हमें न मोहब्बत मिली न प्यार मिला, हमको जो भी मिला बेवफा यार मिला, अपनी तो बन गई तमाशा ज़िन्दगी, हर कोई मकसद का तलबगार मिला।
बहुत अजीब हैं ये मोहब्बत करने वाले, बेवफाई करो तो रोते हैं और वफा करो तो रुलाते हैं।
हमारे हर सवाल का सिर्फ एक ही जवाब आया, पैगाम जो पहूँचा हम तक बेवफा इल्जाम आया।
बहुत दर्द देती है, आज भी वो यादें। जिन यादों में तुम नजर आते हो।
तूने ही लगा दिया इलज़ाम-ए-बेवफाई, अदालत भी तेरी थी गवाह भी तू ही थी।
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यूँ है सबकुछ मेरे पास बस दवा-ए-दिल नही, दूर वो मुझसे है पर मैं उस से नाराज नहीं, मालूम है अब भी मोहब्बत करता है वो मुझसे, वो थोड़ा सा जिद्दी है लेकिन बेवफा नहीं।
तुम समझ लेना बेवफा मुझको, मै तुम्हे मगरूर मान लूँगा ये वजह अच्छी होगी , एक दूसरे को भूल जाने के लिये
उसे बेवफा कहेंगे तो, अपनी ही नजर में गिर जाएंगे हम। वो प्यार भी अपना था और, वो पसंद भी अपनी थी।
सीख कर गया है वो मोहब्बत मुझसे, जिस से भी करेगा बेमिसाल करेगा।
Bewafai Shayari in Hindi
मेरी निगाहों में बहने वाला ये आवारा से अश्क पूछ रहे है पलकों से तेरी बेवफाई की वजह।
जिस किसीको भी चाहो वोह बेवफा हो जाता है, सर अगर झुकाओ तो सनम खुदा हो जाता है, जब तक काम आते रहो हमसफ़र कहलाते रहो, काम निकल जाने पर हमसफ़र कोई दूसरा हो जाता है…
याद रहेगा हमेशा यह दर्दे बेवफाई हमको भी, कि क्या खूब तरसे थे जिंदगी में, एक शख्स की खातिर।
हर भूल तेरी माफ़ की तेरी हर खता को भुला दिया, गम है कि मेरे प्यार का तूने बेवफाई सिला दिया।
रुशवा क्यों करते हो तुम इश्क़ को, ए दुनिया वालो, मेहबूब तुम्हारा बेवफा है, तो इश्क़ का क्या गनाह।
इस दुनिया में अजनबी रहना ही ठीक है। कुछ लोग बहुत तकलीफ देते है, अक्सर अपना बनाकर।
आप बेवफा होंगे सोचा ही नहीं था, आप भी कभी खफा होंगे सोचा नहीं था, जो गीत लिखे थे कभी प्यार में तेरे, वही गीत रुसवा होंगे सोचा ही नहीं था।
क्या जानो तुम बेवफाई की हद दोस्तों, वो हमसे इश्क सीखती रही किसी ओर के लिए।
अल्फाज़ तो बहुत है मोहब्बत को जताने के लिए ! जो मेरी खामुशी नहीं समझ सका वो मेरी मोहब्बत क्या समझे गा !!
चलो छोड़ो ये बहस की वफा किसने की? और बेवफा कौन है? तुम तो ये बताओ कि, आज तन्हा कौन है?
बेवफा वक़्त था? तुम थे? या मुकद्दर था मेरा? बात इतनी ही है कि अंजाम जुदाई निकला।
सच का कोई मोल नहीं, झूठों का बाजार है। बेवफा तो हर मोड़ पे मिली। बस बोलती थी, हमको तो तुम्ही से प्यार है।
मजबूरी में जब कोई जुदा होता है, जरूरी नहीं कि वो बेवफा होता है, देकर वो आपकी आँखों में आँसू, अकेले में आपसे ज्यादा रोता है।
बदनाम क्यों करते हो, इश्क को दुनिया वालों। जब महबूब ही तुम्हारा बेवफा था।
दिल भी गुस्ताख हो चला था बहुत, शुक्र है कि यार ही बेवफा निकला।
दिल तो रोज कहता है, मुझे कोई सहारा चाहिए। फिर दिमाग कहता है, क्या धोखा दुबारा चाहिए?
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न कोई मज़बूरी है न तो लाचारी है, बेवफाई उसकी पैदायशी बीमारी है।
किससे होकर खफा, किससे बेवफाई कर रहे हैं। दिल में अँधेरा लिए लोग, जमाने में रौशनी भर रहे हैं।
अगले बरसों की तरह होंगे करीने तेरे, किसे मालूम नहीं बारह महीने तेरे।
ना पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक है, तू सितम कर ले तेरी हसरत जहाँ तक है वफ़ा की उम्मीद जिन्हें होगी उन्हें होगी, हमें तो देखना है तू बेवफ़ा कहाँ तक है।
मिल के नजर से नजर लूट लेंगे। ये बेवफा जलवे जिगर लूट लेंगे। हसीनों पे हरगिज भरोसा ना करना, खुद की कसम से ये घर के घर लूट लेंगे।
उस के यूँ तर्क-ए-मोहब्बत का सबब होगा कोई, जी नहीं मानता कि वो बेवफ़ा पहले से था।
ना वो सपना देखो जो टूट जाए। ना वो हाथ थामो जो छूट जाए। मत आने दो किसी को करीब इतना, कि उसके दूर जाने से इंसान खुद से रुठ जाए।
लग जाए जमाने की हवा जाने कब उसको, वो शख्स भी इंसान है कुछ कह नहीं सकते।
तेरे प्यार का सिला हर हाल में देंगे। खुदा भी मांगे ये दिल तो टाल देंगे। अगर दिल ने कहा तुम बेवफा हो, तो इस दिल को भी सीने से निकाल देंगे।
Bewafai Shayari in Hindi
बरसों गुजर गए हमने रो कर नहीं देखा, आँखों में नींद थी मगर सो कर नहीं देखा, वो क्या जाने दर्द-ए-मोहब्बत क्या है, जिसने कभी किसी का होकर नहीं देखा।
था कोई जो मेरे दिल को जख्म दे गया। जिंदगी भर रोने की कसम दे गया। लाखों फूलों में से एक फूल चुना था मैंने, जो काटों से भी गहरा जख्म दे गया।
हम से बिछड़ के फिर किसी के भी न हो सकोगे, तुम मिलोगे सब से मगर हमारी ही तलाश में।
कौन करता था वफाओं के तकाजे तुमसे, हम तो बस तेरी झूठी तसल्ली के तलबगार थे।
कुछ अलग ही करना है तो वफ़ा करो दोस्त, बेवफाई तो सबने की है मज़बूरी के नाम पर।
आपकी नशीली यादों में डूब कर, हमने इश्क की गहराई को समझा। आप तो दे रहे थे “धोखा” और हमने जान कर भी कभी, आपको बेवफा ना समझा।
मेरी तलाश का है जुर्म या मेरी वफा का क़सूर, जो दिल के करीब आया वही बेवफा निकला।
बेवफा तेरा मासूम चेहरा, भूल जाने के काबिल नहीं। है मगर तू बहुत खूबसूरत, पर दिल लगाने के काबिल नहीं है।
न मैं शायर हूँ न मेरा शायरी से कोई वास्ता, बस शौक बन गया है तेरी बेवफाई बयाँ करना।
हमने उनको दिल दिया, हम दीवाने बन गए। दो लाइन शायरी क्या बोली, हम शायर बन गए। अरे धोखा दिया उन्होंने, और धोखेबाज हम बन गए।
मोहब्बत से भरी कोई ग़ज़ल उसे पसंद नहीं, बेवफाई के हर शेर पे वो दाद दिया करते हैं।
बेवजह बेवफाओं को याद किया है, गलत लोगों पर बहुत वक्त बर्बाद किया है।
तुम अगर याद रखोगे तो इनायत होगी, वरना हमको कहाँ तुम से शिकायत होगी, ये तो वही बेवफ़ा लोगों की दुनिया है, तुम भूल भी जाओगे तो रिवायत होगी।
अच्छा होता जो उनसे प्यार न हुआ होता, चैन से रहते हम जो दीदार न हुआ होता, पहुँच चुके होते हम अपनी मंज़िल पर, अगर एक बेवफा पर ऐतबार न हुआ होता।