Devkinandan Thakur Biography in Hindi: देवकीनंदन ठाकुर महाराज एक आध्यात्मिक गुरु, मानवतावादी एवं कथावाचक है, जो भागवत गीता, श्री राम कथा, देवी भागवत, शिव पुराण कथा, कृष्ण लीला इत्यादि का मधुर वाचन करते हैं। इनके आयोजित कथा में लाखों की संख्या में जनसैलाब उमडते है।
धार्मिक कार्यों के अतिरिक्त महराज कई सामाजिक कार्यों में भी योगदान देते हैं ताकि समाज में व्याप्त कुप्रथा को मिटाया जा सके और लोगों में एकता लाई जा सके। इसके लिए इन्होंने कई अभियान भी चलाई है। आज के समय में लाखों की संख्या में देवकीनंदन ठाकुर महाराज को चाहने वाले हैं। यहां तक कि देश-विदेश में भी इनके प्रवचन को सुना जाता है।

आज के इस लेख में हम देवकीनंदन ठाकुर महाराज की प्रारंभिक जीवन (Devkinandan Thakur Biography in Hindi), इनकी शिक्षा, इनके परिवार, इनकी आय, इनकी संपत्ति और इनके कैरियर तथा इन से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जानेंगे।
देवकीनंदन ठाकुर महाराज का जीवन परिचय (Devkinandan Thakur Biography in Hindi)
पूरा नाम | श्री देवकीनन्दन ठाकुर |
व्यवसाय | हिंदू पुराण कथावाचक, गायक और एक आध्यात्मिक गुरु |
जन्म | 12 सितम्बर 1978 |
जन्मस्थान | ओहावा गाँव, मथुरा (उत्तर प्रदेश) |
धर्म | हिंदू |
जाति | ब्राह्मण |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
शिक्षा | अंग्रेजी भाषा में स्नातक |
माता | श्रीमति अनसुईया देवी |
पिता | श्री राजवीर शर्मा |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
पत्नी | श्रीमती अंदमाता |
संतान | देवांश |
देवकीनंदन ठाकुर महाराज का परिवार और प्रारंभिक जीवन
देवकीनंदन ठाकुर महाराज का जन्म उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के मांट क्षेत्र के ओहावा गांव में 12 सितंबर 1978 को हुआ था। देवकीनंदन महाराज एक ब्राह्मण परिवार से संबंध रखते हैं। इनकी माता का नाम श्रीमती अनुसूया देवी एवं पिता का नाम राजवीर शर्मा है।
इनके माता-पिता दोनों ही कृष्ण भक्ति एवं लोक कथाएं का पाठ करते हैं। इन्हीं से बचपन से देवकीनंदन ठाकुर कृष्ण भक्ति और लोक कथा का पाठ सुनकर बड़े हुए हैं। देवकीनंदन ठाकुर विवाहित है। इनकी पत्नी का नाम अंधमाता है। इनके संतान भी है, इनके पुत्र का नाम देवांश है।



आज देवकीनंदन ठाकुर महाराज को कौन नहीं जानता। इनकी ख्याति देश-विदेश तक फैली हुई है। लेकिन उसके बावजूद देवकीनंदन ठाकुर का जीवन बहुत ही साधारण है, जो अन्य लोगों को प्रेरित करता है।
देवकीनंदन ठाकुर महाराज की शिक्षा
देवकीनंदन ठाकुर ने अंग्रेजी भाषा में स्नातक की डिग्री पूरी की है। इसके अतिरिक्त उन्होंने वैदिक तथा आध्यात्मिक ज्ञान भी प्राप्त किया है। हिंदू सनातन संस्कृति से जुड़े लगभग सभी प्रकार के धर्म ग्रंथों का इन्होंने अध्ययन किया है। श्रीमद्भागवत गीता तो इन्हें कंठस्थ याद है। इनकी प्रतिभा एवं बोलने की कला बहुत ही प्रभावित हैं।
देवकीनंदन ठाकुर महाराज का करियर
देवकीनंदन ठाकुर महाराज बचपन से ही कृष्ण की लीला एवं उनके कथाओं को सुनते आ रहे थे। बचपन से ही उनमें महानता और अंतर्दृष्टि के लक्षण दिखाई देने लगे थे। प्रारंभिक शिक्षा पूरी होते-होते इनके मन पर कृष्ण लीलाओं का इस कदर प्रभाव पड़ा कि मात्र 6 वर्ष की उम्र में देवकीनंदन ठाकुर महाराज अपने घर को छोड़कर वृंदावन में रहने लगे।
वहां उन्होंने ब्रिज के प्रसिद्ध रसाली संस्थान में भाग लिया, जहां पर भगवान कृष्ण और भगवान राम के रूपों का प्रदर्शन किया करते थे। श्री धाम वृंदावन में देवकीनंदन महाराज को आध्यात्मिक गुरु सतगुरु आनंद विभूति भागवत आचार्य पुरुषोत्तम शरण शास्त्री से मुलाकात हुई, जिनसे उन्होंने प्राचीन शास्त्र ग्रंथों की शिक्षा दीक्षा प्राप्त की।
वृंदावन में कृष्ण लीला में देवकीनंदन ठाकुर महाराज इस तरह खो जाया करते थे कि लोगों को यह कृष्ण के मूर्ति के भांति लगते थे, जिसके बाद इन्हें लोग ठाकुर जी के नाम से पुकारने लगे थे।
उसके बाद देवकीनंदन ठाकुर महाराज ने समाज कल्याण की तरफ भी ध्यान दिया। इन्होंने समाज में फैली हुई कई कुरीतियों को दूर करने के लिए प्रयास किया। सन 1997 में इन्होंने दिल्ली में श्रीमद् भागवत कथा, देवी भागवत, शिव कथा, भगवत गीता, श्री राम कथा इत्यादि का वाचन का प्रारंभ किया और इन कथाओं के माध्यम से इन्होंने जन समुदायों में आपसी प्रेम सद्भाव एवं संस्कृति एवं संस्कार के विचार फैलाने शुरू किए।

अपने आयोजित कार्यक्रम में महाराज कथाओं को इस प्रभावी ढंग से बताया करते थे कि उनके कार्यक्रम में लाखों लोग का जनसैलाब उमड़ जाता था। न केवल हिंदू बल्कि मुस्लिम, सिख, ईसाई जैसे अन्य धर्म के लोग भी इनके कार्यक्रम में आते हैं और महाराज के बताई गई बातों को अपनाते हैं। प्रवचन करते-करते महाराज पूरे भारत में लोकप्रिय हो गए और भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी आगे उनके कार्यक्रम आयोजित होने लगे।
साल 2001 में पहली बार देवकीनंदन ठाकुर महाराज ने विदेश में अपने कथा का आयोजन किया और अब तक तो यह सिंगापुर, मलेशिया, हांगकांग, स्वीडन, डेनमार्क नॉर्वे जैसे कई देशों में कथाओं का वाचन कर चुके हैं और विदेशों में भी भारतीय संस्कृति एवं धर्म का प्रचार प्रसार कर चुके हैं।
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देवकीनंदन ठाकुर महाराज का सामाजिक योगदान
महाराज ने अपने प्रवचन के जरिए देश विदेश तक भारतीय संस्कृति और धर्म का प्रचार प्रसार तो किया हैं लेकिन इन्होंने सामाजिक योगदान भी दिए हैं। 20 अप्रैल 2006 में इन्होंने विश्व शांति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की थी। इस चैरिटेबल ट्रस्ट के स्थापना का उद्देश्य भारत के विभिन्न स्थानों पर कथा एवं शांति संदेश यात्राओं का आयोजन करना है।
अपने कार्यक्रम में शामिल होने वाले लाखों जन समुदायों को विभिन्न सामाजिक कुरीतियों एवं विसंगतियों के प्रति जागरूक करने के लिए कई अभियान इन्होंने शुरू किए। इसके माध्यम से भी लोगों को एकजुट करने का प्रयास करते हैं। इतना ही नहीं इस संस्था के जरिए महाराज गुरु रक्षा अभियान भी शुरू किए हैं।
भारत में गायों का महत्व बहुत ही ज्यादा है। यहां पर गायों को माता के समान माना जाता है और उनकी पूजा की जाती है। लेकिन फिर भी कई ऐसे लोग हैं, जो अन्य देशों में निर्यात के लिए प्रतिदिन हजारों गायों की हत्या कर देते हैं। ऐसे लोगों के विरुद्ध आवाज उठाते हुए महाराज ने इस अभियान का शुरुआत किया है।

यहां तक कि इन्होंने गायों की रक्षा के लिए गौ रक्षा रैली भी निकाली है और अक्सर इस तरह की रैलियों में हजारों की संख्या में स्त्री पुरुष यहां तक कि बच्चे भी शामिल होते हैं। इन रैलियों के माध्यम से महाराज गौ हत्या को रोकने के लिए लोगों को जागरूक करते हैं। भागलपुर, मुंबई, कानपुर, नागपुर, वृंदावन, होशंगाबाद, बिलासपुर जैसे कई स्थानों पर विशाल गौ रक्षा रैली निकाली जा चुकी है।
समाज में इतने ही नहीं बल्कि कई तरह की समस्याएं व्याप्त है। इसलिए महाराज ने केवल गौ रक्षा अभियान ही नहीं बल्कि गंगा यमुना प्रदूषण मुक्त, जल एवं पर्यावरण संरक्षण, दहेज प्रथा, छुआछूत और आज के आधुनिक युग के युवाओं को भारतीय संस्कृति और संस्कार में डालने जैसी कई अन्य तरह के अभियानों को भी शुरू किया है।
देवकीनंदन ठाकुर महाराज की कुल संपत्ति
आज के समय में देवकीनंदन ठाकुर महाराज बहुत ही लोकप्रिय वाचक बन चुके हैं। इनके भागवत कथा, राम कथा, कृष्ण कथा प्राचीन ग्रंथों के कथाओं के कार्यक्रम में लाखों लोग शामिल होते हैं।
इस तरह देवकीनंदन ठाकुर महाराज अपने प्रत्येक कार्यक्रम के लिए ₹1 लाख से भी ज्यादा चार्ज करते हैं। बात करें अब तक इनकी कुल संपत्ति के तो इनकी कुल संपत्ति छह से सात करोड़ रुपए बताई जाती है।
स्पष्टीकरण: यहाँ पर बताई गई सम्पति इंटरनेट पर उपलब्ध विभिन्न स्त्रोतों के माध्यम से बताई गई है। इसके सटीकता की पुष्टि हम नहीं करते।
देवकीनंदन ठाकुर महाराज के आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफार्म
देवकीनंदन ठाकुर महाराज की सोशल मीडिया पर आधिकारिक चैनल बनी हुई है, जहां पर इनके द्वारा कही जाने वाली कथा को अपलोड किया जाता है। यूट्यूब पर भी इनके चैनल है, जहां पर लोग घर बैठे देवकीनंदन ठाकुर महाराज की कथा को सुनने का लुफ्त उठा सकते हैं।
आज पूरी दुनिया इंटरनेट के माध्यम से इनके भागवत कथा, कृष्ण लीला इत्यादि को सुनते हैं और इनके मधुर भजन एवं प्रवचन के जरिए एक आनंद की अनुभूति करते हैं।
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देवकीनंदन ठाकुर महाराज से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
- देवकीनंदन ठाकुर महाराज में बचपन से ही महानता एवं दिव्य अंतर्दृष्टि के लक्षण दिखाई देने लगे थे।
- देवकीनंदन ठाकुर महाराज ने मात्र 6 वर्ष की उम्र में ही अपने घर को छोड़कर वृंदावन शरण ले लिया था, जहां पर इन्होंने आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु अनंत श्री विभुतीत भागवत आचार्य पुरुषोत्तम शरण शास्त्रीजी से भी मुलाकात की थी। गुरुजी इनके वाचक शैली से बहुत ही प्रभावित हुई थे।
- देवकीनंदन ठाकुर महाराज ने अंग्रेजी भाषा में स्नातक की डिग्री हासिल की और इसके साथ ही उन्होंने कई हिंदू धार्मिक ग्रंथों का भी अध्ययन किया है। इनके पास आध्यात्मिक ज्ञान भी है।
- देवकीनंदन ठाकुर महाराज ने बहुत कम समय में ही प्राचीन ग्रंथों को आत्मा से जोड़कर अध्ययन कर लिया था।
- देवकीनंदन ठाकुर महाराज समाज से छुआछूत की बुराई को हटाना चाहते हैं। इन्होंने समाज में एससी-एसटी कानून से बहुत ही विरोध किया है और इस एक्ट के खिलाफ इन्होंने मुहिम चलाने के लिए “अखंड इंडिया मिशन” नाम का एक दल भी बनाया था, जिसमें यह राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर थे।
- देवकीनंदन ठाकुर महाराज के वाचन में इतनी मधुरता है कि जनता इनके प्रवचन को सुनने के दौरान अपने सभी दैनिक चिंता और दुख भूल जाते हैं।
- महाराज ने कई धर्मार्थ कार्य किए हैं, जिसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा इन्हें यूपी रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।
- महाराज को श्रीमद्भागवत गीता पूरा कंठस्थ याद है। कहा जाता है कि बिना रोजाना श्रीमद् भागवत महापुराण का पाठ किए भोजन ग्रहण नहीं करते थे और इसी प्रकार उन्होंने इस पूरे भागवत महापुराण को कंठस्थ याद किया था।
FAQ (Devkinandan Thakur Biography in Hindi)
देवकीनंदन ठाकुर महाराज के आध्यात्मिक गुरु का नाम सतगुरु आनंद विभूति भगवत आचार्य पुरुषोत्तम शरण शास्त्री जी है, जिनसे इनकी मुलाकात वृंदावन में हुई थी।
44 वर्ष
देवकीनंदन महाराज ब्राह्मण परिवार से संबंध रखते हैं। ये समाज में छुआछूत जैसी फैली कुरीतियों का पूरा विरोध करते हैं।
देवकीनंदन ठाकुर महाराज के एक भाई है, जिनका नाम विजय शर्मा है।
देवकीनंदन ठाकुर के पिता का नाम श्री राजवीर शर्मा है।
देवकीनंदन ठाकुर के एक बेटा है, जिसका नाम देवांश है।
देवकीनंदन ठाकुर की पत्नी का नाम अंधमाता है।
देवकीनंदन ठाकुर महाराज के माता-पिता दोनों से ही उन्होंने बचपन से ही पौराणिक ग्रंथों का पाठ सुना था, जिसके कारण वे उन्हीं से प्रेरित होकर आगे हिंदू धार्मिक ग्रंथों में ज्ञान की प्राप्ति की।
देवकीनंदन ठाकुर महाराज की लोकप्रियता के बारे में तो आज हर कोई जानता है। यह सबसे अधिक वेतन पाने वाले भागवत कथा वाचक है। कहा जाता है कि महाराज एक कथा के लिए प्रतिदिन के हिसाब से 1 से 2 लाख लेते हैं।
निष्कर्ष
आज के इस लेख में आपने जाने-माने हिंदू पुराण कथा वाचक एवं आध्यात्मिक गुरु देवकीनंदन ठाकुर महाराज का जीवन परिचय (Devkinandan Thakur Biography in Hindi) विस्तार पूर्वक जाना। इस लेख के माध्यम से आपने महाराज की प्रारंभिक जीवन, इनके परिवार, इनकी शिक्षा, कथावाचक बनने की इनकी सफर, इनकी कुल संपत्ति एवं इनसे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जाना।
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