जज्बात कहते हैं, खामोशी से बसर हो जाएँ, दर्द की ज़िद हैं कि दुनिया को खबर हो जाएँ.
मेरी खामोशियों में भी फसाना ढूंढ लेती है, बड़ी शातिर है ये दुनिया बहाना ढूंढ लेती है, हकीकत जिद किये बैठी है चकनाचूर करने को, मगर हर आंख फिर सपना सुहाना ढूंढ लेती है।
जब कोई बाहर से खामोश होता है, तो उसके अंदर बहुत ज्यादा शोर होता हैं.
तड़प रहे है हम तुमसे एक अल्फाज के लिए, तोड़ दो खामोशी हमें जिन्दा रखने के लिए।
चुभता तो बहुत कुछ हैं मुझे भी तीर की तरह, लेकिन खामोश रहता हूँ तेरी तस्वीर की तरह.
चलो अब जाने भी दो यार क्या करोगे दास्तान सुनकर, खामोशी तुम समझोगे नहीं और बयां हमसे होगा नहीं।
इन ख़ामोश हवाओं में थोड़ी आहट तो हो. उस बिखरी रूह को हमसे थोड़ी चाहत तो हो…!!!
ख़ामोश शहर की चीखती रातें, सब चुप हैं पर, कहने को है हजार बातें.
मेरी खामोशी से किसी को कोई फर्क नही पड़ता, और शिकायत में दो लफ़्ज कह दूं तो वो चुभ जाते हैं।
ये तुफान यूँ ही नहीं आया है, इससे पहले इसकी दस्तक भी आई थी, ये मंजर जो दिख रहा है तेज आंधियों का, इससे पहले यहाँ एक ख़ामोशी भी छाई थी…!!!
दोस्त की ख़ामोशी को मैं समझ नहीं पाया, चेहरे पर मुस्कान रखी और अकेले में आंसू बहाया।
खामोशीयाँ यूं ही बेवजह नहीं होतीं, कुछ दर्द भी आवाज़ छीन लिया करतें हैं…!!!
मेरी जिंदगी में मेरे दोस्तों ने मुझको खूब हँसाया, घर की जरूरतों ने मेरे चेहरे पर सिर्फ खामोशी ही लाया।
कभी ख़ामोश बैठोगे, कभी कुछ गुनगुनाओगे, हम उतना याद आयेंगे, जितना तुम मुझे भुलाओगे.
लोग तो सो लेते हैं जमाने कि चाहेल पहेल में, मुझे तो तेरी खामोशी सोने नहीं देती।
उसके बिना अब चुपचुप रहना अच्छा लगता है, ख़ामोशी से दर्द को सहना अच्छा लगता है, जिस हस्ती की याद में दिन भर आंसू बहते हैं, सामने उस के कुछ न कहना अच्छा लगता है, मिल कर उस से बिछड़ न जाऊं डरती रहती हूँ, इसलिए बस दूर ही रहना अच्छा लगता है…!!!
ख़ामोश फ़िजा थी कोई साया न था, इस शहर में मुझसा कोई आया न था, किसी जुल्म ने छीन ली हमसे हमारी मोहब्बत हमने तो किसी का दिल दुखाया न था.
भीगी आँखों से मुस्कुराने का मजा और है, हँसते हँसते पलके भिगोने का मजा और है, बात कह के तो कोई भी समझ लेता है, खामोशी को कोई समझे तो मजा और है।
जब खामोश आँखो से बात होती है, ऐसे ही मोहब्बत की शुरुआत होती है, तुम्हारे ही ख़यालो में खोए रहते हैं, पता नही कब दिन और कब रात होती है…!!!
इंसान की अच्छाई पर सब खामोश रहते हैं, चर्चा अगर उसकी बुराई पर हो तो गूँगे भी बोल पड़ते हैं.
गिला शिकवा ही कर डालो के कुछ वक़्त कट जाए, लबो पे आपके यह खामोशी अच्छी नहीं लगती।
साँसों को चलनी जिगर को पार करती है, ख़ामोशी भी बड़े सलीके से वार करती है…!!!
हक़ीकत में खामोशी कभी भी चुप नहीं रहती है, कभी तुम गौर से सुनना बहुत किस्से सुनाती है।
मोहब्बत नहीं थी तो एक बार समझाया तो होता, नादान दिल तेरी खामोशी को इश्क समझ बैठा।
जब इंसान अंदर से टूट जाता हैं, तो अक्सर बाहर से खामोश हो जाता हैं.
तेरी खामोशी जला देती है इस दिल की तमन्नाओ को, बाकी सारी बातें अच्छी हैं तेरी तश्वीर में।
ख़ामोशी को इख़्तियार कर लेना, अपने दिल को थोड़ा बेकरार कर लेना, जिन्दगी का असली दर्द लेना हो तो बस किसी से बेपनाह प्यार कर लेना.
अंधेरे में भी सितारे उग आते, रात चाँदनी रहती है, कहीं जलन है दिल में मेरे, ये खामोशी कुछ तो कहती है…!!!
मेरी ख़ामोशी में सन्नाटा भी हैं और शोर भी हैं, तूने गौर से नहीं देखा, इन आखों में कुछ और भी हैं.
खामोशियाँ अक्सर कलम से बया नहीं होती, अँधेरा दिल में हो तो रौशनी से आशना नहीं होती, लाख जिरह कर लो अल्फाज़ो में खुद को ढूंढ़ने की, जले हुए रिश्तो से मगर रोशन शमा नहीं होती…!!
हर ख़ामोशी का मतलब इन्कार नही होता, हर नाकामी का मतलब हार नही होता, तो क्या हुआ अगर हम तुम्हें पा न सके सिर्फ पाने का मतलब प्यार नहीं होता.
चलो अब जाने भी दो, क्या करोगे दास्ताँ सुनकर, ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं, और बयाँ हम से होगा नहीं.
अजीब है मेरा अकेलापन ना खुश हूँ, ना उदास हूँ बस अकेला हूँ और खामोश हूँ…!!!
राज खोल देते हैं, नाजुक से इशारे अक्सर, कितनी ख़ामोश मोहब्बत की जुबान होती हैं.
जब कोई ख्याल दिल से टकराता है, दिल न चाह कर भी खामोश रह जाता है, कोई सब कुछ कह कर प्यार जताता है, कोई कुछ न कहकर भी सब बोल जाता है।
रात गम सुम है मगर खामोश नहीं, कैसे कह दूँ आज फिर होश नहीं, ऐसे डूबा हूँ तेरी आँखों की गहराई में हाथ में जाम है मगर पीने का होश नहीं.
मुझे अपने इश्क़ की वफ़ा पर बड़ा नाज था, जब वो बेवफा निकला, मैं भी खामोश हो गया.
खामोश कोहरे से भरा झील था मेरे साथ अक्सर बातें करता था एक ख़ामोशी के साथ वो देखता था और कोहरे में अक्सर को जाता था…!!!
बोलने से जब अपने रूठ जाए, तब खामोशी को अपनी ताकत बनाएं।
ये जो खामोश से जज्बात लिखे है ना पढ़ना कभी ध्यान से ये चीखते कमाल है…!!!
मैंने अपनी एक ऐसी दुनिया बसाई है, जिसमें एक तरफ खामोशी और दूसरी तरफ तन्हाई है.
क्या लिखूं दिल की हकीकत आरजू बेहोश है खत पर है आंसू गिरे और कलम खामोश है…!!!
तेरी खामोशी, अगर तेरी मजबूरी है, तो रहने दे इश्क कौन सा जरूरी है.
माचिस के डिबिया जैसी है जिंदगी और ये पल सारे तीलियों जैसे जला रहे है…!!!
उसने कुछ इस तरह से की बेवफाई, मेरे लबो को खामोशी ही रास आई.
Shayari on Khamoshi
कौन कहता है खामोशिया खामोश होती है खामोशिया को खामोश से सुनो कभी कभी ख़ामोशी वो कह देती है जिनकी आपको लफ्जो में तलाश होती है…!!!
दर्द हद से ज्यादा हो तो आवाज छीन लेती है, ऐ दोस्त, कोई खामोशी बेवजह नहीं होती है.
अब तो जिद हो चुकी है मेरी की ख़ामोशी को हमेशा के लिए खामोश कर दूँ…!!!
जब खामोशी कमजोरी बन जाती है, तो खूबसूरत रिश्तों में दरारे आ जाती है.
सूरज, चाँद और रौशनी इनमें ही बयां कर देती है खामोशियाँ पर अधूरी सी रह जाती है ये गजले मेरी क्यो है ये बेरुखी सी दुनिया..!!!
वक्त तुम्हारे ख़िलाफ़ हो तो खामोश हो जाना, कोई छीन नहीं सकता जो तेरे नसीब में है पाना।
मुस्कुराने से किसी का किसी से प्यार नहीं होता, आश लगाने का मतलब सिर्फ इंतजार नहीं होता, माना खामोश था मै उस वक़्त, पर मेरी ख़ामोशी का मतलब इंकार नहीं होता…!!!
जाने क्या ख़ता हुई हमसे, उनकी याद भी हमसे जलती है, अब आँसू भी आग उगलते हैं, ये खामोशी कुछ तो कहती है