Adbhut Ras in Hindi: हिंदी अमृतहिंदी ग्रामर के महत्वपूर्ण इकाई की रस जिसके बारे में यदि बात की जाए, तो यह इकाई आगे जाकर 9 भागों में विभाजित होती है। मतलब ऐसे कह सकते हैं, कि रस नौ प्रकार के होते हैं। आज के आर्टिकल में हम अद्भुत रस के बारे में संपूर्ण जानकारी आपको देने वाले हैं।

अद्भुत रस की परिभाषा, भेद और उदाहरण | Adbhut Ras in Hindi
विषय सूची
सामान्य रस परिचय
‘अद्भुत रस’ को समझने के लिए हमें पहले ‘रस’ को समझ लेना चाहिए। काव्य को सुनकर या पढ़ कर हमें जो आनंद आता है, उसे ही रस कहते हैं। वास्तव में आनंद के रूप में विभिन्न भाव व्यक्त होते हैं तथा इन भावों के आधार पर ही विभिन्न रस अस्तित्व में आते हैं।
अतः विभिन्न भावों के आधार पर ही आनंद के या रस के 9 प्रकार होते हैं। ‘अद्भुत रस’ इन्हीं 9 रसों में से एक है।
‘अद्भुत रस’ परिचय
अद्भुत रस को आश्चर्य की अनुभूति के लिए जाना जाता है। अद्भुत रस का स्थाई भाव है आश्चर्य या विस्मय। अर्थात काव्य सुनते या पढ़ते समय जब कहीं आश्चर्य या विचित्रता के भाव की अनुभूति होती है तो वहां अद्भुत रस होता है।
‘अद्भुत रस’ परिभाषा
काव्य में जब किसी पंक्ति में विचित्र वस्तु या घटना का उल्लेख हो या उसे सुन कर जब आश्चर्य की अनुभूति हो तो उस अनुभूति को अद्भुत रस कहते हैं।
जब कोई चरित्र किसी ऐसी घटना या व्यक्ति या वस्तु से रूबरू होता है जिस को पा कर उसे विस्मय का बोध होता है तो उस समय जिस तरह के आनंद या भाव का संचार चेतना में होता है उस आनंद को अद्भुत रस कहते हैं।
अद्भुत रस’ के अवयव
स्थायी भाव : आश्चर्य।
आलंबन (विभाव) : खुशबू वह व्यक्ति या वास्तु या को स्थिती या विचार जो आश्चर्य उत्पन्न करता हो।
उद्दीपन (विभाव) : अपूर्व अथवा अनापेक्षित घटना वस्तु या स्थिती के दर्शन अथवा श्रवण या जानकारी या चेतना।
अनुभाव : आँखें फाड़ कर देखना, स्तब्ध रह जाना, गदगद होना, काम्पना, दांतों के बीच ऊँगली दबा लेना आदि।
संचारी भाव : उन्माद, अभिलाषा, आवेग, हर्ष आदि।
‘अद्भुत रस’ के उदाहरण
(1) इहाँ उहाँ दुह बालक देखा।
मति भ्रम मोरि कि आन बिसेखा।
(2) देखी राम जननी अकलानी।
प्रभू हँसि दीन्ह मधुर मुसुकानी।।
(3) देखरावा मातहि निज, अद्भुत रूप अखण्ड।
रोम-रोम प्रति लागे, कोटि-कोटि ब्रम्हाण्ड।।
(4) देख यशोदा शिशु के मुख में,
सकल विश्व की माया,
क्षणभर को वह बनी अचेतन,
हिल ना सकी कोमल काया।
(5) केशव नहीं जाई का कहिये।
देखत तब रचना विचित्र अति
समुझि मनहीं मन दाहिये।।
निष्कर्ष
तो इस प्रकार हम देखते हैं कि कैसे किसी विचित्र या अनापेक्षित या अद्वितीय अथवा अपूर्व वस्तु, घटना से लक्षित चरित्र को चकित कर उसके चेतना में विस्मय कि अनुभूति का संचार होता है जिससे वह चरित्र आनंद, ख़ुशी, कम्पन व आश्चर्य की व कभी कभी इनकी मिली जुली अभिव्यक्ती करता है।
आज के आर्टिकल में हमने अद्भुत रस के बारे में संपूर्ण जानकारी आप तक पहुंचाई है। हमें उम्मीद है, कि हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल से जुड़ा हुआ कोई भी सवाल है। तो वह हमें कमेंट के माध्यम से पूछ सकता है।
अंतिम शब्द
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