Shringar Ras in Hindi : हर विद्यार्थी हिंदी ग्रामर जरूर बनता है और हिंदी ग्रामर विद्यार्थी के सभी विषयों में एक मुख्य विषय माना जाता है। जब विद्यार्थी दसवीं कक्षा उस दिन कर लेता है। तो उसके पश्चात कई विद्यार्थी हिंदी लिटरेचर सब्जेक्ट लेते हैं।
हिंदी लिटरेचर सब्जेक्ट लेने वाले विद्यार्थियों को हिंदी ग्रामर के और भी कई टॉपिक पढ़ने होते हैं। आज हम हिंदी ग्रामर का एक महत्वपूर्ण टॉपिक रस के बारे में बात करने वाले हैं। हिंदी ग्रामर में रस 9 प्रकार का होता है।

श्रृंगार रस की परिभाषा, भेद और उदाहरण | Shringar Ras in Hindi
विषय सूची
सामान्य रस परिचय
‘श्रृंगार रस’ को समझने के लिए हमें पहले ‘रस’ को समझ लेना चाहिए। काव्य को सुनकर या पढ़ कर हमें जो आनंद आता है, उसे ही रस कहते हैं। वास्तव में आनंद के रूप में विभिन्न भाव व्यक्त होते हैं तथा इन भावों के आधार पर ही विभिन्न रस अस्तित्व में आते हैं।
अतः विभिन्न भावों के आधार पर ही आनंद के या रस के 9 प्रकार होते हैं। ‘श्रृंगार रस’ इन्हीं 9 रसों में से एक है।
‘श्रृंगार रस’ परिचय
श्रृंगार रस को रसपति या सभी रसों का रजा कहा जाता है। श्रृंगार रस का स्थाई भाव है रति या प्रेम। अर्थात काव्य सुनते या पढ़ते समय जब कहीं प्रेम या रति की अनुभूति होती है तो वहां श्रृंगार रस होता है।
‘श्रृंगार रस’ परिभाषा
शृंगार रस एक ऐसा रस है जिसमें प्रेम व रति या वियोग का भाव निहित होता है। यह प्रेम व वियोग चाहे नायक और नायिका का एक दुसरे के प्रति हो किसी चरित्र का या प्रकृति के प्रति हो। शृंगार रस में प्रेम के अतिरिक्त सौंदर्य का भी वर्णन निहित हो सकता है।
‘श्रृंगार रस’ के अवयव
- स्थायी भाव : रति ।
- आलंबन (विभाव) : खुशबू, पंछियों का गुंजन, सुहावना मौसम।
- उद्दीपन (विभाव) : कीर्ती या मान की इच्छा, विपक्षी का पराक्रम या विपक्षी का अहंकार।
- अनुभाव : नायक तथा नायिका की चेष्टाएं आदि।
- संचारी भाव : उन्माद, अभिलाषा, आवेग, हर्ष आदि।
‘श्रृंगार रस’ उदाहरण
मेरे तो गिरधर गोपाला, दूसरो ना कोई।
जाके सिर मोर मुकुट, मेरो पति सोई।।
अरे बता दो मुझे कहाँ प्रवासी है मेरा।
इसी बावले से मिलने को डाल रही हूँ मैं फेरा।।
‘श्रृंगार रस’ के भेद
शृंगार रस के दो भेद बताए गए हैं, संयोग शृंगार रस और वियोग शृंगार रस। नाम के अनुसार ही ये दोनों रस परस्पर विपरीत भावों की सूचना देते हैं। आइये इसे कुछ विस्तार से समझें।
संयोग श्रृंगार
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, संयोग अर्थात संग में आना या योग होना। अर्थात इस रस के दौरान दो चरित्रों के देह या अंग या फिर मन समीप आना या होना पाया जाता है। या यह रस दो चरित्रों के प्रेमवश समीप आने की सूचना देता है।
संयोग श्रृंगार रस के कुछ उदाहरण प्रस्तुत हैं
उदाहरण
बतरस लालच लाल की, मुरली धरि लुकाये।
सौंह करे, भौंहनि हँसै, दैन कहै, नटि जाये।
करत बतकही अनुज सन, मन सियरूप लुभान।
मुखसरोज मकरन्द छबि कर मधुप इव पान।।
वियोग श्रृंगार
वियोग रस, संयोग रस का ठीक विपरीत है। वियोग का अर्थ होता है योग का विपरीत अर्थात दूर जाना या बिछड़ना। अर्थात इस रस के दौरान दो चरित्रों के देह या मन का बिछड़ना या दूर होना पाया जाता है। अतः यह रस दो चरित्रों के अलगाव की सूचना देता है।
वियोग श्रृंगार रस के कुछ उदाहरण प्रस्तुत हैं
उदाहरण
निसिदिन बरसत नयन हमारे,
सदा रहति पावस ऋतु
हम पै जब ते स्याम सिधारे।।
दुःख के दिन को कोऊ भाँती बितै
बिरहागम रैन संजोवती है।
हम ही अपुनी दसा जानै सखी
निसि सोवती है कधि रोवती है।।
निष्कर्ष
तो इस प्रकार हम देखते हैं कि कैसे श्रृंगार रस अन्य रसों से विभिन्नता रखता है और कैसे स्वयं श्रृंगार रस के भेद सामान उद्दीपन और सामान आलंबन होते हुए भी किस तरह एक दुसरे के विपरीत भाव उत्पन्न करते हैं।
अंतिम शब्द
इस आर्टिकल में हमने आपको श्रृंगार रस की परिभाषा, भेद और उदाहरण (Shringar Ras in Hindi) के बारे में विस्तारपूर्वक बताया है। आर्टिकल पसंद आये तो शेयर जरुर करें। यदि आपके मन में इस आर्टिकल को लेकर किसी भी प्रकार का कोई सवाल या फिर सुझाव है, तो कमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताएं।
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