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स्व उपसर्ग से शब्द

स्व उपसर्ग से शब्द (Sw upasarg se shabd in Hindi)

स्व उपसर्ग से शब्द- स्वनाम, स्वजाति, स्वशासन, स्वाभिमान, स्वतंत्र, स्वदेश, स्वराज्य, स्वाधीन, स्वधर्म, स्वभाव, स्वार्थ, स्वहित, स्वजन, स्वेच्छा, स्वाध्याय, स्वधन, स्वरूप।

Sw upasarg se shabd svanaam, svajaati, svashaasan, svaabhimaan, svatantr, svadesh, svaraajy, svaadheen, svadharm, svabhaav, svaarth, svahit, svajan, svechchha, svaadhyaay, svadhan, svaroop.

स्व उपसर्ग से शब्द (Prefix of Sw in Hindi) और उपसर्ग जोड़ने पर किसी भी शब्द का मूल शब्द का अर्थ बदल जाता है। उपसर्ग शब्द या शब्दांश के पहले जुड़कर किसी भी शब्द के अर्थ में विशेषता को लाती है। उपसर्ग का प्रयोग स्वतंत्र रूप से नहीं किया जा सकता है। उपसर्ग शब्द किसी भी शब्द के आगे जुड़ कर विभिन्न प्रकार के शब्दों का निर्माण करती है जिसे हम वाक्यों के द्वारा जानेंगे। इसीलिए एक वाक्य में सभी उपसर्ग शब्दों का प्रयोग हो जाए, यह जरूरी नहीं है। स्थिति के आधार पर वाक्य में अलग अलग उपसर्ग का प्रयोग अलग अलग स्थान पर किया जा सकता है।

नीचे हम उदाहरण के माध्यम से इसे और अधिक गहराई से जानने का प्रयास करेंगे।

स्व शब्द के वाक्य प्रयोग द्वारा उपसर्ग शब्दों के अंतर को समझना

  • स्वजाति- स्वजाति का अर्थ होता है अपनी जाति। सीता के माता पिता ने अपनी पुत्री का विवाह स्वजाति में किया है।
  • स्वशासन- स्वशासन का अर्थ होता है अपना शासन, अपना अधिक्षेत्र में शासन करना। सीता के गांव में स्वशासन बनाया गया है, जिसमें स्थानीय लोगों ने मिलजुल कर स्थानीय समस्याओं के निदान और स्थानीय विकास के लिए एक ऐसी व्यवस्था बनाई है जो कि संविधान और राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियमों एवं कानूनों के अनुरूप है।
  • स्वाभिमान- स्वाभिमान का अर्थ होता है आत्मसम्मान, आत्म गौरव। स्वाभिमान व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करता है जबकि अभिमान व्यक्ति को दूसरों पर निर्भर करने के लिए प्रेरित करता है। इसीलिए हमारे जो बड़े बुजुर्ग होते हैं वह हमें स्वाभिमान के साथ जीने के लिए कहते हैं।
  • स्वतंत्र- स्वतंत्र का अर्थ होता है आजाद होना। जब कोई देश या राष्ट्र अपनी इच्छा के अनुसार ही कार्य करता है और उस राज्य में रहने वाला व्यक्ति या समाज या देश किसी प्रकार का प्रतिबंध या मना ही नहीं लगाता है वैसे राष्ट्र देश राज्य को स्वतंत्र राज्य कहा जाता है।
  • स्वदेश- स्वदेश का अर्थ होता है अपना देश अपनी मातृभूमि। मोहन जब से दूसरे देश में रहने गया है तब से उसे अपने देश यानी कि स्वदेश के महत्व का ज्ञान प्राप्त हुआ है उसने जाना है कि अपना देश अपना देश होता है और अपने देश का गौरव हमें हमेशा बना के रखना चाहिए।
  • स्वार्थ- स्वार्थ का अर्थ होता है अपना मतलब अपना हित देखने वाला। अक्सर लोग अपने स्वार्थ में जीते हैं अर्थात अपने ही हित के बारे में सोचते हैं उन्हें दूसरों के हित के बारे में सोचने का समय ही नहीं होता और अपने हित के लिए वह दूसरों का अहित भी करने से पीछे नहीं हटते हैं।

उपसर्ग शब्द परीक्षाओं में मुख्य विषय के रूप में पूछे जाते हैं। उपसर्ग शब्द या शब्दांश के पहले जुड़कर किसी भी शब्द के अर्थ में विशेषता को लाती है। एक शब्द के कई उपसर्ग शब्द हो सकते हैं।यह जरूरी नहीं कि परीक्षा में यहाँ पहले दिये गए शब्द उपसर्ग शब्द ही पूछा जाए। परीक्षा में सभी उपसर्ग शब्दों में से किसी का भी उपसर्ग शब्द पूछा जा सकता है।

उपसर्ग शब्दों का विशेष महत्व है और इनकी सहायता से हम विभिन्न प्रकार के नए शब्दों का निर्माण कर सकते हैं। उपसर्ग शब्द का अपना एक भाग है प्रत्येक पाठ्यक्रम में, छोटी और बड़ी कक्षाओं में उपसर्ग शब्द पढ़ाया जाता है, कंठस्थ किया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में यह एक मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है और महत्व दिया जाता है।

परीक्षा के दृष्टिकोण से उपसर्ग शब्दों बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में उपसर्ग शब्दों का अपना-अपना भाग होता है। चाहे वह पेपर हिंदी में हो या अंग्रेजी में यहां तक कि संस्कृत और उर्दू और फारसी में भीउपसर्ग शब्दों पूछे जाते हैं।

उपसर्ग शब्द कोई बहुत कठिन विषय नहीं है। यदि इसे ध्यान से समझा जाए तो याद करने की भी आवश्यकता नहीं होती है। इसे समझ समझ कर ही लिखा जा सकता है।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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