Kripa Ram Maharaj Biography in Hindi: भारत की भूमि संतो की भूमि है। इस भूमि पर समय-समय पर अनेक महान संतों ने जन्म लिया जैसे स्वामी विवेकानंद, दयानंद सरस्वती और अनेकों संतों ने अपने ज्ञान के जरिए देश-विदेश में भारत की संस्कृति को फैलाया है।
ऐसे ही संतो में से संत कृपाराम महाराज है, जिन्होंने भारत की पवित्र भूमि पर जन्म लिया है और समाज में फैली हुई कुरितियां और अंधविश्वास को दूर करने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं।
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कम उम्र से ही भक्ति मार्ग पर चलने वाले संत कृपाराम महाराज ने धर्म संसद अहमदाबाद में मात्र 7 वर्ष की आयु में 10,000 संतो को संबोधित किया। मात्र 10 वर्ष की उम्र से ही इनके भागवत गीता पाठ का आयोजन देश के कई बड़े शहरों में होना शुरू हो गया था।
आज के इस लेख में हम संत कृपाराम महाराज का जीवन परिचय (Kripa Ram Maharaj), उनकी शिक्षा, परिवार, योगदान आदि के बारे में विस्तार से जानने वाले हैं।
संत कृपाराम महाराज का जीवन परिचय (Kripa Ram Maharaj Biography in Hindi)
नाम | संत कृपाराम महाराज |
जन्म | 1994 |
जन्मस्थान | उम्मेद नगर (वर्तमान में संत कृपा नगर), जोधपुर (राजस्थान) |
शिक्षा | हिंदी साहित्य एवं पॉलिटिकल साइंस में स्नातक |
प्रसिद्धी | संत |
कार्य | कथा वाचन |
संत कृपाराम महाराज का प्रारंभिक जीवन
संत श्री कृपाराम महाराज का जन्म 1994 में विश्वकर्मा जयंती के दिन राजस्थान के जोधपुर जिले की उम्मेद नगर में हुआ था, जो वर्तमान समय में संत कृपा नगर के नाम से विख्यात है।
कृपाराम महाराज शिक्षा प्राप्त करने के बाद बहुत ही कम उम्र में भक्ति मार्ग पर चल पड़े और अपने घर को त्याग दिया। इनके एक छोटे भाई और एक छोटी बहन भी है।
कृपाराम महाराज की शिक्षा
कृपाराम महाराज ने कई अलग-अलग विषयों में स्नातक की डिग्री हासिल की है। इन्होंने हिंदी साहित्य एवं पॉलिटिकल साइंस विषय में स्नातक की डिग्री हासिल की है। उसके बाद उन्होंने संगीत और शास्त्र की भी शिक्षा प्राप्त की।
कृपाराम महाराज ने हमेशा ही अपने आपको समझने की कोशिश की है। इन्होंने एक संत का उद्देश्य क्या होता है और इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए काम करना भी शुरू किया।
कृपाराम महाराज का भक्ति मार्ग में प्रवेश
कृपाराम महाराज बहुत ही कम उम्र में भक्ति मार्ग पर चल पड़े थे। दरअसल जब उनकी उम्र 3 या 4 वर्ष की थी, उस दौरान उनके गांव में राजाराम महाराज की भागवत गीता पाठ का आयोजन हुआ था।
उस समय कृपाराम महाराज भी अपने परिवार के साथ राजाराम महाराज के भागवत गीता का पाठ सुनने के लिए आए थे। जब राजाराम महाराज ने अपने पाठ का अंत किया उसके बाद कृपाराम महाराज अपने परिवार वालों से जिद करने लगे कि उन्हें भी इनके साथ जाना है।
उस समय राजाराम महाराज ने बालक में भक्ति मार्ग के प्रति इतनी रुचि देख उनके परिवार वालों से कहा कि इसे मेरे साथ इसे भेज दो। लेकिन कृपाराम के परिवार ने कहा कि हमारे एक ही बालक है, हम इसे आपके साथ नहीं भेज सकते हैं।
तब राजाराम महाराज ने कहा कि यदि भगवान की कृपा हुई तो तुम्हें एक और पुत्र की प्राप्ति होगी। हालांकि यह बात सत्य भी हुई आगे उनके घर में एक और बालक ने जन्म लिया।
यह घटना होने के 1 साल के बाद दोबारा कृपाराम महाराज के गांव में राजाराम महाराज का भागवत गीता वाचन का आयोजन किया गया। उस समय कृपाराम महाराज अपने परिवार वालों के साथ राजाराम महाराज की भागवत गीता का पाठ सुनने गए।
उस समय उनको विश्वास था कि उनके माता-पिता उन्हें उनके साथ भेज देंगे क्योंकि अब घर में उनका एक छोटा भाई भी आ चुका था। उसके बाद जैसे ही कथा पूर्ण हुई कृपाराम महाराज अपने माता-पिता से जिद करके राजाराम महाराज के साथ चले गए।
फिर आगे इन्हीं के सानिध्य में रहते हुए धार्मिक ज्ञान हासिल किया। मात्र 10 वर्ष की उम्र में ही कृपाराम महाराज ने कथा वाचन शुरू कर दिया। कई जगहों पर इनके कथा वाचन के आयोजन शुरू हो गए। कृपाराम महाराज अपनी कथा में भागवत गीता, राम कथा, शिव पुराण वाचन के अतिरिक्त नानी बाई का मायरा कथा भी सुनाते थे।
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कृपाराम महाराज के योगदान
कृपाराम महाराज पर्यावरण से काफी ज्यादा लगाव रखते हैं। कृपाराम महाराज अक्षर पर्यावरण के बचाव पर जोर देते हुए लोगों को ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, गौ माता की सेवा करने की प्रेरणा देते हैं।
यह भारत की संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए कई तरह के काम कर चुके हैं और अभी भी इनका काम जारी है। यह भारत के युवाओं को भारत की संस्कृति से परिचित कराते हैं।
भारत के कई बड़े-बड़े शहरों में इनकी कथा वाचन का आयोजन होता है। यहां तक कि दुबई, सिंगापुर, बैंकॉक जैसे अन्य देशों में भी इनके कथा वाचन के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
अपने कार्यक्रम के माध्यम से यह विदेश तक भारतीय संस्कृति एवं धार्मिक ग्रंथों में लिखे गए ज्ञान को फैलाते हैं। कृपाराम महाराज का एक ही उद्देश्य है कि हमारी संस्कृति को विश्व पटल पर एक नई पहचान मिले।
FAQ
संत कृपाराम महाराज राजस्थान राज्य के जोधपुर शहर के रहने वाले हैं।
संत कृपाराम महाराज ने मात्र 7 वर्ष की उम्र से ही भागवत गीता का पाठ करना शुरू कर दिया था।
संत कृपाराम महाराज के एक छोटे भाई और एक बहन है।
संत कृपाराम महाराज ने हिंदी साहित्य और पॉलिटिकल साइंस में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अतिरिक्त संगीत और शास्त्र में भी इन्होंने शिक्षा प्राप्त की है।
निष्कर्ष
इस लेख में हम भारतीय संत कृपाराम महाराज के जीवन परिचय (Kripa Ram Maharaj Biography in Hindi) से अवगत हुए। यहाँ पर संत कृपाराम महाराज का प्रारंभिक जीवन, उनकी शिक्षा और भक्ति मार्ग में उनका प्रवेश एवं एक संत के रूप में उनके योगदान आदि के बारे में जाना।
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