Pratap Puri Maharaj Biography in Hindi: भारत के पवित्र भूमि पर अनेकों महासंतो ने जन्म लिया, जिन्होंने अपने धर्म की ध्वजा सदैव लहराया और देश के नाम को आगे बढ़ाया। लोगों में धर्म की रक्षा करना और संस्कृति के प्रति जागरूक करने का काम किया। ऐसे ही महान संतों में से एक महंत स्वामी प्रतापपुरी हैं, जो राजस्थान के बाड़मेर के तारातरा मठ के प्रमुख हैं।
यह ना केवल भारतीय आध्यात्मिक गुरु हैं यहां तक कि एक राजनीतिज्ञ भी हैं, जिन्होंने पोकरण विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा। महंत प्रताप महाराज सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा एक्टिव रहते हैं। इनके भाषण लोगों में सामाजिक एकता लाते हैं। इन्होने महिला सशक्तिकरण और वैज्ञानिक मानसिकता जैसे विषयों पर कई बार भाषण दिये हैं।

आज के इस लेख में हम महंत स्वामी प्रतापपुरी महाराज के प्रारंभिक जीवन, इनके माता-पिता, इनके परिवार एवं आध्यात्मिक क्षेत्र में इनका प्रवेश एवं राजनीति के क्षेत्र में निभाई गई भूमिकाओं के बारे में जानेंगे।
महंत प्रताप पुरी का जीवन परिचय (Pratap Puri Maharaj Biography in Hindi)
नाम | महंत प्रताप पुरी |
पेशा | आध्यात्मिक गुरु |
जन्म | चैत्र शुक्ला द्वितीया, विक्रम संवत 2021 |
जन्मस्थान | महाबार गांव, बाड़मेर (राजस्थान) |
माता | हरकुँवर |
पिता | बलवंत सिंह |
शिक्षा | हरियाणा के महाविद्यालय से |
गुरु | मोहनपुरी |
महंत प्रताप पुरी का प्रारंभिक जीवन
महंत प्रताप पुरी का जन्म विक्रम संवत 2021, चैत्र शुक्ला द्वितीया, मंगलवार के दिन राजस्थान राज्य के बाड़मेर जिले से 14 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण दिशा में स्थित महाबार गांव में हुआ था। महंत की माता का नाम हरकुंवर एवं पिता का नाम बलवंत सिंह था।
महंत प्रताप पुरी महाराज की शिक्षा
महंत प्रताप पुरी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लीलसर गांव और बाड़मेर से पूरी की। उसके बाद उन्होंने हरियाणा में चेशायर जिले के गुरुकुल से शास्त्र खंड में प्रमुख शिक्षा प्राप्त की। बहुत छोटी उम्र में ही महंत के माता पिता ने गुरु मोहनपुरी को सौंप दिया था। उन्हीं के पास रहते हुए महंत प्रताप पुरी ने सनातन हिंदू धर्म के लिए जान और काम करने के लिए खुद को समर्पित किया था।
मठ प्रताप पुरी महाराज को बचपन से ही पढ़ने का काफी ज्यादा शौक था। यहां तक कि अपने विद्यालय में भी हमेशा प्रथम नंबर पर आते थे। जब यह मोहनपुरी महाराज के सानिध्य में स्कूल में शिक्षा ग्रहण करते थे, हमेशा प्रथम नंबर पर आते थे।
जिसके कारण अन्य बच्चे कहते थे कि यहां पर लोग इनसे डरते हैं, इसीलिए इन्हें प्रथम नंबर पर रखते हैं। जिस कारण मोहनपुरी महाराज ने इनका दाखिला बाड़मेर के दूसरे विद्यालय में करवा दिया। लेकिन वहां भी मन प्रताप पुरी हमेशा शिक्षा में आवल आए।
महंत प्रताप पुरी के जन्म की कहानी
महत्व प्रताप पुरी के जन्म से एक जुड़ी बहुत ही रोचक कहानी है। कहा जाता है कि जब महंत पुरी का जन्म नहीं हुआ था जब अपने माता के गर्भ में थे, उस समय इनकी माता को एक बार किसी पागल कुत्ते ने काट लिया था। इनकी माता बहुत डर गई थी। इस कारण उन्होंने अपने परिवार वालों को इस घटना के बारे में नहीं बताया।
लेकिन कुत्ते के काटने के कारण कुछ दिनों के बाद उनके शरीर पर रैबिज के कीटाणु जो कुत्ते के काटने के कारण होते हैं, पूरे शरीर में फैल गये। इस कीटाणु के प्रभाव के कारण इनकी माता ने पागलों की तरह हरकतें करना शुरू कर दी थी। कभी कबार तो वे घर से भी निकल जाती थी।
एक बार अपने पागलपन हरकत में इनकी माता अपने घर से निकलकर गांव से दूर भागने लगी तब गांव वालों ने उन्हें देखा और उनका पीछा करना शुरू कर दिया। पीछे से उनके परिवार वाले भी उनका पीछा करते हुए उन तक पहुंचे तब देखा कि उनकी माता गांव के बाहर बेहोश पड़ी हुई है।
जब इनकी माता को होश में लाने के लिए इन्हें उठाया गया तब देखा कि उनके मुंह से झाग निकल रहा है। यह देख सभी परिवार वाले परेशान हो गए, उन्हें थोड़ा अंदाजा हो गया कि जरूर इन्हें किसी पागल कुत्ते ने काटा है। जब इन्हें होश आया तब पूछा गया कि क्या तुम्हें किसी पागल कुत्ते ने काटा था। तब इनकी माता ने उस दिन की घटना बताई।
गर्भवती होने के कारण बच्चे पर खतरा होने की संभावना थी, जिस कारण इनके परिवार वाले पूरी तरह चिंतित हो जाते हैं। तब गांव वालों में से कुछ ने सुझाव दिया कि इनकी माता को तारातरा मठ लेकर जाना चाहिए। वहां पर मोहनपुरी जी नाम के एक महाराज रहते हैं जिनमें बहुत शक्ति है वह इन्हें जरूर ठीक कर देंगे।
इनके परिवार वाले प्रताप पुरी महाराज की माता को तारातरा मठ लेकर जाते हैं। मोहनपुरी महाराज को सारी घटना बताते हैं और निवेदन करते हैं कि वह इनकी माता को ठीक कर दे।
मोहनपुरी महाराज प्रताप पुरी महाराज के माता को देखते हैं और कहते हैं कि चिंता मत करो, यह ठीक हो जाएगी और यह हष्ट पुष्ट बालक को जन्म देगी। लेकिन उस बालक को मेरा शिष्य बना देना, वह यहां रहते हुए मेरा भी काम करेगा और खुद का भी नाम करेगा। महाराज की बात सच हो गई। कुछ दिनों के बाद वह एक हष्ट पुष्ट बालक को जन्म देती है, जिसका नाम प्रतापपुरी रखा जाता है।
प्रताप पुरी महाराज का तारातरा मठ के लिए जाना
प्रताप पुरी के जन्म से पहले ही जब मोहनपुरी महाराज ने इनकी माता को कहा था कि वह बालक को जन्म देगी और उसे बाद में मेरा शिष्य बना देना, जिस कारण कुछ समय तक प्रताप पुरी अपने माता-पिता के साथ रहते हैं लेकिन बाद में उनके माता-पिता इन्हें तारातरा मठ मोहन पुरी महाराज के सानिध्य में भेज देते हैं।
उस दौरान प्रताप पुरी महाराज वहीँ पर रह कर मोहनपुरी महाराज के सानिध्य में शिक्षा ग्रहण करते हैं। उनका स्कूल में दाखिला करवाते हैं और मन लगाकर पढ़ाई करते हैं। एक बार प्रताप पुरी महाराज ओमानंद महाराज की पुस्तक ब्रह्मचर्य पढ़ रहे थे, उस पुस्तक को पढ़ने के बाद वह काफी ज्यादा प्रभावित हुए।
उसके बाद उन्होंने आगे की शिक्षा ग्रहण करने के लिए गुरुकुल जाने का विचार बनाया। गुरुकुल में प्रताप पुरी पढ़ते हुए लाल बहादुर शास्त्री और विवेकानंद से काफी ज्यादा प्रभावित हुए थे और उन्हीं की तरह यह भी देश की सेवा करना चाहते थे, गौ माता की रक्षा करना चाहते थे। इसीलिए गुरुकुल की पढ़ाई पूरी करने के बाद तारातरा मठ वापस आ गए।
यहां पर कुछ समय रहने के बाद मोहन पुरी महाराज इन्हें माउंट आबू भेजना चाहते थे ताकि आगे और शिक्षा ग्रहण कर सके। लेकिन प्रताप पुरी ने पहले से ही विचार बना लिया था कि वे देश की सेवा करेंगे। इसीलिए माउंट आबू जाने के बजाय वे हरियाणा के झज्जर महाविद्यालय में दाखिला लेकर वहीं पर पढ़ाई करनी शुरू कर दी और पढ़ते हुए कम समय में ही वे छात्र नेता के रूप में उभर कर सामने आए।
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कबड्डी में रुचि
हरियाणा में महाविद्यालय में पढ़ने के दौरान महंत प्रताप पुरी महाराज को खेलने में काफी ज्यादा रूचि लगने लगी थी। एक बार यह कबड्डी खेल रहे थे, उन्हें लगा कि विपक्ष टीम को वह बहुत ही आसानी से हरा देंगे। खेल में इन्होने बहुत ही लंबा जंप लगाया।
लेकिन विपक्ष टीम के किसी एक खिलाड़ी ने उनके पांव को पकड़ लिया, जिसके कारण यह जमीन पर गिर गए और उनके हाथों में चोट लग गई। जिसके बाद इन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। हॉस्पिटल में जब डॉक्टर ने इन्हें बेहोश करने के लिए इंजेक्शन दिया तो इंजेक्शन का इन पर कोई प्रभाव नहीं हुआ।
तब प्रताप पुरी ने डॉक्टर से आग्रह किया कि वे बिना इंजेक्शन लगाए इनका इलाज करें। इसके बाद डॉक्टर ने बिना बेहोशी का इंजेक्शन लगाए इनके हाथों में पट्टी लगाना शुरू किया। कुछ समय के बाद यह ठीक भी हो गए, जिसके बाद उन्होंने खेल से अपनी रूचि को कम कर दिया और आगे राजनीति में अपना ध्यान केंद्रित किया।
जिसके बाद साल 2018 में राजस्थान के पोकरण विधानसभा क्षेत्र से प्रताप पुरी महाराज ने चुनाव लड़ा। हालांकि इसमें उनकी हार हो गई। उसके बाद प्रताप पुरी ने हिंदू सनातन धर्म को आगे बढ़ाने पर कार्य करना शुरू किया और फिर राष्ट्र सेवा और गौ सेवा में अपना योगदान देना शुरू किया।
FAQ
प्रताप पुरी महाराज को पढ़ने का काफी ज्यादा शौक है। इसके अतिरिक्त अपने शिक्षा के दौरान खेलने में भी काफी रूचि रखते थे।
प्रताप पुरी महाराज के आध्यात्मिक गुरु का नाम मोहन पुरी था, जो तारातरा मठ में रहते थे और इन्हीं के सानिध्य में इन्होंने अपनी शिक्षा प्राप्त की।
प्रताप पुरी महाराज राजस्थान राज्य के रहने वाले हैं।
निष्कर्ष
आज के इस लेख में आपने एक आध्यात्मिक गुरु एवं राजस्थान के तारातरा मठ के प्रमुख महंत प्रताप पुरी के जीवन परिचय (Pratap Puri Maharaj Biography in Hindi) के बारे में जाना है। इस लेख में हमने आपको महान प्रतापपुरी की प्रारंभिक जीवन, उनका परिवार एवं उनके आध्यात्मिक के सफ़र से अवगत कराया।
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