दो लाइन शायरी

Two Line Shayari in Hindi

Two Line Shayari in Hindi
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Two Line Shayari in Hindi |दो लाइन शायरी

तू मेरे साथ होगा तो
क्या कहेगा जमाना,
मेरी यही एक तमन्ना
और तेरा यही एक बहाना !

भरे बाजार से अक्सर मैं
खाली हाथ आया हूँ,
कभी ख्वाहिश नहीं होती
कभी पैसे नहीं होते।

गिरना था जो आपको तो सौ मक़ाम थे,
ये क्या किया कि निगाहों से गिर गए।

बेमिशाल है
यूँ आपका शायरी में मुझे लिखना,
वरना तो सबने मुझे सदा…
बेजुबां ही माना है।

रोज़ रोज़ गिर कर भी मुकम्मल खड़ा हूँ,
ऐ मुश्किलों देखो मैं तुमसे कितना बड़ा हूँ।

कोशिश बहुत की के
राज-ए-मोहब्बत बयां न हो,
पर मुमकिन कहां है
के आग लगे और धुंआ न हो..!!

तलब करें तो मैं
अपनी आँखें भी उन्हें दे दूँ,
मगर ये लोग मेरी
आँखों के ख्वाब माँगते हैं।

दुनिया फ़रेब करके हुनरमंद हो गई,
हम ऐतबार करके गुनाहगार हो गए।

तुझे अगर मेरी जिंदगी में शामिल होना है,
तो अपनाओ मुझे मेरी हर कमी के साथ।

बिगाड़ के रख देती है
ज़िन्दगी का चेहरा,
ए-मोहब्बत…
तू बड़ी तेजाबी चीज़ है।

भूल जाऊं मैं तुम्हे,
लोग मुझसे ये आसानी से कह देते हैं,
शायद खेल समझते हैं इश्क़ को वो,
इसलिए इसे मुंह ज़ुबानी कह देते हैं।

मैं एक शाम जो रोशन दीया उठा लाया,
तमाम शहर कहीं से हवा उठा लाया।

अगर बिकने पे आ
जाओ तो घट जाते हैं दाम अक्सर,
न बिकने का इरादा हो
तो क़ीमत और बढ़ती है।

हमें तेरे काफिले में
चलने का कोई शौक़ नहीं,
मगर तेरे साथ कोई
और चले, हमें मंजूर नहीं।

*****

क्या बताये… कैसे कैसे मिल जाते हैं लोग ,
रहमदिल क्या हुए रोज छल जाते हैं लोग।

तुम्हे पाकर भी खुश न था,
तुम्हे खोने का भी गम है
तेरे जाने के बाद भी,
‘तेरा’ होने का गम है।

नजरों में दोस्तों की जो इतना खराब है,
उसका कसूर ये है कि वो कामयाब है।

हुआ सवेरा तो हम
उनके नाम तक भूल गए
जो बुझ गए रात में
चरागों की लौ बढ़ाते हुए।

Two Line Shayari in Hindi

मेरी सांसों में…
बस तुम्हारा नाम बसा है,
खुश है दिल मेरा तो ये
एहसान भी तुम्हारा है।

चटख़ रहा है जो…
रह रह के मेरे सीने में,
वो मुझ में कौन है
जो टूट जाना चाहता है।

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मै क्या बताऊं कैसी परेशानियों में हूं,
काग़ज़ की एक नाव हूं और पानियों में हूं.!

सितम तो ये है
कि ज़ालिम सुखन-सनास नहीं,
वो एक शख्स जो
शायर बना गया मुझको।

दिल से दिल मिले या
न मिले हाथ मिलाओ,
हमको ये सलीका
भी बड़ी देर से आया।

ना ऊँच नीच में रहूँ….
ना जात पात में रहूँ,
तू दिल में रहे प्रभु
और में औक़ात में रहूँ।

हर वक़्त नया चेहरा…
हर वक़्त नया वजूद,
आदमी ने आईने को,
हैरत में डाल दिया है।

सोचा नही था जिंदगी में
ऐसे भी फसाने होंगे,
रोना भी जरूरी होगा
और आसूं भी छुपाने होंगे।

शेर-ओ-सुखन क्या कोई बच्चों का खेल है?
जल जातीं हैं जवानियाँ लफ़्ज़ों की आग में।

मसला ये नहीं है कि दर्द कितना है,
मुद्दा ये है की परवाह किसको है…!

तबाह होकर भी तबाही दिखती नही,
ये इश्क़ है इसकी दवा कहीं बिकती नहीं।

कर के बेचैन मुझे फिर मेरा हाल ना पूछा,
उसने नजरें फेर ली मैने भी सवाल ना पूछा !!

चेहरे पर सुकून तो बस दिखाने भर का है,
वरना बेचैन तो हर शख्स ज़माने भर का है।

****

दो शब्द तसल्ली के
नहीं मिलते इस शहर में,
लोग दिल में भी
दिमाग लिए फिरते हैं।

लोग तलाशते है
कि कोई… फिकरमंद हो,
वरना कौन ठीक होता है
यूँ हाल पूछने से

बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यों नही जाता,
जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नही जाता।

फूल बनने की खुशी में मुस्कुरायी थी कली,
क्या खबर थी ये तबस्सुम मौत का पैगाम है

आप की खा़तिर अगर
हम लूट भी लें आसमाँ,
क्या मिलेगा चंद
चमकीले से शीशे तोड़ के

जिसके लफ़्ज़ों में
हमे अपना अक्स मिलता है,
बड़े नसीबों से ऐसा
कोई शख़्स मिलता है।

Two Line Shayari in Hindi

बंदगी की और
मोहब्बत को खुदा लिखा,
बस यही वजह थी
कि वो शख्स मुझसे जुदा मिला।।

हाल जब भी पूछो खैरियत बताते हो,
लगता है मोहब्बत छोड़ दी तुमने।

पांवों के लड़खड़ाने पे तो सबकी है नज़र,
सर पे कितना बोझ है कोई देखता नहीं।

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कौन हूँ मैं….
ऐ जिंदगी तू ही बता,
थक गया हूँ
मैं खुद का पता ढूँढते ढूंढ़ते।

हजारों ख्वाहिश ऐसी कि
हर ख्वाहिश पे दम निकले,
बहुत निकले मिरे अरमान
लेकिन फिर भी कम निकले।।

मेरा झुकना और तेरा खुदा हो जाना,
यार अच्छा नहीं इतना बड़ा हो जाना।

सितम ये है
कि हमारी सफों में शामिल हैं,
चराग बुझते ही
खेमा बदलने वाले लोग।

वो साथ थे तो एक
लफ़्ज़ ना निकला लबों से,
दूर क्या हुए…
कलम ने क़हर मचा दिया।

गुलों में रंग भरे
बाद-ए-नौ-बहार चले
चले भी आओ कि
गुलशन का कारोबार चले।।

तेरी खामोशी, अगर तेरी मज़बूरी है,
तो रहने दे इश्क़ कौन सा जरुरी है।

एक रास्ता ये भी है
मंजिलों को पाने का,
सीख लो तुम भी
हुनर हाँ में हाँ मिलाने का।

निगाहें नाज करती है
फलक के आशियाने से,
रूठ जाता है खुदा भी
किसी का दिल दुखाने से।

धीरे धीरे ढलते सूरज
का सफ़र मेरा भी है
शाम बतलाती है
मुझ को एक घर मेरा भी है।।

अगर एहसास बयां हो जाते लफ्जों से,
तो फिर कौन करता तारीफ खामोशियों की।

जब तक था दम में
दम न दबे आसमाँ से हम,
जब दम निकल गया
तो ज़मीं ने दबा लिया।

भीड़ सी हो गई थी…
उसके दिल मे,
हुआ कुछ यूं कि
मैं फिर निकल आया।

बीच राह में कुछ इस
अंदाज़ से छोड़ा उसने हाथ मेरा,
कोई अब सहारा भी दे
तो घबरा जाता हूं मैं!

अहमियत यहाँ हैसियत को मिलती है,
हम है कि अपने जज्बात लिए फिरते हैं।

ज़ख़्म खरीद लाया हूं बाज़ार-ए-इश्क़ से,
दिल ज़िद कर रहा था मुझे इश्क चाहिए।

रास्ता सुनसान था
तो मुड़ के देखा क्यूं नही
मुझ को तन्हा देखकर
उसने पुकारा क्यों नही

पसंद आ गए हैं
कुछ लोगों को हम,
कुछ लोगों को ये
बात पसंद नहीं आयी।

मोम के पास कभी आग को लाकर देखूँ,
सोचता हूँ कि तुझे हाथ लगा कर देखूँ।

अपनी मर्जी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं
रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं

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****

सुना है अब भी मेरे हाथ की लकीरों में,
नजूमियों को मुक़द्दर दिखाई देता है।

खूब हौसला बढ़ाया आँधियों ने धूल का,
मगर दो बूँद बारिश ने औकात बता दी।

चलो आज अपना हुनर आज़माते हैं,
तुम तीर आजमाओ हम
अपना जिगर आज़माते हैं।

दुआ करो की मै
उसके लिए दुआ हो जाऊं,
वो एक शख्स जो
दिल को दुआ सा लगता है।।

मौजों से खेलना तो सागर का शौक है,
लगती है कितनी चोट किनारों से पूछिये।

जो मुँह तक उड़ रही थी
अब लिपटी है पाँव से,
बारिश क्या हुई मिट्टी
की फितरत बदल गई

जो चाहती दुनिया है
वो मुझ से नही होगा
समझौता कोई
ख़्वाब के बदले नही होगा।।

निकल आते हैं
आँसू गर जरा सी चूक हो जाये,
किसी की आँख में
काजल लगाना खेल थोड़े ही है।

जिसको आज मुझमें
हज़ारों गलतियां नज़र आती हैं,
कभी उसी ने कहा था
तुम जैसे भी हो… मेरे हो।

जिस्म खुश, रूह उदास लिए फिरते हो
ये किस किस्म की मोहब्बत किए फिरते हो।

Two Line Shayari in Hindi

फासले इस कदर हैं आजकल रिश्तों में,
जैसे कोई घर खरीदा हो किश्तों में।

मिले जो मुफ्त में उस
चीज की कीमत नहीं होती,
हुई है कद्र हर इक
साँस की जब वक़्त आया है।

वो पत्थर कहाँ मिलता है
बताना जरा ए दोस्त,
जिसे लोग दिल पर
रखकर एक दूसरे को भूल जाते हैं।

मुझे फुर्सत कहां, कि मैं मौसम सुहाना देखूं…
तेरी यादों से निकलूं, तब तो जमाना देखूं..!

खुद को भी कभी महसूस कर लिया करो,
कुछ रौनकें खुद से भी हुआ करती हैं।

सूखे हुए शजर को पानी मिला नहीं,
आज सब्ज़ हुआ आँगन तो बारिश होने लगी।

ज़िन्दगी यूँ ही बहुत कम है,
मोहब्बत के लिए,
फिर एक दूसरे से
रूठकर वक़्त गँवाने की जरूरत क्या है।

चेहरे पर खुशी छा जाती है
आंखों में सुरूर आ जाता है
जब तुम मुझे अपना कहते हो
अपने पे गुरुर आ जाता है

ये कशमकश है कैसे बसर ज़िन्दगी करें,
पैरों को काट फेंके या चादर बड़ी करें।

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न रुकी वक़्त की गर्दिश न ज़माना बदला,
पेड़ सूखा तो परिंदों ने ठिकाना बदला।

तेज़-रफ़्तार हवाओं को ये एहसास कहाँ,
शाख़ से टूटेगा पत्ता तो किधर जाएगा।

चुपके चुपके रात
दिन आसूं बहाना याद है
हम को अब तक
आशिक़ी का वो ज़माना याद है।।

हम तो शायर हैं
सियासत नहीं आती हमको,
हम से मुँह देखकर
लहजा नहीं बदला जाता।

वही ज़मीन है
वही आसमान वही हम तुम,
सवाल यह है
ज़माना बदल गया कैसे।

मोहब्बत का ख़ुमार उतरा तो,
ये एहसास हुआ,
जिसे मन्ज़िल समझते थे,
वो तो बेमक़सद रास्ता निकला।

मुस्कुराहट की बनावट में छुपाए हमने गम,
दिखावट की हंसी से दुनिया के सामने खड़े हैं हम

इस दौरे सियासत का इतना सा फ़साना है
बस्ती भी जलानी है मातम भी मनाना है।

कभी तो अपने अन्दर भी कमियां ढूढ़े,
ज़माना मेरे गिरेबान में झाँकता क्यूँ हैं।

खुशनसीब हैं
बिखरे हुए यह ताश के पत्ते,
बिखरने के बाद
उठाने वाला तो कोई है इनको।

ये दिल डूबेगा समंदर में किसी के,
हम भी तो लिखे होंगे मुकद्दर में किसी के

अक्स-ए-ख़ुशबू हूँ
बिखरने से न रोके कोई,
और बिखर जाऊँ तो
मुझको न समेटे कोई।

अगर तुम समझ पाते मेरी चाहत की इन्तहा,
तो हम तुमसे नही तुम हमसे मोहब्बत करते।

मै तो आबाद ही होता हूं उजड़ने के लिए,
देखें इस बार कौन मिले बिछड़ने के लिए,,

ज़िंदा रहने की अब ये तरकीब निकाली है,
ज़िंदा होने की खबर सबसे छुपा ली है।

तारीफ़ अपने आप की करना फ़िज़ूल है,
ख़ुशबू खुद बता देती है कौन सा फ़ूल है।

ख़ूब पर्दा है कि चिलमन से लगे बैठे हैं,
साफ़ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं।

*****

अब नही होती किसी
से भी परेशानी मुझे
कितनी मुश्किल से
हुई हासिल ये आसानी मुझे।।

बंद मुट्ठी से जो उड़
जाती है क़िस्मत की परी,
इस हथेली में कोई छेद पुराना होगा।

खुदा या नाखुदा अब
जिसको चाहो बख्श दो इज्जत,
हकीकत में तो
कश्ती इत्तिफाकन बच गई अपनी।

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हर नजर में मुमकिन
नहीं है बे-गुनाह रहना,
वादा ये करें कि खुद
की नजर में बेदाग रहें।

मुझे ऊँचाइओं पर
देखकर हैरान है बहुत लोग,
‪‎पर‬ किसी ने मेरे पैरो के छाले नहीं देखे।

उलझे हुए हैं
अपनी उलझनों मे आज कल,
आप ये न समझना के
अब वो लगाव नहीं रहा।

खामोशियां भी देखी हैं
हमने और गहरी उदासियां भी
इन शामों के मुकद्दर में
आजकल तन्हाईयां बहुत हैं।।

अल्फाज तय करते हैं फैसले किरदारों के,
उतरना दिल में है या दिल से उतरना है।

हाथ टूटें मैंने गर
छेड़ी हों ज़ुल्फ़ें आप की,
आप के सर की
क़सम बाद-ए-सबा थी मैं न था।

सीख जाओ वक्त पर किसी
की चाहत की कदर करना,
कहीं कोई थक ना जाए
तुम्हें एहसास दिलाते-दिलाते।

तड़प कर गुज़र जाती है हर रात आखिर
कोई याद ना करे तो क्या सुबह नही होती

Two Line Shayari in Hindi

उड़ जायेंगे तस्वीरों से रंगों की तरह हम,
वक़्त की टहनी पर हैं परिंदों की तरह हम।

मेरे जुनूँ को ज़ुल्फ़ के साए से दूर रख,
रस्ते में छाँव पा के मुसाफ़िर ठहर न जाए।

क्यों शर्मिंदा करते हो रोज़ हाल पूछकर,
हाल हमारा वही है जो तुमने बना रखा है।

बेशुमार जख्मों की मिसाल हूं मैं,
फिर भी हंस लेता हूं कमाल हूं मैं!!

सुलझा हुआ सा समझते हैं मुझको लोग,
उलझा हुआ सा मुझमें कोई दूसरा भी है।

पूछा न जिंदगी में
किसी ने भी दिल का हाल,
अब शहर भर में
ज़िक्र मेरी खुदकुशी का है।

ख्वाब बोए थे और अकेलापन काटा है,
इस मोहब्बत में यारों बहुत घाटा है।

बहुत से लोग थे
मेहमान मेरे घर लेकिन,
वो जानता था कि है
एहतमाम किसके लिए।

भूले हैं रफ्ता-रफ्ता उन्हें मुद्दतों में हम,
किश्तों में खुदकुशी का मज़ा हम से पूछिए।

मिलावट है तेरे इश्क
में इत्र और शराब की,
वरना हम कभी महक
तो कभी बहक क्यों जाते।

एक शख्स की खातिर
हंसना छोड़ देते हैं…
इश्क़ में ठुकराए हुए..
अक्सर जीना छोड़ देते हैं..!

वाकिफ था
मेरी खाना-खराबी से वो शख्स,
जो मुझसे मेरे घर का पता पूछ रहा था।

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किश्तों में खुदकुशी कर रही है ये जिन्दगी,
इंतज़ार तेरा मुझे पूरा मरने भी नहीं देता।

कसूर ना उनका है ना मेरा,
हम दोनो रिश्तों की रसमें निभाते रहे,
वो दोस्ती का एहसास जताते रहे,
हम मोहबत को दिल में छुपाते रहे।

के देख के मेरी हालत को जब वो मुस्कुराने लगे,
खूब रोए थे हम जब वो बिछड़ के ऐसे जाने लगे।

समझ पाता हूँ देर से मैं दांव-पेंच उसके,
वो बाजी जीत जाता है मेरे चालाक होने तक।

आईना फैला रहा है
खुद फरेबी का ये मर्ज,
हर किसी से कह रहा है
आपसा कोई नहीं।

ऐसा नहीं कि दिल में तेरी तस्वीर नही थी..
बस हाथों में तेरे नाम की लकीर नही थी।

****

तुम राह में चुप-चाप खड़े हो तो गए हो,
किस-किस को बताओगे घर क्यों नहीं जाते।

कांटे किसी के हक में
किसी को गुलो-समर,
क्या खूब
एहतमाम-ए-गुलिस्ताँ है आजकल।

मोहब्बत थी, तो चाँद अच्छा था,
उतर गई, तो दाग भी दिखने लगे।

Two Line Shayari in Hindi

कितनी मोहब्बत है तुमसे,
कोई सफाई नही देंगे,
साए की तरह रहेंगे तेरे साथ,
पर दिखाई नही देंगे..!!

रस्ते कहाँ खत्म होते हैं जिंदगी के सफर में,
मंज़िल तो वही है जहां ख्वाहिशें थम जाएँ।

इन में लहू जला हो हमारा कि जान ओ दिल,
महफ़िल में कुछ चराग़ फ़रोज़ाँ हुए तो हैं।

तू न कर ज़िक्र-ए-मोहब्बत कोई गम नहीं,
तेरी ख़ामोशी भी सच बयाँ कर देती है।

मैंने कब कहा तुम मिल जाओ मुझे,
गैर ना हो जाना बस इतनी सी हसरत है…

फिर नज़र में फूल महके
दिल में फिर शम्में जलीं,
फिर तसव्वुर ने लिया
उस बज़्म में जाने का नाम।

वहम से भी अक्सर
खत्म हो जाते हैं कुछ रिश्ते,
कसूर हर बार गल्तियों का नही होता।

मोहब्बत सरेआम नही
बस एहसास होना चाहिए,
हम उन्हे चाहते हैं
ये पता सिर्फ उन्हें होना चाहिए।

दौड़ में दौलत की तुम्हें जो भी मुक़ाम मिल जाये,
नाम बदल देना मेरा जो इत्मिनान मिल जाये।

तब से मोहब्बत हो गई है खुद से
जब से उसने कहा अच्छे लगते हो।

जल के आशियाँ अपना
ख़ाक हो चुका कब का,
आज तक ये आलम है
रोशनी से डरते हैं।

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****

ख़ुदावंद ये तेरे सादा-दिल बंदे किधर जाएँ,
कि दरवेशी भी अय्यारी है सुल्तानी भी अय्यारी।

दिल की ना सुन ये फ़कीर कर देगा,
वो जो उदास बैठे हैं, नवाब थे कभी।

जरा जरा सी बात पर
तकरार करने लगे हो,
लगता है
तुम मुझे बे-इंतिहा प्यार करने लगे हो..

Two Line Shayari in Hindi

कुछ इस तरह खूबसूरत
रिश्ते टूट जाया करते हैं,
दिल भर जाता है
तो लोग रूठ जाया करते हैं।

इंसाँ की ख़्वाहिशों
की कोई इंतिहा नहीं,
दो गज़ ज़मीं भी चाहिए
दो गज़ कफ़न के बाद।

वैसे ही दिन वैसी ही रातें हैं ग़ालिब,
वही रोज का फ़साना लगता है,
अभी महीना भी नहीं गुजरा
और यह साल अभी से पुराना लगता है।

तुम फरमाइश तो
करो हम सुनेंगे जरूर,
भले पूरा न कर सके
लेकिन कोशिश करेंगे जरूर।

मशरूफ रहने का
अंदाज़ तुम्हें तन्हा ना कर दे,
रिश्ते फुर्सत के नहीं
तवज्जो के मोहताज़ होते हैं।

अब तो चलते हैं बुतकदे से ऐ मीर,
फिर मिलेंगे गर खुदा लाया।

हम लड़-झगड़कर एक दूसरे से,
खुद से नाराज़ रहते हैं
उसको कह दिया मैसेज मत करना कभी,
और हम इंतज़ार में रहते हैं।

मिलने को तो हर शख्स एहतराम से मिला,
पर जो मिला किसी न किसी काम से मिला।

सुबह होती रही शाम होती रही
उम्र यूँ ही तमाम होती रही।

आज धुन्ध बहुत है मेरे शहर में,
अपने दिखते नहीं,
और जो दिखते हैं वो अपने नहीं।

कुछ तो बात है जो मुझे खोने से डरते हो,
मेरे ना होकर भी मेरे होने के लिए मरते हो..

होगा गजब जो हशर में झगड़ा हो जायेगा,
मानो कहा कि बात अभी घर की घर में हैं।

अब ना कोई शिकवा,
ना गिला, ना कोई मलाल रहा,
सितम तेरे भी बे-हिसाब रहे,
सब्र मेरा भी कमाल रहा।

मै ना नज़र आऊं
और बेचैन हो जाओ तुम
इश्क में ऐसा मुकाम चाहिए मुझे।

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किसी ने तो दे रखा होगा उनको भी मक़ाम,
वर्ना ये बेघर लोग यूँ मुस्कुराते न फिरते।

सुकून मिलता है
दो लफ्ज़ कागज पे उतार कर,
कह भी देता हूँ
और आवाज भी नहीं होती।

कहो तो थोड़ा वक्त भेज दूँ,
सुना है तुम्हें फुर्सत नहीं मुझसे मिलने की।

वो चंद लम्हे जो गुजरे तेरे साथ,
न जाने कितने बरस मेरे काम आयेंगे..

सितम तो ये है
कि ज़ालिम सुखन-शनास नहीं,
वो एक शख्स
जो शायर बना गया मुझको।

मोहब्बतों के दिनों की यही ख़राबी है,
ये रूठ जाएँ तो फिर लौटकर नहीं आते।

बदले बदले से रहते हैं वो इन दिनों,
वो बात तो करते हैं पर बातें नही करते।

उनसे कहना अपनी
किस्मत पे गुरूर अच्छा नहीं होता,
हम ने बारिश में भी जलते हुए घर देखे हैं।

देख होंठों को उनके
एक बात उठी जेहन में,
होंगे लफ्ज़ वो कितने नशीले
जो हो कर इनसे गुज़रते होंगे।

ना जख्म भरे, ना शराब सहारा हुई
ना तुम लौटे, ना मोहब्बत दोबारा हुई !

कागज़ों पे लिख कर ज़ाया
कर दूँ मैं वो शख़्स नहीं,
वो शायर हूँ जिसे दिलों पे
लिखने का हुनर आता है।

रात तो वक़्त की पाबंद है ढल जाएगी,
देखना ये है चरागों का सफ़र कितना है।

मोहब्बत में बिछड़ने
का हुनर सब को नहीं आता,
किसी को छोड़ना हो
तो मुलाक़ातें बड़ी करना।

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****

दूरियां जब बढ़ी तो गलतफहमियां भी बढ़ गईं,
फिर उसने वो भी सुना जो मैने कहा ही नहीं।

लकड़ी के मकानों में चरागों को न रखिये,
अपने भी यहाँ आग बुझाने नहीं आते।