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मार्क जुकरबर्ग का जीवन परिचय और सफलता की कहानी

आज के इस लेख में हम एक ऐसे शख्सियत के सफलता की कहानी जाने वाले हैं, जिनका नाम भले ही ज्यादा लोग ना जानते हो लेकिन उनके द्वारा बनाई गई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को लगभग हर कोई इस्तेमाल करता है।

वह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है “फेसबुक” जो हर किसी के स्मार्टफोन में मौजूद है। फेसबुक ना केवल शहरी बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी इस्तेमाल करते हैं।

यह दुनिया के किसी भी लोगों के साथ संपर्क बनाए रखने के लिए एक लोकप्रिय प्लेटफार्म में से एक है। फेसबुक ना केवल एक दूसरे के साथ संपर्क बनाकर रखता है बल्कि यह ब्रांड और संस्थानों के लिए अपने ग्राहकों के साथ सीधे जुड़ने का भी माध्यम है।

Success Story of Facebook in Hindi

फेसबुक जो दुनियाभर के करोड़ों लोगों के द्वारा इस्तेमाल किया जाता है, उस फेसबुक का निर्माण करने वाले शख्सियत का नाम है मार्क जुकरबर्ग।

तो चलिए इस लेख के माध्यम से मार्क जुकरबर्ग के सफलता की कहानी जानते हैं कि किस तरीके से उन्होंने लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक को बनाया, जो दुनिया भर में प्रसिद्ध हुए।

मार्क जुकरबर्ग का जीवन परिचय (Mark Zuckerberg Success Story in Hindi)

नाममार्क इलियट जुकरबर्ग
जन्म14, मई 1984, वाइट प्लेन्स, न्यू यॉर्क, अमेरिका
पिताएडवर्ड जुकरबर्ग
माताकरेन केम्प्नेर
बहनएरियल, रैंडी और डोना
पत्नीप्रिसिला चान
बच्चेमक्सिमा चान जुकरबर्ग, आगस्ट चान जुकरबर्ग
शिक्षाहार्वर्ड यूनिवर्सिटी (ड्रापआउट)
कंपनीफेसबुक

मार्क जुकरबर्ग का प्रारंभिक जीवन

फेसबुक के निर्माता मार्क जुकरबर्ग का जन्म अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में डॉब्स फेरी नामक स्थान पर 14 मई 1984 को हुआ था।

इनके पिता का नाम एडवर्ड जुकरबर्ग और माता का नाम करेन केम्प्नेर है। मार्क जुकरबर्ग के पिता पेशे से दांतों के डॉक्टर हैं, वहीं इनकी माता एक मनोचिकित्सक हैं।

मार्क जुकरबर्ग की तीन बहने भी हैं, जिनका नाम एरियल, रैंडी और डोना है।

बचपन से ही प्रोग्रामिंग में रुचि

मार्क जुकरबर्ग की जब प्राथमिक शिक्षा शुरू हुई तभी से उन्हें कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में बहुत रुचि आने लगी थी। प्रोग्राम में उनकी बेहद दिलचस्पी देख उनके पिता ने 10 साल की उम्र में इन्हें पहला कंप्यूटर इंटेल 486 खरीद कर दिया था।

उसके बाद इनके पिता ने इन्हें Atari BASIC प्रोग्रामिंग सिखाना शुरू कर दिया। यह प्रोग्रामिंग सीखने के बाद मार्क जुकरबर्ग ने मात्र 12 साल की उम्र में ही ZuckNet नाम का एक मैसेंजर क्रिएट कर दिया।

इस मैसेंजर को इन्होंने अपने घर और पिता के क्लीनिक में मौजूद कंप्यूटर से जोड़ दिया। इससे उन सभी कंप्यूटर के बीच संदेश भेजना बहुत ही आसान हो गया।

इनके पिता ने मार्क जुकरबर्ग के इस मैसेंजर का उपयोग किया। इसी मैसेंजर के जरिए क्लीनिक में यदि कोई भी पेसेंट आता तो रिसेप्शनिस्ट उसकी सूचना उनके पिता तक पहुंचा देती थी।

हाई स्कूल के दौरान MP3 मीडिया प्लेयर का निर्माण किया

मार्क जुकरबर्ग इतनी छोटी सी उम्र में ही गेम डाउनलोड करना, कम्युनिकेशन टूल बनाना शुरू कर दिया था। ऐसा करना उनका कोई लक्ष्य नहीं था, वे मौज मस्ती आनंद लेने के लिए इस तरह के नई-नई चीजों को डेवलप किया करते थे।

इसके बाद उनके पिता ने अपने बेटे के इस काबिलियत को देखकर उनके लिए कंप्यूटर टीचर हायर कर दिया। अपने कंप्यूटर टीचर से मार्क जुकरबर्ग इतनी तेजी से प्रोग्रामिंग कर सकते थे क्योंकि शिक्षक भी उन्हें देख हैरान रह जाते थे कि इतनी कम उम्र का बच्चा इतनी तेजी से कंप्यूटर प्रोग्रामिंग कैसे सीख सकता है।

मार्क जुकरबर्ग जब हाई स्कूल में गए तब अपने स्कूल में सबसे टॉपर बच्चों में से एक थे। इन्हें साइंस और लिटरेचर में काफी रूचि थी। इन विषयों में इन्हें कई बार अवॉर्ड भी मिले थे।

हाई स्कूल के दौरान ही मार्क जुगर बर्ग ने Synapse नाम का MP3 मीडिया प्लेयर बनाया था। यह मीडिया प्लेयर यूजर के प्राथमिकताओं का अध्ययन करके केवल उसी गाने की प्ले लिस्ट तैयार करता था, जो यूजर को वास्तव में सुनना पसंद होता था।

मार्क जुकरबर्ग के इस मीडिया प्लेयर को लेकर उस समय की बड़ी टेक कंपनी Microsoft और AOL ने भी रुचि दिखाते हुए इसे खरीदने का ऑफर मार्क जुकरबर्ग को दिया। लेकिन मार्क जुकरबर्ग ने बहुत ही विनम्रता से उनके ऑफर को अस्वीकार कर दिया।

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मार्क जुकरबर्ग की शिक्षा

1998 से साल 2000 तक Ardsley हाई स्कूल में मार्क जुकरबर्ग ने ग्रीक रोमनिय भाषा साहित्य का अध्ययन किया था। उसके बाद माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए न्यू हैम्पशायर में स्थित स्कूल एकेडमी ऑफ फिलिप्स एक्सेटर में दाखिला करवाया गया।

यहां पर उन्होंने विज्ञान और साहित्य की पढ़ाई करते हुए इन विषयों में कई सारे अवॉर्ड्स भी हासिल किये। यहां पर अपनी हाई स्कूल की पढ़ाई करने के दौरान मार्क ज़ुकेरबर्ग ने तलवार बाजी का भी अध्ययन किया।

इसमें पारंगत भी हो गए थे, जिसके लिए इन्हें तलवारबाजी का कप्तान भी बना दिया गया। लेकिन मार्क जुकरबर्ग को सबसे ज्यादा लगाव कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में था।

साल 2002 में यहां से स्नातक पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई करने के लिए उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। यहां पर लगभग 2 सालों के अंदर वे सॉफ्टवेयर डेवलपर के रूप में काफी लोकप्रिय हो चुके थे।

इसी दौरान इन्होंने CourseMatch नाम का एक प्रोग्राम भी लिखा था, जो सॉफ्टवेयर छात्रों को दूसरे यूजर की कोर्स की लिस्ट के आधार पर विषय को चुनने में सहायता करता था।

मौज मस्ती के लिए बनाया FaceMash

मार्क जुकरबर्ग अपने स्नातक की पढ़ाई के दौरान हार्वर्ड विश्वविद्यालय में सॉफ्टवेयर डेवलपर के नाम से प्रसिद्ध हो चुके थे। यहां पर भी इन्होंने कई बार अपनी काबिलियत को दिखाया था।

यह घटना है साल 2003 की। गर्मियों की एक शाम थी और मार्क जकरबर्ग ने होटल में थे। उस रात उन्हें नींद नहीं आ रही थी, जिसके बाद उन्होंने एक साईट का निर्माण किया, जो अपने आप किसी दो लड़के या लड़कियों के फोटो को सिलेक्ट करके उन दोनों फोटो में से कौन सबसे ज्यादा सुंदर या अच्छा है, उसके लिए वोटिंग करने को कहता है।

इस वेबसाइट को बनाने के लिए मार्क जुकरबर्ग ने विश्वविद्यालय के उस डाटाबेस को हैक किया था, जहां पर छात्र-छात्राओं की प्रोफाइल फोटो अपलोड थी।

उनके द्वारा बनाया गया यह साइट काफी ज्यादा लोकप्रिय हो गई थी और देखते ही देखते उस साइट पर विजिटर्स की संख्या काफी ज्यादा बढ़ चुकी थी। एक समय तो उस साइट पर यूजर्स की संख्या इतनी ज्यादा बढ़ गई कि ओवरलोड के कारण साइट क्रैश हो गया।

बाद में जब विश्वविद्यालय के प्रशासन को उनके द्वारा किए गए इस काम के बारे में पता चला तो उन्हें कंप्यूटर हैकिंग संबंधित समिति के आगे प्रस्तुत किया गया और वहां पर मार्क जुकरबर्ग के खिलाफ अनुशासन भंग करने की कार्यवाही चलाई गई और उनकी उस साइट को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया।

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फेसबुक की उत्पति (Facebook Success Story)

आज मार्क जुकरबर्ग दुनियाभर में लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक के लिए जाने जाते हैं। बात करें मार्क जुकरबर्ग के द्वारा फेसबुक के निर्माण की फेसबुक का निर्माण मार्क जुकरबर्ग ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने के दौरान ही किया था।

जब FaceMash साइट बनाने वाली घटना उनके साथ बीती थी, उसके 10 महीने पहले उसी यूनिवर्सिटी का एक छात्र जिसका नाम दिव्य नरेंद्र था, वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के छात्रों के लिए एक सोशल नेटवर्क बनाना चाहता था। जिसके जरिए हार्वर्ड के स्टूडेंट अपने फोटोस, व्यक्तिगत जानकारी और अन्य लिंक पोस्ट कर सके।

वे चाहते थे कि एक ऐसा सोशल नेटवर्क की स्थापना हो, जिसमें स्टूडेंट हार्वर्ड के द्वारा प्रदान किए गए ईमेल एड्रेस को अपने यूजरनेम के तौर पर अपना अकाउंट बनाकर एक दूसरे से स्टूडेंट संपर्क बना सके।

इस प्रोजेक्ट में दिव्य नरेंद्र के साथ दो अन्य पाटनर भी थे। दोनों जुड़वा भाई थे, उनका नाम टायलर और कैमरून विंकलेवोस था। इनके पिता एक वित्तीय सलाहकार थे, जिस कारण इस प्रोजेक्ट पर पैसे खर्च करने की कोई भी चिंता नहीं थी।

इस साइट के निर्माण के लिए दिव्य नरेंद्र ने मार्क जुकरबर्ग की सहायता लेने का विचार किया, जिसके बाद वे मार्क जुकरबर्ग के पास इस प्रोजेक्ट को लेकर गये और इसके बारे में सब कुछ बताया।

उन्होंने कहा कि इस सोशल नेटवर्क का नाम Harvard connection रखा जाएगा। बाद में यह सोशल नेटवर्क ConnectU के नाम से जाना गया। मार्क जुकरबर्ग ने इस प्रोजेक्ट में मदद करने के लिए तुरंत हामी भर दी, जिसके बाद इन्होनें इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया।

इस प्रोजेक्ट पर काम करने के दौरान ही मार्क जुकरबर्ग को भी खुद का एक सोशल नेटवर्क साइट बनाने का विचार आया, जिसके बाद उन्होंने तुरंत 4 फरवरी 2004 को TheFacebook.com के नाम से डोमेन रजिस्टर करवा लिया, जो फेसबुक के नाम से आज लोकप्रिय है।

जब उन्होंने इस साइट को लांच किया तो उस समय केवल हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट ही इस साइट को यूज करते थे। लेकिन बाद में धीरे-धीरे साइट की लोकप्रियता बढ़ती गई और अन्य विश्वविद्यालय के बच्चों ने भी इस साइट पर अपना अकाउंट बनाना शुरू कर दिया था।

इस साइट को बनाने में मार्क जुकरबर्ग के साथ पार्टनर एडुआर्डो सेवरिन भी थे। बाद में मार्क जुकरबर्ग ने निश्चय किया कि इस साइट को न केवल स्टूडेंट बल्कि दुनिया के अन्य लोग भी इस्तेमाल कर सके, इसीलिए उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में ही रोक कर इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया।

इस साइट को बनाने में आगे चलकर इनके साथ 3 लोगों ने निवेश किया था। जिसमें मार्क जुकरबर्ग 60% हिस्से को नियंत्रित करते थे। 35% इसका हिस्सा एडुआर्डो सेवरिन और 5% नवागंतुक मोस्कोविट्ज़ के पास था।

आगे चलकर इस साइट में कई तरह के बदलाव भी किए गए। आगे इस सोशल नेटवर्क पर सभी छात्रों के लिए रजिस्ट्रेशन खोल दिया गया और इसके इस्तेमाल के लिए .edu ईमेल पते की अनिवार्यता बना दी गई।

इसके साथ ही यूजर को इस साइट पर साइन अप करने के लिए विस्तृत प्रोफाइल को भरने की भी अनिवार्यता कर दी गई, जिसमें वास्तविक फोटो को ही अपना प्रोफाइल पिक्चर बनाया जाए।

मार्क ज़ुकेरबर्ग अपने इस साइट को शिक्षा के क्षेत्र से भी बाहर ले जाना चाहते थे, जिसके लिए उन्हें निवेशकों की तलाश थी। कहा जाता है कि मार्क जुकरबर्ग को सबसे पहला निवेशक Paypal के संस्थापक सदस्यों में से एक पीटर थिएल मिले, जिन्होंने इनके इस फेसबुक साइट पर $5000000 का निवेश किया।

इस निवेश को प्राप्त करने के बाद मार्क जुकरबर्ग ने बहुत ही तेजी से इस प्रोजेक्ट को विकसित करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे यह साइट इतना लोकप्रिय हुई कि 1 साल के अंदर ही मिलियन में यूजर हो गए और भी आगे बढ़ने के लिए मार्क जुकरबर्ग को और भी अधिक निवेश की जरूरत पड़ती गई।

जिसके बाद उन्हें एक्सेल पार्टनर्स मिले, जिन्होंने फेसबुक पर $12.7 मिलियन का बड़ा निवेश किया। आगे चलके ग्रेलॉक पार्टनर्स ने भी $27.5 मिलियन का निवेश फेसबुक पर किया था।

मार्क जुकरबर्ग के द्वारा बनाई गई फेसबुक पर साल 2007 में दुनिया के सबसे अमीर आदमी और माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स ने भी 1.6% इक्विटी से $240 मिलियन का निवेश किया।

बिल गेट्स का जीवन परिचय विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

फेसबुक के खिलाफ मुकदमा

फेसबुक निर्माण के शुरुआती दौर में मार्क जुकरबर्ग विवादों में फंस चुके थे। दरअसल फेसबुक लॉन्च होने के 5 महीने के बाद ही हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के तीन छात्र दिव्य नरेंद्र, कैमरन और टायलर विंकलेवोस ने मार्क जुकरबर्ग पर उनके बिजनेस आइडिया को चुराने का आरोप उन पर लगा दिया।

उन्होंने कहा कि मार्क जुकरबर्ग को साल 2003 में हार्वर्ड कनेक्शन साइट को डिवेलप करने का जिम्मा सौंपा गया था। लेकिन उन्होंने इस साइट के कोड को छुपाकर अपने स्वयं के सोशल नेटवर्क साइट फेसबुक बनाने में इस्तेमाल किया, जिसके बाद उन्होंने यह शिकायत हार्वर्ड प्रशासन के अलावा क्रीम्सन अखबार में भी की।

उसके बाद दिव्य नरेंद्र और विंकलेवोस जुड़वाँ भाइयों ने जुकरबर्ग के खिलाफ मुकदमा भी दायर किया। लेकिन, इस मुकदमे को खारिज कर दिया गया लेकिन वह अपनी बात पर अड़े रहे, जिसके बाद अदालत ने इस मामले की जांच की।

लेकिन इसका कोई भी परिणाम सामने नहीं आया। बाद में साल 2009 में मार्क जुकरबर्ग ने ConnectU को $45 मिलियन राशि कनागत देने के लिए भी तैयार हो गए। इस मामले को सेटलमेंट किया।

मार्क जुकरबर्ग को मिले अवार्ड

साल 2010 में मार्क जुकरबर्ग ने टाइम पर्सन ऑफ द ईयर का खिताब अपने नाम किया था। उस समय इस खिताब को हासिल करने की दौड़ में लेडी गागा, जेम्स कैमरून और विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे सहित अन्य कई प्रख्यात शख्सियत थे। लेकिन इन तमाम लोगों में 26 वर्ष के युवा अरबपति जुकरबर्ग ने इस खिताब को अपने नाम करने में कामयाब रहे।

मार्क जुकरबर्ग का व्यक्तिगत जीवन

मार्क जुकरबर्ग ने 19 मई 2012 को अपनी प्रेमिका प्रिसिला चान से विवाह किया। इनके दो बच्चे हैं, इनका नाम मक्सिमा चान जुकरबर्ग और आगस्ट चान जुकरबर्ग है।

इनकी पहली बेटी का जन्म 1 दिसंबर 2015 को हुआ था, वहीं इनके बेटी का जन्म 28 अगस्त 2017 को हुआ था। मार्क ज़ुकेरबर्ग ने और उनकी पत्नी प्रिसिला चान ने फेसबुक में अपने कुल हिस्से का 99% हिस्सा, जो लगभग $45 बिलियन से भी अधिक है को अपने चान जुकरबर्ग पहल के तहत विश्व के विकास हेतु दान देने का निर्णय लिया।

फेसबुक पैसे कैसे कमाता है?

फेसबुक की कमाई के कई जरिये हैं। फेसबुक पर कमाई का मुख्य स्त्रोत विज्ञापन है। यहां पर बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने ब्रांड, सेवा या अपने प्रोडक्ट को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए फेसबुक पेज पर ऐड चलाती हैं, जिसके लिए वह फेसबुक को हाय रकम चार्ज करती है।

इसके अतिरिक्त फेसबुक पर कई तरह के खेले जाने वाले खेल को भी लोग खरीदने के लिए पैसे खर्च करते हैं। इस तरीके से एक आंकड़े के अनुसार 85% की कमाई फेसबुक विज्ञापन के माध्यम से और लगभग 15% की कमाई यूजर के द्वारा खरीदे जाने वाले डिजिटल उत्पादों के माध्यम से करता है।

मार्क जुकरबर्ग के बारे में रोचक तथ्य

  • साल 2010 में मार्क जुकरबर्ग की कहानी से प्रेरित होकर उनके ऊपर डेविड फिंचर ने फिल्म “द सोशल नेटवर्क” बनाई, जिसमें जेसी ईसेनबर्ग ने मार्क जुकरबर्ग की भूमिका निभाई थी।
  • साल 2015 में प्रकाशित फोर्ब्स मैगजीन के अनुसार उस समय मार्क जुकरबर्ग दुनिया के अरबपति में सातवें स्थान पर थे।
  • जब मार्क जुकरबर्ग अपने कॉलेज में पढ़ते थे, उस दौरान उन पर अपने कॉलेज के छात्र छात्राओं के डेटाबेस को छुपाने का आरोप लगा था।
  • हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने के दौरान मार्क जुकरबर्ग ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों को अपनी इच्छा और रूचि के अनुसार सब्जेक्ट और कोर्स के चयन में मदद करने के लिए CourseMatch नाम का एक साइट बनाया था।
  • मार्क जुकरबर्ग को बचपन से ही कोडिंग में काफी ज्यादा रुचि थी। इन्होंने बचपन में सबसे पहले अपने प्रोग्रामिंग स्कील के जरिए ZuckNet नाम के मैसेंजर को बनाया था।
  • 11 दिसंबर 2014 को फेसबुक कंपनी के मुख्यालय में मार्क जुकरबर्ग ने एक प्रश्न उत्तर सत्र में लोगों का जवाब देते हुए कहा था कि फेसबुक का इस्तेमाल करना समय का बर्बाद नहीं है क्योंकि इस प्लेटफार्म के जरिए लोग अपनों से और अपने समाज से जुड़ते हैं।
  • 27 सितंबर 2015 को मार्क ज़ुकेरबर्ग ने भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी और भारत में फेसबुक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और इंटरनेट को बढ़ावा देने के बारे में बातचीत की थी। मोदी ने मार्क जुकरबर्ग की तारीफ भी की थी।
  • साल 2014 में फेसबुक ने लोकप्रिय सोशल मीडिया और चैटिंग एप्लीकेशन व्हाट्सएप को 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर में खरीद लिया।

FAQ

मार्क ज़ुकेरबर्ग कौन कौन सी भाषा बोल सकते हैं?

एक कॉलेज पत्र में मार्क जुकरबर्ग ने बताया था कि वे फ्रेंच, लैटिन, हिब्रू और प्राचीन ग्रीक भाषा को बहुत अच्छे से पढ़ और लिख सकते हैं।

फेसबुक की क्या खासियत है?

अन्य सोशल मीडिया की तुलना में फेसबुक कि यह खासियत है कि फेसबुक पर हम नए दोस्त बना सकते हैं। इसके साथ ही हम अपने पुराने दोस्तों से दोबारा संपर्क बना सकते हैं फिर चाहे वह दोस्त जो दुनिया के किसी भी कोने में क्यों ना हो। इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हम अपने फोटोस, इंपोर्टेंट वीडियोस, लिंक सब कुछ एक दूसरे के साथ शेयर कर सकते हैं।

मार्क जकरबर्ग ने फेसबुक का निर्माण कब किया था?

मार्क जुकरबर्ग जब हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे थे, उसी दौरान मात्र 19 वर्ष की उम्र में 4 फरवरी 2004 को इन्होंने फेसबुक साइट का निर्माण किया।

मार्क जुकरबर्ग के माता पिता का क्या नाम है?

मार्क जुकरबर्ग के पिता का नाम एडवर्ड जुकरबर्ग है, जो पेशे से एक डेंटिस्ट है और इनकी माता का नाम करेन केम्प्नेर है, जो पैसे से एक मनोचिकित्सक है।

निष्कर्ष

आज लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक दुनिया भर के लोगों के द्वारा सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में से एक है। इसके निर्माता मार्क जुकरबर्ग आज के समय में दुनिया के सबसे कम उम्र के अरबपति में से एक है।

उपरोक्त लेख में आपने मार्क जुकरबर्ग की सफलता के सफर के बारे में जाना। मार्क जुकरबर्ग बचपन से ही एक इंटेलिजेंट बच्चे रहे, जिन्होंने हर उम्र में अपनी काबिलियत को दिखाया है और अपने काबिलियत के बलबूते ही आज दुनिया का लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक का निर्माण किया।

मार्क जुकरबर्ग के सफलता की कहानी (Mark Zuckerberg Success Story in Hindi) हर एक युवा को प्रेरित करती है। हमें उम्मीद है कि आज का यह लेख आपको पसंद आया होगा। इस लेख को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए अन्य लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें। इस लेख से संबंधित कोई भी प्रश्न या सुझाव हो तो आप हमें कमेंट में लिखकर बता सकते हैं।

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राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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