Ravish Kumar Biography in Hindi: रविश कुमार भारत के लोकप्रिय टीवी एंकर, लेखक व पत्रकारों में से एक हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में रविश कुमार एक जाना-माना चेहरा हैं। साधारण परिवार में जन्में रविश कुमार को पत्रकारिता के क्षेत्र में कई सम्मानों से नवाजा जा चूका हैं। उनको विश्व के सर्वोच्च सम्मानों में से एक मैग्सेसे अवार्ड भी मिल चुका है।
पत्रकार रविश कुमार अधिकतर राजनीती व समाज से जुड़े मुद्दों पर बात करते हैं। वे लोकप्रिय हिंदी टीवी चैनल एनडीटीवी के वरिष्ठ कार्यकारी संपादक रह चुके हैं। एनडीटीवी पर आने वाला उनका कार्यक्रम “प्राइम टाइम” बेहद लोकप्रिय कार्यक्रम रहा हैं। वे 1996 में एनडीटीवी से जुड़े और लगभग 26 सालों तक एनडीटीवी चैनेल के साथ जुड़े रहे।
टीवी पत्रकार रविश कुमार जमीन से जुड़े व्यक्ति हैं, उनका निराला अंदाज उनकी पत्रकारिता में साफ़ झलकता हैं। अपनी प्रस्तुति में माँ, बाबूजी, खेत-खलिहान, नारायणी नदी, गोरैया, पोखर आदि शब्दों का इस्तेमाल करना उनके इस अंदाज को अलग बनाता हैं। इसके साथ-साथ रविश कुमार एक ‘क़स्बा’ नाम का ब्लॉग भी चलाते हैं, जहाँ वे अपने विचार रखते हैं।
पत्रकार रवीश कुमार का जीवन परिचय (Ravish Kumar Biography In Hindi)
नाम | रवीश कुमार |
पूरा नाम | रवीश कुमार पाण्डेय |
जन्म और जन्मस्थान | 5 दिसंबर 1974, मोतिहारी, चंपारण (बिहार) |
पेशा | लोकप्रिय टीवी एंकर, लेखक व पत्रकार |
पत्नी | नयनादास गुप्ता |
कास्ट | ब्राह्मण |
धर्म | हिन्दू |
प्रसिद्धी | प्राइम टाइम कार्यक्रम के कारण |
शिक्षा | स्नातक, पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा, एम.फिल |
कॉलेज | दिल्ली विश्वविद्यालय और भारतीय जन संचार संस्थान |
पत्रकार रविश कुमार का प्रारंभिक जीवन
रविश कुमार का जन्म 5 दिसंबर 1974 में बिहार में चंपारण जिले के मोतिहारी में बेहद सामान्य ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनका पूरा नाम रविश कुमार पांडेय हैं। इनके पिता का नाम बलिराम पांडे है। रविश कुमार की शुरूआती शिक्षा लोयोला हाई स्कूल पटना में हुई इसके पश्चात वे आगे की पढाई के लिए दिल्ली आ गये।
उस समय रविश कुमार एक उद्देश्य यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करना था। लेकिन उनका यह उद्देश्य पूरा नहीं हो सका। क्योंकि भारतीय मंडल आयोग ने घोषणा की कि शिक्षा व सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों को इसमें प्राथमिकता दी जाएगी।
ऐसे में रविश कुमार के लिए इसे पूरा करना और अधिक कठिन हो गया। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक उपाधि प्राप्त की और भारतीय जन संचार संस्थान से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त किया।
रविश कुमार की शादी व पारिवारिक जीवन
रविश कुमार की उनके एम.फिल (M Phil) करने के दौरान उनकी मुलाकात नयनादास गुप्ता नाम की लड़की से हुई। दोनों की आपस में एक दुसरे को पसंद करने लगे और बाद में दोनों ने शादी कर ली।
नयना दास वर्तमान में लेडी श्री राम कॉलेज दिल्ली में इतिहास की टीचर हैं। एक इंटरव्यू के दौरान रविश कुमार ने कहा था कि हर व्यक्ति के जीवन में उसकी सफलता के लिए किसी न किसी का हाथ होता हैं, इसी तरह उनके जीवन में उनकी पत्नी नयनादास उनकी प्रेरणा हैं।
रविश कुमार और नयना दास की दो बेटियां हैं। इसके अलावा रविश कुमार के भाई का नाम बृजेश कुमार पांडे (Ravish Kumar Brother) हैं, जो कि एक राजनेता हैं और कांग्रेस पार्टी के सदस्य हैं।
पत्रकार रविश कुमार का करियर (Ravish Kumar Career)
पत्रकार रविश कुमार ने अपने करियर की शुरुआत 26 साल पहले टीवी चैनल एनडीटीवी के साथ शुरू की थी। रविश कुमार बिल्कुल लोकल अंदाज में रिपोर्टिंग करते हैं, जिसके कारण लोग उनके बहुत जल्द कनेक्ट कर पाते हैं। उनकी भाषाशैली उनकी रिपोर्टिंग को बाकी पत्रकारों से अलग बनाती हैं। रविश कुमार अपने कार्यक्रमों में बेरोजगारी, किसानों की समस्या और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करते है।
रविश कुमार ने 2010 में “देखते रहिये” नाम से एक किताब (Ravish Kumar Books) भी प्रकाशित की। इसके बाद 2015 में भी “इश्क में शहर होना” नाम की भी पुस्तक लिखी, जिसे राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया।
रविश कुमार के लेख कई अख़बारों और पत्रिकाओं में छपते हैं। इसके साथ-साथ कुछ लेख उनकी अपनी निजी वेबसाइट “क़स्बा” पर भी प्रकाशित होते हैं। रविश कुमार सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहते हैं, रविश सोशल मीडिया पर भी अपनी बात पुरजोर तरीके से रखने में माहिर हैं। वर्तमान समय को देखते हुए रविश कुमार ने मीडिया के लिए एक नया शब्द दिया हैं “गोदी-मीडिया” जो बहुत लोकप्रिय हो चूका है।
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NDTV से रवीश कुमार का इस्तीफा
रविश कुमार ndtv के जरिए बहुत लोकप्रिय हुए, इन्होंने ndtv में 26 साल का समय गुजारा। लेकिन अचानक से ही 30 नवंबर को खबर आई कि रविश कुमार ndtv से इस्तीफा दे रहे हैं। इसकी जानकारी एनडीटीवी ग्रुप की प्रेसिडेंट सुपर्णा सिंह ने वहां के कर्मचारियों को एक ईमेल के जरिए दी। जिसमें उन्होंने लिखा था कि रवीश ने एनडीटीवी से इस्तीफा दे दिया है और उनके इस्तीफे की गुजारिश को स्वीकार कर लिया गया है।
माना जा रहा है कि इसी साल अगस्त में अडानी ग्रुप में मीडिया कंपनी एनडीटीवी में अप्रत्यक्ष रूप से 29.18 फ़ीसदी हिस्सा खरीद लिया था। अब बाकी की हिस्सेदारी खरीदने के लिए इन्होंने ओपन ऑफर का ऐलान कर दिया था।
जब अगस्त में इस कंपनी को अडानी ग्रुप ने खरीदा था तभी से ही खबर आ रही थी कि एनडीटीवी से कई प्रमुख चेहरे विदाई ले सकते हैं और यह बात सही भी हुई। रवीश कुमार के 1 दिन पहले आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड जो एनडीटीवी की प्रमोटर ग्रुप व्हीकल है के डायरेक्टर के पद से प्रणय रॉय और राधिका रॉय ने भी इस्तीफा दे दिया।
हालांकि रवीश कुमार ने एनडीटीवी से इस्तीफा देने के पीछे का कारण पूरी तरह खुल कर ना बताते हुए सिर्फ इन्होंने एक वीडियो के जरिए लोगों तक यही संदेश पहुंचा कि “भारत में पत्रकारिता का स्वर्ण युग कभी नहीं था। लेकिन आज के दौर की तरह भस्म युग भी नहीं था। आज गोदी मीडिया और सरकार भी पत्रकारिता का अपना मतलब आपके ऊपर थोपना चाहती है”। हालांकि रवीश कुमार जल्द ही किसी दूसरे न्यूज़ न्यूज चैनल पर नजर आ सकते हैं।
रवीश कुमार की लोकप्रियता का कारण
रवीश कुमार के बोलने का अंदाज ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह बहुत ही सरल भाषा में खबरों को स्क्रीन पर प्रस्तुत करते हैं। साधारण सा दिखने वाला चेहरा और आम लोगों के बीच वाली बोलचाल की भाषा का प्रयोग करना मानो इनकी पहचान बन चुकी हो।
अगर हम इनके पेशे से नजर हटाते हैं तो पता चलता है कि रविश कुमार एक ईमानदार, निडर और साहसी व्यक्तित्व वाले पत्रकार है। क्योंकि यह हमेशा गरीबों और जनता के हित से जुड़े मुद्दों को उठाते हैं। यह किसी भी राजनीतिक पार्टी, नेता या सरकार के दबाव में नहीं बोलते।
यदि जनता के साथ कोई भी पार्टी नेता या सरकार धोखा करती है, घोटाला करती है तो यह बिना डरे साहस से जनता की भलाई के लिए आवाज उठाते हैं। यह अक्सर बेरोजगारी, किसानों की समस्या, सामाजिक असमानता, मीडिया का निष्पक्ष होना जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाए हैं, जिससे देश में बदलाव लाया जा सके।
पत्रकार रविश कुमार द्वारा जीते गये अवार्ड्स (Ravish Kumar Awards)
पत्रकारिता के क्षेत्र में रविश कुमार को बहुत सारे अवार्ड्स भी मिले हैं, जो इस प्रकार से है:
- हिंदी पत्रकारिता और रचनात्मक साहित्य के लिए 2010 में रविश कुमार गणेश शंकर विद्यार्थी अवार्ड मिला था, यह अवार्ड भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है।
- इसके अलावा उन्होंने 2014 में हिंदी के सर्वश्रेष्ठ एंकर में भारतीय समाचार टेलीविजन पुरस्कार जीता था।
- पत्रकारिता में 2013 में उनको रामनाथ गोयंका उत्कृष्टता पुरस्कार भी इनको मिला हुआ है।
- 2016 में रविश कुमार को इंडियन एक्सप्रेस की तरफ से 100 सबसे प्रभावशाली भारतीयों की सूची में शामिल किया था।
- 2017 में उन्हें कुलदीप नैयर अवार्ड्स संजीदा पत्रकार प्राप्त हुआ था।
- इसके अलावा इनको अगस्त 2019 में इनका के रेमन मैग्सेसे अवार्ड भी प्राप्त हो चुका है।
रविश कुमार की प्रसिद्ध किताबें
- इश्क में शहर होना
- देखते रहिये
- रवीशपन्ति
आप रविश कुमार की इन प्रसिद्ध पुस्तकों को अमेज़न इंडिया से ऑनलाइन खरीद सकते हैं।
FAQ
रवीश कुमार हम लोग, चैनल के प्रमुख कार्यदिवस शो प्राइम टाइम, रवीश की रिपोर्ट और देश की बात सहित कई कार्यक्रमों की मेजबानी की हैं।
रवीश कुमार उन तमाम टीवी, न्यूज़ चैनल और सोशल मीडिया को गोदी मीडिया कहते हैं, जो बिना तथ्य और सच्चाई के जाने ही झूठी खबरों को फैलाते हैं, बड़े-बड़े लोगों के हाथों बिक जाते हैं।
रवीश कुमार का पूरा नाम रवीश कुमार पाण्डेय है।
रवीश कुमार के पिता का नाम बलिराम पांडे है।
रवीश कुमार बिहार राज्य के जितवारपुर गाँव के रहने वाले हैं।
रवीश कुमार की जाति ब्राह्मण है।
रवीश कुमार की पत्नी का नाम नयना दास है, जो वर्तमान में लेडी श्री राम कॉलेज दिल्ली में इतिहास की टीचर के तौर पर पढ़ाती है।
एक इंटरव्यू में रवीश कुमार ने कहा था कि हर व्यक्ति के जीवन में उनके सफलता के पीछे किसी ना किसी का हाथ होता है। मेरे सफलता के पीछे मेरी पत्नी का हाथ है। वह मेरी प्रेरणा रही है।
रवीश कुमार के एक सगे भाई हैं, जिनका नाम ब्रजेश कुमार पांडे है, जो बिहार कांग्रेस उपाध्यक्ष के पद पर भी रह चुके हैं। यह कांग्रेस के सदस्य हैं और एक राजनेता है।
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हम तो रवीश कुमार के प्रशंसक है उनकी पत्रकारिता का अंदाज ही अलग है