटख़ रहा है जो… रह रह के मेरे सीने में, वो मुझ में कौन है जो टूट जाना चाहता है।
“उन हसीं पालो को याद कर रहे थे, आसमान से आपकी “बात” कर रहे थे, दिल को “सुकून” मिला जब “हवाओ” ने बताया, आप भी हमें “याद” कर रहे थे”
नजरों में दोस्तों की जो इतना खराब है, उसका कसूर ये है कि वो कामयाब है।
“दिल अब बस तुम्हे ही “चाहता” है, तेरी “यादो” में… ये “खो” जाता है, लग गयी है इसमें… “इश्क” की आग ऐसी कि, तुम्हे “चूमने” को “दिल” चाहता है”
“कितना “खूबसूरत” चाँद सा चेहरा है, उसपे… “शबाब” का रंग गहरा है, खुदा को “यकीं” न था “वफ़ा” पे, तभी तो एक “चाँद” पे हज़ारो “तारों” का पहरा है”
“तुम्हे देखने का “जुनून” और भी होता है, जब तुम्हारे “मासूम चेहरे” पर “ज़ुल्फ़ों” का पहरा होता है”
सितम तो ये है कि ज़ालिम सुखन-सनास नहीं, वो एक शख्स जो शायर बना गया मुझको।
two line shayari in hindi
दिल से दिल मिले या न मिले हाथ मिलाओ, हमको ये सलीका भी बड़ी देर से आया।
ना ऊँच नीच में रहूँ…. ना जात पात में रहूँ, तू दिल में रहे प्रभु और में औक़ात में रहूँ।
हर वक़्त नया चेहरा… हर वक़्त नया वजूद, आदमी ने आईने को, हैरत में डाल दिया है।
सोचा नही था जिंदगी में ऐसे भी फसाने होंगे, रोना भी जरूरी होगा और आसूं भी छुपाने होंगे।
शेर-ओ-सुखन क्या कोई बच्चों का खेल है? जल जातीं हैं जवानियाँ लफ़्ज़ों की आग में।
मैं क्या बताऊं कैसी परेशानियों में हूं, काग़ज़ की एक नाव हूं और पानियों में हूं.!
मसला ये नहीं है कि दर्द कितना है, मुद्दा ये है की परवाह किसको है…!
तबाह होकर भी तबाही दिखती नही, ये इश्क़ है इसकी दवा कहीं बिकती नहीं।
कर के बेचैन मुझे फिर मेरा हाल ना पूछा, उसने नजरें फेर ली मैने भी सवाल ना पूछा !!
चेहरे पर सुकून तो बस दिखाने भर का है, वरना बेचैन तो हर शख्स ज़माने भर का है।
“मोहब्बत का मतलब… “इंतज़ार” नहीं होता, हर किसी को देखना… “प्यार” नहीं होता, यूँ तो मिलता है… रोज “मोहब्बत-ए-पैगाम”, प्यार “जिंदगी” है… जो “हर-बार” नहीं होता”
“इतना “खूबसूरत” चेहरा है तुम्हारा, हर दिल “दिवाना” है तुम्हारा, लोग कहते है… “चाँद” का टुकड़ा हो तुम, लेकिन हम कहते है… “चाँद” टुकड़ा है तुम्हारा”
“तरसती “नज़रों” की “प्यास” हो तुम, “तड़पते दिल” की… “आस” हो तुम, खत्म होती “ज़िंदगी” की साँस हो तुम, फिर कैसे ना कहूँ… मेरे लिए कुछ “खास” हो तुम”
दो शब्द तसल्ली के नहीं मिलते इस शहर में, लोग दिल में भी दिमाग लिए फिरते हैं।
लोग तलाशते है कि कोई… फिकरमंद हो, वरना कौन ठीक होता है यूँ हाल पूछने से
फूल बनने की खुशी में मुस्कुरायी थी कली, क्या खबर थी ये तबस्सुम मौत का पैगाम है
बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यों नही जाता, जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नही जाता।
आप की खा़तिर अगर हम लूट भी लें आसमाँ, क्या मिलेगा चंद चमकीले से शीशे तोड़ के
जिसके लफ़्ज़ों में हमे अपना अक्स मिलता है, बड़े नसीबों से ऐसा कोई शख़्स मिलता है।
बंदगी की और मोहब्बत को खुदा लिखा, बस यही वजह थी कि वो शख्स मुझसे जुदा मिला।।
हाल जब भी पूछो खैरियत बताते हो, लगता है मोहब्बत छोड़ दी तुमने।
पांवों के लड़खड़ाने पे तो सबकी है नज़र, सर पे कितना बोझ है कोई देखता नहीं।
कौन हूँ मैं…. ऐ जिंदगी तू ही बता, थक गया हूँ मैं खुद का पता ढूँढते ढूंढ़ते।
हजारों ख्वाहिश ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।।
मेरा झुकना और तेरा खुदा हो जाना, यार अच्छा नहीं इतना बड़ा हो जाना।
मैंने देखा है बहारों में चमन को जलते, है कोई ख्वाब की ताबीर बताने वाला?
चूर चूर हो गया सरफिरी हवाओं का सारा ग़ुरूर, इक दिया खुली छत पर रातभर जलता रहा।
“जादू “सीख” रहा हु, एक “शहजादी” को कब्जे में करना है”
जिद में आकर उनसे ताल्लुक तोड़ लिया हमने, अब सुकून उनको नहीं और बेकरार हम भी हैं।
“आज आये है इस जहाँ में “महोब्बत” ही करले, क्या पता “कल” हम किसी और के न हो जाये”
सितम ये है कि हमारी सफों में शामिल हैं, चराग बुझते ही खेमा बदलने वाले लोग।
वो साथ थे तो एक लफ़्ज़ ना निकला लबों से, दूर क्या हुए… कलम ने क़हर मचा दिया।
गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले।।
तेरी खामोशी, अगर तेरी मज़बूरी है, तो रहने दे इश्क़ कौन सा जरुरी है।
do line ki shayari
एक रास्ता ये भी है मंजिलों को पाने का, सीख लो तुम भी हुनर हाँ में हाँ मिलाने का।
निगाहें नाज करती है फलक के आशियाने से, रूठ जाता है खुदा भी किसी का दिल दुखाने से।
धीरे धीरे ढलते सूरज का सफ़र मेरा भी है शाम बतलाती है मुझ को एक घर मेरा भी है।।
अगर एहसास बयां हो जाते लफ्जों से, तो फिर कौन करता तारीफ खामोशियों की।
जब तक था दम में दम न दबे आसमाँ से हम, जब दम निकल गया तो ज़मीं ने दबा लिया।
भीड़ सी हो गई थी… उसके दिल मे, हुआ कुछ यूं कि मैं फिर निकल आया।
बीच राह में कुछ इस अंदाज़ से छोड़ा उसने हाथ मेरा, कोई अब सहारा भी दे तो घबरा जाता हूं मैं!
अहमियत यहाँ हैसियत को मिलती है, हम है कि अपने जज्बात लिए फिरते हैं।
“तुझे “पलकों” पर बिठाने को जी करता है, तेरी “बाहों” से लिपट जाने को “दिल” करता है, ख़ूबसूरती की “इन्तहा” हैं तू, तुझे अपनी “ज़िन्दगी” बनाने को जी करता हैं”
“अंदाज-ऐ-प्यार” तुम्हारी एक अदा है,. दूर हो हमसे… तुम्हारी “खता” है, दिल में बसी है… “तस्वीर” तुम्हारी, जिसके नीचे “ I Love You”’ लिखा है..
ज़ख़्म खरीद लाया हूं बाज़ार-ए-इश्क़ से, दिल ज़िद कर रहा था मुझे इश्क चाहिए।
रास्ता सुनसान था तो मुड़ के देखा क्यूं नही मुझ को तन्हा देखकर उसने पुकारा क्यों नही
पसंद आ गए हैं कुछ लोगों को हम, कुछ लोगों को ये बात पसंद नहीं आयी।
मोम के पास कभी आग को लाकर देखूँ, सोचता हूँ कि तुझे हाथ लगा कर देखूँ।
अपनी मर्जी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं
“तुम्हें जीत लू… ये “जिद्द” है मेरी, और तुम पर सब कुछ “हार” जाऊँ… ये भी जिद्द है मेरी”
सुना है अब भी मेरे हाथ की लकीरों में, नजूमियों को मुक़द्दर दिखाई देता है।
खूब हौसला बढ़ाया आँधियों ने धूल का, मगर दो बूँद बारिश ने औकात बता दी।
चलो आज अपना हुनर आज़माते हैं, तुम तीर आजमाओ हम अपना जिगर आज़माते हैं।
दुआ करो की मै उसके लिए दुआ हो जाऊं, वो एक शख्स जो दिल को दुआ सा लगता है।।
मौजों से खेलना तो सागर का शौक है, लगती है कितनी चोट किनारों से पूछिये।
जो मुँह तक उड़ रही थी अब लिपटी है पाँव से, बारिश क्या हुई मिट्टी की फितरत बदल गई
जो चाहती दुनिया है वो मुझ से नही होगा समझौता कोई ख़्वाब के बदले नही होगा।।
निकल आते हैं आँसू गर जरा सी चूक हो जाये, किसी की आँख में काजल लगाना खेल थोड़े ही है।
जिसको आज मुझमें हज़ारों गलतियां नज़र आती हैं, कभी उसी ने कहा था तुम जैसे भी हो… मेरे हो।
जिस्म खुश, रूह उदास लिए फिरते हो ये किस किस्म की मोहब्बत किए फिरते हो।
नींद चुराने वाले पूछते हैं सोते क्यों नही, इतनी ही फिक्र है तो फिर हमारे होते क्यों नही।
“मुस्कुराना तो… हर “लड़की” की अदा है, मुस्कुराना तो… हर “लड़की” की अदा है, उसे जो “मोहब्बत” समझे… वो सबसे बड़ा “गधा” है”
“दिल की “हसरत” ज़ुबा पे आने लगी, तूने देखा और “ज़िन्दगी” मुस्कुराने लगी, ये प्यार की “इन्तहा” थी… या “दीवानगी” मेरी कि, हर “सूरत” में सूरत तेरी “नज़र” आने लगी”
“धोखा मिला जब भी “प्यार” में, ज़िंदगी में “मायूसी” सी छा गयी, सोचा था… “छोड़ देंगे” इस राह को, कमबख्त फिर एक “नए-नंबर” से “मिस कॉल” आ गयी”
फासले इस कदर हैं आजकल रिश्तों में, जैसे कोई घर खरीदा हो किश्तों में।
कद बढ़ा नहीं करते, ऐड़ियां उठाने से ऊंचाईया तो मिलती हैं, सर झुकाने से।
मिले जो मुफ्त में उस चीज की कीमत नहीं होती, हुई है कद्र हर इक साँस की जब वक़्त आया है।
वो पत्थर कहाँ मिलता है बताना जरा ए दोस्त, जिसे लोग दिल पर रखकर एक दूसरे को भूल जाते हैं।
खूबसूरत दो लाइन शायरी
मुझे फुर्सत कहां, कि मैं मौसम सुहाना देखूं… तेरी यादों से निकलूं, तब तो जमाना देखूं..!
खुद को भी कभी महसूस कर लिया करो, कुछ रौनकें खुद से भी हुआ करती हैं।
सूखे हुए शजर को पानी मिला नहीं, आज सब्ज़ हुआ आँगन तो बारिश होने लगी।
ज़िन्दगी यूँ ही बहुत कम है, मोहब्बत के लिए, फिर एक दूसरे से रूठकर वक़्त गँवाने की जरूरत क्या है।
चेहरे पर खुशी छा जाती है आंखों में सुरूर आ जाता है जब तुम मुझे अपना कहते हो अपने पे गुरुर आ जाता है
ये कशमकश है कैसे बसर ज़िन्दगी करें, पैरों को काट फेंके या चादर बड़ी करें।
न रुकी वक़्त की गर्दिश न ज़माना बदला, पेड़ सूखा तो परिंदों ने ठिकाना बदला।
तेज़-रफ़्तार हवाओं को ये एहसास कहाँ, शाख़ से टूटेगा पत्ता तो किधर जाएगा।
चुपके चुपके रात दिन आसूं बहाना याद है हम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है।।
हम तो शायर हैं सियासत नहीं आती हमको, हम से मुँह देखकर लहजा नहीं बदला जाता।
वही ज़मीन है वही आसमान वही हम तुम, सवाल यह है ज़माना बदल गया कैसे।
मोहब्बत का ख़ुमार उतरा तो, ये एहसास हुआ, जिसे मन्ज़िल समझते थे, वो तो बेमक़सद रास्ता निकला।
मुस्कुराहट की बनावट में छुपाए हमने गम, दिखावट की हंसी से दुनिया के सामने खड़े हैं हम
इस दौरे सियासत का इतना सा फ़साना है बस्ती भी जलानी है मातम भी मनाना है।
कभी तो अपने अन्दर भी कमियां ढूढ़े, ज़माना मेरे गिरेबान में झाँकता क्यूँ हैं।
खुशनसीब हैं बिखरे हुए यह ताश के पत्ते, बिखरने के बाद उठाने वाला तो कोई है इनको।
ये दिल डूबेगा समंदर में किसी के, हम भी तो लिखे होंगे मुकद्दर में किसी के
अक्स-ए-ख़ुशबू हूँ बिखरने से न रोके कोई, और बिखर जाऊँ तो मुझको न समेटे कोई।
अगर तुम समझ पाते मेरी चाहत की इन्तहा, तो हम तुमसे नही तुम हमसे मोहब्बत करते।
मै तो आबाद ही होता हूं उजड़ने के लिए, देखें इस बार कौन मिले बिछड़ने के लिए,,
ज़िंदा रहने की अब ये तरकीब निकाली है, ज़िंदा होने की खबर सबसे छुपा ली है।
तारीफ़ अपने आप की करना फ़िज़ूल है, ख़ुशबू खुद बता देती है कौन सा फ़ूल है।
ख़ूब पर्दा है कि चिलमन से लगे बैठे हैं, साफ़ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं।
अब नही होती किसी से भी परेशानी मुझे कितनी मुश्किल से हुई हासिल ये आसानी मुझे।।
बंद मुट्ठी से जो उड़ जाती है क़िस्मत की परी, इस हथेली में कोई छेद पुराना होगा।
खुदा या नाखुदा अब जिसको चाहो बख्श दो इज्जत, हकीकत में तो कश्ती इत्तिफाकन बच गई अपनी।
करते हैं मेरी कमियों को बयान ऐसे, लोग अपने किरदार में फ़रिश्ते हों जैसे।
वो दिन गए कि मोहब्बत थी जान की बाज़ी, किसी से अब कोई बिछड़े तो मर नहीं जाता।
कभी उसे पढ़ा तो कभी उसे याद किया ये जिंदगी तू देख कैसे इक प्यार की खातिर खुद को बर्बाद किया..
शायद कोई तराश कर मेरी किस्मत संवार दे, यह सोच कर हम उम्र भर पत्थर बने रहे।
दाम अक्सर ऊंचे होते हैं ख़्वाहिशों के, मगर खुशियां हरगिज़ महंगी नहीं होती।
रंग देखने को तब मिलते हैं बड़े नसीब से, जब गुजरना पड़ता है किसी के बेहद करीब से।।
हर इक रात में सौ बार जला और बुझा हूँ, मुफ़्लिस का दिया हूँ मगर आँधी से लड़ा हूँ।
होंटों को रोज़ इक नए दरिया की आरज़ू, ले जाएगी ये प्यास की आवारगी कहाँ।
यहां सब खामोश हैं कोई आवाज नहीं करता, सच बोलकर कोई, किसी को नाराज नहीं करता
वो पहले सा कहीं मुझको कोई मंज़र नहीं लगता, यहाँ लोगों को देखो अब ख़ुदा का डर नहीं लगता।
कहता है तजुर्बा दिल से कि मोहब्बत से किनारा कर लूं, मगर दिल कहता है कि ये तजुर्बा दोबारा कर लूं।
कभी देर रात बात करते करते अचानक सो जाते थे आज उन्ही बातों को याद करते रात को जागा करते हैं।
करम ही करना है तुझको तो ये करम कर दे, मेरे खुदा तू मेरी ख्वाहिशों को कम कर दे।
क्या बताऊं कैसे ख़ुद को दर-ब-दर मैंने किया, उम्र भर किस-किस के हिस्से का सफ़र मैंने किया।
हमें उम्मीद है आपको हमारा यह दो लाइन शायरी कलेक्शन पसंद आया होगा। आप उसे सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ शेयर जरुर करें। आर्टिकल के सम्बंधित कोई भी सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरुर बताएं।
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।